विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
इस्पात विनिर्माण का डीकार्बोनाइज़ेशन
- 03 May 2023
- 14 min read
प्रिलिम्स के लिये:हाइड्रोजन, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन, डायरेक्ट रिडक्शन यूज़िंग हाइड्रोजन (DR-H) मेन्स के लिये:इस्पात विनिर्माण में DR-H का महत्त्व |
चर्चा में क्यों?
विश्व में विनिर्माण और ऑटोमोटिव क्षेत्रों को हरित बनाने के लिये हाइड्रोजन एक प्रमुख घटक है क्योंकि यह ऐसा ईंधन है जिसके उत्पादन एवं उपयोग में कार्बन उत्सर्जन नहीं होता है।
- ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को काफी कम करने के लिये कार्बन मोनोऑक्साइड की मात्रा में कमी लाने वाले अभिकारक के रूप में हाइड्रोजन का इस्तेमाल किया जा सकता है।
इस्पात विनिर्माण में हाइड्रोजन डायरेक्ट रिडक्शन प्रोसेस:
- प्रक्रिया:
- इस्पात बनाने में डायरेक्ट रिडक्शन यूज़िंग हाइड्रोजन (DR-H) एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें ब्लास्ट फर्नेस का उपयोग किये बिना आयरन ऑक्साइड (Fe2O3) से धात्विक आयरन (Fe) प्राप्त करने के लिये हाइड्रोजन गैस का उपयोग किया जाता है।
- इस पद्धति को इस्पात उत्पादन के लिये "हरित मार्ग (Green Route)" के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि यह पारंपरिक इस्पात विनिर्माण/उत्पादन प्रक्रियाओं से जुड़े कार्बन उत्सर्जन को काफी कम कर देती है।
- डायरेक्ट रिडक्शन प्रक्रिया में आमतौर पर 600 से 800 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर एक रिएक्टर वेसल में हाइड्रोजन गैस और लौह अयस्क के पेल्लेट्स को मिलाना शामिल होता है।
- हाइड्रोजन आयरन ऑक्साइड के साथ अभिक्रिया करके धात्विक लोहा और जलवाष्प बनाता है, जैसा कि निम्नलिखित रासायनिक समीकरण में दिखाया गया है:
Fe2O3 + 3H2 → 2Fe + 3H2O
- महत्त्व:
- कम कार्बन उत्सर्जन: एक रेड्युसिंग एजेंट के रूप में हाइड्रोजन का उपयोग उप-उत्पाद के रूप में केवल जल वाष्प उत्पन्न करता है जिससे यह कोयला/कोक के लिये एक अधिक स्वच्छ विकल्प बन जाता है।
- इस प्रक्रिया की सहायता से कार्बन उत्सर्जन को 97% तक कम किया जा सकता है।
- ऊर्जा दक्षता: यह प्रक्रिया अधिक प्रभावी है क्योंकि इसमें ब्लास्ट फर्नेस में बड़ी मात्रा में लौह अयस्क को गर्म करने और पिघलाने की आवश्यकता नहीं पड़ती।
- उच्च गुणवत्ता वाला इस्पात: प्रत्यक्ष कटौती प्रक्रिया उच्च गुणवत्ता वाले लोहे का उत्पादन करती है जो शुद्ध होता है और इसमें अशुद्धियों का स्तर कम होता है, जिसके परिणामस्वरूप उच्च गुणवत्ता वाला इस्पात बनता है।
- लचीलापन: हाइड्रोजन द्वारा डायरेक्ट रिडक्शन का उपयोग विभिन्न लौह अयस्कों (ऐसे भी जिनमें लौह सामग्री कम होती है) से इस्पात का उत्पादन करने के लिये किया जा सकता है।
- लागत-प्रभावशीलता: प्राकृतिक गैस की कीमतों में वृद्धि के चलते वर्तमान में पारंपरिक इस्पात विनिर्माण विधियों की तुलना में डायरेक्ट रिडक्शन प्रक्रिया अधिक लागत प्रभावी हो सकती है।
- कम कार्बन उत्सर्जन: एक रेड्युसिंग एजेंट के रूप में हाइड्रोजन का उपयोग उप-उत्पाद के रूप में केवल जल वाष्प उत्पन्न करता है जिससे यह कोयला/कोक के लिये एक अधिक स्वच्छ विकल्प बन जाता है।
इस्पात विनिर्माण के अलावा अन्य उद्योगों में हाइड्रोजन का उपयोग:
- ऊर्जा उत्पादन: दहन या ईंधन सेल/बैटरी के माध्यम से हाइड्रोजन का उपयोग विद्युत उत्पादन हेतु ईंधन के रूप में किया जा सकता है। वास्तव में हाइड्रोजन ईंधन सेल पहले से ही कुछ वाहनों में उपयोग किये जा रहे हैं और भवनों के लिये अक्षय ऊर्जा स्रोत के रूप में पहचाने जा रहे हैं।
