42वीं नेशनल सीनियर रोइंग चैंपियनशिप | मध्य प्रदेश | 05 Mar 2025
चर्चा में क्यों ?
3 से 7 मार्च तक भोपाल में 42वीं नेशनल सीनियर रोइंग चैंपियनशिप का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें देश भर से 500 से अधिक खिलाड़ी हिस्सा ले रहे हैं।
मुख्य बिंदु
- चैंपियनशिप के बारे में:
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आयोजन:
- यह प्रतियोगिता भोपाल के बड़े तालाब स्थित राज्य वाटर स्पोर्ट्स अकादमी, बोट क्लब में आयोजित हो रही है।
- महत्त्व और उद्देश्य
- इस प्रतियोगिता का आयोजन वॉटर स्पोर्ट्स को प्रोत्साहित करने और युवाओं को एक नया मंच देने के उद्देश्य से किया जा रहा है।
- मुख्यमंत्री ने स्वयं इस प्रतियोगिता का उद्घाटन किया है।
- प्रतियोगिता का स्वरूप
- इस प्रतियोगिता में 14 इवेंट्स का आयोजन किया जा रहा है, जिसमे 2 इवेंट्स पैरा सिंगल स्कल महिला एवं पुरुष वर्ग भी शामिल है।
- प्रतियोगिता का समापन 7 मार्च 2025 को होगा, जिसमें सभी फाइनल्स आयोजित किये जाएंगे।
- इसमें कुल 27 टीमों के 500 से अधिक खिलाड़ी हिस्सा ले रहें हैं, जो प्रतियोगिता के व्यापक स्तर को दर्शाता है।
रोइंग खेल
- परिचय:
- रोइंग एक ऐसा खेल है जिसमें एथलीट एक विशेष प्रकार की नाव को पतवारों (ओअर्स) की मदद से आगे बढ़ाते हैं। यह अन्य वॉटर स्पोर्ट्स से अलग होता है क्योंकि इसमें रोवर (नाविक) की पीठ नाव की चाल की दिशा में होती है।
- इतिहास:
- रोइंग की शुरुआत प्राचीन मिस्र, ग्रीस और रोम में एक परिवहन साधन के रूप में हुई थी।
- एक खेल के रूप में इसकी शुरुआत 17वीं और 18वीं शताब्दी में हुई, जब यूनाइटेड किंगडम में ऑक्सफोर्ड-कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी बोट रेस का आयोजन हुआ, जिसका उद्धाघटन 1828 में हुआ था।
- प्रतिस्पर्द्धा दूरी:
- रोअर एथलीट व्यक्तिगत रूप से या फिर 2,4 या 8 की टीमों में 2,000 मीटर की प्रतिस्पर्द्धा करते हैं।
- रोइंग के प्रकार:
- डबल स्कल्स: प्रत्येक एथलीट दोनों हाथों में एक-एक पतवार रखता है।
- स्वीप रोइंग: एथलीट दोनों हाथों से एक ही पतवार संभालता है।
छत्तीसगढ़ में साइबर धोखाधड़ी रिपोर्ट | छत्तीसगढ़ | 05 Mar 2025
चर्चा में क्यों?
