प्रीलिम्स फैक्ट्स: 19 नवंबर, 2019
ज़ायर-अल-बह्र
Za’ir-Al-Bahr
भारत और कतर की नौसेनाओं के मध्य पाँच दिवसीय (17 से 21 नवंबर, 2019 तक) द्विपक्षीय समुद्री अभ्यास ज़ायर-अल-बह्र (Za’ir-Al-Bahr) का आयोजन किया जा रहा है।
ज़ायर-अल-बह्र के बारे में:
- यह अभ्यास कतर की राजधानी दोहा में किया जा रहा है।
- इस अभ्यास में भारतीय नौसेना का युद्धक जहाज़ आईएनएस त्रिकंड और गश्ती हवाई जहाज पी8-I हिस्सा लेंगे।
- कतर की नौसेना में एंटी-शिप मिसाइल बरजान क्लास फास्ट अटैक क्राफ्ट और राफेल युद्धक विमान शामिल हैं।
- यह अभ्यास तीन दिन बंदरगाह पर और दो दिन समुद्र में किया जाएगा। बंदरगाह पर होने वाले अभ्यास में विचार-गोष्ठी, पेशेवराना बातचीत, खेल, सामाजिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम शामिल हैं, जबकि समुद्र में किये जाने वाले अभ्यास में सतह पर की जाने वाली कार्रवाई, वायु सुरक्षा एवं समुद्री निगरानी, आतंकवाद विरोधी कार्रवाई, आदि शामिल हैं।
- ज़ायर-अल-बह्र के माध्यम से दोनों देशों की नौसेनाओं के बीच सहयोग मज़बूत होगा और परिचालन क्षमता बढ़ेगी।
- इसके अलावा दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग, आतंकवाद, समुद्री डाकुओं के आतंक का मुकाबला करने तथा समुद्री सुरक्षा के क्षेत्र में सहयोग बढ़ेगा।
नागार्जुनसागर श्रीशैलम टाइगर रिज़र्व
Nagarjunasagar Srisailam Tiger Reserve
अखिल भारतीय बाघ अनुमान (All India Tiger Estimation-AITE) के चौथे चक्र के अनुसार, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में बाघों की संख्या में वृद्धि हुई है।
- एक अवधि तक लगातार गिरावट के बाद आंध्र प्रदेश के नागार्जुनसागर श्रीशैलम टाइगर रिज़र्व (Nagarjunasagar Srisailam Tiger Reserve- NSTR) में बाघों की संख्या में वृद्धि हो रही है।
टाइगर रिज़र्व क्वे विषय में:
- NSTR भारत का सबसे बड़ा टाइगर रिज़र्व है।
- NSTR को वर्ष 1978 में अधिसूचित किया गया था तथा वर्ष 1983 में इसे प्रोजेक्ट टाइगर के संरक्षण के तहत शामिल किया गया।
- वर्ष 1992 में इसका नाम परिवर्तित कर राजीव गांधी वन्यजीव अभयारण्य कर दिया गया था।
- NSTR कृष्णा नदी के तट पर अवस्थित है तथा आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के 5 ज़िलों में विस्तारित है।
- इसके अलावा बहुउद्देशीय जलाशय- श्रीशैलम और नागार्जुनसागर NSTR में ही अवस्थित हैं।
NSTR की जैव-विविधता:
- NSTR विभिन्न प्रकार के जंगली जानवरों का निवास स्थान है, यहाँ बंगाल टाइगर के अलावा, तेंदुआ, चित्तीदार बिल्ली, पेंगोलिन, मगर, इंडियन रॉक पायथन और पक्षियों की असंख्य किस्में पाई जाती हैं।
दुधवा नेशनल पार्क
Dudhwa National Park
पर्यटन सीज़न शुरू होने पर दुधवा नेशनल पार्क (Dudhwa National Park-DNP) पर्यटकों के लिये फिर से खोल दिया गया है।
दुधवा नेशनल पार्क के बारे में:
- यह पार्क पर्यटकों के लिये प्रतिवर्ष 15 नवंबर को खोला जाता है और 15 जून को बंद कर दिया जाता है।
- यह उत्तर प्रदेश के लखीमपुर-खीरी ज़िले में भारत-नेपाल सीमा पर स्थित है तथा यह उत्तर प्रदेश के तराई क्षेत्र में प्राकृतिक जंगलों और घास के मैदानों का प्रतिनिधित्व करता है।
