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5G रोलआउट : टेलीकॉम बनाम बड़ी टेक फर्म

  • 13 Jul 2022
  • 14 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने उस स्पेक्ट्रम की नीलामी के लिये अपनी मंज़ूरी दे दी जिसका उपयोग 5G सेवाओं की पेशकश के लिये किया जा सकता है। 20 वर्ष की वैधता अवधि के साथ कुल 72,097.85 मेगाहर्ट्ज (या 72 गीगाहर्ट्ज़) स्पेक्ट्रम को जुलाई, 2022 के अंत में आयोजित नीलामी के दौरान बिक्री के लिये रखा जाएगा।

  • सरकार ने बड़ी टेक फर्मों को कैप्टिव 5G नेटवर्क स्थापित करने की भी अनुमति दी है। हालाँकि, दूरसंचार कंपनियों ने निजी नेटवर्क के लिये नियंत्रित कीमत पर स्पेक्ट्रम अलग रखने के किसी भी कदम का विरोध किया है।

5जी तकनीक क्या है?

  • 5G 5वीं पीढ़ी का मोबाइल नेटवर्क है। यह 1G, 2G, 3G और 4G नेटवर्क के बाद एक नया वैश्विक वायरलेस मानक है।
  • यह एक नए प्रकार के नेटवर्क को सक्षम बनाता है जिसे मशीनों, वस्तुओं और उपकरणों सहित लगभग सब कुछ एक साथ जोड़ने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
  • 5G के हाई-बैंड स्पेक्ट्रम में इंटरनेट की गति का परीक्षण 20 Gbps (गीगाबिट प्रति सेकंड) के रूप में किया गया है, जबकि अधिकांश मामलों में 4G में अधिकतम इंटरनेट डेटा गति 1 Gbps दर्ज की गई है।
  • भारत में सैटकॉम इंडस्ट्री एसोसिएशन-इंडिया (SIA) ने 5 जी स्पेक्ट्रम नीलामी में मिलीमीटर वेव (मिमी वेव) बैंड को शामिल करने की सरकार की योजना पर चिंता व्यक्त की है।

5G बैंड:

  • 5G मुख्य रूप से 3 बैंड में काम करता है, अर्थात् निम्न, मध्यम और उच्च-आवृत्ति स्पेक्ट्रम - जिनमें से सभी के उपयोग के साथ-साथ अपनी सीमाएँ भी हैं।
  • निम्न बैंड स्पेक्ट्रम: इसने इंटरनेट और डेटा एक्सचेंज की कवरेज़ और गति के मामले में बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है, हालाँकि अधिकतम गति 100 एमबीपीएस (प्रति सेकंड मेगाबिट्स) तक सीमित है।
  • मध्यम बैंड स्पेक्ट्रम: यह निम्न बैंड की तुलना में उच्च गति प्रदान करता है लेकिन कवरेज क्षेत्र और सिग्नल के प्रवेश के मामले में इसकी सीमाएँ हैं।
  • उच्च बैंड स्पेक्ट्रम: इसमें तीनों बैंडों की उच्चतम गति होती है, लेकिन इसमें बेहद सीमित कवरेज और सिग्नल शक्ति होती है।

क्या होगी 5जी रोलआउट की अहमियत?

  • तीन मुख्य कनेक्टेड सेवाओं में उपयोगी: मोटे तौर पर 5G का उपयोग तीन मुख्य प्रकार की कनेक्टेड सेवाओं में किया जाता है, जिसमें उन्नत मोबाइल ब्रॉडबैंड, मिशन-क्रिटिकल कम्युनिकेशंस और बड़े पैमाने पर IoT शामिल हैं।
  • उन्नत मोबाइल ब्रॉडबैंड: हमारे स्मार्टफोन को बेहतर बनाने के अलावा, 5G मोबाइल तकनीक वर्चुअल रियलिटी (VR) और ऑगमेंटेड रियलिटी (AR) जैसे नए अनुभवों की शुरुआत कर सकती है, जिसमें तेज़, अधिक समान डेटा दर, कम विलंबता एवं प्रति बिट कम लागत आएगी।
  • मिशन-क्रिटिकल कम्युनिकेशंस: 5G नई सेवाओं को सक्षम कर सकता है जो उद्योगों को अति-विश्वसनीय, उपलब्ध, कम-विलंबता लिंक जैसे महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे, वाहनों और चिकित्सा प्रक्रियाओं के रिमोट कंट्रोल के साथ बदल सकता है।
  • मैसिव इंटरनेट ऑफ थिंग्स: 5G का उद्देश्य डेटा दरों, शक्ति और गतिशीलता को कम करने की क्षमता के माध्यम से बड़ी संख्या में एम्बेडेड सेंसर को मूल रूप से जोड़ना है, जो बेहद लीन (Lean) और कम लागत वाला कनेक्टिविटी समाधान प्रदान करता है।
  • चौथी औद्योगिक क्रांति: इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT), क्लाउड, बिग डेटा, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और एज कंप्यूटिंग के साथ, 5G चौथी औद्योगिक क्रांति का एक महत्त्वपूर्ण प्रवर्तक हो सकता है।
  • स्मूथ गवर्नेंस: 5G तकनीक देश के शासन, जीवन में आसानी और व्यापार करने में आसानी में भी सकारात्मक बदलाव लाएगी।
    • इससे सुविधा भी बढ़ेगी और रोज़गार के कई अवसर पैदा होंगे।