छत्तीसगढ़ में कुल 168 करोड़ रुपए के साइबर अपराध के मामले सामने आए हैं, जिनमें से 5.2 करोड़ रुपए की वसूली की गई है, यह जानकारी उपमुख्यमंत्री ने विधानसभा सत्र के दौरान सदन को दी।
मुख्य बिंदु
- साइबर धोखाधड़ी: यह एक प्रकार का साइबर अपराध है, जिसका उद्देश्य किसी संस्था से पैसे (या अन्य मूल्यवान संपत्ति) चुराना है। इसमें धोखाधड़ी करने के लिये ऑनलाइन साधन (इंटरनेट आधारित) का उपयोग करना शामिल है।
- साइबर धोखाधड़ी के प्रकार:
साइबर धोखाधड़ी
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विवरण
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फ़िशिंग
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फ़िशिंग में ऐसे ई-मेल शामिल होते हैं, जो विश्वसनीय स्रोतों से आते प्रतीत होते हैं, जो उपयोगकर्त्ताओं को ऐसे लिंक पर क्लिक करने के लिये प्रेरित करते हैं जो उन्हें नकली वेबसाइटों पर ले जाते हैं और हमलावर संवेदनशील विवरण जैसे क्रेडिट कार्ड नंबर आदि प्राप्त कर लेते हैं।
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मैलवेयर
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मैलवेयर का उपयोग व्यक्तिगत जानकारी चुराने के लिये किया जाता है, जिससे साइबर अपराधी पीड़ित के कंप्यूटर पर नियंत्रण प्राप्त कर लेते हैं।
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रैंसमवेयर
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रैनसमवेयर पीड़ित की फ़ाइलों को एन्क्रिप्ट करता है और डिक्रिप्शन के लिये भुगतान की मांग करता है। उदाहरण के लिये, 2016 में वानाक्राई हमला।
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साइबर-धमकी
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साइबर-धमकी में किसी व्यक्ति की सुरक्षा को खतरा पहुँचाना, कुछ भी कहने या कराने के लिये दबाव डालना शामिल है।
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साइबर जासूसी
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साइबर जासूसी किसी सार्वजनिक या निजी संस्था के नेटवर्क को लक्ष्य बनाकर वर्गीकृत डेटा, निजी सूचना या बौद्धिक संपदा तक पहँच प्राप्त करती है।
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व्यावसायिक ई-मेल समझौता (BEC)
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घोटालेबाज़, आपूर्तिकर्त्ताओं, कर्मचारियों या कर कार्यालय के सदस्यों का रूप धारण करने के लिये वैध ई-मेल खातों को हैक कर लेते हैं, जिसे सफेदपोश अपराध माना जाता है।
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डेटिंग हुडविंक्स
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हैकर्स संभावित साझेदार के रूप में प्रस्तुत होने और व्यक्तिगत डेटा तक पहुँच प्राप्त करने के लिये डेटिंग वेबसाइटों, चैट रूम और ऑनलाइन डेटिंग ऐप्स का उपयोग करते हैं।
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- प्रत्येक ज़िले में साइबर सेल: छत्तीसगढ़ के सभी पाँच संभागों में अब प्रत्येक ज़िले में एक साइबर सेल है और ऐसे मामलों से निपटने के लिये पुलिस थानों को उन्नत किया गया है।
- सभी ज़िला पुलिस स्टेशनों को साइबर पुलिस स्टेशनों में उन्नत किया जा रहा है तथा विशेषज्ञ कर्मचारियों को राष्ट्रीय केंद्रों पर प्रशिक्षित किया जा रहा है।
- निवेश: राज्य सरकार ने एक साइबर भवन के निर्माण में 2.77 करोड़ रुपए का निवेश किया है, जो एकीकृत फोरेंसिक डिवाइस, मोबाइल फोरेंसिक किट और डिस्क स्टोरेज सिस्टम सहित अत्याधुनिक उपकरणों से सुसज्जित है।
- ये तकनीकी प्रगति राज्य में साइबर अपराध और धोखाधड़ी से निपटने के लिये चल रहे प्रयासों का हिस्सा हैं।
