लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

स्टेट पी.सी.एस.

  • 01 May 2024
  • 0 min read
  • Switch Date:  
राजस्थान Switch to English

डिजिटल जल वितरण प्रणाली

चर्चा में क्यों?

सिंचाई जल की आपूर्ति की सुविधा के लिये राजस्थान के श्रीगंगानगर ज़िले में कृषि क्षेत्रों के लिये एक अनूठी डिजिटल जल वितरण प्रणाली शुरू की गई है।

मुख्य बिंदु:

  • राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (NIC) जयपुर द्वारा विकसित नई प्रणाली किसानों को उनके खेतों तक पहुँचने वाले जल की स्थिति के बारे में जानने में सक्षम बनाएगी और मैन्युअल प्रणाली में अक्सर रिपोर्ट की जाने वाली मानवीय त्रुटि की गुंजाइश को कम करेगी।
  • डिजिटल प्लेटफॉर्म ज़िले के सभी किसानों को जल की उपलब्धता से संबंधित मुद्दों को हल करने के लिये गंग नहर और इंदिरा गांधी नहर से जल वितरित करने में पारदर्शिता बढ़ाएगा।
  • जल संसाधन विभाग के अनुसार जल उपयोक्ता संघों के प्रमुख अपने-अपने क्षेत्र के किसानों की जानकारी पोर्टल पर केवल एक बार दर्ज करेंगे। इसके बाद किसानों को सिंचाई बारी की पर्चियाँ स्वत: ऑनलाइन मिल जाएंगी।
  • ऑनलाइन 'बाराबंदी' (निश्चित बारी) का विस्तार किया जा सकता है और राज्य के अन्य ज़िलों में भी किसानों के लाभ के लिये एक समान जल वितरण प्रणाली के रूप में कार्यान्वित किया जा सकता है।

राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (NIC)

  • NIC केंद्र सरकार, राज्य सरकारों तथा केंद्रशासित प्रदेश प्रशासनों को नेटवर्क बैकबोन और ई-गवर्नेंस सहायता प्रदान करता है।
  • NIC राष्ट्रव्यापी अत्याधुनिक सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (ICT) बुनियादी ढाँचे की स्थापना के अलावा शासन के विभिन्न पहलुओं में सरकार के साथ निकटता से जुड़ा हुआ है।
  • इसने विभिन्न स्तरों पर सरकार का समर्थन करने के लिये बड़ी संख्या में डिजिटल समाधान भी बनाए हैं, जिससे नागरिकों को अंतिम छोर तक सरकारी सेवाओं की डिलीवरी एक वास्तविकता बन गई है।
  • यह इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तत्त्वावधान में है।
  • इसकी स्थापना वर्ष 1976 में हुई थी और इसका मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है।


उत्तराखंड Switch to English

चारधाम यात्रा 2024

चर्चा में क्यों?

यमुनोत्री मंदिर 10 मई को खुलेगा और 31 अक्तूबर 2024 को बंद होगा, जो यमुना नदी के स्रोत पर आशीर्वाद लेने वाले तीर्थयात्रियों का स्वागत करता है।

मुख्य बिंदु:

  • यमुनोत्री मंदिर पवित्र चारधाम यात्रा का पहला पड़ाव है। यह उत्तराखंड के उत्तरकाशी ज़िले में गढ़वाल हिमालय में स्थित है।
    • प्रत्येक वर्ष, हज़ारों हिंदू इस तीर्थस्थल पर आशीर्वाद लेने के लिये आध्यात्मिक यात्रा पर जाते हैं।
  • वर्ष 2024 में इस शुभ तिथि को हिंदू पंचांग के आधार पर चुना गया है, जो अक्षय तृतीया के साथ मेल खाता हैइस दिन का बहुत महत्त्व है

यमुना नदी

  • परिचय:
    • यमुना नदी उत्तर भारत में गंगा की प्रमुख सहायक नदियों में से एक है।
    • यह विश्व के व्यापक जलोढ़ मैदानों में से एक यमुना-गंगा मैदान का एक अभिन्न भाग है।
  • स्रोत: इसका स्रोत निचली हिमालय पर्वतमाला में बंदरपूंँछ शिखर के दक्षिण-पश्चिमी किनारों पर 6,387 मीटर की ऊँचाई पर यमुनोत्री ग्लेशियर में स्थित है।
  • बेसिन: यह उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली से प्रवाहित होते हुए उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में संगम (जहाँ कुंभ मेला आयोजित होता है) स्थल पर गंगा में मिल जाती है।
  • महत्त्वपूर्ण बाँध: लखवार-व्यासी बाँध (उत्तराखंड), ताजेवाला बैराज बाँध (हरियाणा) आदि।
  • महत्त्वपूर्ण सहायक नदियाँ: चंबल, सिंध, बेतवा और केन।
  • यमुना नदी से संबंधित सरकारी पहल
    • यमुना एक्शन
    • फरवरी 2025 तक यमुना को साफ करने के लिये दिल्ली सरकार की छह सूत्री कार्य योजना


