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भारतीय अर्थव्यवस्था

घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण 2022-23

  • 05 Mar 2024
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण, राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय, सकल घरेलू उत्पाद, उपभोक्ता मूल्य मुद्रास्फीति, नीति आयोग, मासिक प्रति व्यक्ति उपभोक्ता व्यय, सी. रंगराजन समिति

मेन्स के लिये:

हाल में किये गए घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण की मुख्य विशेषताएँ

स्रोत: द हिंदू 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने अगस्त 2022 से जुलाई 2023 के दौरान किये गए अखिल भारतीय घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण के परिणामों का प्रकटीकरण किया।

सर्वेक्षण से संबंधित प्रमुख बिंदु क्या हैं?

  • परिचय: घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण प्रत्येक 5 वर्ष में राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा आयोजित किया जाता है।
    • इसे परिवारों द्वारा वस्तुओं और सेवाओं के उपभोग से संबंधित जानकारी एकत्र करने के लिये अभिकल्पित किया गया है।
    • HCES में एकत्र किये गए डेटा का उपयोग सकल घरेलू उत्पाद, निर्धनता दर और उपभोक्ता मूल्य मुद्रास्फीति जैसे विभिन्न अन्य व्यापक आर्थिक संकेतक प्राप्त करने के लिये भी किया जाता है।
      • नीति आयोग के अनुसार हाल ही में किये गए उपभोक्ता व्यय सर्वेक्षण से संकेत मिलता है कि देश में निर्धनता घटकर 5% पर आ गई है।
    • सरकार द्वारा वर्ष 2017-18 में आयोजित अंतिम HCES के निष्कर्ष के संबंध में "डेटा गुणवत्ता" संबंधी मुद्दों का हवाला देते हुए सरकार ने परिणाम जारी नहीं किये थे।
  • उत्पन्न जानकारी: यह सर्वेक्षण वस्तुओं (खाद्य और गैर-खाद्य वस्तुओं सहित) और सेवाओं दोनों के संबंध में सामान्य व्यय की जानकारी प्रदान करता है।
  • सर्वेक्षण की मुख्य विशेषताएँ: इस सर्वेक्षण में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना जैसे विभिन्न सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों के माध्यम द्वारा प्रदत्त निःशुल्क वस्तुओं के मूल्य आँकड़ों को शामिल किये बिना परिवारों की औसत मासिक प्रति व्यक्ति उपभोग व्यय का अनुमान तैयार किया गया
  • MPCE में वृद्धि: सर्वेक्षण के अनुसार वर्ष 2011-12 के बाद से शहरी परिवारों में MPCE में 33.5% की वृद्धि हुई जो वर्तमान में ₹3,510 हो गई है जबकि ग्रामीण भारत के MPCE में 40.42% की वृद्धि के साथ यह ₹2,008 हो गया है।
    •  सत्र 2022-23 में ग्रामीण घरेलू व्यय का 46% और शहरी घरेलू व्यय का 39% खाद्य पदार्थों पर हुआ था।

