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थार रेगिस्तान में वनस्पति की संभावना

  • 29 Apr 2024
  • 3 min read

चर्चा में क्यों?

वर्षा और जलवायु डेटा पर एक सिद्धांत के अनुसार, 'इंडियन ओशन वार्म पूल' (IOWP) पर ध्यान केंद्रित करते हुए वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया है कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण थार रेगिस्तान में वनस्पति की संभावना हो सकती है।

मुख्य बिंदु:

  • हिंद महासागर में IOWP की उपस्थिति को कई वर्षों से मान्यता प्राप्त है और यह मानसून के निर्माण में भूमिका निभाता है। ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव से हिंद महासागर वार्मिंग पूल पश्चिम की ओर बढ़ रहा है।
  • IOWP की पश्चिमी सीमा पर जल वाष्पित हो जाता है तथा पृथ्वी के घूर्णन से भारत की ओर खिंच/चला जाता है, जिससे उत्तर-पूर्व में 150 दिनों तक और उत्तर-पश्चिम में केवल 70 दिनों तक वर्षा होती है
  • IOWP के पश्चिम की ओर विस्तार के साथ, 'वर्षा के मौसम की अवधि' के परिणामस्वरूप भारत के अर्द्ध-शुष्क उत्तर-पश्चिम में औसत ग्रीष्मकालीन वर्षा में 50-100% की वृद्धि होगी।
  • मूलतः वैज्ञानिकों का तर्क है कि थार रेगिस्तान में पर्याप्त वर्षा होने के कारण इस क्षेत्र में धीरे-धीरे हरियाली होने की क्षमता है।

थार रेगिस्तान

  • थार रेगिस्तान, जिसे ग्रेट इंडियन डेज़र्ट (भारतीय महा मरुस्थल) के रूप में भी जाना जाता है, भारतीय उपमहाद्वीप पर रेतीली पहाड़ियों का एक शुष्क क्षेत्र है।
  • यह विश्व के सबसे बड़े उपोष्णकटिबंधीय रेगिस्तानों में से एक है।
  • यह भारत में राजस्थान, गुजरात और हरियाणा राज्यों तथा पाकिस्तान में सिंध व पंजाब प्रांतों तक फैला हुआ है।
  • इसकी सीमा पश्चिम में सिंचित सिंधु नदी के मैदान, उत्तर और उत्तर-पूर्व में पंजाब के मैदान, दक्षिण-पूर्व में अरावली पर्वतमाला तथा दक्षिण में कच्छ के रण से लगती है।
  • यह रेगिस्तान कच्छ के ग्रेटर रण से पश्चिम में लूनी नदी की निचली दलदली भूमि से अलग होता है।

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