शासन व्यवस्था
डिजिटल भुगतान प्रणाली
- 20 Sep 2021
- 6 min read
प्रिलिम्स के लिये:यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस, G-20, उदारीकृत प्रेषण योजना,रुपे कार्ड मेन्स के लिये:UPI और अन्य भारतीय भुगतान प्रणालियाँ |
चर्चा में क्यों?
भारत और सिंगापुर के केंद्रीय बैंक "त्वरित, कम लागत, सीमा पार से फंड ट्रांसफर" हेतु अपने संबंधित फास्ट डिजिटल पेमेंट सिस्टम - यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) और ‘पेनाऊ’ (PayNow) को लिंक करेंगे।
- लिंकेज को जुलाई 2022 तक चालू करने का लक्ष्य है।
प्रमुख बिंदु
- UPI और PayNow के बारे में:
- यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI)- पेनाऊ(PayNow) लिंकेज भारत और सिंगापुर के बीच सीमा पार भुगतान हेतु बुनियादी ढांँचे के विकास में एक महत्त्वपूर्ण मील का पत्थर है, जो तीव्र, सस्ती व अधिक पारदर्शी सीमा पार भुगतान करने की G-20 की वित्तीय समावेशन प्राथमिकताओं से जुड़ा हुआ है।
- भारत G-20 का सदस्य है।
- लिंकेज एनपीसीआई इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड (NIPL) एवं नेटवर्क फॉर इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसफर (एनईटीएस, सिंगापुर) के पूर्व के प्रयासों पर आधारित है, जो भारत और सिंगापुर के मध्य कार्ड तथा क्यूआर कोड का उपयोग कर भुगतान की सीमा पार अंतर-संचालनीयता को बढ़ावा देता है और दोनों देशों के मध्य व्यापार, यात्रा व प्रेषण को बढ़ावा देगा।
- NIPL विदेशों में यूपीआई और रुपे जैसी घरेलू भुगतान तकनीकों को लोकप्रिय बनाने तथा अन्य देशों के साथ भुगतान तकनीकों का सह-निर्माण करने हेतु NPCI की सहायक कंपनी है।
- यह पहल भुगतान प्रणाली विज़न दस्तावेज़ 2019-21(Payment Systems Vision Document 2019-21) में उल्लिखित सीमा पार प्रेषण हेतु गलियारों और शुल्कों की समीक्षा करने के अपने दृष्टिकोण के अनुरूप है।
- निवेशकों के नज़रिये से यह अधिक-से-अधिक खुदरा निवेशकों को वैश्विक बाज़ारों तक पहुंँचने हेतु प्रोत्साहित करेगा। वर्तमान में खुदरा निवेशक अंतर-बैंक शुल्क में 3,000 रुपए तक का भुगतान करते हैं जो बैंकों द्वारा उदारीकृत प्रेषण योजना (LSR) प्रसंस्करण शुल्क से अधिक और उसके ऊपर है।
- भारतीय रिज़र्व बैंक की उदारीकृत प्रेषण योजना निवासी व्यक्तियों को एक वित्तीय वर्ष के दौरान निवेश और व्यय के लिये दूसरे देश में एक निश्चित राशि भेजने की अनुमति प्रदान करती है।
- यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI)- पेनाऊ(PayNow) लिंकेज भारत और सिंगापुर के बीच सीमा पार भुगतान हेतु बुनियादी ढांँचे के विकास में एक महत्त्वपूर्ण मील का पत्थर है, जो तीव्र, सस्ती व अधिक पारदर्शी सीमा पार भुगतान करने की G-20 की वित्तीय समावेशन प्राथमिकताओं से जुड़ा हुआ है।
- UPI और अन्य भारतीय भुगतान प्रणालियाँ:
- एकीकृत भुगतान इंटरफेस:
- यह तत्काल भुगतान सेवा (IMPS) का एक उन्नत संस्करण है, जो कैशलेस भुगतान को तेज़ और आसान बनाने के लिये चौबीस घंटे सक्रिय फंड ट्रांसफर सेवा है।
- UPI एक ऐसी प्रणाली है जो कई बैंक खातों को एक ही मोबाइल एप्लीकेशन (किसी भी भाग लेने वाले बैंक के) में कई बैंकिंग सुविधाओं, निर्बाध फंड रूटिंग और मर्चेंट भुगतान हेतु एक मंच प्रदान करती है।
- नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने वर्ष 2016 में 21 सदस्य बैंकों के साथ UPI को लॉन्च किया।
- नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर:
- NEFT एक राष्ट्रव्यापी भुगतान प्रणाली है जो “वन-टू-वन” धन हस्तांतरण की सुविधा प्रदान करती है। इस योजना के तहत व्यक्ति, फर्म और कॉरपोरेट किसी भी बैंक शाखा से किसी भी व्यक्ति, फर्म या कॉर्पोरेट को इलेक्ट्रॉनिक रूप से फंड ट्रांसफर कर सकते हैं, जिसका इस योजना में भाग लेने वाले देश की किसी अन्य बैंक शाखा में खाता हो।
- NEFT का उपयोग करके हस्तांतरित की जा सकने वाली धनराशि की कोई न्यूनतम या अधिकतम सीमा नहीं है।
- हालाँकि भारत-नेपाल प्रेषण सुविधा योजना के तहत भारत के लिये नकद आधारित प्रेषण और नेपाल को प्रेषण के लिये प्रति लेन-देन अधिकतम राशि 50,000 रुपए तक सीमित है।
- रुपे कार्ड योजना:
- 'रुपया” और ‘पेमंट' शब्दों से व्युत्पन्न यह नाम इस बात पर ज़ोर देता है कि यह डेबिट और क्रेडिट कार्ड भुगतान के लिये भारत की अपनी पहल है।
- इस कार्ड का उपयोग सिंगापुर, भूटान, संयुक्त अरब अमीरात, बहरीन और सऊदी अरब में लेन-देन के लिये भी किया जा सकता है।
- एकीकृत भुगतान इंटरफेस: