राजस्थान Switch to English
अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस
चर्चा में क्यों?
21 मार्च, 2025 को राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर (RIC), जयपुर में अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस समारोह का आयोजन किया गया।
- इस अवसर पर राजस्थान के मुख्यमंत्री ने वन संरक्षण, पर्यटन एवं जलवायु परिवर्तन से जुड़ें कई कार्यक्रमों की शुरुआत की।
मुख्य बिंदु
- कार्यक्रमों के बारे में
- मुख्यमंत्री ने जयपुर में वन प्रशिक्षण एवं प्रबंध संस्थान का शिलान्यास किया।
- सीतामाता वन्यजीव अभयारण्य में इको टूरिज्म फैसिलिटीज़ एवं केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान, भरतपुर एवं नाहरगढ़ बायोलोजिकल पार्क में इलेक्ट्रिक गोल्फ कार्ट की शुरुआत की गई।
- मृदा स्वास्थ्य कार्ड एवं राजस्थान में जलवायु परिवर्तन प्रतिक्रिया और पारिस्थितिकी तंत्र सेवा संवर्द्धन (CRESEP) का लोगो का अनावरण किया गया।
- डीजी-वन एप का उद्घाटन किया गया, जो वन विभाग में पारदर्शिता बढ़ाने हेतु आईटी तकनीक पर आधारित है।
- वनमित्रों को किट वितरित की गई और फील्ड में कार्यरत महिला वन कर्मियों को सम्मानित किया गया।
- अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस
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अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस की शुरुआत वर्ष 1971 में खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) द्वारा स्थापित "विश्व वानिकी दिवस" से हुई।
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इसे संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा वर्ष 2012 में औपचारिक रूप से मान्यता दी गई।
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इसका उद्देश्य वन संरक्षण और सतत् प्रबंधन के बारे में जागरूकता बढ़ाना है।
अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस 2025 का विषय "वन और भोजन" है।
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नाहरगढ़ वन्यजीव अभयारण्य
- परिचय:
- यह राजस्थान के जयपुर से लगभग 20 किलोमीटर दूर अरावली पहाड़ियों में स्थित है।
- इसका नाम नाहरगढ़ किले के नाम पर रखा गया है, जो जयपुर के संस्थापक महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय द्वारा निर्मित 18वीं शताब्दी का किला था।
- इसका क्षेत्रफल 720 हेक्टेयर है।
- इसमें नाहरगढ़ जैविक उद्यान भी शामिल है, जो शेर सफारी के लिये प्रसिद्ध है।
- वनस्पति: इसमें शुष्क पर्णपाती वन, झाड़ियाँ और घास के मैदान शामिल हैं ।
- जीव-जंतु:
- स्तनधारी:
- सामान्य प्रजातियों में तेंदुए, जंगली सूअर, हिरण, शेर, बाघ, स्लॉथ बीयर और विभिन्न छोटे स्तनधारी शामिल हैं।
- पक्षी:
- सरीसृप एवं उभयचर:
- इंडियन रॉक अजगर और मॉनिटर लिज़ार्ड जैसे सरीसृपों का निवास स्थान।
- यहाँ मेंढक और टोड जैसे उभयचर प्राणी भी पाए जाते हैं।
- स्तनधारी:
केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान:
- परिचय:
- केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान राजस्थान के भरतपुर में स्थित एक आर्द्रभूमि और पक्षी अभयारण्य है। यह यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल और दुनिया के सबसे महत्त्वपूर्ण पक्षी विहारों में से एक है।
- चिल्का झील (ओडिशा) और केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (राजस्थान) को वर्ष 1981 में भारत के पहले रामसर स्थलों के रूप में मान्यता दी गई थी।
- वर्तमान में केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान और लोकटक झील (मणिपुर), मॉन्ट्रेक्स रिकॉर्ड में दर्ज हैं।
- यह अपनी समृद्ध पक्षी विविधता और जल पक्षियों की बहुलता के लिये प्रसिद्ध है। यह उद्यान पक्षियों की 365 से अधिक प्रजातियों का घर है, जिसमें कई दुर्लभ और संकटग्रस्त प्रजातियाँ शामिल हैं, जैसे कि साइबेरियाई क्रेन।
- उत्तरी गोलार्द्ध के दूर-दराज़ के क्षेत्रों से विभिन्न प्रजातियाँ प्रजनन हेतु अभयारण्य में आती हैं। साइबेरियन क्रेन उन दुर्लभ प्रजातियों में से एक है जिसे यहाँ देखा जा सकता है।
- केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान राजस्थान के भरतपुर में स्थित एक आर्द्रभूमि और पक्षी अभयारण्य है। यह यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल और दुनिया के सबसे महत्त्वपूर्ण पक्षी विहारों में से एक है।
- नदियाँ:
- गंभीर और बाणगंगा नदियाँ इस राष्ट्रीय उद्यान से होकर बहती हैं।
बिहार Switch to English
बिहार दिवस
चर्चा में क्यों?
