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पूर्ववर्ती पेंशन योजना

  • 19 Nov 2022
  • 10 min read

प्रिलिम्स के लिये:

नई पेंशन योजना, पूर्ववर्ती पेंशन योजना, PFRDA। राष्ट्रीय पेंशन योजना, असंगठित क्षेत्र।

मेन्स के लिये:

पूर्ववर्ती पेंशन योजना, राष्ट्रीय पेंशन योजना।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में कुछ राजनीतिक दलों द्वारा पूर्ववर्ती पेंशन योजना को बहाल करने का वादा किया गया।

पूर्ववर्ती पेंशन योजना:

  • परिचय:
    • यह योजना सेवानिवृत्ति के बाद आजीवन आय का आश्वासन देती है।
    • पूर्ववर्ती पेंशन योजना (OPS) के तहत कर्मचारियों को पूर्व निर्धारित फार्मूले के अनुसार पेंशन मिलती थी जो अंतिम आहरित वेतन का आधा (50%) होता है तथा उन्हें वर्ष में दो बार महँगाई राहत (Dearness Relief) में संशोधन का भी लाभ मिलता था। भुगतान निर्धारित था और वेतन से कोई कटौती नहीं की जाती थी। इसके अलावा OPS के तहत सामान्य भविष्य निधि (General Provident Fund-GPF) का भी प्रावधान था।
      • GPF भारत में सभी सरकारी कर्मचारियों के लिये उपलब्ध है। मूल रूप से यह सभी सरकारी कर्मचारियों को अपने वेतन का एक निश्चित प्रतिशत GPF में योगदान करने की अनुमति देता है। साथ ही कुल राशि जो रोज़गार की अवधि के दौरान जमा होती है, सेवानिवृत्ति के समय कर्मचारी को भुगतान की जाती है।
    • पेंशन पर होने वाले खर्च को सरकार वहन करती है। वर्ष 2004 में इस योजना को बंद कर दिया गया था।
  • चुनौतियाँ:
    • वित्त रहित पेंशन देयता:
      • मुख्य समस्या यह थी कि पेंशन देयता वित्तपोषित नहीं थी अर्थात् पेंशन के लिये विशेष रूप से ऐसा कोई कोष नहीं था, जो लगातार बढ़े और भुगतान के लिये उपयोग किया जा सके।
      • भारत सरकार द्वारा बजट में प्रत्येक वर्ष पेंशन का प्रावधान किया जाता है, भविष्य में साल-दर-साल भुगतान करने के तरीके पर कोई स्पष्ट योजना नहीं थी।
    • अस्थिरता:
      • OPS भी अस्थिर था। हालाँकि पेंशन देनदारियाँ बढ़ती रहेंगी क्योंकि पेंशनरों के लाभ में प्रत्येक वर्ष वृद्धि होगी, जैसे मौजूदा कर्मचारियों का वेतन, पेंशनरों को इंडेक्सेशन से प्राप्त लाभ या जिसे 'महँगाई राहत' कहा जाता है।
      • इसके अलावा बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं से जीवन प्रत्याशा में वृद्धि होगी और दीर्घायु में वृद्धि का अर्थ विस्तारित भुगतान होगा।
      • इससे केंद्र और राज्य सरकारों पर पेंशन का भारी बोझ पड़ा है।

संबद्ध  चिंताओं को दूर करने के लिये बनी योजनाएँ:

  • वर्ष 1998 में केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने वृद्धावस्था सामाजिक एवं आय सुरक्षा (OASIS) परियोजना के लिये एक रिपोर्ट तैयार करने का आदेश दिया। विशेषज्ञ समिति द्वारा इस रिपोर्ट को जनवरी 2000 में प्रस्तुत किया गया।
  • OASIS का प्राथमिक उद्देश्य उन असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों पर केंद्रित था जिन्हें वृद्धावस्था में आय सुरक्षा संबंधी समस्याएँ थी।
  • OASIS रिपोर्ट के अनुसार, निवेशकों को तीन अलग-अलग प्रकार के फंड में निवेश करना चाहिये, यथा: वृद्धि, संतुलित और सुरक्षित। ये फंंड छह अलग-अलग फंड प्रबंधकों द्वारा प्रस्तुत किये जाएंगे।
  • शेष राशि का निवेश कॉर्पोरेट बॉण्ड या सरकारी प्रतिभूतियों में किया जाएगा। इसके लिये विशेष सेवानिवृत्ति खाते होंगे और इसमें कम-से-कम 500 रुपए प्रतिवर्ष निवेश करने की आवश्यकता होगी।
  • सेवानिवृत्ति के बाद सेवानिवृत्ति खाते से कम-से-कम 2 लाख रुपए का उपयोग बीमा खरीदने के लिये किया जाएगा।
    • एक बीमा प्रदाता इस राशि का निवेश करता है और उस व्यक्ति के शेष जीवन तक एक निश्चित मासिक आय प्रदान करता है जो कि रिपोर्ट तैयार करने के समय 1,500 रुपए थी।

