प्रारंभिक परीक्षा
प्रीलिम्स फैक्ट्स: 1 अप्रैल, 2020
- 01 Apr 2020
- 15 min read
राष्ट्रीय बचत प्रमाणपत्र और सार्वजनिक भविष्य निधि
National Savings Certificate and Public Provident Fund
भारत सरकार ने 31 मार्च, 2020 को राष्ट्रीय बचत प्रमाण पत्र (National Savings Certificate-NSC) और सार्वजनिक भविष्य निधि (Public Provident Fund-PPF) सहित अन्य छोटी बचत योजनाओं (Small Savings Schemes) पर ब्याज दरों में कटौती की।
मुख्य बिंदु:
- आधिकारिक अधिसूचना के अनुसार, एक से तीन वर्ष की सावधि जमा (Fixed Deposite) पर ब्याज दर में 1.4% की कटौती करके 5.5% कर दिया गया है। पहले सावधि जमा पर 6.9% ब्याज मिलता था। वहीं पाँच वर्ष की सावधि जमा पर ब्याज दर 7.7% से घटाकर 6.7% कर दी गई।
- वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही अर्थात् अप्रैल-जून की अवधि के लिये सार्वजनिक भविष्य निधि (PPF) पर ब्याज दर को 7.9% से घटाकर 7.1% कर दिया गया है। वहीं राष्ट्रीय बचत प्रमाण पत्र (NSC) की दर को 7.9% से घटाकर 6.8% कर दिया।
सार्वजनिक भविष्य निधि
(Public Provident Fund-PPF):
- सार्वजनिक भविष्य निधि (PPF) योजना एक दीर्घकालिक निवेश विकल्प है जो निवेश की गई राशि पर आकर्षक ब्याज दर और रिटर्न प्रदान करता है। अर्जित ब्याज एवं रिटर्न आयकर के तहत कर योग्य नहीं हैं।
- वर्ष 1968 में भारत में सार्वजनिक भविष्य निधि (PPF) को निवेश के रूप में छोटी बचत जुटाने के उद्देश्य से लाया गया था।
- इसे बचत-सह-कर बचत निवेश वाहन (Savings-Cum-Tax Savings Investment Vehicle) भी कहा जा सकता है जो आय पर लगने वाले वार्षिक करों की बचत करके सेवानिवृत्त कोष (Retirement Corpus) का निर्माण करता है।
- भारत में PPF का न्यूनतम कार्यकाल 15 वर्ष है जिसे व्यक्ति की इच्छानुसार 5 वर्ष की एक पूर्ण-अवधि के तहत बढ़ाया जा सकता है।
राष्ट्रीय बचत प्रमाण पत्र
(National Savings Certificate-NSC):
- राष्ट्रीय बचत प्रमाण पत्र (NSC) एक निश्चित आय निवेश योजना है जिसे किसी भी डाकघर में शुरू किया जा सकता है।
- यह ग्राहकों मुख्य रूप से मध्यम आय वाले निवेशकों के लिये आयकर में बचत करने के उद्देश्य से निवेश करने के लिये एक बचत बांड (Savings Bond) है।
- भारत को स्वतंत्रता मिलने के बाद 1950 के दशक में भारत सरकार द्वारा राष्ट्र-निर्माण हेतु धन एकत्र करने के लिये राष्ट्रीय बचत प्रमाण पत्रों पर अधिक ज़ोर दिया गया था।
किसान विकास पत्र (Kisan Vikas Patra) पर लगाने वाली ब्याज दर जो पहले 7.6% थी उसे अब 6.9% कर दिया गया है।
किसान विकास पत्र
(Kisan Vikas Patra- KVP):
- ‘इंडिया पोस्ट; (India Post) ने वर्ष 1988 में किसान विकास पत्र (KVP) को एक छोटी बचत प्रमाण पत्र योजना के रूप में पेश किया था।
- उद्देश्य: इसका प्राथमिक उद्देश्य लोगों में दीर्घकालिक वित्तीय अनुशासन को प्रोत्साहित करना है।
- वर्ष 2014 में इस योजना में किये गए संशोधन के अनुसार, इसकी स्वामित्त्व अवधि को बढ़ाकर 118 महीने (9 वर्ष एवं 10 महीने) कर दिया गया है।
- इसमें न्यूनतम निवेश 1000 रुपए है किंतु इसकी कोई ऊपरी सीमा नहीं है। इसके जमाकर्त्ताओं का धन 118 महीनों में दोगुना हो सकता है।
- बालिका-केंद्रित सुकन्या समृद्धि योजना (Sukanya Samriddhi scheme) पर ब्याज दर को 8.4% से घटाकर 7.6 % कर दिया गया है।
- छोटी बचत योजनाओं के लिये ब्याज दरों को तिमाही आधार पर अधिसूचित किया जाता है।
