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उत्तर प्रदेश

पीलीभीत टाइगर रिज़र्व को ‘कंजर्वेशन एश्योर्ड टाइगर स्टैंडर्ड्स’का दर्जा मिला

  • 27 Mar 2023
  • 3 min read

चर्चा में क्यों?

26 मार्च, 2023 को पीलीभीत टाइगर रिज़र्व (पीटीआर) के डिप्टी डायरेक्टर नवीन खंडेलवाल ने बताया कि बाघों के संरक्षण, रखरखाव के साथ बेहतर ढंग से प्रबंधन के लिये पीटीआर को एनटीसीए की ओर से ‘कंजर्वेशन एश्योर्ड टाइगर स्टैंडर्ड्स’ का दर्जा मिला है।

प्रमुख बिंदु

  • राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) की ओर से देश के छह टाइगर रिज़र्व को बाघों के संरक्षण, रखरखाव के साथ बेहतर ढंग से प्रबंधन के लिये ‘कंजर्वेशन एश्योर्ड टाइगर स्टैंडर्ड्स’ (सीएटीएस) का दर्जा दिया गया है। इनमें पीटीआर भी शामिल है।
  • जानकारी के अनुसार केंद्र सरकार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के एनटीसीए के सहायक आईजीएफ हेमंत सिंह की ओर से पत्र जारी कर देश के छह टाइगर रिज़र्व- काली, मेलघाट, ताडोबा-अंधेरी, नवेगाँव-नगजीरा, पेरियार और पीलीभीत को सीएटीएस का दर्जा दिया गया है।
  • गौरतलब है कि पीलीभीत को वर्ष 2014 में टाइगर रिज़र्व घोषित किया गया था। वर्ष 2014 में बाघों की संख्या मात्र 25 थी। टाइगर रिज़र्व बनने के बाद जंगल के अनुकूल वातारण के साथ बाघों की सुरक्षा एवं संरक्षण के लिये राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण की गाइडलाइन के अनुसार काम हुए। नतीजा यह रहा कि वर्ष 2020 में बाघों की संख्या बढ़कर 65 हो गई। इस उपलब्धि के लिये पूरे विश्व में पीलीभीत टाइगर रिज़र्व की चर्चा भी हुई।
  • विदित है कि संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) में पारिस्थितिक तंत्र और जैव विविधता के प्रमुख मिस मिंडोरी पैक्सटन की ओर से नवंबर 2020 को पीलीभीत टाइगर रिज़र्व को अंतर्राष्ट्रीय स्तर का टाइगर एक्स टू अवार्ड दिया गया था।
  • इस अवार्ड की खास बात यह थी कि विश्व के 13 ऐसे देश, जहाँ बाघ पाए जाते हैं, इन देशों में सिर्फ भारत के पीलीभीत टाइगर रिज़र्व को बाघों की संख्या बढ़ाने पर यह अवार्ड मिला था। इसके बाद बाघों की बढ़ती संख्या का असर भी देखा गया। जंगल और उसके बाहर के इलाकों में बाघों की सक्रियता बढ़ गई। हालाँकि पूर्व की अपेक्षा मानव वन्यजीव संघर्ष में कमी आई।
  • उल्लेखनीय है कि ‘कंजर्वेशन एश्योर्ड टाइगर स्टैंडर्ड्स’ की अधिकारिक तौर पर वर्ष 2013 में शुरूआत की गई थी। इसके तहत सात मानक स्तंभों और 17 मूल तत्त्वों पर आधारित लक्षित प्रजातियों के प्रभावी प्रबंधन के लिये मानदंड तय किये जाते हैं। इसके तहत बाघों के संरक्षण के क्षेत्र को जाँच और परखने का अवसर दिया जाता है।
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