राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली

चर्चा में क्यों?


राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (National Pension Scheme- NPS) को व्यवस्थित करने तथा इसे और अधिक आकर्षक बनाने के लिये केंद्रीय मंत्रिमंडल ने NPS के तहत कवर किये गए 18 लाख केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों को लाभ पहुँचाने हेतु इस योजना में बदलावों को मंज़ूरी दे दी है।

मंत्रिमंडल द्वारा स्वीकृत बदलाव-

  • केंद्र सरकार द्वारा NPS टियर-। के दायरे में आने वाले अपने कर्मचारियों के लिये अपना अनिवार्य अंशदान मौजूदा 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 14 प्रतिशत कर दिया गया है।
  • केंद्र सरकार के कर्मचारियों को पेंशन फंडों और निवेश के स्‍वरूप के चयन की आज़ादी दी गई है।
  • वर्ष 2004-2012 के दौरान NPS में अंशदान न करने या इसमें विलंब होने पर क्षतिपूर्ति की जाएगी।
  • NPS से बाहर निकलने पर मिलने वाली एकमुश्‍त निकासी राशि पर कर छूट सीमा बढ़ाकर 60 प्रतिशत कर दी गई है। इसके साथ ही समूची निकासी राशि अब आयकर से मुक्‍त हो जाएगी। (मौजूदा समय में वार्षिक तौर पर खरीद के लिये इस्‍तेमाल की गई कुल संचित राशि का 40 प्रतिशत कर मुक्‍त है। सेवानिवृत्ति के समय NPS के सदस्‍य द्वारा निकाली जाने वाली संचित राशि के 60 प्रतिशत में से 40 प्रतिशत कर मुक्‍त है, जबकि शेष 20 प्रतिशत राशि कर योग्‍य है।)
  • NPS टियर-।। के तहत सरकारी कर्मचारियों द्वारा किये जाने वाला अंशदान अब आयकर की दृष्टि से 1.50 लाख रुपए तक की छूट के लिये धारा 80 सी के अंतर्गत कवर होगा। यह अन्‍य योजनाओं जैसे कि सामान्‍य भविष्‍य निधि, अंशकारी भविष्‍य निधि, कर्मचारी भविष्‍य निधि और सार्वजनिक भविष्‍य निधि के समतुल्य है, बशर्तें कि इसमें तीन वर्षों की लॉक-इन अवधि हो।

प्रभाव

  • NPS के दायरे में आने वाले केंद्र सरकार के सभी कर्मचारियों की अंतिम संचित राशि में वृद्धि होगी।
  • कर्मचारियों पर कोई अतिरिक्‍त बोझ पड़े बगैर ही सेवानिवृत्ति के बाद उन्‍हें मिलने वाली पेंशन राशि बढ़ जाएगी।
  • जीवन प्रत्‍याशा बढ़ने की स्थिति में वृद्धावस्‍था सुरक्षा बढ़ जाएगी।
  • NPS को और ज़्यादा आकर्षक बनाने से सरकार को सर्वोत्‍तम प्रतिभाओं को आकर्षि‍त करने एवं उन्‍हें सेवा में बनाए रखने में आसानी होगी।

पृष्ठभूमि

  • 7वें वेतन आयोग ने वर्ष 2015 में अपने विचार-विमर्श के दौरान NPS से जुड़ी विशिष्‍ट चिंताओं पर गौर किया और सिफारिशें पेश कीं।
  • तदनुसार, सरकार द्वारा वर्ष 2016 में सचिवों की एक समिति गठित की गई जिसे NPS के कार्यान्‍वयन को युक्तिसंगत अथवा सरल बनाने के लिये विभिन्‍न उपाय सुझाने की ज़िम्‍मेदारी सौंपी गई।

राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली

  • केंद्र सरकार ने 01 जनवरी, 2004 से राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (NPS) शुरू की थी (सशस्त्र बलों को छोड़कर)।
  • देश में NPS को लागू करने और विनियमित करने की ज़िम्मेदारी पेंशन फंड नियामक और विकास प्राधिकरण (Pension Fund Regulatory and Development Authority) की है।
  • PFRDA द्वारा स्थापित नेशनल पेंशन सिस्टम ट्रस्ट (National Pension System Trust- NPST) NPS के तहत सभी संपत्तियों का पंजीकृत मालिक है।
  • NPS की संरचना द्विस्तरीय है-

टियर- 1 खाता: यह सेवानिवृत्ति की बचत के लिये बनाया गया खाता है जिसका आहरण नहीं किया जा सकता है।
टियर-2 खाता: यह एक स्‍वैच्छिक बचत सुविधा है। अभिदाता अपनी इच्‍छानुसार इस खाते से अपनी बचत को आहरित करने के लिये स्‍वतंत्र है। इस खाते पर कोई कर लाभ उपलब्‍ध नहीं हैं।

  • NPS 1 मई, 2009 से स्‍वैच्छिक आधार पर असंगठित क्षेत्र के कामगारों सहित देश के सभी नागरिकों को प्रदान की गई है।
  • देश का कोई भी व्यक्ति (निवासी और अनिवासी दोनों) NPS में शामिल हो सकता है, बशर्ते NPS के लिये आवेदन करते समय उसकी आयु 18 से 65 वर्ष के बीच हो।
  • लेकिन OCI (Overseas Citizens of India) तथा PIO (Person of Indian Origin) कार्ड धारक और हिंदू अविभाजित परिवार (Hindu Undivided Family- HUFs) NPS खाता खोलने के लिये योग्य नहीं हैं।

पेंशन निधि विनियामक और विकास प्राधिकरण

  • इस अधिनियम को 19 सितंबर, 2013 में अधिसूचित और 1 फरवरी, 2014 से लागू किया गया।
  • राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (NPS) जिसके अभिदाताओं में केंद्र सरकार/राज्य सरकारों निजी संस्थानों/संगठनों और असंगठित क्षेत्र के कर्मचारी शामिल हैं, का नियमन PFRDA द्वारा किया जाता है।
  • भारत में वृद्धावस्था आय सुरक्षा से सबंधित योजनाओं के अध्ययन के लिये भारत सरकार ने वर्ष 1999 में OASIS ( वृद्धावस्था सामजिक और आय सुरक्षा) नामक राष्ट्रीय परियोजना को मंज़ूरी दी थी।
  • भारत सरकार द्वारा अंशदान पेंशन प्रणाली को 22 दिसंबर, 2003 में अधिसूचित किया गया जो 1 जनवरी, 2004 से लागू हुई और जिसे अब राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली के नाम से जाना जाता है।
  • 1 मई, 2009 से NPS का विस्तार स्वैच्छिक आधार पर देश के सभी नागरिकों के लिये किया गया जिसमें स्वरोज़गार, पेशेवरों और असंगठित क्षेत्रों में काम करने वाले कर्मचारियों को भी शामिल किया गया है।

स्रोत : पी.आई.बी