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जैव विविधता और पर्यावरण

अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस

  • 01 Aug 2022
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये:

अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस और इसका महत्त्व, बाघ संरक्षण से संबंधित प्रयास।

मेन्स के लिये:

बाघ संरक्षण का महत्त्व।

चर्चा में क्यों?

प्रत्येक वर्ष 29 जुलाई को धारीदार बिल्ली के संरक्षण को बढ़ावा देने के साथ-साथ उसके प्राकृतिक आवासों की रक्षा के लिये वैश्विक प्रणाली की वकालत करने हेतु अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस (ITD) के रूप में मनाया जाता है।

  • ITD की स्थापना वर्ष 2010 में रूस में आयोजित सेंट पीटर्सबर्ग टाइगर समिट में जंगली बाघों की संख्या में गिरावट के बारे में जागरूकता बढ़ाने, उन्हें विलुप्त होने से बचाने और बाघ संरक्षण के कार्य को प्रोत्साहित करने के लिये की गई थी।
  • असम में मानस टाइगर रिज़र्व में सीमा पार वन्यजीव संरक्षण के वार्षिक वन्यजीव निगरानी परिणामों से पता चला है कि प्रत्येक बाघ के लिये 2.4 बाघिन हैं।

Tiger

बाघ से संबंधित प्रमुख तथ्य:

  • वैज्ञानिक नाम: पैंथेरा टाइग्रिस
  • भारतीय उप-प्रजातियाँ: पैंथेरा टाइग्रिस टाइग्रिस।
  • परिचय:
    • यह साइबेरियाई समशीतोष्ण जंगलों से लेकर भारतीय उपमहाद्वीप और सुमात्रा पर उपोष्णकटिबंधीय एवं उष्णकटिबंधीय जंगलों तक पाया जाता है।
    • यह बिल्ली की सबसे बड़ी प्रजाति है और पैंथेरा जीनस का सदस्य है।
    • परंपरागत रूप से बाघों की आठ उप-प्रजातियों को मान्यता दी गई है, जिनमें से तीन विलुप्त हो चुकी हैं।
      • बंगाल टाइगर्स: भारतीय उपमहाद्वीप
      • कैस्पियन बाघ: मध्य और पश्चिम एशिया के माध्यम से तुर्की (वलुप्त)
      • अमूर बाघ: रूस और चीन के अमूर नदी क्षेत्र और उत्तर कोरिया
      • जावन बाघ: जावा, इंडोनेशिया (विलुप्त)
      • दक्षिण चीन बाघ: दक्षिण मध्य चीन
      • बाली बाघ: बाली, इंडोनेशिया (विलुप्त)
      • सुमात्रन बाघ: सुमात्रा, इंडोनेशिया
      • भारत-चीनी बाघ: महाद्वीपीय दक्षिण-पूर्व एशिया।
  • खतरा:
    • आवास क्षेत्र का विनाश, आवास विखंडन और अवैध शिकार।
  • संरक्षण की स्थिति:
  • भारत में टाइगर रिज़र्व

भारत में बाघों की आबादी की स्थिति

  • अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) के नवीनतम आँकड़ों के अनुसार, वर्तमान में दुनिया भर के जंगलों में बाघों की संख्या 3,726 से बढ़कर 5,578  हो गई है।
    • भारत, नेपाल, भूटान, रूस और चीन में बाघों की आबादी स्थिर या बढ़ रही है।
  • भारत वैश्विक बाघों की आबादी का 70% से अधिक का आवास है।
  • भारत ने बाघ संरक्षण पर सेंट पीटर्सबर्ग घोषणा के लक्षित वर्ष 2022 से 4 साल पहले वर्ष 2018 में ही बाघों की आबादी को दोगुना करने का लक्ष्य हासिल किया।
    • बाघ जनगणना (2018) के अनुसार, भारत में बाघों की संख्‍या बढ़कर 2,967 हो गई है।

बाघ  संरक्षण का महत्त्व:

  • बाघ संरक्षण वनों के संरक्षण का प्रतीक है।
  • बाघ एक अनूठा जानवर है जो किसी स्वास्थ्य पारिस्थितिकी तंत्र और उसकी विविधता में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • यह खाद्य शृंखला में उच्च उपभोक्ता है जो खाद्य शृंखला में शीर्ष पर है और जंगली (मुख्य रूप से बड़े स्तनपायी) आबादी को नियंत्रण में रखता है।
    • इस प्रकार बाघ शिकार द्वारा शाकाहारी जंतुओं और उस वनस्पति के मध्य संतुलन बनाए रखने में मदद करता है जिस पर वे भोजन के लिये निर्भर होते हैं।
  • बाघ संरक्षण का उद्देश्य मात्र एक खूबसूरत जानवर को बचाना नहीं है।
    • यह इस बात को सुनिश्चित करने में भी सहायक है कि हम अधिक समय तक जीवित रहें क्योंकि इस संरक्षण के परिणामस्वरूप हमें स्वच्छ हवा, पानी, परागण, तापमान विनियमन आदि जैसी पारिस्थितिक सेवाओं की प्राप्ति होती है।

उठाए गए संबंधित कदम:

  • प्रोजेक्ट टाइगर 1973: यह वर्ष 1973 में शुरू की गई पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) की एक केंद्र प्रायोजित योजना है। यह देश के राष्ट्रीय उद्यानों में बाघों को आश्रय प्रदान करता है।
  • राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण: यह MoEFCC के अंतर्गत एक वैधानिक निकाय है और इसको वर्ष 2005 में टाइगर टास्क फोर्स की सिफारिशों के बाद स्थापित किया गया था।
  • कंज़र्वेशन एश्योर्ड|टाइगर स्टैंडर्ड्स (CA|TS): CA|TS विभिन्न मानदंडों का एक सेट है, जो बाघ से जुड़े स्थलों को जाँचने का मौका देता है कि क्या उनके प्रबंधन से बाघों का सफल संरक्षण संभव होगा।

स्रोत: इंडियन ऐक्सप्रेस

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