  • जनसंख्या प्रतिशत के आधार पर MPCE का वितरण: MPCE द्वारा रैंक किये गए भारत की ग्रामीण आबादी के निचले 5% का औसत MPCE 1,373 रुपए है, जबकि शहरी क्षेत्रों में समान श्रेणी की आबादी के लिये यह 2,001 रुपए है।
    • MPCE द्वारा रैंक किये गए भारत की ग्रामीण और शहरी आबादी के शीर्ष 5% का औसत MPCE क्रमशः 10,501 रुपए तथा 20,824 रुपए है।
  • राज्य के आधार पर MPCE भिन्नताएँ: सिक्किम में ग्रामीण (₹7,731) और शहरी क्षेत्रों (₹12,105) दोनों में उच्चतम MPCE है, जबकि छत्तीसगढ़ में ग्रामीण परिवारों के लिये ₹2,466 तथा शहरी परिवारों के लिये ₹4,483 के साथ MPCE सबसे न्यून है।
    • राज्यों में औसत MPCE में ग्रामीण-शहरी अंतर मेघालय (83%) में सबसे अधिक है, इसके बाद छत्तीसगढ़ (82%) है।
  • केंद्रशासित प्रदेश के आधार पर MPCE भिन्नताएँ: केंद्रशासित प्रदेश में MPCE चंडीगढ़ में सबसे अधिक है (ग्रामीण 7,467 रुपए और शहरी 12,575 रुपए), जबकि, ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों के लिये यह क्रमशः लद्दाख (4,035 रुपए) तथा लक्षद्वीप (5,475 रुपए) में सबसे कम है।
  • खाद्य व्यय रुझान: वर्ष 1999-2000 के सर्वेक्षण के बाद से, भोजन पर व्यय का हिस्सा धीरे-धीरे कम हो गया है और शहरी व ग्रामीण दोनों परिवारों के लिये गैर-खाद्य वस्तुओं का हिस्सा बढ़ गया है।
    • खाद्य व्यय में गिरावट को आय में वृद्धि के रूप में समझा जाता है, जिसका अर्थ है चिकित्सा, वस्त्र, शिक्षा, वाहन, धारणीय वस्तुएँ, ईंधन, मनोरंजन जैसे अन्य व्यय के लिये अधिक धन होना
    • हालिया सर्वेक्षण परिणाम से पता चला है कि ग्रामीण एवं शहरी दोनों घरों में कुल खाद्य उपभोग व्यय में अनाज और दालों की हिस्सेदारी कम हो रही है।
      • गैर-खाद्य वस्तुओं में, परिवहन पर व्यय का हिस्सा सबसे अधिक था।
      • वर्ष 2022-23 तक गैर-खाद्य वस्तुओं में ईंधन और प्रकाश पर सबसे अधिक खपत खर्च होता था।

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय क्या है?

  • परिचय: वर्ष 2019 में केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (CSO) एवं राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (NSSO) को विलय करके गठित किया गया।
    • सी. रंगराजन समिति ने सबसे पहले सभी प्रमुख सांख्यिकीय गतिविधियों के लिये नोडल निकाय के रूप में  NSO की स्थापना का सुझाव दिया था।
    • यह वर्तमान में सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) के अंतर्गत कार्य करता है।
  • कार्य: विश्वसनीय, वस्तुनिष्ठ एवं प्रासंगिक सांख्यिकीय डेटा एकत्र, संकलित और प्रसारित करता है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न   

प्रश्न. एन.एस.एस.ओ. के 70वें चक्र द्वारा संचालित ‘‘कृषक-कुटुम्बों की स्थिति आकलन सर्वेक्षण’’ के अनुसार निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:

  1. राजस्थान में ग्रामीण कुटुम्बाें में कृषि कुटुम्बों का प्रतिशत सर्वाधिक है।
  2. देश के कुल कृषि कुटुम्बों में 60% से कुछ अधिक ओ.बी.सी. के हैं।
  3. केरल में 60% से कुछ अधिक कृषि कुटुम्बों ने यह सूचना दी कि उन्होंने अधिकतम आय गै़र कृषि स्रोतों से प्राप्त की है।

उपर्युक्त कथनाें में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 2 और 3   
(b) केवल 2
(c) केवल 1 और 3   
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (c) 


प्रश्न. किसी दिये गए वर्ष में भारत में कुछ राज्यों में आधिकारिक गरीबी रेखाएँ अन्य राज्यों की तुलना में उच्चतर हैं, क्योंकि- (2019)

(a) गरीबी की दर अलग-अलग राज्य में अलग-अलग होती है।
(b) कीमत-स्तर अलग-अलग राज्य में अलग-अलग होता है।
(c) सकल राज्य उत्पाद अलग-अलग राज्य में अलग-अलग होता है।
(d) सार्वजनिक वितरण की गुणता अलग-अलग राज्य में अलग-अलग होती है।

उत्तर : (b)

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