5G रोलआउट के संबंध में क्या चुनौतियाँ होंगी?

  • निम्न फाइबराइज़ेशन फुटप्रिंट: पूरे भारत में फाइबर कनेक्टिविटी को अपग्रेड करने की आवश्यकता है, जो वर्तमान में भारत के केवल 30% दूरसंचार टावरों को जोड़ता है।
    • एक कुशल 5G भारत में लॉन्च करने और अपनाने के लिये इस संख्या को दोगुना करना होगा।
  • 'मेक इन इंडिया' हार्डवेयर चुनौती: कुछ विदेशी दूरसंचार OEM (मूल उपकरण निर्माता) पर प्रतिबंध, जिस पर अधिकांश 5G प्रौद्योगिकी विकास निर्भर करता है, अपने आप में एक बाधा प्रस्तुत करता है।
  • उच्च स्पेक्ट्रम मूल्य निर्धारण: भारत का 5G स्पेक्ट्रम मूल्य वैश्विक औसत से कई गुना महँगा है।
  • यह भारत के नकदी संकट से जूझ रही दूरसंचार कंपनियों के लिये नुकसानदायक होगा।
  • इष्टतम 5G प्रौद्योगिकी मानक का चयन करना: 5G प्रौद्योगिकी कार्यान्वयन में तेज़ी लाने के लिये घरेलू 5Gi मानक और वैश्विक तीसरी पीढ़ी की भागीदारी परियोजना (3GPP) मानक के बीच संघर्ष को समाप्त करने की आवश्यकता है।
    • जबकि 5Gi स्पष्ट लाभ प्रदर्शित करता है, यह टेलीकॉम के लिये 5G इंडिया की लॉन्च लागत और इंटरऑपरेबिलिटी मुद्दों को भी बढ़ाता है।
    • 3GPP दूरसंचार उद्योग भागीदारों (संगठनात्मक भागीदारों) के बीच एक सहयोगी परियोजना समझौता है। इसके सदस्य सेलुलर संचार मानकों को सहयोग करने और बनाने के लिये नियमित रूप से मिलते हैं।
  • क्रिटिकल इन्फ्रास्ट्रक्चर को सक्षम करना: 5G के लिये संचार प्रणाली के मूल आर्किटेक्चर में मूलभूत परिवर्तन की आवश्यकता होगी। 5G के उपयोग से डेटा ट्रांसफर करने में प्रमुख दोष यह है कि यह लंबी दूरी तक डेटा नहीं ले जा सकता है। इसलिये बुनियादी ढाँचे को सक्षम करने के लिये 5जी तकनीक को भी बढ़ाने की ज़रूरत है।
  • उपभोक्ताओं पर वित्तीय दायित्व: 4जी से 5जी प्रौद्योगिकी में परिवर्तन के लिए, इनमें से किसी को नवीनतम सेलुलर प्रौद्योगिकी में अपग्रेड करना होगा, जिससे उपभोक्ताओं पर वित्तीय दायित्व पैदा होगा।
  • पूंजी अपर्याप्तता: उपयुक्त दूरसंचार कंपनियों (जैसे भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया) के पास नकदी के प्रवाह और पर्याप्त पूंजी की कमी के कारण 5जी स्पेक्ट्रम आवंटन में देरी हो रही है।

5जी स्पेक्ट्रम टेलीकॉम कंपनियों के लिये झटका क्यों है?

