शासन व्यवस्था
PMAY-G और भारत में ग्रामीण निर्धनता उन्मूलन
- 04 Jan 2025
- 18 min read
प्रिलिम्स के लिये:प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण, निर्धनता, जियो-टैगिंग, स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण, विश्व बैंक, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, जल जीवन मिशन, मनरेगा योजना, लखपति दीदी, मिशन इंद्रधनुष, बेरोज़गारी, गरीबी रेखा, स्वयं -सहायता समूह मेन्स के लिये:प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण, ग्रामीण विकास, ग्रामीण निर्धनता उन्मूलन। |
स्रोत: पी.आई.बी
चर्चा में क्यों?
ग्रामीण विकास मंत्रालय ने PMAY-G की प्रगति पर प्रकाश डाला तथा ग्रामीण विकास योजनाओं के समय पर कार्यान्वयन के माध्यम से निर्धनता मुक्त गाँव बनाने के प्रयासों पर बल दिया।
- ग्रामीण विकास योजनाओं का समय पर एवं प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करके मंत्रालय का लक्ष्य निर्धनता मुक्त भारत का लक्ष्य प्राप्त करना है।
PMAY-G के बारे में मुख्य तथ्य क्या हैं?
- यह ग्रामीण गरीबों को किफायती आवास उपलब्ध कराने के लिये वर्ष 2016 में शुरू की गई योजना है। इसमें लाभार्थियों का चयन सामाजिक-आर्थिक जातिगत जनगणना (SECC) 2011 के आँकड़ों के आधार पर किया जाता है, जिसे ग्राम सभा की मंजूरी और जियो-टैगिंग के माध्यम से मान्य किया जाता है।
- PMAY-G के अंतर्गत लाभ:
- वित्तीय सहायता: मैदानी क्षेत्रों के लाभार्थियों को 1.20 लाख रुपए तथा 2 पहाड़ी राज्यों (हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड), पूर्वोत्तर क्षेत्र एवं केंद्रशासित प्रदेशों (यूटी) जम्मू और कश्मीर तथा लद्दाख में 1.30 लाख रुपए दिये जाते हैं।
- लागत साझाकरण के संदर्भ में मैदानी क्षेत्रों में 60:40 (केंद्र और राज्य के बीच) तथा पूर्वोत्तर, हिमालयी राज्यों (हिमाचल प्रदेश एवं उत्तराखंड) तथा केंद्रशासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर में 90:10 (केंद्र और राज्य के बीच) का खर्च अनुपात शामिल है। केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख में 100% केंद्र द्वारा वित्तपोषित किया जाता है।
- शौचालय सहायता: स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण (SBM-G) के माध्यम से शौचालय निर्माण के लिये 12,000 रुपए देना शामिल है।
- खाना पकाने हेतु ईंधन: प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के साथ मिलकर, प्रत्येक घर में एक LPG कनेक्शन प्रदान किया जाता है।
- रोज़गार सहायता: आवास निर्माण के लिये महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) के अंतर्गत 90/95 दिवस का अकुशल कार्य दिया जाना शामिल है।
- वित्तीय सहायता: मैदानी क्षेत्रों के लाभार्थियों को 1.20 लाख रुपए तथा 2 पहाड़ी राज्यों (हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड), पूर्वोत्तर क्षेत्र एवं केंद्रशासित प्रदेशों (यूटी) जम्मू और कश्मीर तथा लद्दाख में 1.30 लाख रुपए दिये जाते हैं।