- इसके अंतर्गत तीन महत्त्वपूर्ण संरक्षित क्षेत्र शामिल हैं:
- दुधवा नेशनल पार्क
- किशनपुर वन्यजीव अभयारण्य
- कतर्निया घाट वन्यजीव अभयारण्य
- राज्य में रॉयल बंगाल टाइगर के अंतिम व्यवहार्य निवास होने के कारण इन तीनों संरक्षित क्षेत्रों को प्रोजेक्ट टाइगर (Project Tiger) के तहत संयुक्त करके दुधवा टाइगर रिज़र्व के रूप में गठित किया गया है।
- दुधवा नेशनल पार्क और किशनपुर वन्यजीव अभयारण्य को वर्ष 1987 में तथा कतर्निया वन्यजीव अभयारण्य को वर्ष 2000 में दुधवा टाइगर रिज़र्व में शामिल किया गया था।
पार्क की जैव-विविधता
- दुधवा नेशनल पार्क में दलदल, घास के मैदान और घने वृक्ष हैं। यह क्षेत्र मुख्यतः बारहसिंगा और बाघों की प्रजातियों के लिये प्रसिद्ध है। इसके अलावा पक्षियों की विभिन्न प्रजातियाँ भी यहाँ पाई जाती हैं।
जयकवाड़ी बांध
Jayakwadi Dam
हाल ही में महाराष्ट्र में अवस्थित जयकवाड़ी बांध (Jayakwadi Dam) पर लगे भूकंपमापी उपकरण ने र्काय करना बंद कर दिया है।
जयकवाड़ी बांध के बारे में
- इस भुकंपमापी उपकरण को वर्ष 1993 में लातूर ज़िले के किलारी में आए विनाशकारी भूकंप के बाद स्थापित किया गया था।
- भूकंपीय तरंगों को मापने और रिकॉर्ड करने के लिये सिस्मोमीटर (Seismometer) नामक उपकरण का प्रयोग किया जाता है।
- यह बाँध महाराष्ट्र के औरंगाबाद ज़िले में गोदावरी नदी पर अवस्थित है।
- औरंगाबाद शहर को ‘दरवाज़ों का शहर’ भी कहा जाता है।
- इस बांध का उद्देश्य मराठवाडा जैसे क्षेत्र में वर्षाकाल के दौरान आई बाढ़ तथा बाकी समय में पड़ने वाले सूखे जैसी समस्याओं से निपटना है।
पावूर उलिया द्वीप
Pavoor-Uliya Island
पावूर उलिया (Pavoor-Uliya) कर्नाटक के मैंगलोर में नेथरावती नदी के बीच में अवस्थित एक द्वीप है।
- नेथरावती नदी का उद्गम कर्नाटक के चिक्कमगलुरु (Chikkamagaluru) से होता है।
- अरब सागर में गिरने से पहले यह नदी उप्पनंगडी में कुमारधारा नदी से मिल जाती है।
- नेथरावती नदी बंतवाल और मैंगलोर में जल का मुख्य स्रोत है।
किम्बर्ले प्रक्रिया प्रमाणन योजना
Kimberley Process Certification Scheme
नई दिल्ली में किम्बर्ले प्रक्रिया प्रमाणन योजना (Kimberley Process Certification Scheme- KPCS) की बैठक (भारत की अध्यक्षता में) आयोजित की जा रही है।
किम्बर्ले प्रक्रिया
- किम्बर्ले प्रक्रिया (Kimberley Process) हीरे के दुरुपयोग को रोकने के लिये कई देशों, उद्योगों और नागरिक समाजों की एक संयुक्त पहल है।
- वर्तमान में KPCS के 55 सदस्य 82 देशों का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, इसमें यूरोपीय संघ के 28 सदस्य देश भी शामिल हैं ।
- भारत, KPCS के संस्थापक सदस्यों में से एक है।
- किम्बर्ले प्रक्रिया प्रमाणन योजना की अध्यक्षता की ज़िम्मेदारी सदस्य देशों को बारी-बारी से सौंपी जाती है।
- आमतौर पर प्रत्येक वर्ष इसके उपाध्यक्ष का चुनाव किम्बर्ले प्रक्रिया प्लेनेरी (Kimberley Process Plannery) द्वारा किया जाता है, जिसे अगले वर्ष अध्यक्ष बना दिया जाता है।
- वर्ष 2019 के लिये रूसी संघ को KPCS का उपाध्यक्ष बनाया गया है।