गौरतलब है कि COVID-19 महामारी के कारण भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India- RBI) की मौद्रिक नीति समिति (Monetary Policy Committee-MPC) द्वारा रेपो दर (Repo Rate) में 75 आधार अंकों की कटौती कर 4.4% जबकि रिवर्स रेपो दर (Reverse Repo Rate) में 90 आधार अंकों की कटौती करके 4% कर दिये जाने के बाद भारत सरकार ने छोटी बचत योजनाओं (Small Savings Schemes) पर ब्याज दरों में कटौती की है।
सोडियम हाइपोक्लोराइट
Sodium Hypochlorite
हाल ही में COVID-19 के मद्देनज़र शहरों से अपने घरों की ओर लौट रहे प्रवासी मज़दूरों पर उत्तरप्रदेश के बरेली ज़िले में सैनिटाइज़ करने के उद्देश्य से उन पर सोडियम हाइपोक्लोराइट (Sodium Hypochlorite) का छिड़काव किया गया।
मुख्य बिंदु:
- आमतौर पर सोडियम हाइपोक्लोराइट का इस्तेमाल ब्लीचिंग एजेंट के रूप में तथा स्विमिंग पूल की साफ-सफाई करने में भी किया जाता है।
- एक सामान्य ब्लीचिंग एजेंट के रूप में सोडियम हाइपोक्लोराइट का उपयोग विभिन्न प्रकार की सफाई और कीटाणुरोधी उद्देश्यों के लिये किया जाता है।
- सोडियम हाइपोक्लोराइट में हानिकारक क्लोरीन गैस होती है जो कीटाणुनाशक होती है। किसी विलयन में सोडियम हाइपोक्लोराइट की अधिक सांद्रता मनुष्य के शरीर को नुकसान पहुँचाती है।
- घरों में उपयोग किये जाने वाले सामान्य ब्लीच में आमतौर पर 2-10% सोडियम हाइपोक्लोराइट का मिश्रण होता है।
- जिस विलयन में सोडियम हाइपोक्लोराइट की मात्रा अत्यंत कम अर्थात् 0.25-0.5% होती है उस विलयन का उपयोग त्वचा के घावों जैसे- कटने या खरोंच के इलाज के लिये किया जाता है।
- वहीं जिस विलयन में सोडियम हाइपोक्लोराइट की मात्रा 0.05% होती है उसका उपयोग कभी-कभी हैंडवाश के रूप में उपयोग किया जाता है।
- एक आम ब्लीचिंग पाउडर को रासायनिक रूप से सोडियम हाइपोक्लोराइट नहीं बल्कि कैल्शियम हाइपोक्लोराइट कहा जाता है।
- सोडियम हाइपोक्लोराइट संक्षारक (Corrosive) है अर्थात् इसका उपयोग मोटे तौर पर कठोर सतहों को साफ करने में किया जाता है।
- डॉक्टरों द्वारा सोडियम हाइपोक्लोराइट को मनुष्यों के ऊपर छिड़काव करने की सलाह नहीं दी जाती है क्योंकि इसका 0.05% विलयन आँखों के लिये अत्यंत हानिकारक हो सकता है। वहीं इसका 1% विलयन मनुष्य की त्वचा को नुकसान पहुँचा सकता है।
- यदि सोडियम हाइपोक्लोराइट मनुष्य शरीर के अंदर चला जाता है तो यह फेफड़ों को गंभीर नुकसान पहुँचा सकता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिशा-निर्देश:
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization- WHO) ने कठोर सतहों पर नोवेल कोरोनोवायरस की किसी भी उपस्थिति को साफ करने के लिये लगभग 2-10% सांद्रता वाले ब्लीच विलयनों की सिफारिश की है।
- इस विलयन से कठोर सतहों को साफ करने से न केवल उन्हें नोवेल कोरोनावायरस से कीटाणुरहित किया जा सकता है बल्कि फ्लू, खाद्य जनित बीमारियों को भी रोकने में मदद मिल सकती है।
साइंटेक एयरआन
Scitech Airon
COVID-19 महामारी के मद्देनज़र महाराष्ट्र के पुणे में स्थित स्टार्ट-अप ने महाराष्ट्र के अस्पतालों को कीटाणुरहित करने के लिये साइंटेक एयरआन (Scitech Airon) तकनीक का विकास किया है।
मुख्य बिंदु:
- साइंटेक एयरआन एक निगेटिव आयन जेनरेटर (Negative Ion Generator) है। आयन जेनरेटर मशीन का एक घंटे का परिचालन कमरे के 99.7% वायरसों को खत्म कर सकता है।
- साइंटेक एअरऑन ऑयोनाइज़र मशीन प्रति 8 सेकेंड में लगभग 100 मिलियन ऋण आवेशित आयन पैदा कर सकती है।