- लक्ष्यों का निर्धारण: इस योजना में अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) परिवारों के लिये 60% का लक्ष्य निर्धारित है, जिसमें 59.58 लाख SC एवं 58.57 लाख ST से संबंधित आवास पूरे हो चुके हैं।
- योजना का विस्तार: इस योजना का लक्ष्य प्रारंभ में वर्ष 2023-24 तक 2.95 करोड़ घरों का निर्माण करना था, जिसे वित्त वर्ष वर्ष 2024-29 के लिये 3,06,137 करोड़ रुपए के कुल परिव्यय के साथ 2 करोड़ और घरों को शामिल करने के लिये बढ़ा दिया गया है।
- PMAY-G की उपलब्धियाँ: नवंबर 2024 तक 3.21 करोड़ घरों को मंजूरी दी जा चुकी है और 2.67 करोड़ घर पूरे हो चुके हैं।
- जून और दिसंबर 2024 के बीच प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महा अभियान (PM-JANMAN) के तहत 71,000 सहित 4.19 लाख घर पूरे हो चुके हैं।
- मोबाइल एप्लिकेशन: लाभार्थी पहचान को कारगर बनाने के लिये आवास प्लस-2024 ऐप लॉन्च किया गया।
- पारदर्शिता और निगरानी बढ़ाने के लिये आवास सखी ऐप शुरू किया गया।
निर्धनता
- परिचय: विश्व बैंक के अनुसार, निर्धनता बुनियादी ज़रूरतों को पूरा करने के लिये पर्याप्त आय या संसाधनों की कमी है। यह आवास, भोजन या स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में अभाव के रूप में प्रकट हो सकती है।
- निर्धनता का व्यापक दृष्टिकोण व्यक्ति की समाज में कार्य करने की क्षमता पर केंद्रित है, जिसमें आय, शिक्षा, स्वास्थ्य, शक्ति और राजनीतिक स्वतंत्रता का अभाव शामिल है।
- विश्व बैंक ने वर्ष 2017 क्रय शक्ति समता (PPP) का उपयोग करते हुए अंतर्राष्ट्रीय गरीबी रेखा के रूप में 2.15 अमेरिकी डॉलर को अपनाया, जो वर्ष 2011 PPP का उपयोग करते हुए वर्ष 2015 के अद्यतन में निर्धारित 1.90 अमेरिकी डॉलर से अधिक है।
- पूर्ण निर्धनता: ऐसी स्थिति जिसमें व्यक्ति के पास भोजन, आश्रय और स्वास्थ्य देखभाल जैसी बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये संसाधनों का अभाव होता है, जिसे आमतौर पर गरीबी रेखा से मापा जाता है।
- सापेक्ष निर्धनता: समाज में अन्य लोगों की तुलना में किसी व्यक्ति के जीवन स्तर के आधार पर परिभाषित निर्धनता, जो आर्थिक असमानता को उज़ागर करती है।
- भारत में निर्धनता के आँकड़े: राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (2019-21) के आँकड़ों से पता चलता है कि भारत की 14.96% आबादी बहुआयामी निर्धन है, जो NFHS-4 (2015-16) में 24.85% से कम है, जिसमें 135 मिलियन लोग निर्धनता से बच गए हैं।
- बहुआयामी गरीबी सूचकांक (MPI) वर्ष 2013-14 में 29.17% से घटकर वर्ष 2022-23 में 11.28% हो गया है, जो 17.89% अंकों की कमी दर्शाता है।
- घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण (HCES) से पता चलता है कि ग्रामीण निर्धनता वर्ष 2011-12 में 25.7% से घटकर वर्ष 2022-23 में 7.2% हो गई, जबकि शहरी निर्धनता इसी अवधि में 13.7% से घटकर 4.6% हो गई।
गाँवों में निर्धनता उन्मूलन में योगदान देने वाली अन्य योजनाएँ क्या हैं?
- आधारभूत संरचना:
- सामाजिक सुरक्षा योजनाएँ:
- आजीविका संवर्द्धन योजनाएँ:
- स्वास्थ्य:
ग्रामीण भारत में निर्धनता हटाने में क्या चुनौतियाँ हैं?