प्रत्येक वर्ष 22 मार्च को मनाये जाने वाले बिहार दिवस के अवसर पर पटना के गांधी मैदान में 22 से 24 मार्च, 2025 तक तीन दिवसीय समारोह का आयोजन किया गया।
मुख्य बिंदु
- समारोह के बारे में:
- इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य बिहार की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, इतिहास और विकास को सम्मान देना है।
- इस वर्ष 113वें स्थापना दिवस का आयोजन किया गया, जिसकी थीम 'उन्नत बिहार, विकसित बिहार' रखी गई।
- समारोह में विभिन्न विभागों द्वारा विकास कार्यों से संबंधित प्रदर्शनी लगाई गई, जिसमें शिक्षा विभाग, ग्रामीण विकास, कला, संस्कृति एवं युवा विभाग, आपदा प्रबंधन आदि शामिल थे।
- मुख्यमंत्री ने 'डिजास्टर रिस्क रिडक्शन रोडमैप ऑफ बिहार' और 'मुख्यमंत्री विद्यालय सुरक्षा कार्यक्रम' पुस्तिकाओं का विमोचन किया।
- बिहार दिवस का इतिहास:
- 22 मार्च, 1912 को अंग्रेज़ों ने बंगाल से पृथक् एक नए प्रांत ‘बिहार’का गठन किया था।
- वर्ष 1905 में लागू किये गए बंगाल विभाजन के विरुद्ध चलाए गए स्वदेशी आंदोलन के परिणामस्वरूप बंगाल विभाजन को रद्द करने के साथ ही बिहार एवं असम का गठन किया गया।
- वर्ष 2000 में बिहार से पृथक् एक नए राज्य ‘झारखंड’की स्थापना की गई।
- वर्ष 2011 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसे एक व्यापक उत्सव के रूप में स्थापित किया, जिसमें विभिन्न कार्यक्रमों और आयोजनों को शामिल किया गया। इस दिन बिहार में सार्वजनिक अवकाश होता है।
- भारत के अलावा, यह दिवस संयुक्त राज्य अमेरिका, जर्मनी, ब्रिटेन (स्कॉटलैंड), ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, बहरीन, कतर, संयुक्त अरब अमीरात, त्रिनिदाद और टोबैगो तथा मॉरीशस जैसे देशों में भी मनाया जाता है।
- 22 मार्च, 1912 को अंग्रेज़ों ने बंगाल से पृथक् एक नए प्रांत ‘बिहार’का गठन किया था।
बिहार राज्य के बारे में:
- परिचय:
- बिहार नाम की उत्पत्ति बौद्ध मठों (विहारों) की अधिकता के कारण हुई मानी जाती है, क्योंकि यह क्षेत्र प्राचीन समय में बौद्ध धर्म का प्रमुख केंद्र रहा है।
- राज्य की राजधानी पटना है, जिसे प्राचीन समय में पाटलिपुत्र, पुष्पपुर और कुसुमपुर के नाम से भी जाना जाता था।
- भौगोलिक स्थिति
- बिहार 24°20'10" से 27°31'15" उत्तरी अक्षांश तथा 83°19'50" से 88°17'40" पूर्वी देशांतर के मध्य स्थित है।
- राज्य का कुल क्षेत्रफल 94,163 वर्ग किमी. है, जो इसे देश के 13वें सबसे बड़े राज्य के रूप में स्थापित करता है।
- राज्य का कुल भौगोलिक क्षेत्रफल भारत के 2.86% हिस्से को कवर करता है
- राज्य की उत्तर से दक्षिण लंबाई 345 किमी. तथा पूर्व से पश्चिम लंबाई 483 किमी. है।
- क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़ा ज़िला पश्चिमी चंपारण और सबसे छोटा ज़िला शिवहर है।
- सीमाएँ
- बिहार की सीमा 3 राज्यों (पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, झारखंड) तथा नेपाल से लगी हुई है।
- बिहार के नेपाल से 7 ज़िले (पश्चिमी चंपारण, पूर्वी चंपारण, सीतामढ़ी, मधुबनी, सुपौल, अररिया और किशनगंज) लगते हैं।
- उत्तर प्रदेश से लगे 8 ज़िले (रोहतास, कैमूर, बक्सर, भोजपुर, सारण, सीवान, गोपालगंज और पश्चिमी चंपारण) लगते हैं।
- पश्चिम बंगाल से 3 ज़िले (किशनगंज, पूर्णिया और कटिहार), जबकि झारखंड से 8 ज़िले (भागलपुर, बाँका, जमुई, नवादा, गया, औरंगाबाद, रोहतास और कटिहार) जुड़े हुए हैं।
- सबसे उत्तरी ज़िला पश्चिमी चंपारण, सबसे दक्षिणी ज़िला गया, सबसे पश्चिमी ज़िला कैमूर और सबसे पूर्वी ज़िला किशनगंज है।
मध्य प्रदेश Switch to English
भोपाल में ग्रीन भारत एक्सपो
चर्चा में क्यों?
