राजस्थान Switch to English
राजस्थान में केंद्रीय विद्यालय स्थापित किये जायेंगे
चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्र सरकार ने राजस्थान में नौ नए केंद्रीय विद्यालय की स्थापना को स्वीकृति प्रदान की है, जिससे राज्य में उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा के अवसरों में वृद्धि होगी।
मुख्य बिंदु
- नये स्कूलों के लिये अनुमोदन:
- केंद्रीय मंत्रिमंडल ने देश भर में 85 नए केंद्रीय विद्यालयों और 28 नए नवोदय विद्यालयों की स्थापना को मंज़ूरी दी।
- ये स्कूल 82,000 से अधिक छात्रों को किफायती और उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान करेंगे।
- राजस्थान में नव स्वीकृत केंद्रीय विद्यालय जोधपुर, गंगानगर, करौली, नागौर, राजसमंद और दौसा ज़िले में हैं।
- इस कदम का उद्देश्य गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का विस्तार करना, शैक्षिक बुनियादी ढाँचे को बढ़ाना और युवा पीढ़ी के समग्र विकास में योगदान देना है।
- व्यापक निहितार्थ:
- यह पहल देश भर में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुँच में सुधार लाने के सरकार के मिशन के अनुरूप है।
- यह भारत के युवाओं के विकास और सशक्तीकरण का समर्थन करता है, तथा राष्ट्र के समग्र विकास में योगदान देता है।
राजस्थान Switch to English
राइजिंग राजस्थान वैश्विक निवेश शिखर सम्मेलन 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में प्रधानमंत्री ने जयपुर प्रदर्शनी एवं कन्वेंशन सेंटर (JECC) में राइजिंग राजस्थान वैश्विक निवेश शिखर सम्मेलन, 2024 और राजस्थान वैश्विक व्यापार एक्सपो का उद्घाटन किया।
मुख्य बिंदु
- वैश्विक निवेश शिखर सम्मेलन 2024:
- निवेश शिखर सम्मेलन का विषय "पूर्ण, ज़िम्मेदार, तैयार (Replete, Responsible, Ready)" है, जिसमें सतत् खनन, जल सुरक्षा और महिलाओं के नेतृत्व वाले स्टार्टअप पर चर्चा की जाएगी।
- 32 से अधिक देश और 20 अंतर्राष्ट्रीय संगठन विषयगत सत्रों और प्रदर्शनियों में शामिल होंगे, जिनमें राजस्थान की क्षमता का प्रदर्शन किया जाएगा।
- राजस्थान की विकास संभावनाएँ:
- राजस्थान में महत्त्वपूर्ण खनिज भंडार, विशाल प्राकृतिक संसाधन और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत है, जो इसे एक निवेश गंतव्य के रूप में स्थापित करती है।
- राजस्थान को दिल्ली-मुंबई औद्योगिक कॉरिडोर और डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर जैसी परियोजनाओं से लाभ मिल रहा है, जिससे औद्योगिक लॉजिस्टिक्स में सुधार हो रहा है।
- रणथंभौर और जयपुर जैसे अद्वितीय आकर्षणों के साथ, राजस्थान वन्यजीव, विरासत और साहसिक पर्यटन का केंद्र है।
- नवीकरणीय ऊर्जा और विनिर्माण में भूमिका:
- राजस्थान बड़े सौर पार्कों के साथ भारत के नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों में योगदान दे रहा है, जो वर्ष 2030 तक 500 गीगावाट क्षमता के लक्ष्य को पूरा करेगा।
- मेक इन इंडिया और प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजनाओं के तहत, राजस्थान ऑटोमोटिव, इलेक्ट्रिक वाहन और इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण में क्षमता निर्माण कर रहा है।
- सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (MSME):
- राजस्थान MSME क्षेत्र में शीर्ष 5 राज्यों में शामिल है, जहाँ 27 लाख से अधिक इकाइयाँ 50 लाख लोगों को रोज़गार प्रदान कर रही हैं।
- नई MSME नीतियों और आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना जैसी ऋण योजनाओं ने वर्ष 2014 से MSME के लिये ऋण प्रवाह को दोगुना कर दिया है।
- राजस्थान में MSME वैश्विक आपूर्ति शृंखला को बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना (ECLGS)
- ECLGS को कोविड-19 संकट के उत्तर में केंद्र के आत्मनिर्भर पैकेज के हिस्से के रूप में 2020 में लॉन्च किया गया था।
- इसका उद्देश्य देशव्यापी लॉकडाउन के कारण अपनी परिचालन देनदारियों को पूरा करने के लिये संघर्ष कर रहे छोटे व्यवसायों को सहायता प्रदान करना था।
- राष्ट्रीय ऋण गारंटी ट्रस्टी कंपनी (NCGTC) द्वारा सदस्य ऋणदाता संस्थाओं (MLI)- बैंकों, वित्तीय संस्थानों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) को 100% गारंटी प्रदान की जाती है।
- योजना के अंतर्गत जिस ऋण उत्पाद के लिये गारंटी प्रदान की जाएगी, उसका नाम 'गारंटीकृत आपातकालीन ऋण लाइन (GECL)' होगा।
उत्तराखंड Switch to English
उत्तराखंड में ग्रीन सेस
चर्चा में क्यों?
