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शासन व्यवस्था

भारत के विकास के लिये अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा

  • 10 Mar 2025
  • 11 min read

प्रिलिम्स के लिये:

विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (STEM), वैश्विक नवाचार सूचकांक 2024, डीप-टेक स्टार्टअप, क्वांटम कंप्यूटिंग, सेमीकंडक्टर, अनुसंधान नेशनल रिसर्च फाउंडेशन (ANRF), DRDO, ISRO, BARC

मेन्स के लिये:

भारत के अनुसंधान एवं विकास पारिस्थितिकी तंत्र से जुड़ी चुनौतियाँ और उन्हें संबोधित करने के उपाय। 

स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स

चर्चा में क्यों?

भारत, चीन के बाद विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (STEM) स्नातकों का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। इस उपलब्धि के बावजूद, भारत वैश्विक नवाचार सूचकांक 2024 में 39 वें स्थान पर है, जो चीन (11 वें) से काफी पीछे है, जो भारत में  अनुसंधान और विकास (R&D) के लिये कम वित्तपोषण को दर्शाता है।

अनुसंधान एवं विकास पारिस्थितिकी तंत्र की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?

  • अनुसंधान एवं विकास वित्तपोषण स्थिति: भारत ने 2022 में अनुसंधान एवं विकास पर अपने सकल घरेलू उत्पाद का केवल 0.65% व्यय किया, चीन ने 2.43% और ब्राज़ील ने 1.15% व्यय किया।  
  • अनुसंधान एवं विकास को प्राथमिकता देने की आवश्यकता:
    • आर्थिक विकास: भारत के लिये वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्द्धा करने, निम्न-मध्यम आय की स्थिति से बाहर निकलने तथा अपनी उत्पादकता क्षमता को प्राप्त करने के लिये अनुसंधान एवं विकास अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।
    • औद्योगिक विकास: फार्मा, रसायन और ऑटोमोटिव जैसे प्रमुख क्षेत्रों को विकसित देशों और उभरती अर्थव्यवस्थाओं के साथ प्रतिस्पर्द्धा करने के लिये प्रौद्योगिकी उन्नति की आवश्यकता है।
    • श्रम-प्रधान क्षेत्र: बढ़ती श्रम लागत के कारण स्वचालित असेंबली लाइन, उत्पादकता, मूल्य और निर्यात के लिये AI और डिजिटल उपकरणों के एकीकरण जैसे नवाचार की आवश्यकता है। 
  • वैश्विक अनुसंधान एवं विकास परिदृश्य: 
    • दक्षिण कोरिया: वर्ष 1970 में दक्षिण कोरिया निर्धन था लेकिन दो दशकों में इसका तीव्र विकास होने से अनुसंधान एवं विकास पर खर्च, सकल घरेलू उत्पाद के 0.4% से बढ़कर 2.5% हो गया। 
      • वर्ष 1975 और 2005 के बीच यह एक विकसित राष्ट्र बन गया और इसके कॉर्पोरेट क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास निवेश 800 गुना बढ़ गया।
    • चीन: अनुसंधान एवं विकास पर व्यय 1990 के दशक के अंत में सकल घरेलू उत्पाद के 0.6% से बढ़कर वर्तमान में 2.4% हो गया है।

भारत के अनुसंधान एवं विकास परिदृश्य में क्या चुनौतियाँ हैं?

  • सीमित निवेश: भारत का अनुसंधान एवं विकास व्यय उन्नत अर्थव्यवस्थाओं जैसे अमेरिका (3.46%), जापान (3.30%), इज़रायल (5.56) और दक्षिण कोरिया (4.93) की तुलना में बहुत कम है।
  • सरकार-केंद्रित अनुसंधान एवं विकास: भारतीय अनुसंधान एवं विकास अभी भी सरकारी वित्तपोषण और संस्थानों पर बहुत अधिक निर्भर है। उदाहरण के लिये, वर्ष 2020-21 में निजी क्षेत्र के उद्योगों का अनुसंधान एवं विकास वित्तपोषण में केवल 36.4% का योगदान रहा।
  • सीमित अकादमिक-उद्योग संबंध: भारतीय अनुसंधान संस्थान और उद्योग एकाकी रूप से कार्य करते हैं, जिससे नवाचार क्षमता एवं अंतःविषयक अनुसंधान में कमी आती है।
    • उदाहरण के लिये, स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय ने सिलिकॉन वैली के प्रारंभिक विकास में केंद्रीय भूमिका निभाई थी लेकिन भारत में इस तरह के समन्वय का अभाव है।
  • विविधीकरण का अभाव: भारत के अनुसंधान एवं विकास प्रयासों के तहत ऐतिहासिक रूप से कुछ प्राथमिकता वाले क्षेत्रों (विशेष रूप से रक्षा और अंतरिक्ष) पर ध्यान केंद्रित किया गया है लेकिन औद्योगिक अनुसंधान तथा विकास को नजरअंदाज किया गया है। उदाहरण के लिये, अर्द्धचालकों की कीमत पर मिसाइलों (अग्नि, ब्रह्मोस) पर अधिक ध्यान दिया गया है।
    • भारतीय उद्योग, प्रौद्योगिकी का आयात करना पसंद करते हैं (जोखिम से बचने के लिये) जबकि स्टार्टअप और फर्म गहन तकनीक नवाचार की तुलना में आईटी और ई-कॉमर्स पर अधिक ध्यान केंद्रित करते हैं।
  • प्रौद्योगिकी हस्तांतरण में बाधाएँ: DRDO, ISRO और BARC द्वारा किये गए अनुसंधान, अक्सर नौकरशाही बाधाओं के कारण वाणिज्यिक उत्पादों में रूपांतरित नहीं हो पाते हैं।

अनुसंधान एवं विकास से संबंधित भारत की पहल क्या हैं? 