मध्यप्रदेश के भोपाल में तीन दिवसीय ग्रीन भारत एक्सपो का 23 मार्च 2025 को समापन हुआ। जिसमें देशभर की प्रतिष्ठित कंपनियों, निर्माताओं और संभावित निवेशकों ने भाग लिया।
मुख्य बिंदु
- एक्सपो के बारे में:
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आयोजन
- एक्सपो का आयोजन इमेजिन इवेंट और डिक्की द्वारा किया गया था।
- उद्देश्य
- इस एक्सपो का मुख्य उद्देश्य ग्रीन एनर्जी और उद्यमिता को बढ़ावा देना था
- मुख्य आकर्षण:
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सौर ऊर्जा: बचत और व्यवसाय का सुनहरा अवसर।
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बिजली बिल से छुटकारा: सोलर सिस्टम अपनाने पर 30 साल तक मुफ्त बिजली का लाभ।
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लाखों की सब्सिडी: सरकार की योजनाओं के तहत सोलर पैनल और लाइट्स पर आकर्षक सब्सिडी।.
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ई-व्हीकल्स की विस्तृत रेंज: घरेलू एवं व्यावसायिक उपयोग के लिये इलेक्ट्रिक वाहनों का प्रदर्शन।
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हरित ऊर्जा
- हरित ऊर्जा (Green energy) नवीकरणीय स्रोतों से प्राप्त ऊर्जा के लिये प्रयुक्त शब्द है। हरित ऊर्जा को प्रायः स्वच्छ, सतत या नवीकरणीय ऊर्जा के रूप में भी जाना जाता है।
- हरित ऊर्जा का उत्पादन वायुमंडल में जहरीली ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन नहीं करता, जिसका अर्थ है कि यह बहुत कम (या नगण्य) पर्यावरणीय प्रभाव डालता है।
- हरित ऊर्जा स्रोतों में सौर, पवन, भूतापीय, बायोगैस, पनबिजली और कुछ योग्य बायोमास स्रोतों द्वारा उत्पादित बिजली शामिल हैं।
राजस्थान Switch to English
मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिज़र्व
चर्चा में क्यों?
मध्यम आकार की और स्थानीय रूप से संकटग्रस्त बिल्ली कैराकल (Caracal) को पहली बार राजस्थान के मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिज़र्व में देखा गया।
मुख्य बिंदु
- कैराकल के बारे में:
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परिचय:
- इसका वैज्ञानिक नाम: कैराकल कैराकल श्मिट्ज़ी है।
- कैराकल एक रात्रिचर बिल्ली प्रजाति है, जो अफ्रीका, मध्य पूर्व, मध्य एशिया और दक्षिण एशिया में पाई जाती है।
- इसकी पहचान लंबे, नुकीले और काले गुच्छों वाले कानों से की जाती है। इसका नाम तुर्की शब्द 'करकुलक' से लिया गया है, जिसका अर्थ है- काले कान।
- यह अत्यंत फुर्तीला शिकारी है, जो तेज़ गति और लंबी छलांग लगाने की क्षमता के लिये जाना जाता है। इसका मुख्य आहार छोटे खुर वाले जानवर और कृंतक हैं।
- ऐतिहासिक महत्त्व:
- कैराकल भारतीय वन्यजीवों का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा रहा है। इसका उल्लेख ख़म्सा-ए-निज़ामी और शाहनामा जैसे ऐतिहासिक ग्रंथों में मिलता है, जो शिकार में इसकी उपयोगिता को दर्शाता है। यह कभी भारत के 13 राज्यों में विभिन्न जैविक प्रांतों में पाया जाता था।
- वितरण:
- ये ज़्यादातर राजस्थान, गुजरात और मध्य प्रदेश में पाए जाते हैं और कच्छ, मालवा पठार, अरावली पहाड़ी शृंखला में स्थित हैं।
- भारत के अलावा, कैराकल अफ़्रीका, मध्य पूर्व, मध्य और दक्षिण एशिया के अनेक देशों में पाया जाता है।
- निवास:
- यह अर्ध-रेगिस्तान, मैदानी इलाकों, सवाना, झाड़ीदार भूमि, शुष्क जंगल और नम वुडलैंड या सदाबहार वन में पाया जाता है।
- यह खुले मैदान और शुष्क, झाड़ीदार, शुष्क आवासों को पसंद करता है और इसे आश्रय की आवश्यकता होती है।
- संख्या में गिरावट:
- भारत में कैराकल की संख्या 50 से भी कम रह गई है।
- 2001 से 2020 के बीच इनकी आबादी में 95% से अधिक गिरावट दर्ज की गई है।
- आवास क्षति और शहरीकरण के कारण इनका मुख्य भोजन दुर्लभ हो गया है।
- संरक्षण स्थिति:
- IUCN रेड लिस्ट: कम चिंतनीय
- वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972: अनुसूची 1
- CITES: परिशिष्ट I
- वर्ष 2021 में, राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड और केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने कैराकल को गंभीर रूप से संकटग्रस्त प्रजाति के रूप में वर्गीकृत किया।
मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिज़र्व
- यह राजस्थान के हड़ौती क्षेत्र में स्थित है, जो राजस्थान के चार ज़िलों- कोटा, बूंदी, चित्तौड़गढ़ और झालावाड़ में 759 वर्ग किमी. क्षेत्र में फैला हुआ है।
- इसमें 417 वर्ग किमी. का एक मुख्य क्षेत्र और 342 वर्ग किमी. का एक बफर ज़ोन शामिल है।
- इसे वर्ष 1955 में संरक्षित क्षेत्र घोषित किया गया था। यहाँ के वन में पेड़ बहुत मोटे और घने हैं।
- यह टाइगर रिज़र्व चार नदियों रमज़ान, आहू, काली और चंबल से घिरा हुआ है और यह दो समानांतर पहाड़ों मुकुंदरा एवं गगरोला के बीच स्थित है। यह चंबल नदी की सहायक नदियों के अपवाह क्षेत्र के अंतर्गत आता है।
- रणथंभौर और सरिस्का टाइगर रिज़र्व के बाद मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिज़र्व राजस्थान का तीसरा सबसे बड़ा टाइगर रिज़र्व है।
- राजस्थान सरकार ने राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (National Tiger Conservation Authority) के सहयोग से वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत वर्ष 2013 में इसे टाइगर रिज़र्व घोषित किया था।
छत्तीसगढ़ Switch to English
'माओवाद मुक्त' पंचायतों के लिये विशेष प्रोत्साहन
चर्चा में क्यों?
छत्तीसगढ़ सरकार ने बस्तर में माओवादियों के आत्मसमर्पण को प्रोत्साहित करने के लिये एक योजना शुरू की है, जिसके तहत “माओवाद-मुक्त” पंचायतों को निर्माण परियोजनाओं के लिये 1 करोड़ रुपए और अन्य लाभ प्रदान किये जाएंगे।
मुख्य बिंदु
- माओवादी आत्मसमर्पण आवश्यकता:
- राज्य के उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने घोषणा की कि एलवाड पंचायत अभियान के तहत पंचायत को नक्सल गतिविधियों में शामिल सभी निवासियों का आत्मसमर्पण सुनिश्चित करना होगा। इसके बाद गाँव माओवाद मुक्त घोषित करने के लिये प्रस्ताव पेश कर सकता है।
- माओवाद मुक्त पंचायतों के लिये प्रोत्साहन:
- निर्माण परियोजनाओं के लिये 1 करोड़ रुपए की तत्काल मंजूरी।
- नेटवर्क पहुँच में सुधार के लिये मोबाइल टावरों की स्थापना या निकटवर्ती टावरों से सिग्नल ट्रांसमिशन।
- पंचायत तक विद्युत् लाइनों का विस्तार तथा ग्रिड कनेक्शन स्थापित होने तक अस्थायी उपाय के रूप में सौर प्रकाश व्यवस्था।
- ओडीएफ गाँवों और पुनर्वास नीति के साथ तुलना:
- उपमुख्यमंत्री ने इस पहल की तुलना खुले में शौच मुक्त (ODF) गाँव अभियान से की तथा सामूहिक सामुदायिक भागीदारी पर ज़ोर दिया।