अधिकारियों के अनुसार, उत्तराखंड सरकार जल्द ही राज्य से बाहर जाने वाले वाहनों पर हरित उपकर लगाएगी।
- ग्रीन सेस एक प्रकार का कर है जो सरकार द्वारा पर्यावरण संरक्षण के उद्देश्य से लगाया जाता है।
मुख्य बिंदु
- उत्तराखंड में हरित उपकर की शुरूआत:
- यह उपकर 20 रुपए से 80 रुपए तक होगा और यह वाणिज्यिक और निजी दोनों वाहनों पर लागू होगा।
- दोपहिया वाहन, इलेक्ट्रिक वाहन और संपीड़ित प्राकृतिक गैस (CNG) वाहन, एम्बुलेंस, अग्निशमन वाहन और उत्तराखंड में पंजीकृत वाहनों को छूट दी जाएगी।
- कार्यान्वयन और प्रौद्योगिकी:
- इस प्रणाली को दिसंबर 2024 के अंत तक सक्रिय करने का उद्देश्य निर्धारित किया गया है।
- स्वचालित नंबर प्लेट पहचान कैमरे वाहनों की पहचान करेंगे और उपकर राशि सीधे वाहन मालिकों के फास्टैग वॉलेट से काट ली जाएगी।
फास्टैग (FASTag)
- यह एक ऐसा उपकरण है जो रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (RFID) तकनीक का उपयोग कर वाहन चलते समय सीधे टोल भुगतान करता है।
- भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने फास्टैग की उपलब्धता को सुविधाजनक बनाने के लिये दो मोबाइल ऐप- माईफास्टैग और फास्टैग पार्टनर लॉन्च किये।
- यह टैग जारी होने की तिथि से 5 वर्षों तक मान्य रहता है और यह सात विभिन्न रंगों के कोड में उपलब्ध है।
उत्तर प्रदेश Switch to English
उत्तराखंड में भूस्खलन क्षेत्रों का सफलतापूर्वक उपचार किया गया
चर्चा में क्यों?
सीमा सड़क संगठन (BRO) के अनुसार, रॉक बोल्ट तकनीक उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में सक्रिय भूस्खलन क्षेत्रों का सफलतापूर्वक उपचार कर रही है।
मुख्य बिंदु
- उत्तराखंड में भूस्खलन की चुनौतियाँ:
- पहाड़ी क्षेत्रों में, विशेषकर मानसून के मौसम में, भूस्खलन की घटनाएँ नियमित रूप से होती रहती हैं, जिससे सड़कें अवरुद्ध हो जाती हैं और चारधाम तीर्थयात्रियों को असुविधा होती है।
- इन भूस्खलनों के परिणामस्वरूप प्रायः मानव जीवन और संपत्ति को नुकसान पहुँचता है और यह एक दीर्घकालिक चिंता का विषय बना हुआ है।
- गंगोत्री और यमुनोत्री राजमार्गों पर लगातार भूस्खलन क्षेत्र वर्षों से बड़ा खतरा उत्पन्न कर रहे हैं।
- ऑस्ट्रेलियाई रॉक बोल्ट प्रौद्योगिकी को अपनाना:
- BRO उत्तरकाशी ज़िले में गंगोत्री राजमार्ग पर रतूड़ीसेरा और बंदरकोट में सक्रिय भूस्खलन क्षेत्रों के उपचार के लिये ऑस्ट्रेलियाई रॉक बोल्ट प्रौद्योगिकी का उपयोग कर रहा है।
- इससे पहले, इस तकनीक को नलूपानी और चुंगी बडेथी भूस्खलन क्षेत्रों में सफलतापूर्वक लागू किया गया था।
- यह प्रौद्योगिकी चारधाम सड़क चौड़ीकरण परियोजना के तहत वर्षों से सक्रिय भूस्खलन क्षेत्रों के उपचार में सहायक रही है।
- प्रभावशीलता और तकनीक:
- भूस्खलन को रोकने में यह तकनीक 90% प्रभावी रही है।
- इसमें ढीली मृदा को स्थिर करने के लिये मिट्टी में कील ठोंकना तथा कमज़ोर क्षेत्रों को मज़बूत करने के लिये आधारशिला में चट्टान बोल्ट लगाना शामिल है।
सीमा सड़क संगठन (BRO)
- 1960 में केवल दो परियोजनाओं, पूर्व में प्रोजेक्ट टस्कर (अब वर्तक) और उत्तर भारत में प्रोजेक्ट बीकन के साथ स्थापित BRO अब एक जीवंत संगठन बन गया है, जिसकी 11 राज्यों और तीन केंद्र शासित प्रदेशों में 18 परियोजनाएँ चल रही हैं।
- अब इसे उच्च ऊँचाई वाले तथा बर्फ से घिरे दुर्गम क्षेत्रों में अग्रणी बुनियादी ढाँचा निर्माण एजेंसी के रूप में मान्यता प्राप्त है।
