मुख्य परीक्षा
पंचायतों में प्रधान पति संबंधी मुद्दा
- 01 Mar 2025
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स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
पंचायती राज मंत्रालय द्वारा वर्ष 2023 में गठित एक पैनल ने अपनी रिपोर्ट, पंचायती राज प्रणालियों और संस्थानों में महिलाओं के प्रतिनिधित्व एवं भूमिकाओं को बदलना: प्रॉक्सी भागीदारी के प्रयासों को खत्म करना के तहत 'प्रधान पति' की प्रथा को रोकने के क्रम में "अनुकरणीय दंड" की सिफारिश की गई।
- इस रिपोर्ट में महिला प्रतिनिधियों को सशक्त बनाने के क्रम में नीतिगत सुधार, प्रशिक्षण और प्रौद्योगिकी-संचालित समाधान सुझाए गए हैं।
समिति द्वारा सुझाए गए प्रमुख सुधार क्या हैं?
- प्रॉक्सी नेतृत्व के लिये कठोर दंड: इसमें पंचायती राज संस्थाओं (PRIs) में निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों के लिये प्रॉक्सी के रूप में कार्य करने वाले पुरुष रिश्तेदारों संबंधी सिद्ध मामलों के लिये 'अनुकरणीय दंड' का प्रावधान किया गया है।
- संरचनात्मक एवं नीतिगत सुधार: इस समिति ने पंचायत और वार्ड स्तर की समितियों (केरल के मॉडल की तरह) में लैंगिक-विशिष्ट कोटा के साथ प्रॉक्सी नेतृत्व के खिलाफ प्रयासों को मान्यता देने के क्रम में वार्षिक 'एंटी-प्रधान पति' पुरस्कार की सिफारिश की है।
- इसमें संबंधित शिकायतों को निपटाने के लिये महिला लोकपाल की नियुक्ति का प्रस्ताव रखा गया है। इसमें महिला प्रधानों के अधिकार को मज़बूत करने के क्रम में ग्राम सभाओं में सार्वजनिक शपथ ग्रहण समारोह आयोजित करने का भी सुझाव दिया गया है।
- सहकर्मी समर्थन एवं सामूहिक निर्णय लेने के क्रम में इसमें महिला पंचायत प्रतिनिधियों के एक संघ बनाने का सुझाव दिया गया है।
- तकनीकी हस्तक्षेप: समिति ने कौशल को बढ़ावा देने के लिये आभासी वास्तविकता (VR) सिमुलेशन प्रशिक्षण के साथ रियल टाइम विधिक एवं शासन सहायता हेतु स्थानीय भाषाओं में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) संचालित क्वेरी-संचालित मार्गदर्शन का प्रस्ताव रखा है।
- महिला निर्वाचित प्रतिनिधियों (WERs) को संबंधित मुद्दों के समाधान हेतु अधिकारियों के साथ जोड़ने के लिये व्हाट्सएप ग्रुप बनाए जाने चाहिये।
- इसके अतिरिक्त, पंचायत निर्णय पोर्टल नागरिकों को प्रधानों की भागीदारी पर नज़र रखने में सक्षम बनाएगा, जिससे पारदर्शिता एवं जवाबदेहिता सुनिश्चित होगी।
- समिति द्वारा नेतृत्व कार्यक्रमों हेतु प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों एवं अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों के साथ सहयोग करने का सुझाव दिया गया है।
पंचायती राज संस्थाओं में प्रधान पति का मुद्दा क्या है?
- प्रधान पति: इसे 'सरपंच पति' या 'मुखिया पति' के नाम से भी जाना जाता है, इसमें निर्वाचित महिला पंचायत प्रतिनिधियों के पति उनकी ओर से सत्ता का प्रयोग करते हैं।
- परिणामस्वरूप, कई WER केवल नाममात्र के मुखिया के रूप में कार्य करती हैं, जिससे उनकी स्वायत्तता एवं नेतृत्व में कमी आती है। इससे पितृसत्ता को मज़बूती मिलने के साथ 73वें संविधान संशोधन अधिनियम की भावना कमज़ोर होती है।
- प्रधान पति की विद्यमानता: भारत में तीन स्तरों (ग्राम पंचायत, पंचायत समिति और जिला परिषद) पर लगभग 2.63 लाख पंचायतें हैं। 32.29 लाख निर्वाचित पंचायत प्रतिनिधियों में से 46.6% (15.03 लाख) महिलाएँ हैं।
- हालाँकि, इनकी प्रभावी भागीदारी कम है, विशेषकर उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा एवं राजस्थान जैसे उत्तरी राज्यों (जहाँ पुरुषों द्वारा अक्सर निर्णय निर्माण प्रक्रिया को नियंत्रित किया जाता है) में।
- प्रधान पति की समस्या को हल करने में चुनौतियाँ: पितृसत्तात्मक मानदंड एवं नौकरशाही उपेक्षा से महिलाओं के अधिकारों में कमी आती है और अक्सर उन्हें नाममात्र का मुखिया बना दिया जाता है।
- धमकियों, हिंसा और सामाजिक दबाव से महिलाएँ शासन में सक्रिय रूप से भाग लेने से हतोत्साहित होती हैं।
- इस समिति ने चेतावनी दी है कि कठोर दंड से पितृसत्ता जैसे मूल कारणों को हल करने के बजाय समस्या भूमिगत हो सकती है।
पंचायती राज संस्थाओं का विनियमन
- राज्य का विषय: स्थानीय शासन राज्य सरकारों के अधिकार क्षेत्र में आता है, तथा पंचायती राज संस्थाएँ संबंधित राज्य पंचायती राज अधिनियमों के अनुसार कार्य करती हैं।
- संवैधानिक ढाँचा:
- 73वें संविधान संशोधन अधिनियम (1992) द्वारा त्रिस्तरीय पंचायत प्रणाली की स्थापना की गई जिसमे महिलाओं के लिये 1/3 आरक्षण अनिवार्य किया गया, जिसे बाद में 21 राज्यों और 2 केंद्रशासित प्रदेशों में बढ़ाकर 50% कर दिया गया।
- अनुच्छेद 243D पंचायती राज संस्थाओं में अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और पिछड़े वर्गों के लिये आरक्षण का प्रावधान करता है।
- संविधान का अनुच्छेद 40, जो राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांत है, राज्य को ग्राम पंचायतों की स्थापना करने तथा उन्हें स्वशासी इकाइयों के रूप में कार्य करने हेतु आवश्यक शक्तियाँ और प्राधिकार का अधिकार प्रदान करता है।
- पंचायतों (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) अधिनियम, 1996, अनुसूचित क्षेत्रों में ग्राम सभाओं को प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन और जनजातीय संस्कृति एवं आजीविका की रक्षा के लिये विशेष शक्तियाँ प्रदान करता है।
दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न: प्रश्न: 'प्रधान पति' की प्रथा 73वें संविधान संशोधन के उद्देश्यों को किस प्रकार प्रभावित करती है? पंचायती राज संस्थाओं में महिला नेतृत्व को मज़बूत करने के उपाय सुझाएँ। |
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