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जैव विविधता और पर्यावरण

ग्रीन स्टील

  • 10 Feb 2023
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये:

ग्रीन स्टील, राष्ट्रीय हाइड्रोजन ऊर्जा मिशन (NHM), स्टील स्क्रैप पुनर्चक्रण नीति, PAT योजना, CCUS पहल, पार्टियों के सम्मेलन में भारत की प्रतिबद्धता (COP26)।

मेन्स के लिये:

ग्रीन स्टील, महत्त्व, चुनौती और समाधान।

चर्चा में क्यों?

इस्पात मंत्रालय ग्रीन स्टील को बढ़ावा देकर इस्पात उद्योग में कार्बन उत्सर्जन कम करना चाहता है।

ग्रीन स्टील क्या है?

  • परिचय:
    • ग्रीन स्टील का आशय जीवाश्म ईंधन के उपयोग के बिना इस्पात के निर्माण से है।
      • यह कार्य कोयले से चलने वाले संयंत्रों के पारंपरिक कार्बन-गहन विनिर्माण मार्ग के बजाय हाइड्रोजन, कोयला गैसीकरण या बिजली जैसे कम कार्बन ऊर्जा स्रोतों का उपयोग करके किया जा सकता है।
    • यह अंततः ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करता है, लागत में कटौती करता है और इस्पात की गुणवत्ता में सुधार करता है।
    • कम-कार्बन हाइड्रोजन (नीली हाइड्रोजन और ग्रीन हाइड्रोजन) इस्पात उद्योग के कार्बन फुटप्रिंट को कम करने में मदद कर सकती है।
  • उत्पादन के तरीके:
    • अधिक स्वच्छ विकल्पों के साथ प्राथमिक उत्पादन प्रक्रियाओं को प्रतिस्थापित करना:
  • महत्त्व:
    • ऊर्जा और संसाधन उपयोग के मामले में इस्पात उद्योग सबसे बड़ा औद्योगिक क्षेत्र है। यह कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) के सबसे बड़े उत्सर्जकों में से एक है।
    • संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (COP26) में की गई प्रतिबद्धताओं के मद्देनज़र भारतीय इस्पात उद्योग को वर्ष 2030 तक अपने उत्सर्जन को काफी हद तक कम करने और वर्ष 2070 तक शुद्ध-शून्य कार्बन उत्सर्जन तक पहुँचाने की आवश्यकता है।

भारत में इस्पात उत्पादन की स्थिति:

  • उत्पादन: भारत वर्तमान में कच्चे इस्पात का दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है जहाँ 31 मार्च, 2022 को समाप्त हुए वित्तीय वर्ष के दौरान 120 मिलियन टन (MT) कच्चे इस्पात का उत्पादन हुआ था।
  • भंडार: देश में इसका 80 प्रतिशत से अधिक भंडार ओडिशा, झारखंड, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ और आंध्र प्रदेश के उत्तरी क्षेत्रों में है।
  • महत्त्वपूर्ण इस्पात उत्पादक केंद्र हैं: भिलाई (छत्तीसगढ़), दुर्गापुर (पश्चिम बंगाल), बर्नपुर (पश्चिम बंगाल), जमशेदपुर (झारखंड), राउरकेला (ओडिशा), बोकारो (झारखंड)।
  • खपत: भारत वर्ष 2021 (106.23 MT) में तैयार स्टील का दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता रहा, विश्व स्टील एसोसिएशन के अनुसार, चीन सबसे बड़ा स्टील उपभोक्ता है।

संबंधित सरकारी पहलें:

  • स्टील स्क्रैप पुनर्चक्रण नीति, 2019:
  • राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन:
    • नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (Ministry of New and Renewable Energy- MNRE) ने हरित हाइड्रोजन उत्पादन एवं उपयोग हेतु राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन की घोषणा की है। मिशन में इस्पात क्षेत्र को भी हिस्सेदार बनाया गया है।
  • मोटर वाहन (पंजीकरण और वाहनों के स्क्रैपिंग संशोधन के कार्य)) नियम सितंबर 2021:
    • इससे इस्पात क्षेत्र में स्क्रैप की उपलब्धता बढ़ेगी।
  • राष्ट्रीय सौर मिशन:
    • इसे MNRE द्वारा जनवरी 2010 में शुरू किया गया, यह सौर ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देता है और इस्पात उद्योग के उत्सर्जन को कम करने में भी मदद करता है।
  • प्रदर्शन, उपलब्धि और व्यापार (Perform, Achieve and Trade- PAT) योजना:
    • PAT योजना इस्पात उद्योग को ऊर्जा खपत कम करने हेतु प्रोत्साहित करती है।
  • NEDO मॉडल परियोजनाएँ:

 UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न: 

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-से कुछ महत्त्वपूर्ण प्रदूषक हैं, भारत में इस्पात उद्योग द्वारा मुक्त किये जाते हैं? (2014)

  1. सल्फर के आक्साइड
  2. नाइट्रोजन के आक्साइड
  3. कार्बन मोनोआक्साइड
  4. कार्बन डाइऑक्साइड

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1, 3 और 4
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4

उत्तर: (d)

व्याख्या:

  • इस्पात उद्योग प्रदूषण पैदा करता है क्योंकि यह कोयला और लौह अयस्क का उपयोग करता है जिनके दहन से विभिन्न पॉलीसाइक्लिक एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन (PAH) यौगिक तथा ऑक्साइड हवा में उत्सर्जित होते हैं।
  • स्टील भट्ठी में लौह अयस्क के साथ कोक प्रतिक्रिया करता है, जिससे लौह का निर्माण होता है और प्रमुख पर्यावरण प्रदूषक उत्सर्जित होते हैं
    • इस्पात उत्पादक इकाइयों से निकलने वाले प्रदूषक हैं:
    • कार्बन मोनोऑक्साइड (CO); अतः 3 सही है।
    • कार्बन डाइऑक्साइड (CO2); अत 4 सही है।
    • सल्फर के ऑक्साइड (SOx); अत: 1 सही है।
    • नाइट्रोजन के आक्साइड (NOx); अत: 2 सही है।
    • PM 2.5;
    • अपशिष्ट जल;
    • खतरनाक अपशिष्ट;
    • ठोस अपशिष्ट।
  • हालांँकि एयर फिल्टर, वॉटर फिल्टर और अन्य प्रकार से पानी की बचत, बिजली की बचत तथा बंद कंटेनर के रूप तकनीकी हस्तक्षेप उत्सर्जन को कम कर सकते हैं।
  • अतः विकल्प (D) सही है।

मेन्स:

प्रश्न. वर्तमान में लौह एवं इस्पात उद्योगों की कच्चे माल के स्रोत से दूर स्थिति का उदाहरणों सहित कारण बताइये। (2020)

प्रश्न. विश्व में लौह एवं इस्पात उद्योग के स्थानिक प्रतिरूप में परिवर्तन का विवरण प्रस्तुत कीजिये। (2014)

स्रोत: पी.आई.बी.

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