भारत में घरेलू बचत का विकास | 05 Sep 2024
प्रिलिम्स के लिये:भारतीय रिज़र्व बैंक, सकल घरेलू उत्पाद, मौद्रिक नीति, सार्वजनिक भविष्य निधि, घरेलू बचत, सुकन्या समृद्धि खाता योजना मेन्स के लिये:भारत में घरेलू बचत, भारत का आर्थिक विकास, बैंकिंग क्षेत्र |
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारतीय उद्योग परिसंघ (Confederation of Indian Industry - CII) के वित्तपोषण 3.0 शिखर सम्मेलन में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के डिप्टी गवर्नर ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारतीय परिवार महामारी के बाद वित्तीय बचत का पुनर्निर्माण कर रहे हैं, जिसका अर्थव्यवस्था और वित्तीय प्रणाली पर व्यापक प्रभाव पड़ेगा।
नोट: CII एक गैर-सरकारी, गैर-लाभकारी, उद्योगों को नेतृत्व प्रदान करने वाला और उद्योग-प्रबंधित संस्था है जो भारत के विकास, उद्योग, सरकार एवं नागरिक समाज के बीच साझेदारी के लिये अनुकूल वातावरण बनाने का कार्य करता है।
घरेलू बचत की वर्तमान प्रवृत्ति क्या है?
- घरेलू बचत की वसूली: महामारी युग की बचत समाप्त होने और बचत के बजाय आवास जैसी भौतिक परिसंपत्तियों की ओर रुख होने के कारण परिवारों की निवल वित्तीय बचत वर्ष 2020-21 के स्तर से लगभग आधी हो गई।
- कोविड महामारी के दौरान आय में गिरावट के बाद अब परिवारों ने बढ़ती आय के कारण अपनी वित्तीय बचत को बहाल करना शुरू कर दिया है।
- वित्तीय परिसंपत्तियाँ सकल घरेलू उत्पाद (GDP) (2011-17) के 10.6% से बढ़कर 11.5% (महामारी वर्ष को छोड़कर 2017-23) हो गई हैं।
- महामारी के बाद के वर्षों में भौतिक बचत GDP के 12% से अधिक हो गई है और इसमें वृद्धि जारी रह सकती है। हालाँकि यह अभी भी वर्ष 2010-11 में दर्ज GDP के 16% से कम है।
- भविष्य की संभावनाएँ: जैसे-जैसे परिवारों की आय में वृद्धि जारी रहेगी, उम्मीद है कि वित्तीय परिसंपत्तियाँ 2000 के दशक के आरंभिक स्तर पर पुनः स्थापित हो जाएँगी, जो संभवतः सकल घरेलू उत्पाद के लगभग 15% तक पहुँच जाएँगी।
- अर्थव्यवस्था पर घरेलू बचत का प्रभाव:
- ब्याज दरें: घरेलू बचत व्यवहार में परिवर्तन ब्याज दरों सहित मौद्रिक नीति को प्रभावित कर सकते हैं। कम वित्तीय बचत, बचत को प्रोत्साहित करने हेतु उच्च ब्याज दरों की मांग को बढ़ावा दे सकती है और इसके विपरीत स्थिति भी हो सकती है।
- बढ़ी हुई उधार क्षमता: जैसे-जैसे परिवार वित्तीय रूप से समृद्ध होते जाते हैं, वे अर्थव्यवस्था में प्राथमिक शुद्ध ऋणदाता बनने की संभावना रखते हैं, जो अन्य क्षेत्रों के लिये महत्त्वपूर्ण वित्तपोषण प्रदान करते हैं, विशेषकर जब कॉर्पोरेट उधार की ज़रूरतें बढ़ती हैं।
- कॉर्पोरेट क्षेत्र उधार: कॉर्पोरेट क्षेत्र ने शुद्ध उधारी में कमी की है। हालांकि पूंजीगत व्यय (कैपेक्स) में प्रत्याशित वृद्धि से उधार की ज़रूरतें बढ़ सकती हैं।
- कॉर्पोरेट उधार में अनुमानित वृद्धि के साथ परिवारों से वित्तपोषण अंतर को भरने की उम्मीद है, जिससे आर्थिक विकास और निवेश को समर्थन मिलेगा।
- आर्थिक स्थिरता: उच्च भौतिक बचत निवेश पोर्टफोलियो में विविधता लाकर और संभावित रूप से दीर्घकालिक धन में वृद्धि करके आर्थिक स्थिरता में योगदान देती है, हालांकि यह तरलता को भी सीमित कर सकती है।
- बाहरी वित्तपोषण के लिए निहितार्थ: जैसे-जैसे घरेलू बचत बढ़ती है, बाहरी वित्तपोषण की आवश्यकता कम हो सकती है, हालांकि बाहरी ऋण स्थिरता प्राथमिकता बनी रहेगी।
- विदेशी संसाधनों को अवशोषित करने की अर्थव्यवस्था की क्षमता विकसित होने पर बाहरी वित्तपोषण संरचना में परिवर्तन हो सकते हैं।
- सार्वजनिक क्षेत्र की शुद्ध बचत में कमी आई है, लेकिन यह शुद्ध उधारकर्ता बना हुआ है, जो निरंतर राजकोषीय नीति समर्थन की आवश्यकता को दर्शाता है।
घरेलू बचत क्या है?