- कृषि पर निर्भरता: ग्रामीण आबादी का एक बड़ा भाग कृषि पर निर्भर है, जिसे जलवायु परिवर्तन, अनियमित मानसून और खराब सिंचाई जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
- न्यूनतम कृषि उत्पादकता और पारंपरिक तरीकों पर निर्भरता आय सृजन को और सीमित कर देती है।
- बेरोज़गारी और अल्परोज़गार: कृषि के अतिरिक्त अन्य क्षेत्रों में रोज़गार के सीमित अवसर हैं, जिसके कारण बेरोज़गारी और अल्परोज़गार की दरें बहुत अधिक हैं। कौशल और शिक्षा की कमी के कारण यह और भी जटिल हो जाता है।
- सेवाओं तक सीमित पहुँच: शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, स्वच्छता और बुनियादी ढाँचे जैसी बुनियादी सेवाएँ प्रायः अपर्याप्त होती हैं।
- भूमि स्वामित्व: कई ग्रामीण परिवारों के पास भूमि स्वामित्व या सुरक्षित भूमि अधिकार का अभाव है, जिससे आजीविका में निवेश में बाधा आती है।
- सामाजिक असमानता: महिलाओं, अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों समेत हाशिये पर पड़े समुदायों को भेदभाव और संसाधनों तक सीमित पहुँच का सामना करना पड़ता है। इससे निर्धनता का चक्र चलता रहता है।
- प्रवासन: कई युवा, शिक्षित व्यक्ति बेहतर अवसरों की तलाश में शहरी क्षेत्रों की ओर पलायन करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप ग्रामीण क्षेत्रों में "प्रतिभा पलायन" होता है।
- शासन संबंधी चुनौतियाँ: ऑपरेशन ग्रीन्स योजना जैसी नीतियों का कमज़ोर कार्यान्वयन या भ्रष्टाचार, अपर्याप्त आँकड़े एवं सीमित सार्वजनिक जागरूकता ग्रामीण भारत में प्रभावी निर्धनता निवारण में बाधा डालते हैं।
- दीर्घकालिक समाधानों के बजाय अल्पकालिक उपायों पर ध्यान केंद्रित करने से भी प्रगति में बाधा आती है।
ग्रामीण भारत को निर्धनता मुक्त कैसे बनाया जा सकता है?
- सतत् विकास लक्ष्य (SDG) प्राप्त करना:
- निर्धनता उन्मूलन (SDG-1) सामाजिक सुरक्षा और रोज़गार।
- सार्वजनिक वितरण प्रणाली और कृषि योजनाओं के माध्यम से शून्य भूख (SDG-2) खाद्य सुरक्षा।
- आयुष्मान भारत के अंतर्गत अच्छे स्वास्थ्य और कल्याण (SDG-3) के लिये सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज़।
- असमानताओं में कमी (SDG-10) वित्तीय समावेशन और संसाधनों तक समान पहुँच में सुधार करती है।
- सामाजिक संरक्षण और कल्याण: वृद्धावस्था, विधवा और विकलांगता पेंशन के अंतर्गत व्यापक कवरेज़, 100% स्वास्थ्य देखभाल पहुँच और गरीबी रेखा से नीचे (BPL) परिवारों के लिये सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करना ताकि निर्धनता को फिर से बढ़ने से रोका जा सके।
- रोज़गार सृजन और आजीविका: आवश्यकतानुसार मनरेगा के तहत रोज़गार उपलब्ध कराना, वार्ड और महिला सभाओं के माध्यम से कौशल संवर्द्धन आवश्यकताओं की पहचान करना तथा ज़िला कौशल केंद्रों के माध्यम से कौशल मानचित्रण और प्रशिक्षण आयोजित करना।