उत्तर प्रदेश Switch to English

पीलीभीत टाइगर रिज़र्व से भटककर आया तेंदुआ

चर्चा में क्यों?

हाल ही में वन अधिकारियों ने एक तेंदुए को पकड़ लिया जो उत्तर प्रदेश के पीलीभीत ज़िले के पास के पीलीभीत टाइगर रिज़र्व से भटककर अलीगंज गाँव में आ गया था।

मुख्य बिंदु:

  • पीलीभीत टाइगर रिज़र्व उत्तर प्रदेश के तीन ज़िलों-पीलीभीत, लखीमपुर खीरी और बहराईच में फैला हुआ है।
  • इसका क्षेत्रफल 700 वर्ग किमी. से अधिक है और यह तेंदुओं व बाघों सहित विभिन्न प्रकार के जंगली जानवरों का निवास स्थल है।
  • यह ऊपरी गंगा के मैदान में तराई आर्क लैंडस्केप का हिस्सा है।
  • रिज़र्व का उत्तरी किनारा भारत-नेपाल सीमा पर स्थित है जबकि दक्षिणी सीमा शारदा और खकरा नदी द्वारा चिह्नित है।

तेंदुए

  • वैज्ञानिक नाम: पेंथेरा पार्डस
  • परिचय:
    • पैंथेरा जीनस के सबसे छोटे सदस्य के रूप में बाघ, शेर (पैंथेरा लियो), जगुआर, तेंदुए तथा हिम तेंदुए आदि शामिल हैं, तेंदुए विभिन्न प्रकार के वातावरणों के लिये अपनी अनुकूलन क्षमता के लिये प्रसिद्ध है।
    • यह एक रात्रिचर जानवर है जो जंगली सूअर, हॉग हिरण एवं चीतल सहित अपने क्षेत्र में छोटे शाकाहारी जानवरों को खाता है।
    • तेंदुओं में मेलेनिज़्म एक आम घटना है, जिसमें जानवर की पूरी त्वचा काले रंग की होती है, जिसमें उसके धब्बे भी शामिल हैं।
    • मेलेनिस्टिक तेंदुए को प्राय: ब्लैक पैंथर कहा जाता है और गलती से इसे एक अलग प्रजाति मान लिया जाता है।
  • प्राकृतिक आवास:
    • यह उप-सहारा अफ्रीका में पश्चिमी और मध्य एशिया के छोटे हिस्सों एवं भारतीय उपमहाद्वीप से लेकर दक्षिण-पूर्व तथा पूर्वी एशिया तक विस्तृत क्षेत्र में पाया जाता है।
    • भारतीय तेंदुआ (पेंथेरा पार्डस फुस्का) भारतीय उपमहाद्वीप में व्यापक रूप से पाया जाने वाला तेंदुआ है।
  • खतरा:
    • खाल एवं शरीर के अंगों के अवैध व्यापार के लिये अवैध शिकार।
    • पर्यावास हानि एवं विखंडन
    • मानव-तेंदुआ संघर्ष
  • संरक्षण की स्थिति:


उत्तर प्रदेश Switch to English

उत्तर प्रदेश में साइबर पुलिस स्टेशन

चर्चा में क्यों?