- साइबर धोखाधड़ी में वृद्धि: वैश्विक स्तर पर साइबर अपराध बढ़ रहा है, पिछले साल डिजिटल लेन-देन 20 लाख करोड़ रुपए से अधिक हो गया। जैसे-जैसे डिजिटल लेन-देन बढ़ रहा है, साइबर धोखाधड़ी की घटनाएँ भी बढ़ रही हैं।
ताज महोत्सव | उत्तर प्रदेश | 05 Mar 2025
चर्चा में क्यों
18 फरवरी से 2 मार्च 2025 तक आगरा के शिल्प ग्राम में ताज महोत्सव का आयोजन किया गया।
मुख्य बिंदु
- आयोजन के बारे में:
- ताज महोत्सव में भारतीय कला, शिल्प, संगीत, नृत्य और व्यंजनों का अनूठा संगम देखने को मिला। महोत्सव के दौरान, विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम, शिल्प प्रदर्शनियाँ और खाद्य मेले आयोजित किये गए।
- आयोजन: यह ताज महोत्सव का 33वाँ संस्करण था जिसका आयोजन ताज महोत्सव समिति द्वारा किया गया।
- थीम: महोत्सव की थीम 'धरोहर' थी, जो भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को दर्शाती है।
- प्रमुख कार्यक्रम
- अटल उद्यान में पुष्प प्रदर्शनी
- परिधान शो
- हमारी धरोहर हमारी पहचान
- सूर सरोवर पक्षी विहार में बर्ड वॉचिंग
ताज महोत्सव:
- परिचय:
- यह आगरा के शिल्पग्राम में प्रतिवर्ष आयोजित होने वाला एक जीवंत 10 दिवसीय उत्सव है।
- यह उत्सव 18वीं और 19वीं शताब्दी के दौरान उत्तर प्रदेश में विकसित समृद्ध मुगल एवं नवाबी संस्कृति से प्रेरित होता है।
- उद्देश्य
- ताज महोत्सव की शुरुआत वर्ष 1992 में आगरा के स्थानीय कारीगरों और परंपराओं को बढ़ावा देने के लिये की गई थी।
आगरा ज़िला
- परिचय
- यह उत्तर प्रदेश राज्य के पश्चिमी क्षेत्र में यमुना नदी के किनारे अवस्थित है।
- इस ज़िले का अक्षांश 27.11' उत्तर व देशांतार 78.0' से 78.2' पूर्व है।
- यह राजस्थान एवं मध्य प्रदेश के साथ अंतर्राज्यीय सीमा बनता है।
- स्थापना:
- आधुनिक आगरा की स्थापना 1504 ई० में सिकंदर लोदी द्वारा की गई थी।
- 1504 ई० में उसने अपनी राजधानी को दिल्ली से आगरा स्थानांतरित किया था।
- प्रमुख दर्शनीय स्थल:
आरोग्य मेला-2025 | राजस्थान | 05 Mar 2025
चर्चा में क्यों?
1 से 4 मार्च 2025 तक राजस्थान सरकार द्वारा 4 दिवसीय राज्य स्तरीय आरोग्य मेला का आयोजन शिल्पग्राम, जवाहर कला केंद्र, जयपुर में किया गया।
मुख्य बिंदु
- मेले के बारे में:
- आयुष राज्यमंत्री ने कहा कि ‘निरोगी राजस्थान’की संकल्पना को साकार करने की दिशा में राज्य सरकार प्रदेश में आयुर्वेद एवं भारतीय चिकित्सा पद्धति को लगातार बढावा दे रही है, जिसके परिणामस्वरूप आयुष पद्धति के प्रति लोगों में रुचि बढ़ी है और यह एलोपैथी के मज़बूत विकल्प के रूप में उभर रही है। अन्य राज्यों के समक्ष राज्य सरकार की यह एक अनुकरणीय पहल है।
- उद्देश्य
- इस मेले का उद्देश्य आयुष चिकित्सा पद्धतियों के प्रति जन जागरूकता बढ़ाना, निःशुल्क चिकित्सा परामर्श एवं उपचार उपलब्ध कराना तथा योग व प्राकृतिक चिकित्सा के महत्त्व को उजागर कर स्वस्थ जीवनशैली को प्रोत्साहित करना था।
- उपचार और परामर्श
- आयुर्वेद, होम्योपैथी, यूनानी, योग एवं नेचुरोपैथी चिकित्सा पद्धतियों के विशेषज्ञों द्वारा निशुल्क चिकित्सा परामर्श एवं उपचार प्रदान किया गया।
- मेले में जलौका चिकित्सा, अग्निकर्म चिकित्सा, ऑस्टियोपैथी, मर्म चिकित्सा, कपिंग थैरेपी आदि विशिष्ट आयुष चिकित्सा विधाओं से उपचार की सुविधा उपलब्ध कराई गई।
- सौंदर्य विशेषज्ञों द्वारा सौंदर्य प्रसाधन क्लिनिक पर हर्बल चिकित्सा व प्राकृतिक साधनों से सौंदर्य बनाए रखने की जानकारी दी गई।
- पाठ्यक्रमों के बारे में जानकारी
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आयुर्वेद, होम्योपैथी, योग एवं यूनानी चिकित्सा के क्षेत्र में कौशल विकास एवं शैक्षिक अवसरों के संबंध में एम.डी., एम.एस., स्नातक डिग्री व डिप्लोमा पाठ्यक्रमों में प्रवेश प्रक्रिया व पात्रता की जानकारी प्रदान की गई।
छत्तीसगढ़ में महिला पंचायत की जगह प्रॉक्सी शपथ | छत्तीसगढ़ | 05 Mar 2025
चर्चा में क्यों?