- स्वयं सहायता समूहों और किसान समूहों को जोड़ना: आय स्तर में सुधार के लिये स्वयं सहायता समूहों (SHG) और किसान उत्पादक संगठनों (FPO) को उद्यम योजनाओं के साथ एकीकृत करना।
- किसानों को तकनीकी सहायता प्रदान करने के लिये पशु मित्रों और किसान मित्रों को सशक्त बनाना।
- बुनियादी ढाँचे का विकास: विकास और सेवाओं तक बेहतर पहुँच को सक्षम करने के लिये सड़कों, स्कूलों और सामुदायिक केंद्रों का विकास करना।
- डिजिटल समावेशन के एक भाग के रूप में, ऑनलाइन प्लेटफॉर्मों (जैसे, राष्ट्रीय कृषि बाज़ार (ENAM)) पर किसानों का 100% पंजीकरण सुनिश्चित करना ताकि उन्हें योजनाओं तक वास्तविक समय पर पहुँच प्रदान की जा सके।
- व्यवहारिक और सामाजिक परिवर्तन: शोषणकारी शर्तों पर अनौपचारिक ऋण को सक्रिय रूप से हतोत्साहित करना। समुदाय के भीतर मादक द्रव्यों के सेवन के दुरुपयोग को संबोधित करना।
- निर्णय लेने और आर्थिक गतिविधियों में महिलाओं की भागीदारी को प्रोत्साहित करना।
- आपदा तैयारी और जलवायु कार्रवाई: आपदा जोखिम न्यूनीकरण (DRR) के लिये एक कार्यबल की स्थापना करना और ग्राम पंचायत विकास योजना (GPDP) में गतिविधियों को एकीकृत करना।
- कृषि विज्ञान केंद्रों (KVK) के माध्यम से सतत् कृषि और जलवायु-अनुकूल प्रथाओं को बढ़ावा देना।
निष्कर्ष:
ग्रामीण भारत में निर्धनता उन्मूलन के लिये आवास, वित्तीय सहायता, रोज़गार और बुनियादी ढाँचे के विकास को मिलाकर एक व्यापक दृष्टिकोण की आवश्यकता है। सतत् विकास, कौशल वृद्धि और वित्तीय समावेशन के माध्यम से निर्धनता मुक्त गाँवों को प्राप्त करने के लिये कृषि पर निर्भरता, बेरोज़गारी और सामाजिक असमानता जैसी चुनौतियों का समाधान करना महत्त्वपूर्ण है।
दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न: प्रश्न: निर्धनता उन्मूलन में ग्रामीण भारत के समक्ष आने वाली चुनौतियों तथा इन चुनौतियों पर काबू पाने में सरकारी पहल की भूमिका का आकलन करना। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्सप्रश्न. निरपेक्ष तथा प्रति व्यक्ति वास्तविक GNP में वृद्धि आर्थिक विकास की ऊँची स्तर का संकेत नहीं करती, यदि: (2018) (a) औद्योगिक उत्पादन कृषि उत्पादन के साथ-साथ बढ़ने में विफल रह जाता है। उत्तर: (c) प्रश्न. किसी दिये गए वर्ष में भारत के कुछ राज्यों में आधिकारिक गरीबी रेखाएँ अन्य राज्यों की तुलना में उच्चतर हैं क्योंकि: (2019) (a) गरीबी की दर अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग होती है। उत्तर: (b) प्रश्न. UNDP के समर्थन से ‘ऑक्सफोर्ड निर्धनता एवं मानव विकास नेतृत्व’ द्वारा विकसित ‘बहुआयामी निर्धनता सूचकांक’ में निम्नलिखित में से कौन-सा/से सम्मिलित है/हैं? (2012)
निम्नलिखित कूटों के आधार पर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: (a) मेन्सप्रश्न. हालाँकि भारत में गरीबी के कई अलग-अलग अनुमान हैं, लेकिन सभी समय के साथ गरीबी के स्तर में कमी दर्शाते हैं। क्या आप सहमत हैं? शहरी एवं ग्रामीण गरीबी संकेतकों के संदर्भ में आलोचनात्मक परीक्षण कीजिये (2015) |