- रासायनिक उत्पादन: हाइड्रोजन का उपयोग अमोनिया, मेथनॉल और अन्य हाइड्रोकार्बन जैसे रसायनों के उत्पादन के लिये फीडस्टॉक के रूप में किया जाता है जो विभिन्न उद्योगों (कृषि, परिवहन और निर्माण) में उपयोग किये जाते हैं।
- इलेक्ट्रॉनिक्स: हाइड्रोजन का उपयोग इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के निर्माण में किया जाता है, जैसे अर्द्धचालक और फ्लैट पैनल डिस्प्ले तथा प्रकाश उत्सर्जक डायोड (LED) के उत्पादन में।
- खाद्य प्रसंस्करण: खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में हाइड्रोजन का उपयोग खाद्य उत्पादों की गुणवत्ता और उपस्थिति को बनाए रखने के लिये काम करने वाले एजेंट के रूप में किया जाता है।
- चिकित्सा अनुप्रयोग: अनुत्तेजक और एंटीऑक्सीडेंट गुणों के साथ संभावित चिकित्सा गैस (Medical Gas) के रूप में हाइड्रोजन की जाँच की जा रही है। इसे मेडिकल डायग्नोस्टिक्स में ट्रेसर गैस के रूप में भी प्रयोग किया जाता है।
नोट:
- राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन, हरित हाइड्रोजन के व्यावसायिक उत्पादन को प्रोत्साहित करने और भारत को ईंधन का शुद्ध निर्यातक बनाने हेतु एक कार्यक्रम है।
- देश में हाइड्रोजन ऊर्जा प्रौद्योगिकियों के विकास और तैनाती को बढ़ावा देने के लिये केंद्रीय बजट 2021-22 में राष्ट्रीय हाइड्रोजन ऊर्जा मिशन (NHEM) की घोषणा की गई थी।
भारत में इस्पात उत्पादन की स्थिति:
- उत्पादन और खपत: भारत वर्तमान में (2021 तक) कच्चे इस्पात का विश्व का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है और वर्ष 2021 में तैयार इस्पात का दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता भी है (दोनों मामलों में चीन से आगे)।
- भारत में महत्त्वपूर्ण इस्पात उत्पादक केंद्र: भिलाई (छत्तीसगढ़), दुर्गापुर (पश्चिम बंगाल), बर्नपुर (पश्चिम बंगाल), जमशेदपुर (झारखंड), राउरकेला (ओडिशा) और बोकारो (झारखंड)।
- निर्यात: अमेरिका, संयुक्त अरब अमीरात और नेपाल सहित प्रमुख निर्यात स्थलों के साथ भारत इस्पात उत्पादों का एक महत्त्वपूर्ण निर्यातक है।
- सरकारी नीतियाँ: राष्ट्रीय इस्पात नीति की शुरुआत वर्ष 2017 में की गई थी जिसमें वर्ष 2030-31 तक 300 मिलियन टन (MT) कच्चे इस्पात की क्षमता निर्माण, 255 मीट्रिक टन का उत्पादन और 158 किलोग्राम मज़बूत तैयार इस्पात प्रति व्यक्ति खपत का अनुमान है।
- इस्पात उद्योग और GHG उत्सर्जन:
- अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) के अनुसार, इस्पात उद्योग वैश्विक CO2 उत्सर्जन के लगभग 7 प्रतिशत के लिये ज़िम्मेदार है, जो इसे ग्रीनहाउस गैसों के सबसे बड़े औद्योगिक उत्सर्जकों में से एक बनाता है।
- इस्पात उद्योग के प्रदूषक:
- हरित इस्पात/ग्रीन इस्पात:
- इस्पात मंत्रालय ग्रीन इस्पात (जीवाश्म ईंधन का उपयोग किये बिना इस्पात का निर्माण) को बढ़ावा देकर इस्पात उद्योगों में CO2 को कम करना चाहता है।
- यह कोयले से चलने वाले संयंत्रों के पारंपरिक कार्बन-गहन निर्माण के बजाय हाइड्रोजन, कोयला गैसीकरण या विद्युत जैसे निम्न-कार्बन ऊर्जा स्रोतों का उपयोग करके किया जा सकता है।
- यह अंततः GHG उत्सर्जन को कम करता है, लागत में कटौती करता है और इस्पात की गुणवत्ता में सुधार करता है।