- परिचय: भारत में घरेलू (HH) बचत, शुद्ध वित्तीय बचत (NFS) और भौतिक बचत, दो भागों में विभाजित है।
- सकल वित्तीय बचत (GFS) से वित्तीय देनदारियों (जिसे वार्षिक उधार के रूप में जाना जाता है) को घटाने के बाद HH NFS की गणना की जाती है।
- GFS में सात प्रमुख क्षेत्र शामिल हैं: मुद्राएँ; जमा (बैंक और गैर-बैंक); बीमा; भविष्य निधि एवं पेंशन निधि (P&PF), जिसमें सार्वजनिक भविष्य निधि (PPF) शामिल है; शेयर व डिबेंचर (S&D); सरकार पर दावे (छोटी बचत); तथा अन्य।
- HH भौतिक बचत में मुख्य रूप से आवासीय अचल संपत्ति (लगभग दो-तिहाई हिस्सा) और मशीनरी एवं उपकरण (HH क्षेत्र के भीतर उत्पादकों के स्वामित्व में) शामिल हैं।
- सकल वित्तीय बचत (GFS) से वित्तीय देनदारियों (जिसे वार्षिक उधार के रूप में जाना जाता है) को घटाने के बाद HH NFS की गणना की जाती है।
- घरेलू बचत और GDP अनुपात: यह सकल घरेलू उत्पाद अनुपात में शुद्ध वित्तीय बचत, सकल घरेलू उत्पाद अनुपात में भौतिक बचत तथा सोना तथा आभूषण का योग है।
- घरेलू बचत की प्रवृत्ति : स्टॉक और डिबेंचर जैसी जोखिमपूर्ण वित्तीय परिसंपत्तियों में निवेश करने की प्रवृत्ति बढ़ रही है।
- बचत का बढ़ता अनुपात वित्तीय साधनों के बजाय भौतिक परिसंपत्तियों (अचल संपत्ति) में आवंटित किया जा रहा है।
- महामारी और घरेलू बचत पर प्रभाव: कोविड-19 महामारी के दौरान, सीमित खर्च के अवसरों के कारण परिवारों ने अधिक बचत की। इसके परिणामस्वरूप उच्च वित्तीय बचत दर (2020-21 में 23.3 लाख करोड़ रुपए) हुई।
- हालाँकि जैसे-जैसे प्रतिबंध हटाए गए, खर्च बढ़ता गया, जिससे बचत कम होती गई। महामारी के बाद कई परिवारों ने अपनी बचत को वित्तीय परिसंपत्तियों से हटाकर रियल एस्टेट और सोने जैसी भौतिक परिसंपत्तियों में स्थानांतरित कर दिया है। इस बदलाव ने शुद्ध वित्तीय बचत को कम कर दिया है।
- परिवारों की शुद्ध वित्तीय बचत वर्ष 2022-23 में घटकर 14.2 लाख करोड़ रुपए रह गई, जो वर्ष 2021-22 में 17.1 लाख करोड़ रुपए थी। यह वर्ष 2020-21 के 23.3 लाख करोड़ रुपए से काफी कम है।
- रियल एस्टेट और सोने में बचत बढ़ी है, भौतिक संपत्ति बचत वर्ष 2022-23 में 34.8 लाख करोड़ रुपए और सोने की बचत 63,397 करोड़ रुपए तक पहुँच गई है।
- कई परिवार घर खरीदने के लिये अपनी वित्तीय क्षमता से अधिक धन खर्च कर देते हैं, जिसके कारण अक्सर उन्हें उच्च समान मासिक किस्त (EMI) का भुगतान करना पड़ता है तथा तरलता कम हो जाती है।
- स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा पर बढ़ते खर्च ने घरेलू बचत को और भी कम कर दिया है।
- युवा पीढ़ी बचत की तुलना में जीवनशैली और अनुभवों को प्राथमिकता देती है, आसान ऑनलाइन शॉपिंग और उधार विकल्पों से प्रोत्साहित होकर घरेलू बचत में और गिरावट आई है तथा घरेलू ऋण में वृद्धि हुई है।
- घरेलू ऋण: इसे परिवारों (परिवारों की सेवा करने वाली गैर-लाभकारी संस्थाओं सहित) की सभी देनदारियों के रूप में परिभाषित किया जाता है, जिनके लिये परिवारों को भविष्य में एक निश्चित तिथि पर ऋणदाताओं को ब्याज या मूलधन का भुगतान करना होता है।
घरेलू बचत से जुड़ी प्रमुख पहल
- सुकन्या समृद्धि खाता योजना
- वरिष्ठ नागरिक बचत योजना
- किसान विकास पत्र योजना
- महिला सम्मान बचत प्रमाणपत्र
- कर्मचारी भविष्य निधि (EPF)
- राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (NPS)
- सार्वजनिक भविष्य निधि (PPF) और राष्ट्रीय बचत प्रमाणपत्र (NSC)
- डाकघर मासिक आय योजना (POMIS): यह भारत सरकार द्वारा समर्थित एक छोटी बचत योजना है, जो 10 वर्ष से अधिक आयु के भारत के निवासियों को मासिक रूप से एक निश्चित राशि निवेश करने की अनुमति देती है।
- इसमें 5 वर्ष की लॉक-इन अवधि होती है और एक वर्ष के बाद पेनल्टी के साथ अवधिपूर्व निकासी की अनुमति होती है। इस योजना से होने वाली आय स्रोत पर कर कटौती (TDS) के अधीन नहीं है।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न. भारत में घरेलू बचत में बदलती प्रवृत्ति और भारतीय अर्थव्यवस्था के लिये उसके निहितार्थों पर चर्चा कीजिये। |
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UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रिलिम्सप्रश्न. एन.एस.एस.ओ. के 70वें चक्र द्वारा संचालित ‘‘कृषक-कुटुम्बों की स्थिति आकलन सर्वेक्षण’’ के अनुसार निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)
उपर्युक्त कथनाें में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 2 औ 3 उत्तर: c |