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गोला-बारूद स्टॉक का रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (RFID)

  • 02 Mar 2022
  • 3 min read

हाल ही में भारतीय सेना ने अपने गोला-बारूद की रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (RFID) टैगिंग का कार्यान्वयन शुरू किया।

  • इससे पहले वर्ष 2021 में केंद्र सरकार ने फास्टैग (FASTag) और रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (Radio Frequency Identification- RFID) के साथ ई-वे बिल (E-Way Bill) प्रणाली को एकीकृत किया है।

रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (RFID):

  • RFID एक प्रकार की निष्क्रिय वायरलेस तकनीक है जो किसी वस्तु या व्यक्ति की ट्रैकिंग और मैचिंग की अनुमति देती है।
  • सिस्टम के दो बुनियादी हिस्से हैं: टैग और रीडर।
    • रीडर द्वारा रेडियो तरंगों को छोड़ दिया जाता है तथा RFID टैग द्वारा सिग्नल को वापस प्राप्त किया जाता है, जबकि टैग अपनी पहचान एवं अन्य जानकारी को संप्रेषित करने के लिये रेडियो तरंगों का उपयोग करता है।
    • यह टैग कई फीट दूर से वस्तु की पहचान कर सकता है और इसे ट्रैक करने के लिये वस्तु के  प्रत्यक्ष ‘लाइन-ऑफ-साइट’ (Line-of-Sight) के भीतर होने की आवश्यकता नहीं है।
  • प्रौद्योगिकी को 1970 के दशक से पहले मंज़ूरी दी गई है, लेकिन हाल के वर्षों में वैश्विक आपूर्ति शृंखला प्रबंधन और घरेलू माइक्रोचिपिंग जैसी वस्तुओं में इसके उपयोग के कारण यह बहुत अधिक प्रचलित हो गई है।

RFID

विस्फोटक भंडार का RFID:

  • RFID कार्यान्वयन को भारतीय सेना के आयुध सेवा निदेशालय द्वारा संचालित किया जाता है, जो कि आयुध निर्माणी बोर्ड के निगमीकरण के बाद नवनिर्मित इकाई- म्यूनिशन ऑफ इंडिया लिमिटेड, पुणे के साथ किया गया है।
  • RFID टैगिंग वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा स्थापित एक वैश्विक मानक संगठन ‘जीएस-1 इंडिया’ के परामर्श से वैश्विक मानकों के अनुरूप है। 
  • आयुध सेवा निदेशालय के कंप्यूटरीकृत इन्वेंटरी कंट्रोल ग्रुप (CICG) द्वारा संचालित एंटरप्राइज़ रिसोर्स एप्लीकेशन द्वारा RFID टैग को ट्रैकिंग के लिये उपयोग किया जाएगा।

महत्त्व: 

  • यह गोला-बारूद के प्रबंधन में बदलाव लाएगा, साथ ही ट्रैकिंग क्षमता में सुधार करेगा।
  • यह सैनिकों द्वारा गोला-बारूद के भंडारण और उपयोग को सुरक्षित बनाएगा और फील्ड आर्मी को अधिक सुविधा प्रदान करेगा।
  • यह गोला बारूद डिपो में किये जाने वाले सभी तकनीकी गतिविधियों की दक्षता में वृद्धि करेगा और इन्वेंट्री ले जाने की लागत को कम करेगा।

स्रोत: पी.आई.बी. 

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