- इस्पात मंत्रालय ग्रीन इस्पात (जीवाश्म ईंधन का उपयोग किये बिना इस्पात का निर्माण) को बढ़ावा देकर इस्पात उद्योगों में CO2 को कम करना चाहता है।
इस्पात उत्पादन में हाइड्रोजन के उपयोग की चुनौतियाँ:
- उच्च पूंजी लागत: संयंत्र के निर्माण और संचालन की प्रारंभिक पूंजीगत लागत आमतौर पर पारंपरिक इस्पात बनाने के तरीकों से अधिक होती है। यह छोटे इस्पात उत्पादकों के प्रवेश हेतु बाधा बन सकती है।
- हाइड्रोजन की उपलब्धता: हाइड्रोजन की उपलब्धता और लागत एक चुनौती हो सकती है, विशेषकर यदि इसका उत्पादन जीवाश्म ईंधन का उपयोग करके किया जाता है। इस प्रक्रिया को व्यापक रूप से अपनाने के लिये कम लागत वाली हरित हाइड्रोजन उत्पादन तकनीकों का विकास करना महत्त्वपूर्ण होगा।
- स्केल-अप चुनौतियाँ: स्केल-अप की प्रक्रिया को बढ़ाना चुनौतीपूर्ण हो सकता है, विशेषकर तब जब बड़ी मात्रा में इस्पात का उत्पादन होता है क्योंकि इसके लिये रिएक्टर के सावधानीपूर्वक प्रबंधन और हाइड्रोजन गैस की आपूर्ति की आवश्यकता होती है।
- इसके अतिरिक्त लौह उत्पाद की गुणवत्ता और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिये उच्च स्तर की तकनीकी विशेषज्ञता एवं प्रक्रिया नियंत्रण की आवश्यकता होती है।
- अवसंरचना आवश्यकताएँ: इस प्रक्रिया के लिये हाइड्रोजन गैस के भंडारण और संचालन सुविधाओं सहित विशेष बुनियादी ढाँचे की आवश्यकता होती है। इस बुनियादी ढाँचे का विकास महँगा एवं समय लेने वाला हो सकता है।
आगे की राह
- बेहतर निवेश: सरकारों और निजी क्षेत्र को लागत कम करने तथा हाइड्रोजन की उपलब्धता बढ़ाने के लिये हरित हाइड्रोजन उत्पादन प्रौद्योगिकियों के अनुसंधान एवं विकास में निवेश बढ़ाना चाहिये।
- सहयोग को बढ़ावा: इस्पात उत्पादकों, हाइड्रोजन उत्पादकों और अन्य हितधारकों के बीच सहयोग से तकनीकी चुनौतियों का समाधान करने तथा आवश्यक बुनियादी ढाँचे के विकास को बढ़ावा देने में मदद मिल सकती है।
- नीतिगत समर्थन: सरकारें इस तकनीक को अपनाने के लिये प्रोत्साहित करने हेतु कर क्रेडिट, अनुदान एवं ऋण गारंटी जैसे प्रोत्साहनों के माध्यम से नीतिगत समर्थन प्रदान कर सकती हैं।
- इसके अलावा हरित हाइड्रोजन के उत्पादन/उपयोग हेतु मानक विकसित करने से उत्पाद की गुणवत्ता एवं स्थिरता सुनिश्चित करने, लागत कम करने तथा बाज़ार स्वीकृति को बढ़ावा देने में मदद मिल सकती है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न:प्रश्न. 'आठ मूल उद्योगों के सूचकांक (Index of Eight Core Industries)' में निम्नलिखित में से किसे सर्वाधिक महत्त्व दिया जाता है? (2015) (a) कोयला उत्पादन उत्तर: (b) प्रश्न. भारत में इस्पात उत्पादन उद्योग को निम्नलिखित में से किसके आयात की अपेक्षा होती है (2015) (a) शोरा उत्तर: (c) प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-से कुछ महत्त्वपूर्ण प्रदूषक हैं जो भारत में इस्पात उद्योग द्वारा मुक्त किये जाते हैं? (2014) 1. सल्फर के ऑक्साइड नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1, 3 और 4 उत्तर: (d) प्रश्न. इस्पात स्लैग निम्नलिखित में से किसके लिये सामग्री हो सकता है? (2020) 1. आधार सड़क के निर्माण के लिये नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (d) प्रश्न. कच्चे माल के स्रोत से दूर लौह और इस्पात उद्योगों की वर्तमान स्थिति का उदाहरण देते हुए वर्णन कीजिये। (मुख्य परीक्षा, 2020) प्रश्न. विश्व में लौह एवं इस्पात उद्योग के स्थानिक प्रतिरूप में परिवर्तन का विवरण दीजिये। (मुख्य परीक्षा, 2014) |