भारतीय अर्थव्यवस्था
घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण 2022-23
- 10 Jun 2024
- 10 min read
प्रिलिम्स के लिये:घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण, राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय, सकल घरेलू उत्पाद, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक, नीति आयोग, मासिक प्रति व्यक्ति उपभोक्ता व्यय, सी. रंगराजन समिति मेन्स के लिये: |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
हाल ही में सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) द्वारा घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण (Household Consumption Expenditure Survey- HCES) 2022-23 की विस्तृत रिपोर्ट जारी की गई।
- इसने विभिन्न राज्यों के ग्रामीण और शहरी परिवारों की व्यय आदतों के बारे में महत्त्वपूर्ण जानकारी प्रदान की।
घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण (Household Consumption Expenditure Survey- HCES) क्या है?
- परिचय:
- HCES का आयोजन राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (National Statistical Office- NSO) द्वारा प्रत्येक 5 वर्ष में किया जाता है।
- इसे घरों द्वारा वस्तुओं और सेवाओं के उपभोग के बारे में जानकारी एकत्र करने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
- HCES में एकत्रित आँकड़ों का उपयोग सकल घरेलू उत्पाद (GDP), गरीबी दर और उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (Consumer Price Index- CPI) जैसे विभिन्न अन्य व्यापक आर्थिक संकेतकों को प्राप्त करने के लिये भी किया जाता है।
- औसत MPCE की गणना 2011-12 के मूल्यों पर की गई है।
- सर्वेक्षण में अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के कुछ दुर्गम गाँवों को छोड़कर संपूर्ण भारतीय संघ को शामिल किया गया।
- वर्ष 2017-18 में आयोजित अंतिम HCES के निष्कर्ष सरकार द्वारा “डेटा गुणवत्ता” के मुद्दों का हवाला देने के बाद जारी नहीं किये गए थे।
- व्युत्पन्न जानकारी:
- यह वस्तुओं (खाद्य और गैर-खाद्य वस्तुओं सहित) एवं सेवाओं पर सामान्य व्यय के बारे में जानकारी प्रदान करता है।
- इसके अतिरिक्त यह घरेलू मासिक प्रति व्यक्ति उपभोक्ता व्यय (Monthly Per Capita Consumer Expenditure- MPCE) के अनुमान की गणना करने और विभिन्न MPCE श्रेणियों में परिवारों और व्यक्तियों के वितरण का विश्लेषण करने में सहायता करता है।
हाल के घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण की मुख्य बातें क्या हैं?
- खाद्य व्यय प्राथमिकताएँ:
- पेय पदार्थ, जलपान और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ: यह श्रेणी कई राज्यों में खाद्य व्यय का सबसे महत्त्वपूर्ण हिस्सा रही, विशेष रूप से तमिलनाडु में, जहाँ ग्रामीण (28.4%) और शहरी (33.7%) दोनों क्षेत्रों में सबसे अधिक व्यय प्रतिशत देखा गया।
- दूध और दुग्ध उत्पाद: हरियाणा (ग्रामीण 41.7%, शहरी 33.1%) और राजस्थान (शहरी 33.2%) जैसे उत्तरी राज्यों के ग्रामीण एवं शहरी परिवारों में प्रमुख रूप से दूध और दुग्ध उत्पाद पसंद किये जाते हैं।
- अंडा, मछली और मांस: केरल में परिवारों ने ग्रामीण (23.5%) और शहरी (19.8%) दोनों ही स्थितियों में इस श्रेणी में सबसे अधिक व्यय किया।
- समग्र खाद्य बनाम गैर-खाद्य व्यय:
- खाद्य व्यय: ग्रामीण भारत में खाद्य, कुल घरेलू उपभोग व्यय का लगभग 46% है, जबकि शहरी क्षेत्रों में यह लगभग 39% है।