उत्तर प्रदेश सरकार संसदीय चुनाव के बाद 57 ज़िलों में साइबर पुलिस स्टेशन स्थापित करेगी, जिसमें प्रत्येक साइबर पुलिस स्टेशन में अधिकारियों और कर्मचारियों के लिये 25 पद होंगे।

मुख्य बिंदु:

  • राज्य सरकार ने राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर साइबर अपराध की बढ़ती घटनाओं के जवाब में राज्य के सभी 75 ज़िलों में साइबर पुलिस स्टेशन स्थापित करने का निर्णय लिया है।
    • जबकि 18 मंडलों में साइबर स्टेशन पहले से ही चालू हैं, शेष 57 ज़िलों को भी लोकसभा चुनाव के बाद ऐसे स्टेशन मिलेंगे।
  • इन स्टेशनों को अंतिम रूप आदर्श आचार संहिता (MCC) हटने और आम चुनाव के समापन के बाद दिया जाएगा।

आदर्श आचार संहिता (MCC)

  • MCC एक सर्वसम्मत दस्तावेज़ है। राजनीतिक दल स्वयं चुनाव के दौरान अपने आचरण को नियंत्रित रखने और संहिता के भीतर काम करने पर सहमत हुए हैं।
  • यह चुनाव आयोग को संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत दिये गए जनादेश को ध्यान में रखते हुए मदद करता है, जो उसे संसद और राज्य विधानमंडलों के लिये स्वतंत्र तथा निष्पक्ष चुनावों की निगरानी एवं संचालन करने की शक्ति देता है।
  • MCC चुनाव कार्यक्रम की घोषणा की तारीख से परिणाम की घोषणा की तारीख तक चालू रहता है।
  • संहिता लागू रहने के दौरान सरकार किसी वित्तीय अनुदान की घोषणा नहीं कर सकती, सड़कों या अन्य सुविधाओं के निर्माण का वादा नहीं कर सकती और न ही सरकारी या सार्वजनिक उपक्रम में कोई तदर्थ नियुक्ति कर सकती है।
  • MCC की प्रवर्तनीयता:

साइबर अपराध

  • साइबर अपराध को ऐसे अपराध के रूप में परिभाषित किया जाता है जहाँ कंप्यूटर अपराध का माध्यम होता है या अपराध करने के लिये एक उपकरण के रूप में प्रयोग किया जाता है।
  • इसमें अवैध या अनधिकृत गतिविधियाँ शामिल हैं जो विभिन्न प्रकार के अपराध करने के लिये प्रौद्योगिकी का लाभ उठाती हैं।
  • साइबर अपराध में अपराधों की एक विस्तृत शृंखला शामिल है, यह व्यक्तियों, संगठनों के साथ-साथ सरकारों को भी प्रभावित कर सकता है।

उत्तर प्रदेश Switch to English

IMS-BHU को अल्ट्रासाउंड, इकोकार्डियोग्राम मशीनें मिलीं

चर्चा में क्यों?

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के चिकित्सा विज्ञान संस्थान में जराचिकित्सा विभाग ने आधिकारिक तौर पर दो नई पोर्टेबल अल्ट्रासाउंड और इकोकार्डियोग्राम मशीनों का अनावरण किया।

मुख्य बिंदु:

  • विभाग नि:शुल्क इन-हाउस बेडसाइड इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम और स्पिरोमेट्री सेवाओं के साथ-साथ बॉडी कंपोज़िशन एनालाइज़र और कमज़ोरी के मूल्यांकन के लिये हैंड ग्रिप डायनेमोमीटर प्रदान करता है, यह सभी सेवाएँ बिना किसी शुल्क के प्रदान की जाती हैं।
  • IMS-BHU ने हड्डी पर प्रभाव डालने वाले एंकिलॉज़िंग स्पॉन्डिलाइटिस की सीमा पर एक प्रस्तुति दी।
    • इस कार्यक्रम का आयोजन एम्स, जम्मू द्वारा एशिया पैसिफिक ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन यंग सर्जन फोरम के हिस्से के रूप में किया गया था।

एंकिलॉज़िंग स्पॉन्डिलाइटिस (AS)

  • यह एक प्रकार का गठिया रोग है जो रीढ़ की हड्डी में सूजन उत्पन्न करके मुख्य रूप से पीठ को प्रभावित करता है। इससे पीठ, पसली और गर्दन में अकड़ तथा पीड़ा हो सकती है।
  • यह प्रायः उन लोगों में शुरू होता है जो किशोरावस्था या 20 वर्ष के आयुवर्गीय युवाओं में होता है।
  • सूजन के अनुक्रिया में, शरीर रीढ़ की हड्डियों के आस-पास अतिरिक्त कैल्शियम का उत्पादन करने लगता है। इससे हड्डी के अतिरिक्त खंड बढ़ सकते हैं जिससे पीठ व गर्दन अधिक कठोर हो सकती है।

एशिया पैसिफिक ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन (The Asia Pacific Orthopaedic Association- APOA)