- उन्होंने छत्तीसगढ़ नक्सल आत्मसमर्पण/पीड़ित राहत एवं पुनर्वास नीति-2025 के प्रावधानों पर भी प्रकाश डाला, जिसमें शामिल हैं:
- कौशल विकास: आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों के लिये प्रशिक्षण।
- आवास और भूमि आवंटन: पीएम आवास योजना के तहत।
- वित्तीय सहायता: पुनर्वास के लिये अतिरिक्त राहत उपाय।
माओवाद
- परिचय:
- माओवाद माओ त्से तुंग द्वारा विकसित साम्यवाद का एक रूप है। यह सशस्त्र विद्रोह, जन-आंदोलन और रणनीतिक गठबंधनों के संयोजन के माध्यम से राज्य सत्ता पर कब्ज़ा करने का सिद्धांत है।
- माओ ने इस प्रक्रिया को 'दीर्घकालिक जनयुद्ध' कहा, जिसमें सत्ता पर कब्ज़ा करने के लिये 'सैन्य लाइन' पर ज़ोर दिया जाता है।
- माओवाद माओ त्से तुंग द्वारा विकसित साम्यवाद का एक रूप है। यह सशस्त्र विद्रोह, जन-आंदोलन और रणनीतिक गठबंधनों के संयोजन के माध्यम से राज्य सत्ता पर कब्ज़ा करने का सिद्धांत है।
- माओवादी विचारधारा:
- माओवादी उग्रवाद सिद्धांत के अनुसार, 'हथियार रखने पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता'।
- माओवादी विचारधारा का केंद्रीय विषय राज्य सत्ता पर कब्ज़ा करने के साधन के रूप में हिंसा और सशस्त्र विद्रोह का प्रयोग करना है।
- माओवादी उग्रवाद सिद्धांत के अनुसार, 'हथियार रखने पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता'।
- भारतीय माओवादी:
- भारत में सबसे बड़ा और सबसे हिंसक माओवादी संगठन भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) है जिसका गठन वर्ष 2004 में हुआ था।
- CPI (माओवादी) और उसके अग्रणी संगठनों को गैरकानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम, 1967 के तहत प्रतिबंधित कर दिया गया।
- फ्रंट ऑर्गनाइजेशन मूल माओवादी पार्टी की शाखाएँ हैं, जो कानूनी उत्तरदायित्व से बचने के लिये अलग अस्तित्व का दावा करती हैं।
उत्तर प्रदेश Switch to English
नेज़ा मेला
चर्चा में क्यों?
हाल ही में उत्तर प्रदेश प्रशासन ने संभल में आयोजित होने वाले नेज़ा मेले पर प्रतिबंध लगा दिया है।
मुख्य बिंदु
- मेले के बारे में:
- यह मेला विदेशी आक्रांता महमूद गजनवी के भतीजा और सेनापति सैयद सालार मसूद गाजी की याद में आयोजित किया जाता था।
- अब्दुल सालार गाजी की कब्र उत्तर प्रदेश के बहराइच ज़िले में स्थित है, जिसका निर्माण फ़िरोज़ शाह तुगलक ने करवाया था।
- इतिहासकारों के अनुसार, पृथ्वीराज चौहान और महमूद गजनवी के बीच हुए संघर्ष में गजनवी की सेना के कई सैनिक मारे गये थे।
- इन सैनिकों की मज़ारें संभल में बनाई गईं, जो बाद में श्रद्धालुओं के लिये आस्था का केंद्र बन गईं। बाद में इन्हीं जगहों पर नेज़ा मेले का आयोजन किया जाने लगा।
- उल्लेखनीय है कि संभल, पृथ्वीराज चौहान की राजधानी रही थी।
- प्रतिबंध का कारण
- महमूद गजनवी ने 1000 से 1027 ईस्वी के बीच भारत पर 17 बार आक्रमण किया था और सोमनाथ मंदिर सहित कई हिंदू धार्मिक स्थलों को नष्ट किया। उसके सेनापति सैयद सालार मसूद गाजी को इन आक्रमणों का प्रमुख सूत्रधार माना जाता है।
- ऐसे में, एक लुटेरे और हत्यारे की स्मृति में मेला आयोजित करना उचित नहीं है।
- मेले की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि विदेशी आक्रांताओं से जुड़ी है, इसलिये यह सांप्रदायिक तनाव का कारण बन सकता है।