- गैर-खाद्य व्यय: गैर-खाद्य वस्तुओं पर उच्च व्यय की ओर एक महत्त्वपूर्ण बदलाव देखा गया है, गैर-खाद्य वस्तुओं पर ग्रामीण व्यय वर्ष 1999 के 40.6% से बढ़कर 2022-23 में 53.62% हो गया और इसी अवधि में शहरी व्यय 51.94% से बढ़कर 60.83% हो गया।
- प्रमुख गैर-खाद्य व्यय श्रेणियाँ:
- परिवहन: यह ग्रामीण और शहरी दोनों ही क्षेत्रों में गैर-खाद्य व्यय में शीर्ष स्थान पर रहा, केरल में इसका प्रतिशत सबसे अधिक रहा।
- चिकित्सा व्यय: ग्रामीण क्षेत्रों में केरल, पश्चिम बंगाल और आंध्र प्रदेश तथा शहरी क्षेत्रों में पश्चिम बंगाल, केरल और पंजाब में यह विशेष रूप से अधिक है।
- टिकाऊ वस्तुएँ: टिकाऊ वस्तुओं पर सबसे अधिक व्यय केरल के ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में देखा गया।
- ईंधन और प्रकाश: पश्चिम बंगाल और ओडिशा ने क्रमशः ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में महत्त्वपूर्ण व्यय दर्शाया।
- क्षेत्रीय विविधताएँ:
- विभिन्न राज्यों ने विशिष्ट खाद्य और गैर-खाद्य वस्तुओं पर खर्च के लिये अलग-अलग प्राथमिकताएँ दिखाईं, जो सांस्कृतिक और क्षेत्रीय आर्थिक अंतर को दर्शाती हैं।
- उपभोग व्यय में वृद्धि:
- सर्वेक्षण से पता चलता है कि पिछले दशक में उपभोग व्यय में पर्याप्त वृद्धि हुई है। वर्ष 2011-12 से 2022-23 तक ग्रामीण क्षेत्रों में प्रति व्यक्ति मासिक खपत में 164% की वृद्धि हुई, जबकि शहरी क्षेत्रों में प्रति व्यक्ति मासिक खपत में 146% की वृद्धि हुई।
- भारत में शहरी क्षेत्र की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में प्रति व्यक्ति मासिक खपत में अधिक वृद्धि देखी गई है।
- शहरी और ग्रामीण MPCE के बीच अंतर में पिछले कुछ वर्षों में कमी देखी गई है, जो वर्ष 2009-10 के 90 प्रतिशत से घटकर 2022-23 में 75 प्रतिशत हो गया है।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय
- परिचय: वर्ष 2019 में केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (Central Statistical Office- CSO) और राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (National Sample Survey Office- NSSO) को विलय करके गठित किया गया।
- सी. रंगराजन समिति ने सबसे पहले सभी प्रमुख सांख्यिकीय गतिविधियों के लिये नोडल निकाय के रूप में NSO की स्थापना का सुझाव दिया था।
- यह वर्तमान में सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (Ministry of Statistics and Programme Implementation- MoSPI) के अंतर्गत कार्य करता है।
- कार्य: विश्वसनीय, वस्तुनिष्ठ एवं प्रासंगिक सांख्यिकीय डेटा एकत्र, संकलित और प्रसारित करता है।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न. घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण (Household Consumption Expenditure Survey) 2022-23 के आलोक में, भारत की आर्थिक योजना और विकास रणनीतियों पर उपभोग पैटर्न में बदलाव के संभावित प्रभावों की जाँच कीजिये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. एन.एस.एस.ओ. के 70वें चक्र द्वारा संचालित "कृषक-कुटुम्बों की स्थिति आकलन सर्वेक्षण" के अनुसार निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये : (2018)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 2 और 3 उत्तर: (c) प्रश्न. किसी दिये गए वर्ष में भारत में कुछ राज्यों में आधिकारिक गरीबी रेखाएँ अन्य राज्यों की तुलना में उच्चतर हैं, क्योंकि: (2019) (a) गरीबी की दर अलग-अलग राज्य में अलग-अलग होती है उत्तर: (b) |