नई पेंशन योजना की पेशकश के कारण:

  • परिचय:
    • OASIS रिपोर्ट ही नई पेंशन योजना का आधार बनी, जिसे दिसंबर 2003 में अधिसूचित किया गया था।
    • केंद्र सरकार ने जनवरी 2004 से प्रभावी राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (NPS) की शुरुआत की (सशस्त्र बलों को छोड़कर)।
      • वर्ष 2018-19 में NPS को कारगर बनाने तथा इसे और अधिक आकर्षक बनाने के लिये केंद्रीय मंत्रिमंडल ने NPS के तहत आने वाले केंद्र सरकार के कर्मचारियों को लाभान्वित करने हेतु योजना में बदलावों को मंज़ूरी दी।
    • पेंशन देनदारियों से छुटकारा पाने के तरीके के रूप में NPS को सरकार द्वारा लॉन्च किया गया था।
      • 2000 के दशक की शुरुआत के शोध का हवाला देते हुए एक समाचार रिपोर्ट के अनुसार, भारत का पेंशन ऋण नियंत्रण से परे के स्तर तक पहुँच रहा था।
    • NPS की शुरुआत के बाद केंद्रीय सिविल सेवा (पेंशन) नियम, 1972 में संशोधन किया गया था।
    • सेवानिवृत्ति के बाद एक व्यक्ति पेंशन राशि का एक हिस्सा एकमुश्त निकाल सकता है और शेष का उपयोग नियमित आय के लिये बीमा खरीदने के लिये कर सकता है।
  • कार्यान्वयन:
    • NPS को देश में PFRDA (पेंशन फंड नियामक और विकास प्राधिकरण) द्वारा कार्यान्वित एवं विनियमित किया जा रहा है।
    • PFRDA द्वारा स्थापित नेशनल पेंशन सिस्टम ट्रस्ट (NPST), NPS के तहत सभी परिसंपत्तियों का पंजीकृत मालिक है।
  • विशेषताएँ:
    • NPS का अखिल नागरिक मॉडल 18-70 वर्ष की आयु के भारत क सभी नागरिकों (NRIs सहित) को NPS में शामिल होने की अनुमति देता है।
    • यह एक भागीदारी योजना है, जहाँ कर्मचारी अपने वेतन से अपने पेंशन कोष में योगदान करते हैं, जिसमें सरकार का भी समान योगदान होता है। इसके बाद फंड को पेंशन फंड मैनेजर्स के माध्यम से निर्धारित निवेश योजनाओं में निवेश किया जाता है।
      • इस NPS में सरकार द्वारा नियोजित लोग NPS में अपने मूल वेतन का 10% योगदान करते हैं, जबकि उनके नियोक्ता 14% तक योगदान करते हैं।
      • वर्ष 2019 में वित्त मंत्रालय ने कहा कि केंद्र सरकार के कर्मचारियों के पास पेंशन फंड (PF) और निवेश पैटर्न का चयन करने का विकल्प है।
    • रिटायरमेंट के समय वे कॉर्पस का 60% निकाल सकते हैं, जो टैक्स-फ्री है और बाकी 40% ऐन्युइटी में निवेश किया जाता है, जिस पर टैक्स लगता है।
    • यहाँ तक कि निज़ी व्यक्ति भी इस योजना का विकल्प चुन सकते हैं।
  • NPS के साथ समस्याएँ:
    • OPS के विपरीत NPS में कर्मचारियों को महँगाई भत्ते के साथ मूल वेतन का 10% जमा करने की आवश्यकता होती है। GPF का कोई लाभ नहीं है और पेंशन की राशि तय नहीं है। इस योजना के साथ प्रमुख मुद्दा यह है कि यह बाज़ार से जुड़ा हुआ है तथा रिटर्न-आधारित है। सरल शब्दों में भुगतान अनिश्चित है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (NPS) में शामिल हो सकता है? (2017)

(A) केवल निवासी भारतीय नागरिक
(B) केवल 21 से 55 वर्ष की आयु के व्यक्ति
(C) अधिसूचना की तारीख के बाद सेवाओं में शामिल होने वाले सभी राज्य सरकार के कर्मचारी तथा संबंधित राज्य की सरकारों द्वारा अधिसूचना किये जाने की तारीख के पश्चात सेवा में आये हैं
(D) सशस्त्र बलों सहित केंद्र सरकार के सभी कर्मचारी , जो 1 अप्रैल, 2004 या उसके बाद सेवाओं में शामिल हुए हैं

उत्तर: (C)

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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