भारतीय अर्थव्यवस्था
भारत और स्टार्टअप
- 06 Sep 2022
- 12 min read
प्रिलिम्स के लिये:स्टार्टअप, नवाचारों के विकास और दोहन हेतु राष्ट्रीय पहल, NIDHI, स्टार्टअप इंडिया एक्शन प्लान, स्टार्टअप इंडिया सीड फंड स्कीम, राष्ट्रीय स्टार्टअप पुरस्कार। मेन्स के लिये:स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र और इसका महत्त्व |
चर्चा में क्यों?
- हाल ही में भारत सरकार के अनुसार, भारत स्टार्ट-अप पारिस्थितिकी तंत्र और यूनिकॉर्न की संख्या के संदर्भ में विश्व स्तर पर तीसरे स्थान पर है।
स्टार्टअप और यूनिकॉर्न
- स्टार्टअप:
- स्टार्टअप शब्द कंपनी को संचालन के पहले चरण को संदर्भित करता है। स्टार्टअप एक या एक से अधिक उद्यमियों द्वारा स्थापित किये जाते हैं जो ऐसे उत्पाद या सेवा विकसित करना चाहते हैं जिसके लिये उनका मानना है कि उपभोग हेतु मांग है।
- ये कंपनियाँ आम तौर पर उच्च लागत और सीमित राजस्व के साथ शुरू होती हैं, यही वजह है कि वे उद्यम पूंजीपतियों जैसे विभिन्न स्रोतों से पूंजी की तलाश करती हैं।
- यूनिकॉर्न:
- यूनिकॉर्न किसी भी निजी स्वामित्व वाली फर्म है जिसका बाज़ार पूंजीकरण 1 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक है।
- यह अन्य उत्पादों/सेवाओं के अलावा रचनात्मक समाधान और नए व्यापार मॉडल पेश करने के लिये समर्पित नई संस्थाओं की उपिस्थिति को दर्शाता है।
- फिनटेक, एडटेक, बिज़नेस-टू-बिज़नेस (B-2-B) कंपनियाँ आदि इसकी कई श्रेणियाँ हैं।
भारत में स्टार्टअप्स की स्थिति:
- स्थिति:
- भारत, अमेरिका और चीन के बाद दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र बन गया है।
- भारत में 75,000 स्टार्टअप हैं।
- 49% स्टार्टअप टियर-2 और टियर-3 शहरों से हैं।
- वर्तमान में 105 यूनिकॉर्न हैं, जिनमें से 44 वर्ष 2021 में और 19 वर्ष 2022 में स्थापित किया गया।
- आईटी, कृषि, विमानन, शिक्षा, ऊर्जा, स्वास्थ्य और अंतरिक्ष जैसे क्षेत्रों में भी स्टार्टअप उभर रहे हैं।
- भारत, अमेरिका और चीन के बाद दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र बन गया है।
- वैश्विक नवाचार सूचकांक:
- विश्व की 130 अर्थव्यवस्थाओं में भारत को वैश्विक नवाचार सूचकांक (GII) की वैश्विक रैंकिंग में वर्ष 2015 में 81वें से वर्ष 2021 में 46वें स्थान पर रखा गया है।
- GII के संदर्भ में भारत 34 निम्न मध्यम आय वाली अर्थव्यवस्थाओं में दूसरे और 10 मध्य एवं दक्षिणी एशियाई अर्थव्यवस्थाओं में पहले स्थान पर है।
- अन्य रैंकिंग:
- प्रकाशन: राष्ट्रीय विज्ञान फाउंडेशन डेटाबेस के आधार पर वर्ष 2013 में 6वें स्थान से वर्ष 2021 में विश्व स्तर पर तीसरा स्थान प्राप्त किया।
- पेटेंट: भारत रेजिडेंट पेटेंट फाइलिंग के मामले में विश्व स्तर पर 9वें (2021) स्थान पर है।
