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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

G20

  • 09 Oct 2020
  • 13 min read

 Last Updated: July 2022 

G20 क्या है?

  • G20 समूह विश्व बैंक एवं अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के प्रतिनिधि, यूरोपियन यूनियन एवं 19 देशों का एक अनौपचारिक समूह है।
  • साथ में, G20 सदस्य विश्व सकल घरेलू उत्पाद के 80% से अधिक, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के 75% और विश्व की 60% आबादी का प्रतिनिधित्व करते हैं।

उत्पत्ति 

  • यह एक मंत्रिस्तरीय मंच है जिसे G7 द्वारा विकसित एवं विकासशील दोनों अर्थव्यवस्थाओं के सहयोग से स्थापित किया गया था। वर्ष 1999 से वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक के गवर्नरों का सम्मेलन आयोजित किया जाता है।
  • वर्ष 2008 के वित्तीय संकट के दौरान दुनिया ने उच्चतम राजनीतिक स्तर पर एक नई सर्वसम्मति की आवश्यकता को महसूस किया। इसके परिणामस्वरूप यह निश्चय किया गया कि वर्ष में एक बार G20 राष्ट्रों के नेताओं की बैठक की जाएगी।
  • G20 राष्ट्रों के वित्त मंत्री एवं केंद्रीय बैंक के गवर्नर वर्ष में दो बार बैठक करते हैं जिसमें विश्व बैंक एवं अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के प्रतिनिधि भी भाग लेते हैं।

G20 के कार्य:

  • G20 के कार्यों को दो ट्रैक्स में विभाजित किया जाता है: 
    • फाइनेंस ट्रैक G20 समूह के वित्त मंत्री एवं केंद्रीय बैंक के गवर्नर और उनके प्रतिनिधियों के साथ सभी बैठकों में वित्तीय विनियमन, राजकोषीय मुद्दे एवं मुद्रा पर केंद्रित होता है।
    • शेरपा ट्रैक राजनीतिक जुड़ाव, भ्रष्टाचार का विरोध, विकास, ऊर्जा आदि जैसे व्यापक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करता है।

G20 समूह के सदस्य

  • G20 समूह में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राज़ील, कनाडा, चीन, यूरोपियन यूनियन, फ्राँस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, मेक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल हैं।
  • स्पेन को एक स्थायी, गैर-सदस्य के रूप में आमंत्रित किया जाता है जो प्रत्येक वर्ष G20 सम्मेलन में भाग लेता है।

G20 के कार्य एवं संरचना: 

  • G20 समूह का अध्यक्ष पद सदस्य देशों के मध्य वार्षिक तौर पर एक प्रक्रिया के तहत रोटेट होता रहता है जो समय के साथ-साथ क्षेत्रीय संतुलन सुनिश्चित करता है।
  • अध्यक्ष पद के चुनाव के लिये 19 राष्ट्रों को 5 समूहों में विभाजित किया जाता है, प्रत्येक समूह में 4 देश से अधिक नहीं होते हैं। अध्यक्ष पद वार्षिक स्तर पर प्रत्येक समूह में रोटेट (Rotate) होता है। प्रत्येक वर्ष G20 का कोई समूह, अध्यक्ष पद के लिये किसी अन्य समूह से किसी एक देश का चयन करता है। भारत समूह 2 में है जिसमें रूस, दक्षिण अफ्रीका एवं तुर्की भी शामिल हैं।
  • G20 समूह के पास स्थायी सचिवालय या मुख्यालय नहीं होता है। इसके अतिरिक्त G20 समूह का अध्यक्ष अन्य सदस्यों के साथ परामर्श करके G20 एजेंडा को लागू करने और वैश्विक अर्थव्यवस्था के विकास हेतु उत्तरदायी है।
  • ट्रोइका (Troika): प्रत्येक वर्ष जब एक सदस्य देश अध्यक्ष पद ग्रहण करता है तो वह देश पिछले वर्ष के अध्यक्ष देश एवं अगले वर्ष के अध्यक्ष देश के साथ समन्वय स्थापित करके कार्य करता है और इस प्रक्रिया को ही सामूहिक रूप से ट्रोइका कहते है। यह समूह के एजेंडे की अनुकूलता एवं निरंतरता को सुनिश्चित करता है।