- ऑयोनाइज़र द्वारा उत्पादित निगेटिव आयन हवा में तैरते फफूंद, एलर्जी पैदा करने वाले सूक्ष्म कण, बैक्टीरिया, पराग-कण, धूल इत्यादि के इर्द-गिर्द एक क्लस्टर बना लेते हैं और रासायनिक अभिक्रिया द्वारा इन्हें निष्क्रिय कर देते हैं। इस रासायनिक अभिक्रिया में अत्यधिक प्रतिक्रियाशील ओएच (OH) समूह जिसे हाइड्रॉक्सिल रेडिकल्स (Hydroxyl Radicals) कहा जाता है और एचओ (HO) समूह जिसे वायुमंडलीय डिटरजेंट (Atmospheric Detergent) के रूप में जाना जाता है, का निर्माण होता है।
- इन डिटरजेंट विशेषताओं के कारण वायरस, बैक्टीरिया एवं एलर्जी पैदा करने वाले तत्त्वों के बाहरी प्रोटीन को विघटित कर दिया जाता हैं जिससे हवा के द्वारा फैलने वाले रोगों को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। जिससे शरीर की रोग प्रतिरोध क्षमता बढ़ती है और यह प्रतिरोध क्षमता आयन वातावरण से बाहर अगले 20-30 दिनों के लिये सहायक हो सकती है।
- यह कार्बन मोनोक्साइड (कार्बन डाइकॉक्साइड से 1000 गुना अधिक हानिकारक), नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों जैसे गैस प्रदूषकों को भी विघटित कर सकती है।
- कोविड-19 पॉज़िटिव मामलों और संदिग्धों के कारण जो स्थान संक्रमित हो गए हैं उन्हें यह कीटाणुरहित कर सकता है और वायु को प्रदूषण रहित कर सकता है।
- इस तकनीक को भारत सरकार के द्वारा शुरू किये गए निधि (NIDHI) एवं प्रयास (PRAYAS) कार्यक्रम के तहत विकसित किया गया है।
निधि कार्यक्रम (NIDHI Program):
- भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (Science & Technology department- DST) द्वारा ज्ञान-आधारित और प्रौद्योगिकी संचालित नवाचारों एवं विचारों को लाभदायक स्टार्ट-अप में बदलने के उद्देश्य से निधि कार्यक्रम (NIDHI Program) शुरू किया गया है।
- निधि (NIDHI) का पूर्ण रूप ‘नेशनल इनिशिएटिव फॉर डेवलपिंग एंड हारनेसिंग इनोवेशंस’ (National Initiative for Developing and Harnessing Innovations) है।
- इस कार्यक्रम के तहत अन्वेषकों एवं उद्यमियों के लिये इन्क्यूबेटर्स (Incubators), सीड फंड (Seed Fund), एक्सेलेरेटर्स (Accelerators) और ’प्रूफ ऑफ कॉन्सेप्ट’ (Proof of concept) अनुदान की स्थापना के कार्यक्रम शुरू किये गए हैं।
- NIDHI में 8 घटक होते हैं जो अपने विचार से बाज़ार चरण तक किसी स्टार्टअप को उसके प्रत्येक चरण में समर्थन करते हैं।
- पहले घटक ‘प्रयास’ (PRAYAS) का उद्घाटन 2 सितंबर, 2016 को किया गया था जिसका लक्ष्य इनोवेटर्स को उनके स्टार्ट-अप से संबंधित विचारों के प्रोटोटाइप बनाने के लिये प्रोत्साहित करना है।
प्रयास (PRAYAS):
- NIDHI के तहत ‘प्रयास’ (PRAYAS) कार्यक्रम शुरू किया गया है जिसका पूर्ण रूप ‘प्रमोटिंग एंड एक्सेलेरेटिंग यंग एंड एस्पायरिंग इनोवेटर्स एंड स्टार्टअप्स’ (Promoting and Accelerating Young and Aspiring innovators & Startups) है।
- PRAYAS कार्यक्रम के अंतर्गत स्थापित टेक्नोलॉजी बिज़नेस इनक्यूबेटर्स (Technology Business Incubators-TBI) नवप्रवर्तनकर्त्ताओं एवं उद्यमियों को ‘प्रूफ ऑफ कॉन्सेप्ट’ और विकासशील प्रोटोटाइप के लिये अनुदान के साथ-साथ अन्य सहायता भी प्रदान करते हैं।
- PRAYAS केंद्र की स्थापना के लिये एक टेक्नोलॉजी बिज़नेस इनक्यूबेटर्स (TBI) को अधिकतम 220 लाख रूपए प्रदान किये जाते हैं, जिसमें प्रयास शाला (PRAYAS SHALA) के लिये 100 लाख रुपए तथा प्रयास (PRAYAS) केंद्र की परिचालन लागत के लिये 20 लाख रुपए और प्रोटोटाइप विकसित करने के लिये एक इनोवेटर को 10 लाख रुपए दिये जाते हैं।