- शोध प्रकाशनों की गुणवत्ता: वर्ष 2013 में 13वें स्थान पर था जबकि वर्ष 2021 में वैश्विक स्तर पर 9वें स्थान पर था।
स्टार्टअप हेतु विकास कारक और चुनौतियाँ:
- विकास कारक:
- सरकारी सहायता: भारत ने पिछले कुछ वर्षों में अनुसंधान एवं विकास (R&D) पर सकल व्यय में तीन गुना से अधिक की वृद्धि की है।
- भारत में 5 लाख से अधिक अनुसंधान एवं विकास कर्मचारी हैं, जो पिछले 8 वर्षों में 40-50% की वृद्धि दर्शाती है।
- पिछले 8 वर्षों में बाहरी अनुसंधान एवं विकास में महिलाओं की भागीदारी भी दोगुनी हो गई है।
- डिजिटल सेवाओं को अपनाना: महामारी ने स्टार्ट-अप और नए युग के उपक्रमों को ग्राहकों के लिये तकनीक-केंद्रित व्यवसाय बनाने में मदद करने वाले उपभोक्ताओं द्वारा डिजिटल सेवाओं को अपनाने में तेज़ी लाई।
- ऑनलाइन सेवाएँ और वर्क फ्रॉम होम kaa संस्कृति: कई भारतीय खाद्य वितरण और एडु-टेक से लेकर ई-किराने तक की सेवाओ ऑनलाइन सेवाओं का उपयोग कर रहे हैं।
- वर्क-फ्रॉम-होम कार्य-संस्कृति ने स्टार्ट-अप के उपयोगकर्त्ता आधार की संख्या बढ़ाने में मदद की और उनकी व्यवसाय विस्तार योजनाओं में तेज़ी लाई एवं निवेशकों को आकर्षित किया।
- डिजिटल भुगतान: डिजिटल भुगतान का विकास एक और पहलू है जिसने यूनिकॉर्न को सबसे अधिक सहायता प्रदान की है।
- प्रमुख सार्वजनिक निगमों से खरीद: प्रमुख सार्वजनिक निगमों से खरीद के परिणामस्वरूप कई स्टार्टअप यूनिकॉर्न बन जाते हैं जो आंतरिक विकास में निवेश करने के बजाय अपने व्यवसाय को बढ़ाने के लिये अधिग्रहण पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
- सरकारी सहायता: भारत ने पिछले कुछ वर्षों में अनुसंधान एवं विकास (R&D) पर सकल व्यय में तीन गुना से अधिक की वृद्धि की है।
- चुनौतियाँ:
- निवेश बढ़ाना स्टार्टअप की सफलता सुनिश्चित नहीं करता: स्टार्टअप्स में निवेश किये जा रहे अरबों डॉलर दूरगामी परिणामों का प्रतिनिधित्व करते हैं, साथ ही राजस्व के माध्यम से उत्पादन को महत्त्व नहीं देते हैं।
- इस तरह के निवेश के साथ इन स्टार्टअप्स के सफल होने के उच्च दर की कल्पना नहीं की जा सकती है, क्योंकि इसे होने वाले लाभ से सुनिश्चित किया जा रहा है।
- भारत द्वारा अंतरिक्ष क्षेत्र में एक सीमांत हिस्सेदारी: वर्तमान में वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था 440 बिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य की है, जिसमें भारत के पास इस क्षेत्र में 2% से भी कम हिस्सेदारी है।
- अंतरिक्ष में स्वतंत्र निजी भागीदारी की कमी का कारण कानूनों में पारदर्शिता और स्पष्टता प्रदान करने के लिये एक रूपरेखा का अभाव है।
- भारतीय निवेशक जोखिम लेने को तैयार नहीं हैं: भारत के स्टार्टअप क्षेत्र में बड़े निवेशक विदेशों संबंधित हैं, जैसे जापान के सॉफ्टबैंक, चीन के अलीबाबा और अमेरिका से सिकोइया आदि।
- इसका प्रमुख कारण भारत में जोखिम लेने की प्रवृत्ति के साथ एक गंभीर उद्यम पूंजी उद्योग का अभाव है।
- इसका प्रमुख कारण भारत में जोखिम लेने की प्रवृत्ति के साथ एक गंभीर उद्यम पूंजी उद्योग का अभाव है।
- निवेश बढ़ाना स्टार्टअप की सफलता सुनिश्चित नहीं करता: स्टार्टअप्स में निवेश किये जा रहे अरबों डॉलर दूरगामी परिणामों का प्रतिनिधित्व करते हैं, साथ ही राजस्व के माध्यम से उत्पादन को महत्त्व नहीं देते हैं।
स्टार्टअप्स के लिये सरकार की पहल:
- नवाचारों के विकास और दोहन के लिये राष्ट्रीय पहल (National Initiative for Developing and Harnessing Innovations -NIDHI))
- स्टार्टअप इंडिया एक्शन प्लान (Startup India Action Plan -SIAP)
- स्टार्टअप इकोसिस्टम को समर्थन पर राज्यों की रैंकिंग (Ranking of States on Support to Startup Ecosystems-RSSSE)
- स्टार्टअप इंडिया सीड फंड स्कीम (SISFS): इसका उद्देश्य स्टार्टअप्स को अवधारणा के प्रमाण, प्रोटोटाइप विकास, उत्पाद परीक्षण, बाज़ार में प्रवेश और व्यावसायीकरण के लिये वित्तीय सहायता प्रदान करना है।
- राष्ट्रीय स्टार्टअप पुरस्कार: यह उन उत्कृष्ट स्टार्टअप और पारिस्थितिकी तंत्र को पहचानने और पुरस्कृत करने का प्रयास करता है जो नवाचार को बढ़ावा देकर और प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ावा देकर आर्थिक गतिशीलता में योगदान दे रहे हैं।
- SCO स्टार्टअप फोरम: पहली बार शंघाई सहयोग संगठन (SCO) स्टार्टअप फोरम को सामूहिक रूप से स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र को विकसित करने और सुधार के लिये अक्तूबर 2020 में लॉन्च किया गया था।
- प्रारंभ (Prarambh): 'प्रारंभ’ शिखर सम्मेलन का उद्देश्य दुनिया भर के स्टार्ट अप और युवांओं को नए विचारों, नवाचारों और आविष्कारो हेतु एक साथ आने के लिये मंच प्रदान करना है।
आगे की राह:
- स्टार्ट-अप पारिस्थितिकी तंत्र के त्वरित विकास के लिये वित्त/निवेश की आवश्यकता है और इसलिये उद्यम पूंजी और एंजेल निवेशकों की भूमिका महत्त्वपूर्ण है।
- उद्यमिता को बढ़ावा देने वाले नीति-स्तरीय निर्णयों के अलावा, उद्यमशीलता को बढ़ावा देने, और प्रभावशाली प्रौद्योगिकी समाधान, और टिकाऊ और संसाधन-कुशल विकास के निर्माण के लिये तालमेल बनाने के लिये भारत के कॉर्पोरेट क्षेत्र पर भी ज़िम्मेदारी है।
- हाल की घटनाओं के साथ चीन में पूंजी अविश्वास पैदा करने के साथ, विश्व का ध्यान भारत में आकर्षक तकनीकी अवसरों और सृजित किये जा सकने वाले मूल्य पर केंद्रित हो रहा है। इसके लिये भारत को डिज़िटल इंडिया पहल के अलावा निर्णायक नीतिगत उपायों की आवश्यकता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs):Q. उद्यम पूंजी का क्या अर्थ है? (2014) (a) उद्योगों को प्रदान की जाने वाली एक अल्पकालिक पूंजी उत्तर:(b) व्याख्या:
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