सहयोग:

  • वर्ष 2010 में टोरंटो में G20 राष्ट्रों के नेताओं ने इसे वैश्विक आर्थिक-को ऑपरेशन का प्रमुख मंच घोषित किया।
  • G20 समूह के सदस्यों के कार्यों को विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय संगठनों द्वारा सहयोग प्रदान किया जाता है जो नीतियों के निर्माण में सलाह देते हैं। इन संगठनों में शामिल हैं:
    • वित्तीय स्थायी बोर्ड (The Financial Stability Board- FSB): इसकी स्थापना G20 नेताओं द्वारा वैश्विक वित्तीय संकट के बाद की गई थी।
    • अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन 
    • अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष 
    • आर्थिक सहयोग और विकास संगठन 
    • संयुक्त राष्ट्र 
    • विश्व बैंक 
    • विश्व व्यापार संगठन
  • G20 समूह गैर-सरकारी क्षेत्रों के साथ नियमित तौर पर संपर्क रखता है। 

G20 समूह द्वारा संबोधित मुद्दे 

  • सामान्यतः G20 समूह वैश्विक महत्त्व के मुद्दों के एक व्यापक एजेंडे पर ध्यान केंद्रित करता है। यद्यपि यह बदलते परिदृश्य में अन्य महत्त्वपूर्ण मुद्दों पर भी ध्यान केंद्रित कर रहा है, जैसे-
    • वित्तीय बाज़ार 
    • कर एवं राजकोषीय नीति
    • व्यापार
    • कृषि
    • रोज़गार
    • ऊर्जा
    • भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई
    • रोज़गार बाज़ार में महिलाओं की उन्नति
    • सतत् विकास एजेंडा 2030
    • जलवायु परिवर्तन
    • वैश्विक स्वास्थ्य 
    • आतंकवाद 
    • समावेशी उद्यमशीलता 

G20 सम्मेलन में भारत की प्राथमिकताएँ

  • भ्रष्टाचार से लड़ने के लिये कर अपवंचन की जाँच करना।
  • आतंकवादी वित्तपोषण को अवरुद्ध करना।
  • प्रेषण की लागत में कटौती।
  • प्रमुख दवाओं तक बाज़ार की पहुँच।
  • विश्व व्यापार संगठन में सुधार।
  • पेरिस समझौता को पूर्णतः लागू करना।

उपलब्धियाँ

  • तीव्र निर्णयन: G20 समूह अपने सदस्यों के सहयोग से नई चुनौतियों से निपटने के लिये शीघ्रता से निर्णय लेता है।
  • समावेशी: आमंत्रित देशों, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों एवं सिविल सोसाइटी के मध्य समन्वयकारी समावेशन। 
  • समन्वित कार्रवाई: G20 समूह ने देशों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित करके अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय विनियामक प्रणाली को मज़बूत बनाने में अहम भूमिका निभाई है।
  • जब निजी क्षेत्र के वित्तीय स्रोत कम हो गए थे तब बहुपक्षीय विकास बैंक से एक बार में 235 बिलियन यूएस डॉलर ऋण देने की सुविधा में वृद्धि की गई।
  • वर्ष 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट के दौरान तत्कालीन वित्तीय ज़रूरतों को शीघ्र पूरा करना G20 समूह की एक बड़ी उपलब्धि है।
  • यह राष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं के कार्य निष्पादन में सुधार करके अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सस्थाओं में सुधार करने का भी कार्य करता है। जैसे G20 समूह ने कर पारदर्शिता के मानकों एवं G20/OECD आधार क्षरण एवं लाभ हस्तांतरण (BEPS) के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय कर प्रणाली में सुधार किया है।
  • G20 समूह ने व्यापार सुविधा समझौते के अनुसमर्थन में (Ratification of the Trade Facilitation Agreement) एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। WTO ने यह अनुमान लगाया गया है कि यदि समझौते को पूर्णतः लागू किया जाता है तो यह वर्ष 2030 तक वैश्विक GDP में 5.4% से 8.7% के बीच योगदान कर सकता है।
  • बेहतर संचार : G20 समूह चर्चा के माध्यम से निर्णय लेता है और इसके लिये उच्च विकसित एवं विकासशील देशों द्वारा वैश्विक मंच पर चर्चा की जाती है।
  • 2021 (नवंबर) जी20 शिखर सम्मेलन में, नेताओं ने सदी के मध्य तक या उसके आसपास कार्बन तटस्थता तक पहुँचने की प्रतिबद्धता जताई।
    • उन्होंने रोम घोषणा को अपनाया है।
    • इससे पहले, G20 जलवायु जोखिम एटलस जारी किया गया था जो G20 देशों में जलवायु परिदृश्य, सूचना, डेटा और जलवायु में भविष्य में परिवर्तन प्रदान करता है।