छत्तीसगढ़ के कबीरधाम ज़िले के परसवाड़ा ग्राम पंचायत में छह नवनिर्वाचित महिला पंचायत प्रतिनिधियों के पतियों (प्रधान पति) ने कथित तौर पर उनकी जगह शपथ ली।
मुख्य बिंदु
- प्रधान पति: यह भारत में पंचायतों (ग्राम परिषदों) में निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों के पतियों का वर्णन करने के लिये प्रयुक्त एक बोलचाल का शब्द है, जो अनौपचारिक रूप से अपनी पत्नियों (वास्तविक पंचायत प्रतिनिधियों) की ओर से सत्ता का प्रयोग करते हैं।
- यह घटना सामाजिक-सांस्कृतिक मानदंडों के कारण उत्पन्न होती है, जहाँ महिलाओं के आधिकारिक पदों पर रहने के बावजूद, उनके पति या परिवार के पुरुष सदस्य निर्णय लेते हैं और प्रशासनिक कर्त्तव्यों का निर्वहन करते हैं।
- शपथ ग्रहण विवाद : सोशल मीडिया पर एक वीडियो सामने आया है, जिसमें कथित तौर पर छह नवनिर्वाचित महिला पंचायत प्रतिनिधियों के पति उनकी जगह शपथ लेते नजर आ रहे हैं।
- इस पर पंडरिया जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी को मामले की जाँच करने के निर्देश दिये गए हैं। उन्होंने बताया कि जाँचरिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की जाएगी।
- अनियमित शपथ-ग्रहण : पंचायत सचिव ने कथित तौर पर वास्तविक प्रतिनिधियों के बजाय छह निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों के पतियों को शपथ दिलाई।
- जन आक्रोश : स्थानीय लोगों और सामाजिक कार्यकर्त्ताओं ने इस घटना की निंदा करते हुए इसे महिला सशक्तिकरण का उल्लंघन बताया और ज़िम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। उन्होंने चेतावनी दी कि कार्रवाई में विफलता भविष्य में ऐसी घटनाओं को बढ़ावा दे सकती है।
पंचायती राज संस्थाओं (PRI) का शासन
- राज्य विषय:
- स्थानीय शासन राज्य सरकारों के अधिकार क्षेत्र में आता है, तथा पंचायती राज संस्थाएँ संबंधित राज्य पंचायती राज अधिनियमों के अनुसार कार्य करती हैं।
- संवैधानिक ढांचा:
- अनुसूचित क्षेत्रों में पंचायत विस्तार (पेसा) अधिनियम, 1996, अनुसूचित क्षेत्रों में ग्राम सभाओं को प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन और जनजातीय संस्कृति और आजीविका की रक्षा के लिये विशेष शक्तियां प्रदान करता है।
हरियाणा में सरकारी विश्वविद्यालयों पर बढ़ता ऋण | हरियाणा | 05 Mar 2025
चर्चा में क्यों?
