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ग्राम उजाला कार्यक्रम

  • 23 Mar 2021
  • 7 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में सरकार द्वारा ग्राम उजाला कार्यक्रम (Gram UJALA Programme) की शुरुआत की गई है। यह सरकार की एक महत्त्वाकांक्षी योजना है जिसके तहत कार्यशील पुराने तापदीप्त बल्बों के बदले मात्र 10 रुपए में (विश्व में सबसे सस्ते) ग्रामीण क्षेत्रों में एलईडी बल्बों का वितरण किया जाएगा। 

प्रमुख बिंदु:

  • कवरेज एरिया: इस कार्यक्रम का प्रथम चरण बिहार के आरा ज़िले से शुरू किया गया है जिसमें 5 ज़िलों- आरा (बिहार), वाराणसी (उत्तर प्रदेश), विजयवाड़ा (आंध्र प्रदेश), नागपुर (महाराष्ट्र), और पश्चिमी गुजरात के गांँवों में 15 मिलियन एलईडी बल्बों का वितरण किया जाएगा।
    • प्रकाश उत्सर्जक डायोड (Light-Emitting Diode- LED) वर्तमान में सबसे अधिक ऊर्जा कुशल और तेज़ी से विकास करने वाली प्रकाश प्रौद्योगिकियों में से एक है।

कार्यान्वयन:

  • इस कार्यक्रम के तहत ग्रामीण उपभोक्ताओं को 3 साल की वारंटी के साथ 7 वाट और 12 वाट के LED बल्बों का वितरण किया जाएगा। 
    • प्रत्येक उपभोक्ता अधिकतम पांँच एलईडी बल्ब प्राप्त कर सकता है। 
    •  कार्यक्रम में शामिल ग्रामीण परिवारों को अपने विद्युत उपयोग का हिसाब रखने हेतु घर में मीटर भी लगवाना होगा। 
  • उजाला कार्यक्रम के तहत कन्वर्जेंस एनर्जी सर्विसेज़ लिमिटेड (Convergence  Energy Services Limited- CESL) द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में उच्च गुणवत्ता वाले एलईडी बल्बों का वितरण किया जाएगा।
    • EESL, विद्युत मंत्रालय के तहत एक सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (Public Sector Undertaking- PSU)- एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज़ लिमिटेड Energy Efficiency Services Limited- EESL) की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी है। 

वित्तपोषण तंत्र:

  • इस कार्यक्रम का वित्तपोषण पूरी तरह से कार्बन क्रेडिट द्वारा किया जाएगा तथा यह भारत में इस तरह का पहला कार्यक्रम होगा।
    • कार्बन क्रेडिट (या "कार्बन ऑफसेट") उन  परियोजनाओं या गतिविधियों हेतु प्रदान किया जाना वाला प्रमाण पत्र है जो ग्रीनहाउस गैसों का कम उत्सर्जन करते हैं। 
    • परियोजना संचालनकर्त्ता, जैसे कि सौर और पवन ऊर्जा डेवलपर्स, या लुप्तप्राय वन के संरक्षकों द्वारा इन प्रमाण पत्रों को किसी भी व्यक्ति या कंपनी को बेचा जा सकता है ताकि भविष्य में परियोजनाओं का विस्तार करने हेतु अतिरिक्त राजस्व अर्जित किया जा सके।
    • जब कोई कार्बन ऑफसेट की खरीद करता है तो अन्य द्वारा कार्बन की कमी या उन्मूलन हेतु फंडिंग की जाती है।
  • इसके अलावा कार्बन क्रेडिट प्रलेखन/ डॉक्यूमेंटेशन को शाइन कार्यक्रम (Shine Program ) की गतिविधियों में शामिल करने हेतु संयुक्त राष्ट्र ( United Nations- UN) के मान्यता प्राप्त सत्यापनकर्त्ताओं के पास भेजा जाएगा।
    • शाइन कार्यक्रम की गतिविधियों के तहत स्वैच्छिक कार्बन मानक से संबंधित सत्यापन हेतु खरीदारों की ज़रूरतों के आधार पर एक विकल्प के साथ कार्बन क्रेडिटों प्राप्त किया जा सके ।
    • वहीं बाज़ार के साथ प्रारंभिक विचार-विमर्श पर आधारित एक खुली प्रक्रिया के माध्यम से भी कार्बन क्रेडिट खरीदारों को तैयार किया जाएगा।

महत्त्व:

  • पेरिस जलवायु समझौते (Paris Climate Accord) के तहत राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदानों को पूरा करने में मदद करना।  
    • यदि भारत में सभी 300 मिलियन लाइटों को बदल दिया जाए तो बिजली की पीक डिमांड में 22,743 मेगावाट की कमी आएगी और प्रतिवर्ष लगभग 40,743 मिलियन kWh ऊर्जा की बचत होगी। साथ ही कार्बन डाइऑक्‍साइड के उत्‍सर्जन में 37 मिलियन टन की कमी आएगी।
  •  वैश्विक कार्बन व्यापार में अतिरिक्त कार्बन क्रेडिट के माध्यम से भारत की स्थिति में सुधार होगा।
  • 24 घंटे बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने के प्रयासों को बढ़ावा मिलेगा।
    • भारत के प्रधानमंत्री ने वर्ष 2015 में  स्वतंत्रता दिवस पर दिये गए अपने भाषण में वादा किया था कि उन सभी गाँवों में जहाँ बिजली नहीं है, 1,000 दिनों के भीतर बिजली की पहुंँच सुनिश्चित की जाएगी। 
    • सरकार द्वारा दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना की घोषणा की गई  जिसका उद्देश्य बुनियादी बिजली संरचना (Basic Power Infrastructure) और कनेक्टिविटी (Connectivity) स्थापित करना था।
  • यह घरेलू एलईडी बाज़ारों को विकसित करने में सहायक होगा। 
  • सतत् विकास लक्ष्यों (Sustainable Development Goals- SDG) का लाभ प्राप्त करने में सहायक होगा।
    • विशेष रूप से SDG-7 की स्थिति प्राप्त करने में सहायक होगा जो कि सस्ती, विश्वसनीय और आधुनिक ऊर्जा सेवाओं तक सार्वभौमिक पहुंँच सुनिश्चित करने पर केंद्रित है।

 LED बल्बों के उपयोग को प्रोत्साहित करने हेतु अन्य योजनाएंँ:

स्रोत: पी.आई.बी

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