भारतीय अर्थव्यवस्था
डीप टेक स्टार्टअप्स
- 02 Jan 2023
- 7 min read
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चर्चा में क्यों?
सरकार डीप टेक स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने के लिये डिजिटल इंडिया इनोवेशन फंड लॉन्च करेगी।
डीप टेक:
- परिचय:
- डीप टेक या डीप टेक्नोलॉजी स्टार्टअप व्यवसायों के एक वर्ग को संदर्भित करता है जो मूर्त इंजीनियरिंग नवाचार या वैज्ञानिक खोजों और अग्रिमों के आधार पर नवाचार को बढ़ावा देता है।
- सामान्यतः ऐसे स्टार्टअप कृषि, लाइफ साइंस, रसायन विज्ञान, एयरोस्पेस और हरित ऊर्जा पर काम करते हैं, हालाँकि इन तक ही सीमित नहीं हैं।
- डीप टेक की विशेषताएँ:
- प्रभाव: डीप टेक नवाचार बहुत मौलिक हैं और मौजूदा बाज़ार को बाधित करते हैं या एक नया विकास करते हैं। डीप टेक पर आधारित नवाचार अक्सर जीवन, अर्थव्यवस्था और समाज में व्यापक परिवर्तन लाते हैं।
- समयावधि और स्तर: प्रौद्योगिकी को विकसित करने और बाज़ार में उपलब्धता के लिये डीप टेक की आवश्यक समयावधि सतही प्रौद्योगिकी विकास (जैसे मोबाइल एप एवं वेबसाइट) से कहीं अधिक है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता को विकसित होने में दशकों लग गए और यह अभी भी पूर्ण नहीं है।
- पूंजी: डीप टेक को अक्सर अनुसंधान और विकास, प्रोटोटाइप, परिकल्पना को मान्य करने एवं प्रौद्योगिकी विकास के लिये प्रारंभिक चरणों में पर्याप्त पूंजी की आवश्यकता होती है।
भारत में डीप टेक स्टार्टअप्स की स्थिति:
- वर्ष 2021 के अंत में भारत में 3,000 से अधिक डीप टेक स्टार्टअप थे, जो कृत्रिम बुद्धिमत्ता, मशीन लर्निंग (Machine Learning- ML), इंटरनेट ऑफ थिंग्स, बिग डेटा, क्वांटम कंप्यूटिंग, रोबोटिक्स आदि जैसी नए युग की तकनीकों में काम कर रहे थे।
- NASSCOM के अनुसार, भारत में डीप टेक स्टार्टअप्स ने वर्ष 2021 में वेंचर फंडिंग में 2.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर जुटाए और अब यह देश के समग्र स्टार्टअप परितंत्र का 12% से अधिक हिस्सा है।
- पिछले एक दशक में भारत का डीप टेक इकोसिस्टम 53% बढ़ा है और यह अमेरिका, चीन, इज़रायल एवं यूरोप जैसे विकसित बाज़ारों के बराबर है।
- भारत के डीप टेक स्टार्टअप्स में बंगलूरू की हिस्सेदारी 25-30% है, इसके बाद दिल्ली-एनसीआर (15-20%) और मुंबई (10-12%) का स्थान है।
- डीप टेक स्टार्टअप ड्रोन डिलीवरी और कोल्ड चेन प्रबंधन से लेकर जलवायु कार्रवाई एवं स्वच्छ ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं।
डीप टेक के समक्ष चुनौतियाँ:
- डीप टेक स्टार्टअप्स के लिये वित्तपोषण सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है क्योंकि अभी तक 20% से कम स्टार्टअप्स को वित्तपोषण सुविधा प्राप्त है।
- सरकारी वित्त का कम उपयोग किया जाता है, साथ ही ऐसे स्टार्टअप के लिये घरेलू पूंजी की कमी होती है।
- टैलेंट और मार्केट एक्सेस, रिसर्च गाइडेंस, डीप टेक के बारे में निवेशकों की समझ, कस्टमर एक्विज़िशन एवं लागत उनके सामने आने वाली प्रमुख चुनौतियाँ हैं।
संबंधित पहल:
- अटल न्यू इंडिया चैलेंज को नीति आयोग के अटल इनोवेशन मिशन (Atal Innovation Mission- AIM) के तहत लॉन्च किया गया है, जिसका उद्देश्य नवाचार हब, ग्रैंड चैलेंजेस, स्टार्टअप व्यवसाय और अन्य स्व-रोज़गार गतिविधियों विशेष रूप से प्रौद्योगिकी संचालित क्षेत्रों को बढ़ावा देने के लिये एक मंच के रूप में काम करना है।
- वर्ष 2021 में NASSCOM द्वारा शुरू किये गए डीप टेक क्लब (DTC) 2.0 का उद्देश्य उन 1,000 से अधिक फर्मों पर प्रभाव को बढ़ाना है जो AI, ML, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, रोबोटिक्स और ब्लॉकचेन जैसी तकनीकों का लाभ उठा रही हैं।
आगे की राह
- रोडमैप का पुनर्मूल्यांकन:
- भारतीय स्टार्टअप परितंत्र की निरंतर वृद्धि वर्तमान युग की लगातार उभरती नई तकनीकों से प्रेरित है, विभिन्न संगठनों और सरकार को डीप टेक अपनाने के लिये अपने रोडमैप का पुनर्मूल्यांकन करने की आवश्यकता है।
- भविष्य में 5G, सरल एवं सुग्राह्य कृत्रिम बुद्धिमत्ता, क्वांटम कंप्यूटिंग, क्लाउड-नेटिव तकनीकों, साइबर सुरक्षा जाल और ग्राहक डेटा प्लेटफाॅर्म जैसी तकनीकों का उपयोग बड़ी मात्रा में किया जाएगा। ऐसे कई कारक हैं जो विकासशील भारतीय स्टार्टअप परितंत्र को डीप टेक के क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्त्व प्रदान कर सकते हैं।
- CSR बजट उपयोगिता:
- कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्त्व की सहायता से सामाजिक क्षेत्र को पारंपरिक रूप से लाभ होता रहा है लेकिन हमें रणनीतिक तकनीकों को बनाने के लिये इस विस्तारित कोष का भी लाभ उठाने की आवश्यकता है।
- बड़ी फर्मों को उनके बजट के कुछ अंश का योगदान करने के लिये प्रोत्साहित करके देश की रणनीतिक आवश्यकताओं को पूरा किया जा सकता है। इसका उपयोग सरकार विशिष्ट रणनीतिक तकनीकी स्टार्टअप के विकास में कर सकती है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रश्न. अटल नवाचार मिशन किसके तहत स्थापित किया गया है? (2019) (a) विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग उत्तर: (c) |