हरियाणा के पूर्व वित्तमंत्री ने सरकार द्वारा अनुदान के स्थान पर ऋण देने के बाद राज्य संचालित विश्वविद्यालयों पर बढ़ते ऋण को उजागर करने के लिये एक अभियान शुरू करने की योजना बनाई है।
मुख्य बिंदु
- बढ़ता विश्वविद्यालय ऋण:
- हरियाणा के 22 राज्य विश्वविद्यालयों पर ऋण के साथ अनुदान सहायता नीति में बदलाव के कारण 6,625.82 करोड़ रुपए का ऋण जमा हो गया है।
- बढ़ते ऋण से अनुसंधान, शिक्षण और यहाँ तक कि विश्वविद्यालयों के अस्तित्व पर भी असर पड़ सकता है।
- सरकार का औचित्य:
- राज्य सरकार का कहना है कि यह धनराशि “ब्याज मुक्त स्थायी ऋण के रूप में गैर-वसूली योग्य वित्तीय सहायता” योजना के तहत प्रदान की जाती है।
- अधिकारियों का तर्क है कि अनुदान सहायता को राजस्व व्यय के रूप में गिना जाता है, जबकि ऋण को पूंजीगत व्यय के रूप में गिना जाता है, जिसका उद्देश्य विश्वविद्यालयों के लिये परिसंपत्तियों का निर्माण और राजस्व उत्पन्न करना है।
- स्व-वित्तपोषण मॉडल पर चिंताएँ:
- अनुदान सहायता के स्थान पर ऋण देने के निर्णय का व्यावहारिक अर्थ यह है कि सभी सरकारी विश्वविद्यालयों को स्व-वित्तपोषण पद्धति अपनानी होगी, जिससे विश्वविद्यालयों को फीस बढ़ाने के लिये बाध्य होना पड़ेगा, जिससे निम्न एवं मध्यम वर्ग के छात्रों के लिये उच्च शिक्षा प्राप्त करना अप्राप्य हो जाएगा।
- सहायता अनुदान
- सहायता अनुदान एक सरकार द्वारा दूसरी सरकार, निकाय, संस्था या व्यक्ति को दी जाने वाली सहायता, दान या अंशदान की प्रकृति के भुगतान हैं।
- राज्य सरकारों को दिये जाने वाले अनुदान सहायता के अलावा, केंद्र सरकार अन्य एजेंसियों, निकायों और संस्थाओं को अनुदान सहायता के रूप में पर्याप्त धनराशि देती है।
- इसी प्रकार, राज्य सरकारें भी एजेंसियों, निकायों और संस्थानों जैसे विश्वविद्यालयों, अस्पतालों, सहकारी संस्थाओं आदि को अनुदान सहायता वितरित करती हैं।
- इस प्रकार जारी किये गए अनुदान का उपयोग इन एजेंसियों, निकायों और संस्थाओं द्वारा दिन-प्रतिदिन के परिचालन व्ययों को पूरा करने और पूंजीगत परिसंपत्तियों के सृजन के लिये किया जाता है।
सोनभद्र में फ्लोराइड विषाक्तता | उत्तर प्रदेश | 05 Mar 2025
चर्चा में क्यों?
उत्तर प्रदेश के सोनभद्र ज़िले में फ्लोराइड प्रदुषण का अधिक स्तर पाया गया है, जिसके कारण लाखों लोगों को अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
मुख्य बिंदु
- मुद्दे के बारे में:
- सोनभद्र ज़िले के 276 गाँवों की दो लाख से अधिक आबादी फ्लोराइड युक्त पानी पीने से प्रभावित है।
- कोन, वभनी, म्योरपुर और दुद्धी ब्लॉक के गाँवों के भूजल में फ्लोराइड का स्तर निर्धारित मानक से 5-6 गुना से अधिक पाया गया है।
- स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव:
- इसके चलते लोगों की हड्डियाँ कमज़ोर और टेढ़ी हो रही हैं, बच्चे जन्म से ही दिव्यांग पैदा हो रहे हैं और बड़ी संख्या में बुजुर्ग चलने में असमर्थ हो रहे हैं।
- NGT का आदेश:
फ्लोराइड
- परिचय:
- फ्लोराइड एक व्यापक रूप से पाया जाने वाला, गैर-बायोडिग्रेडेबल और दीर्घकालिक प्रभाव वाला प्रदूषक है। यह कोयले की ईंटों को जलाने से बनता है। फ्लोराइड प्राकृतिक रूप से खनिजों के साथ-साथ मिट्टी, पानी और हवा में भी पाया जाता है।
- विषाक्तता:
- यह अत्यधिक विषैला होता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पीने के जल में फ्लोराइड की ऊपरी सीमा 1.5 मिग्रा/लीटर की सिफारिश की है।
- फ्लोराइड के प्रभाव:
- पर्याप्त मात्रा में सेवन किये जाने पर, फ्लोराइड दाँतों की सड़न को रोकता है, दाँतों के इनेमल के निर्माण में सहायता करता है और हड्डियों के खनिजीकरण में कमी को रोकता है।
- किंतु अधिक मात्रा में यह हड्डियों और जोड़ों पर नकारात्मक प्रभाव डालता है, साथ ही दाँतों में फ्लोरोसिस का कारण बनता है।
- फ्लोराइड प्रदूषण का वन्यजीवों पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
एकीकृत पेंशन योजना को मंजूरी | उत्तराखंड | 05 Mar 2025
चर्चा में क्यों?