कौन से सुधार भारत के अनुसंधान एवं विकास परिदृश्य को मज़बूत कर सकते हैं?

  • अनुसंधान एवं विकास क्षेत्र के निवेश में वृद्धि: भारत को अगले दशक में अनुसंधान एवं विकास पर खर्च बढ़ाना चाहिये, जिसमें निजी क्षेत्र का प्रमुख योगदान हो।
    • अनुसंधान नेशनल रिसर्च फाउंडेशन (ANRF) का उपयोग करते हुए निज़ी क्षेत्र एवं परोपकारी निवेश को अनुसंधान में प्रोत्साहित किया जाए।
    • केंद्रीय बज़ट वर्ष 2025–26 में घोषित ₹1 लाख करोड़ नवाचार कोष को 3-5 वर्षों के भीतर वितरित किये जाने की आवश्यकता है ताकि डीप-टेक अनुसंधान एवं विकास (R&D) को बढ़ावा मिल सके।
  • विश्वविद्यालय-नेतृत्व अनुसंधान मॉडल: भारतीय उच्च शिक्षा संस्थान (HEI) ज्ञान की सीमाओं को आगे बढ़ाते हुए अपस्ट्रीम अनुसंधान कर सकते हैं और उद्योग को बाज़ार के लिये परिपक्व प्रौद्योगिकियों का व्यावसायीकरण करने में सहायक हो सकते हैं।
  • कुशल परियोजना प्रबंधन: ANRF कुशल कार्यक्रम प्रबंधकों, पारदर्शी वित्त पोषण और CEO के नेतृत्व वाली टीम के साथ अमेरिकी रक्षा उन्नत अनुसंधान परियोजना एजेंसी (DARPA) मॉडल का अनुसरण कर सकता है।
  • जोखिम उठाना: प्रारंभिक चरण का अनुसंधान एक मुक्त अन्वेषण प्रक्रिया है, जो हमेशा सफल नहीं होती, किंतु भविष्य में महत्त्वपूर्ण नवाचारों का मार्ग प्रशस्त करती है। 
    • सरकार को परियोजनाओं पर नज़र रखने की आवश्यकता है, साथ ही उसे जोखिम लेने की स्वतंत्रता भी देनी चाहिये।

निष्कर्ष

भारत का आर्थिक भविष्य सशक्त अनुसंधान एवं विकास (R&D) निवेश, उद्योग-अकादमिक सहयोग और नीतिगत सुधारों पर निर्भर है। वित्तीय सहायता बढ़ाकर, विश्वविद्यालयों में नवाचार को प्रोत्साहित करके और जोखिम लेने की मानसिकता अपनाकर, भारत मध्य-आय के जाल से मुक्त हो सकता है और एक वैश्विक विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी (S&T) अग्रणी बनकर आर्थिक वृद्धि और तकनीकी आत्मनिर्भरता को बढ़ावा दे सकता है।

दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न:

प्रश्न: भारत के अनुसंधान एवं विकास पारिस्थितिकी तंत्र में चुनौतियों का विश्लेषण कीजिये तथा नवाचार आधारित विकास को बढ़ाने के उपाय भी सुझाइये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रिलिम्स 

प्रश्न: राष्ट्रीय नवप्रवर्तन प्रतिष्ठान - भारत (नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन-इंडिया) (NIF) के बारे में निम्नलिखित में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं? (2015)

  1. NIF केन्द्रीय सरकार के अधीन विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की एक स्वायत्त संस्था है।
  2. NIF अत्यंत उन्नत विदेशी वैज्ञानिक संस्थाओं के सहयोग से भारत की प्रमुख (प्रीमियर) वैज्ञानिक संस्थाओं में अत्यंत उन्नत वैज्ञानिक अनुसंधान को मज़बूत करने की एक पहल है।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(A) केवल 1 
(B) केवल 2
(C) 1 व 2 दोनों 
(D) न तो 1 और न ही 2

 उत्तर: (A) 


मेन्स

प्रश्न: भारत में नाभिकीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी की संवृद्धि और विकास का विवरण प्रस्तुत कीजिये। भारत में तीव्र प्रजनक रियेक्टर कार्यक्रम का क्या लाभ है? (2017 )

प्रश्न: भारतीय विश्वविद्यालयों में वैज्ञानिक अनुसंधान का स्तर गिरता जा रहा है क्योंकि विज्ञान में कैरियर उतना आकर्षक नहीं है जितना कि वह कारोबार, संव्यवसाय इंजीनियरिंग या प्रशासन में है और विश्वविद्यालय उपभोक्ता-उन्मुखी होते जा रहे हैं । समालोचनात्मक टिप्पणी कीजिये। (2014)

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