जैव विविधता और पर्यावरण
ग्रीन स्टील
- 07 Oct 2022
- 9 min read
प्रिलिम्स के लिये:ग्रीन स्टील, प्रधानमंत्री ऊर्जा गंगा परियोजना, राष्ट्रीय हाइड्रोजन ऊर्जा मिशन (NHM), ब्लू हाइड्रोजन, ग्रीन हाइड्रोजन, पार्टियों के सम्मेलन (COP26) में भारत की प्रतिबद्धताएँ। मेन्स के लिये:ग्रीन स्टील, महत्त्व, चुनौती और आगे की राह। |
चर्चा में क्यों?
पूर्वी भारत में एक स्वच्छ इस्पात क्षेत्र देश के 'ग्रीन स्टील' में संक्रमण के लिये महत्त्वपूर्ण हो सकता है।
- 'ग्रीन स्टील' की दिशा में बढ़ने के लिये पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने इस क्षेत्र में स्थित सभी इस्पात संयंत्रों को गैस प्रदान करने के लिये वर्ष 2019 में पूर्वी भारत में प्रधानमंत्री ऊर्जा गंगा परियोजना शुरू की है।
ग्रीन स्टील:
- विषय:
- ग्रीन स्टील जीवाश्म ईंधन के उपयोग के बिना ही इस्पात का निर्माण है।
- यह कोयले से चलने वाले संयंत्रों के पारंपरिक कार्बन-गहन विनिर्माण मार्ग के बजाय हाइड्रोजन, कोयला गैसीकरण या बिजली जैसे कम कार्बन ऊर्जा स्रोतों का उपयोग करके किया जा सकता है।
- यह अंततः ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करता है, लागत में कटौती करता है और इस्पात की गुणवत्ता में सुधार करता है।
- कम-कार्बन हाइड्रोजन (नीली हाइड्रोजन और हरी हाइड्रोजन) इस्पात उद्योग के कार्बन पदचिह्न को कम करने में मदद कर सकती है।
- राष्ट्रीय हाइड्रोजन ऊर्जा मिशन (NHM): राष्ट्रीय हाइड्रोजन ऊर्जा मिशन (NHM) स्वच्छ वैकल्पिक ईंधन विकल्प के लिये हाइड्रोजन का उपयोग करता है।
- ग्रीन स्टील जीवाश्म ईंधन के उपयोग के बिना ही इस्पात का निर्माण है।
- उत्पादन के तरीके:
- अधिक स्वच्छ विकल्पों के साथ प्राथमिक उत्पादन प्रक्रियाओं को प्रतिस्थापित करना:
- कार्बन कैप्चर और यूटिलाइज़ेशन टेक्नोलॉजीज़ (CCUS)
- कम कार्बन हाइड्रोजन के साथ ऊर्जा के पारंपरिक स्रोतों के स्थान पर प्रयोग
- लौह अयस्क के इलेक्ट्रोलिसिस के माध्यम से प्रत्यक्ष विद्युतीकरण
- अधिक स्वच्छ विकल्पों के साथ प्राथमिक उत्पादन प्रक्रियाओं को प्रतिस्थापित करना:
- महत्त्व :
- ऊर्जा और संसाधन उपयोग के मामले में इस्पात उद्योग सबसे बड़ा औद्योगिक क्षेत्र है। यह कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) के सबसे बड़े उत्सर्जक में से एक है।
- संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (COP26) में की गई प्रतिबद्धताओं के मद्देनज़र, भारतीय इस्पात उद्योग को 2030 तक अपने उत्सर्जन को काफी हद तक कम करने और 2070 तक शुद्ध-शून्य कार्बन उत्सर्जन तक पहुँचाने की आवश्यकता है।
- चुनौतियाँ:
- इस समय देश का लोहा और इस्पात क्षेत्र आर्थिक रूप से कमज़ोर है। हालांकि ग्रीन स्टील निर्माण एक महँगी प्रक्रिया है जिसमें उच्च लागत शामिल है।
हाइड्रोजन के प्रकार:
- ग्रीन हाइड्रोजन का निर्माण अक्षय ऊर्जा (जैसे सौर, पवन) का उपयोग करके जल के इलेक्ट्रोलिसिस द्वारा होता है और इसमें कार्बन फुटप्रिंट कम होता है।