- वर्ष 2023-24 में, BRO ने 125 बुनियादी ढाँचा परियोजनाएँ पूरी कीं, जिनमें अरुणाचल प्रदेश में बालीपारा-चारद्वार-तवांग रोड पर सेला सुरंग का निर्माण भी शामिल है।
- BRO जल्द ही 4.10 किलोमीटर लंबी शिंकुन ला सुरंग का निर्माण शुरू करेगा, जो पूरा हो जाने पर 15,800 फीट की ऊँचाई पर दुनिया की सबसे ऊँची सुरंग बन जाएगी, जो 15,590 फीट की ऊँचाई पर स्थित चीन की मिला सुरंग को पीछे छोड़ देगी।
- BRO रक्षा मंत्रालय के अधीन एक भारतीय कार्यकारी बल है, जिसका कार्य भारत की सीमाओं को सुरक्षित करना तथा उत्तर और उत्तर-पूर्वी राज्यों के दूरदराज के क्षेत्रों में बुनियादी ढाँचे का विकास करना है।
- यह सीमा सड़क विकास बोर्ड (BRDB) के अधीन कार्य करता है तथा सीमावर्ती क्षेत्रों और पड़ोसी देशों में सड़क नेटवर्क के लिये जिम्मेदार है।
- BRO का आदर्श वाक्य है “श्रमेण सर्वं साध्यम्” जिसका अर्थ है “कड़ी मेहनत से सब कुछ प्राप्त किया जा सकता है।”
उत्तर प्रदेश Switch to English
पीलीभीत टाइगर रिज़र्व
चर्चा में क्यों?
हाल ही में एक वायरल वीडियो सामने आने के बाद जाँच के आदेश दिये गए हैं, जिसमें कथित तौर पर उत्तर प्रदेश के एक मंत्री के वाहनों का बेड़ा पीलीभीत टाइगर रिज़र्व के मुख्य क्षेत्र से गुजरता हुआ दिखाई दे रहा है। इससे वन नियमों के उल्लंघन की चिंता बढ़ गई है।
मुख्य बिंदु
- वन विभाग के नियमों के अनुसार, निजी वाहनों को मुख्य क्षेत्र में प्रवेश करने पर सख्त प्रतिबंध है तथा केवल वन विभाग के वाहनों या सफारी पर्यटन के लिये अधिकृत वाहनों को ही प्रवेश की अनुमति है।
- पीलीभीत टाइगर रिज़र्व:
- यह उत्तर प्रदेश के पीलीभीत और शाहजहाँपुर ज़िले में स्थित है।
- इसे वर्ष 2014 में टाइगर रिज़र्व के रूप में अधिसूचित किया गया था।
- वर्ष 2020 में, इसने पिछले चार वर्षों में बाघों की संख्या दोगुनी करने के लिये अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार TX2 जीता।
- यह ऊपरी गंगा के मैदान में तराई आर्क लैंडस्केप का हिस्सा है।
- रिज़र्व का उत्तरी किनारा भारत-नेपाल सीमा पर स्थित है, जबकि दक्षिणी सीमा शारदा और खकरा नदियों द्वारा चिह्नित है।
- वनस्पति और जीव:
- यह 127 से अधिक पशुओं, 326 पक्षी प्रजातियों और 2,100 फूलदार पौधों का निवास स्थान है।
- जंगली जानवरों में बाघ, दलदल हिरण, बंगाल फ्लोरिकन, तेंदुआ आदि शामिल हैं।
- इसमें कई जल निकायों के साथ ऊँचे साल के वन, वृक्षारोपण और घास के मैदान हैं।
टाइगर रिज़र्व
- धारीदार बड़ी बिल्लियों (बाघों) के संरक्षण के लिये नामित संरक्षित क्षेत्र को टाइगर रिज़र्व कहा जाता है। हालाँकि, टाइगर रिज़र्व एक राष्ट्रीय उद्यान या वन्यजीव अभयारण्य भी हो सकता है।
- उदाहरण के लिये: सरिस्का टाइगर रिज़र्व भी एक राष्ट्रीय उद्यान है। ऐसा इसलिये है क्योंकि इस जगह को मूल रूप से एक राष्ट्रीय उद्यान के रूप में बनाया गया था और बाद में इसे बाघ संरक्षण के लिये समर्पित कर दिया गया।
- राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण की सलाह पर वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की धारा 38वी के प्रावधानों के अनुसार राज्य सरकारों द्वारा बाघ रिज़र्वों को अधिसूचित किया जाता है।
TX2 पुरस्कार
- यह उस स्थान को समर्पित है, जहाँ वर्ष 2010 के बाद से बाघों की संख्या में उल्लेखनीय और मापनीय वृद्धि हुई है।