  • मुख्य चिंताएँ: मुख्य चिंता गैर-टेली कंपनियों को स्पेक्ट्रम आवंटित करने की पद्धति से संबंधित है साथ ही, जिस कीमत पर यह स्पेक्ट्रम उपलब्ध कराया जाएगा और स्पेक्ट्रम के बैंड जो दिये जाएंगे।
  • राजस्व पर प्रभाव: सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (COAI) ने अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है, स्वतंत्र संस्थाओं को प्रत्यक्ष 5G स्पेक्ट्रम आवंटन के साथ निजी कैप्टिव नेटवर्क स्थापित करने की अनुमति देने से राजस्व पर 'गंभीर' प्रभाव पड़ेगा और दूरसंचार ऑपरेटरों के लिये 5G के व्यावसायिक मामले में गिरावट आएगी।
  • बढ़ी हुई प्रतिस्पर्द्धा: चूँकि टेलीकॉम कंपनियाँ नीलामी में महँगे 5जी एयरवेव्स खरीदने के बाद एंटरप्राइज़ नेटवर्क सौदों पर कीमत के मामले में टेक कंपनियों (निजी नेटवर्क/उद्यमों) से प्रतिस्पर्द्धा करने की स्थिति में नहीं हो सकती हैं क्योंकि टेक कंपनियों को सरकार से मामूली शुल्क पर एयरवेव हासिल हो जाएगी।
  • सीमित अनुप्रयोग: दूरसंचार कंपनियों ने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि आवंटित स्पेक्ट्रम का उपयोग केवल मशीन-टू-मशीन (M2M) अनुप्रयोगों के लिये किया जाना चाहिए, न कि उन क्षेत्रों में निजी नेटवर्क स्थापित करने के लिये जिन्हें सार्वजनिक माना जा सकता है, उदाहरण के लिये, कंपनियों द्वारा अपने कर्मचारियों के लिये स्थापित बड़े आवासीय टाउनशिप।
  • इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ चुनौतियाँ : टेलीकॉम ने इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फ्रीक्वेंसी रेगुलेशन के बारे में भी सवाल किया क्योंकि देश में टावर डेंसिटी 5G रोल-आउट के कारण बढ़ जाएगी, और नए टावर स्थापित करने में चुनौतियाँ हो सकती हैं।

आगे की राह

  • मूल्य निर्धारण युक्तिकरण: इस स्पेक्ट्रम मूल्य निर्धारण के युक्तिकरण की आवश्यकता है ताकि सरकार भारत में 5G के कार्यान्वयन योजनाओं को बाधित किये बिना नीलामी से पर्याप्त राजस्व उत्पन्न कर सके।
  • सरकार का योगदान: इनपुट पर सरकार का पूरा नियंत्रण होता है। 5G के प्रमुख इनपुट में से एक बैंड स्पेक्ट्रम है।
    • स्पेक्ट्रम के डिज़ाइन का प्रबंधन करके, सरकार लोगों द्वारा भुगतान की जाने वाली कीमत को नियंत्रित कर सकती है।
    • सरकारी दूरसंचार कंपनियों को ऐसे नेटवर्क शुरू करने में मदद करेगी जो जनता के लिये टिकाऊ और किफायती हों।
  • ग्रामीण-शहरी अंतर को पाटना: 5G को विभिन्न बैंड स्पेक्ट्रम पर और निम्न बैंड स्पेक्ट्रम पर तैनात किया जा सकता है, यह सीमा बहुत लंबी है जो ग्रामीण क्षेत्रों के लिये सहायक है।
  • भारत में विनिर्माण क्षेत्र को सक्षम बनाना: जैसे ही 5G भारत में आकार लेना शुरू करेगा, अपने घरेलू दूरसंचार विनिर्माण बाज़ार को मज़बूत करना महत्त्वपूर्ण है ताकि न केवल उपयोगकर्त्ता बल्कि इन प्रौद्योगिकियों के निर्माता और प्रदाता भी वैश्विक स्तर पर एक बड़ा प्रभाव डाल सकें।
  • सहयोग की आवश्यकता: टेलीकॉम कंपनियों को नए मुद्दों का पता लगाने और 5G क्षमता का लाभ उठाने के लिये समाधान पर सहयोग करने के लिये ग्राहकों के साथ काम करने में सुधार करना चाहिए।
  • 5G स्पेक्ट्रम की नीलामी में कीमतों को लेकर उनकी चिंताओं के कारण दूरसंचार कंपनियों की ओर से मौन प्रतिक्रिया मिलने की संभावना है। यह 5G रोलआउट के धीमा होने का एक कारण हो सकता है, या कम से कम, 5G सेवाओं के असमान प्रसार का कारण हो सकता है।

निष्कर्ष

ब्रॉडबैंड, विशेष रूप से मोबाइल ब्रॉडबैंड, नागरिकों के दैनिक जीवन का एक अभिन्न अंग बन गया है।  पिछले कुछ वर्षों में देश भर में 4जी सेवाओं के तेज़ी से विस्तार ने डिजिटल कनेक्टिविटी को बढ़ावा दिया है और अब 5जी का समय आ गया है जिसमें देश के अधिक व्यापक समग्र आर्थिक विकास को प्राप्त करने में उत्प्रेरक के रूप में काम करने की क्षमता है। हालाँकि निजी कैप्टिव नेटवर्क पर टकराव केवल रोलआउट बाधाओं की सूची में बढ़ोतरी करेगा, जिन्हें इस नवाचार के सभी आयामों को पूरा करने के लिये दूर करने की आवश्यकता है।

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