  • यह एशिया प्रशांत क्षेत्र के आर्थोपेडिक सर्जनों का एक क्षेत्रीय संगठन है।
  • इसकी शुरुआत वर्ष 1962 में वेस्टर्न पैसिफिक ऑर्थोपेडिक न के रूप में हुई। वर्ष 2000 में भारतीय उपमहाद्वीप के देशों को शामिल करने के साथ, एसोसिएशन का नाम बदलकर एशिया पैसिफिक ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन कर दिया गया।
  • इसके 24 सदस्य प्रकरण हैं और 40 से अधिक देशों से 65,000 से अधिक सदस्य हैं।
  • इसका मुख्य मिशन इस क्षेत्र में आर्थोपेडिक सर्जनों के बीच शिक्षा, अनुसंधान और फेलोशिप को बढ़ावा देना है।

हरियाणा Switch to English

दक्षिणी हरियाणा को हरा-भरा बनाने की सरकार की योजना

चर्चा में क्यों?

वन विभाग के अनुसार, दक्षिण हरियाणा के छह ज़िले वर्ष 2024 के मानसून सीज़न में 24 लाख पौधे लगाने की तैयारी में हैं।

मुख्य बिंदु:

  • फरीदाबाद द्वारा 5 लाख पौधे लगाकर इस पहल का नेतृत्व किया जाएगा, उसके बाद महेंद्रगढ़ द्वारा 4.9 लाख पौधे लगाए जाएंगे।
    • पलवल और गुड़गाँव द्वारा क्रमशः 3.7 लाख तथा 3.4 लाख पौधे लगाए जाएंगे, जबकि नूंह एवं रेवाड़ी प्रत्येक में 3.3 लाख पौधे लगाने की योजना बनाई जा रही है।
  • वार्षिक बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण प्रयासों के बावजूद गुड़गाँव के शहरी क्षेत्र में वन क्षेत्र 1% से भी कम है। वर्ष 2024 का व्यापक वृक्षारोपण अभियान हरित आवरण को बढ़ावा देने पर केंद्रित है।
    • वृक्षारोपण अभियान की सफलता सुनिश्चित करने के लिये वन विभाग स्थानीय समुदायों को शामिल करने और पेड़ों के महत्त्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने की योजना बना रहा है।
    • नव स्थापित हरित क्षेत्रों के संरक्षण और सुरक्षा के लाभों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिये रोपण पहल को संभवतः शैक्षिक पहल के साथ जोड़ा जाएगा।
  • इस परियोजना का लक्ष्य गुड़गाँव की वायु गुणवत्ता में सुधार करना है जो स्विस कंपनी IQAir के अनुसार सबसे प्रदूषित शहरों में से एक है।
    • इस फर्म की रिपोर्ट के अनुसार, शहर में PM 2.5 की सांद्रता 2020 की तुलना में वर्ष 2021 में 11% बढ़ गई
  • भारतीय वन सर्वेक्षण (FSI) वर्ष 2019 और 2020 के दौरान वन क्षेत्र में 2.47 वर्ग किमी. की गिरावट का संकेत देता है।
    • हालाँकि उनकी उत्तरजीविता सुनिश्चित किये बिना बड़ी संख्या में पेड़ लगाना कोई प्रभावी समाधान नहीं है। क्षेत्र में पौधों की जीवित रहने की दर केवल 10 से 20% है, जो बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण अभियान की अपर्याप्तता को रेखांकित करती है।
    • पर्यावरणविद् क्षेत्र में जैवविविधता को बढ़ाने के लिये वृक्षारोपण अभियान ऑडिट और देशी प्रजातियों के पुनरुद्धार की आवश्यकता पर बल देते हैं।

भारतीय वन सर्वेक्षण (Forest Survey of India- FSI)

  • FSI की स्थापना जून 1981 में हुई थी और इसका मुख्यालय उत्तराखंड के देहरादून में है।
  • यह पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अधीन है।
  • यह संगठन भूमि और वन संसाधनों की बदलती स्थितियों की समय-समय पर निगरानी करने के लिये वन सर्वेक्षण, अध्ययन एवं शोध करता है।
  • यह राष्ट्रीय योजना, संरक्षण और पर्यावरण संरक्षण के सतत् प्रबंधन के साथ-साथ सामाजिक वानिकी परियोजनाओं के कार्यान्वयन के लिये डेटा प्रस्तुत करता है।


 Switch to English
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2