चुनौतियाँ 

  • कोई प्रवर्तन तंत्र नहीं: G20 समूह द्वारा समन्वित कार्रवाई करने के लिये सूचनाओं और बेहतरीन कार्यप्रणाली के सरल आदान-प्रदान से लेकर आम सहमति, मध्यम श्रेणी के लक्ष्य तक को क्रमबद्ध करता है। 
  • विधिक रूप से बाध्यकारी नहीं : आम सहमति एवं चर्चा के आधार पर निर्णय लिया जाता है और इसी के आधार पर घोषणाएँ की जाती हैं। ये घोषणाएँ कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं होती हैं। यह 20 सदस्यों का सिर्फ एक सलाहकारी या परामर्शी समूह होता है।
  • हितों का ध्रुवीकरण:
    • नवंबर 2022 में होने वाले G-20 शिखर सम्मेलन में रूस और यूक्रेन के राष्ट्रपतियों को आमंत्रित किया गया है।
      • अमेरिका पहले ही रूसी राष्ट्रपति को आमंत्रित न करने की मांग कर चुका है, अन्यथा अमेरिका और यूरोपीय देश उनके अभिभाषण का बहिष्कार करेंगे।
    • चीन की रणनीतिक वृद्धि, नाटो के विस्तार, जॉर्जिया एवं क्रीमिया में रूस की क्षेत्रीय आक्रामकता और अब 2022 में रूस-यूक्रेन संघर्ष ने वैश्विक प्राथमिकताओं को बदल दिया है।
    • वैश्वीकरण अब आदर्श शब्द (Cool Word) नहीं है और बहुपक्षीय संगठनों के पास विश्वसनीयता का संकट है क्योंकि दुनिया भर के देशों ने G-7, G-20, ब्रिक्स, P-5 (UNSC स्थायी सदस्य) और अन्य पर 'G-zero' (राजनीतिक टिप्पणीकार इयान ब्रेमर द्वारा 'हर राष्ट्र को स्वयं के लिये' को निरूपित करने के लिये गढ़ा गया एक शब्द) चुना है।

आगे की राह

  • 10 वर्ष बीत जाने के बाद भी G20 समूह अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के लिये एक महत्त्वपूर्ण मंच है।
  • G20 समूह की तरह एक प्रभावी वैश्विक विनियमन आवश्यक है क्योंकि बढ़ती शक्तियाँ वैश्विक आदेश को प्रभावित करने के लिये अवसरों की तलाश करती हैं।
  • G20 को अंतर्राष्ट्रीय संगठनों जैसे IMF, OECD, WHO, विश्व बैंक और WTO के साथ साझेदारी को मज़बूत करना चाहिये और उन्हें प्रगति की निगरानी का कार्य सौंपना चाहिये।
  • सभी सदस्य देशों के लाभ के लिये व्यक्तिगत हितों पर वैश्विक सहयोग को प्राथमिकता दी जानी चाहिये।
  • यूक्रेन-रूस संघर्ष और रूस और पश्चिम के बीच मतभेदों जैसे मुद्दों को हल करने के लिये संवाद और कूटनीति का उपयोग किया जाना चाहिये।
  • भारत को आक्रामक व्यापार बाधाओं/प्रतिबंधों, अंतर्देशीय संघर्षों और वैश्विक शांति और सहयोग की वकालत जैसे मुद्दों पर चर्चा करने के लिये एक मंच के रूप में G20 2023 शिखर सम्मेलन का उपयोग करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिये।
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