उत्तराखंड मंत्रिमंडल ने केंद्र सरकार की एकीकृत पेंशन योजना और नई आबकारी नीति 2025 के कार्यान्वयन को मंजूरी दे दी है।
- सरकार ने साहित्य और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिये 45 लेखकों को वित्तीय सहायता देने की घोषणा की है।
मुख्य बिंदु
- एकीकृत पेंशन योजना (UPS) अनुमोदन:
- उत्तराखंड मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (NPS) के अंतर्गत अधिकारियों और कर्मचारियों के लिये एकीकृत पेंशन योजना के कार्यान्वयन को मंजूरी दे दी।
- इस योजना का उद्देश्य सेवानिवृत्ति के बाद सुनिश्चित पेंशन भुगतान उपलब्ध कराना है।
- यह 1 अप्रैल, 2025 से लागू होगा।
- नई आबकारी नीति 2025
- धार्मिक भावनाओं का सम्मान करते हुए धार्मिक स्थलों के निकट शराब के लाइसेंस बंद कर दिये जाएंगे।
- जनता की संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए शराब की बिक्री पर कड़ा नियंत्रण लगाया जाएगा।
- उप-दुकानें और मेट्रो शराब बिक्री प्रणाली को समाप्त कर दिया गया है।
- यदि कोई दुकान अधिकतम खुदरा मूल्य (MRP) से अधिक पर शराब बेचती है तो उसका लाइसेंस रद्द किया जा सकता है।
- 2025-26 के लिये आबकारी राजस्व लक्ष्य 5,060 करोड़ रुपए निर्धारित किया गया है।
- वर्ष 2023-24 में 4,000 करोड़ रुपए के लक्ष्य की तुलना में 4,038.69 करोड़ रुपए का राजस्व अर्जित किया गया।
- वर्ष 2024-25 में 4,439 करोड़ रुपए के लक्ष्य की तुलना में अब तक 4,000 करोड़ रुपए प्राप्त हो चुके हैं।
- साहित्य और संस्कृति को बढ़ावा देना
- सरकार ने इस वर्ष 45 लेखकों के लिये वित्तीय सहायता की घोषणा की है।
- उत्तराखंड साहित्य भूषण पुरस्कार सहित 21 नए साहित्यिक पुरस्कार शुरू किये गए हैं।
- यह पहल साहित्य और संस्कृति के संरक्षण के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है।
- मुख्यमंत्री ने इस बात पर ज़ोर दिया कि यह वित्तीय सहायता सांस्कृतिक संरक्षण और साहित्यिक विकास के प्रति राज्य की प्रतिबद्धता का प्रतीक है।
एकीकृत पेंशन योजना
- सुनिश्चित पेंशन: यह 25 वर्ष की न्यूनतम अर्हक सेवा के लिये सेवानिवृत्ति से पूर्व अंतिम 12 महीनों में कर्मचारी के औसत मूल वेतन का 50% होता है।
- यह राशि, कम-से-कम 10 वर्ष की सेवा अवधि तक, आनुपातिक रूप से कम होती जाएगी।
- सुनिश्चित न्यूनतम पेंशन: न्यूनतम 10 वर्ष की सेवा के बाद सेवानिवृत्ति की स्थिति में, UPS 10,000 रुपए प्रति माह की सुनिश्चित न्यूनतम पेंशन प्रदान करता है।
- सुनिश्चित पारिवारिक पेंशन: सेवानिवृत्त व्यक्ति की मृत्यु पर, उसका निकटतम परिवार सेवानिवृत्त व्यक्ति द्वारा अंतिम बार प्राप्त पेंशन का 60% पाने का पात्र होगा।
- मुद्रास्फीति सूचकांकीकरण: उपर्युक्त तीनों प्रकार की पेंशनों पर महंगाई राहत उपलब्ध होगी।
- सेवानिवृत्ति पर एकमुश्त भुगतान: ग्रेच्युटी के अतिरिक्त, कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति पर एकमुश्त भुगतान प्राप्त होगा, जो सेवा के प्रत्येक छह माह पूरे होने पर सेवानिवृत्ति तिथि के अनुसार उनके मासिक वेतन (वेतन+डीए) के 1/10वें भाग के बराबर होगा।
- इस भुगतान से सुनिश्चित पेंशन की राशि पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
- ग्रेच्युटी वह राशि है, जो नियोक्ता द्वारा अपने कर्मचारियों को उनकी सेवाएँ प्रदान करने के लिये दी जाती है।
- कर्मचारियों के लिये विकल्प: कर्मचारी अभी भी NPS के तहत बने रहने का विकल्प चुन सकते हैं। हालाँकि, एक कर्मचारी केवल एक बार ही विकल्प चुन सकता है। एक बार विकल्प चुनने के बाद, विकल्प बदला नहीं जा सकता।
हरित ऊर्जा मुक्त पहुँच विनियमों में संशोधन किया | हरियाणा | 05 Mar 2025
चर्चा में क्यों?
हरियाणा विद्युत विनियामक आयोग (HERC) ने अपने ग्रीन एनर्जी ओपन एक्सेस विनियम, 2023 में संशोधन किया है।
मुख्य बिंदु
- खुली पहुँच के लिये विस्तारित पात्रता:
- 100 किलोवाट या उससे अधिक की अनुबंधित मांग वाले उपभोक्ता, चाहे एकल कनेक्शन के माध्यम से या वितरण लाइसेंसधारी के एक ही विद्युत परिचालन प्रभाग के अंतर्गत 100 किलोवाट या उससे अधिक की कुल क्षमता वाले एकाधिक कनेक्शनों के माध्यम से, अब हरित ऊर्जा ओपन एक्सेस के लिये पात्र हैं।
- अपतटीय पवन परियोजनाओं के लिये अतिरिक्त अधिभार छूट बढ़ाई गई:
- दिसंबर 2032 तक चालू की गई अपतटीय पवन परियोजनाओं से उत्पन्न बिजली और ओपन एक्सेस उपभोक्ताओं को आपूर्ति की जाने वाली बिजली को अतिरिक्त अधिभार से छूट दी जाएगी। यह पिछली छूट को आगे बढ़ाता है, जो केवल दिसंबर 2025 तक लागू थी।
- गैर-स्वतंत्र फीडर उपभोक्ताओं के लिये खुली पहुँच पर स्पष्टीकरण:
- स्वतंत्र फीडरों से जुड़े नहीं रहने वाले पात्र उपभोक्ता ओपन एक्सेस का लाभ उठा सकते हैं, बशर्ते वे सिस्टम की बाध्यताओं और अपने वितरण लाइसेंसधारी द्वारा लगाए गए किसी भी बिजली कटौती प्रतिबंध को स्वीकार करें। ऐसे प्रतिबंधों के कारण कम निकासी की भरपाई नहीं की जाएगी।
हरियाणा विद्युत विनियामक आयोग (HERC)
- इसकी स्थापना 17 अगस्त 1998 को हरियाणा विद्युत सुधार अधिनियम, 1997 के प्रावधान के अनुसार एक स्वतंत्र वैधानिक निकाय के रूप में की गई थी।
- हरियाणा भारत का दूसरा राज्य था जिसने विद्युत क्षेत्र में सुधार एवं पुनर्गठन की प्रक्रिया शुरू की।
- हरियाणा विद्युत सुधार अधिनियम, 1997 को हरियाणा राज्य विधानसभा द्वारा 22 जुलाई 1997 को पारित किया गया था। 20 फरवरी 1998 को भारत के राष्ट्रपति की स्वीकृति प्राप्त होने के बाद, यह अधिनियम 14 अगस्त 1998 को लागू हुआ।