- ब्राउन हाइड्रोजन का उत्पादन कोयले का उपयोग करके किया जाता है जहाँ उत्सर्जन को वायुमंडल में निष्कासित किया जाता है।
- ग्रे हाइड्रोजन (Grey Hydrogen) प्राकृतिक गैस से उत्पन्न होता है जहाँ संबंधित उत्सर्जन को वायुमंडल में निष्कासित किया जाता है।
- ब्लू हाइड्रोजन (Blue Hydrogen) प्राकृतिक गैस से उत्पन्न होती है, जहाँ कार्बन कैप्चर और स्टोरेज का उपयोग करके उत्सर्जन को कैप्चर किया जाता है।
भारत में इस्पात उत्पादन की स्थिति:
- उत्पादन: भारत वर्तमान में कच्चे इस्पात का दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है जहाँ 31 मार्च, 2022 को समाप्त हुए वित्तीय वर्ष के दौरान 120 मिलियन टन (एमटी) कच्चे इस्पात का उत्पादन हुआ था।
- भंडार: देश में इसका 80 प्रतिशत से अधिक भंडार ओडिशा, झारखंड, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ और आंध्र प्रदेश के उत्तरी क्षेत्रों में है।
- महत्त्वपूर्ण इस्पात उत्पादक केंद्र हैं: भिलाई (छत्तीसगढ़), दुर्गापुर (पश्चिम बंगाल), बर्नपुर (पश्चिम बंगाल), जमशेदपुर (झारखंड), राउरकेला (ओडिशा), बोकारो (झारखंडं।
- खपत: भारत वर्ष 2021 (106.23 MT) में तैयार स्टील का दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता है, विश्व स्टील एसोसिएशन के अनुसार, चीन सबसे बड़ा स्टील उपभोक्ता है।
आगे की राह
- इस्पात क्षेत्र को कार्बन मुक्त करने के लिये लागत प्रभावी प्रौद्योगिकियों को अपनाया जाना चाहिये। कई पुराने संयंत्रों को नवीनीकृत करने की आवश्यकता है और विद्युत आधारित विनिर्माण के लिये ऊर्जा दक्षता उपायों में एवं निवेश की उज्ज्वल संभावनाएँ हैं।
- स्क्रैप का इस्तेमाल स्टील बनाने के लिये उपयोग की जाने वाली ऊर्जा को कम करने में किया जा सकता है जिसके पुनर्चक्रण के लिये उपयुक्त बुनियादी ढाँचा और स्टील स्क्रैप रीसाइक्लिंग नीति का निर्माण करने की आवश्यकता है।
- सरकार और सार्वजनिक क्षेत्र को इसकी मांग को पूरा करने के लिये पर्यावरण की दृष्टि से टिकाऊ हरित इस्पात की खरीद के लिये प्रतिबद्ध होना चाहिये।
- सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों को हरित इस्पात बाज़ार के विकास के लिये हरित मानक और समान प्रकार के लेबल के निर्माण की आवश्यकता है।
- पुराने और प्रदूषणकारी संयंत्रों को हटाया जाना चाहिये।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रश्न. भारत में इस्पात उद्योग द्वारा छोड़े गए कुछ महत्त्वपूर्ण प्रदूषक निम्नलिखित में से कौन से हैं? (2014)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (A) केवल 1, 3 और 4 उत्तर: (D)
अतः विकल्प (D) सही है। प्रश्न: वर्तमान में लौह एवं इस्पात उद्योगों की कच्चे माल के स्रोत से दूर स्थिति का उदाहरणों सहित कारण बताइये। (मेन्स- 2020) प्रश्न. विश्व में लौह एवं इस्पात उद्योग के स्थानिक प्रतिरूप में परिवर्तन का विवरण प्रस्तुत कीजिये। (मेन्स-2014) |