भारतीय अर्थव्यवस्था
WIPO विश्व बौद्धिक संपदा संकेतक रिपोर्ट 2024
- 05 Dec 2024
- 18 min read
प्रिलिम्स के लिये:WIPO, बौद्धिक संपदा, राष्ट्रीय IPR (बौद्धिक संपदा अधिकार) नीति 2016, भौगोलिक टैग, कॉपीराइट, मानव अधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा। मेन्स के लिये:बौद्धिक संपदा अधिकार, एक मज़बूत IPR पारिस्थितिकी तंत्र की भूमिका और महत्त्व, |
स्रोत: पी.आई.बी
चर्चा में क्यों?
हाल ही में, भारत ने बौद्धिक संपदा (IP) क्षेत्र में वैश्विक रूप से अग्रणी देश के तौर पर मज़बूत स्थिति बना ली है। विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (WIPO) द्वारा जारी विश्व बौद्धिक संपदा संकेतक (WIPI) रिपोर्ट 2024 के अनुसार पेटेंट, ट्रेडमार्क और औद्योगिक डिज़ाइनों के लिये वैश्विक शीर्ष 10 देशों में स्थान प्राप्त किया है।
- रिपोर्ट में बौद्धिक संपदा (IP) फाइलिंग करने संबंधी वैश्विक रुझानों को रेखांकित किया गया है, जो आर्थिक चुनौतियों के बावजूद नवाचार के प्रति लचीलेपन को दर्शाता है। यह वृद्धि मुख्य रूप से चीन, संयुक्त राज्य अमेरिका, जापान, दक्षिण कोरिया और भारत में निवासियों द्वारा संचालित थी।
WIPO क्या है?
- विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (WIPO) संयुक्त राष्ट्र की सबसे पुरानी विशेष एजेंसियों में से एक है, जिसकी स्थापना वर्ष 1967 में रचनात्मक गतिविधि को बढ़ावा देने और वैश्विक स्तर पर बौद्धिक संपदा के संरक्षण हेतु की गई थी। यह 26 अंतर्राष्ट्रीय संधियों का प्रशासन करता है और इसका मुख्यालय जिनेवा, स्विटज़रलैंड में है।
- WIPO के 193 सदस्य देश हैं।
- भारत वर्ष 1975 में WIPO में शामिल हुआ। भारत IPR से संबंधित निम्नलिखित महत्त्वपूर्ण WIPO-प्रशासित अंतर्राष्ट्रीय संधियों और सम्मेलनों का भी सदस्य है:
- पेटेंट प्रक्रिया के प्रयोजनों के लिये सूक्ष्मजीवों को पेटेंट प्रक्रिया के एक भाग के रूप में मान्यता देने के लिये बुडापेस्ट संधि, 2001
- औद्योगिक संपत्ति के संरक्षण के लिये पेरिस कन्वेंशन, 1998
- साहित्यिक और कलात्मक कार्यों के संरक्षण के लिये बर्न कन्वेंशन, 1928
- पेटेंट सहयोग संधि, 1998
- चिह्नों के अंतर्राष्ट्रीय पंजीकरण से संबंधित मैड्रिड समझौते से संबंधित प्रोटोकॉल, 2013
- एकीकृत सर्किट के संबंध में बौद्धिक संपदा पर वाशिंगटन संधि
- ओलंपिक प्रतीक के संरक्षण पर नैरोबी संधि, 1983
- फोनोग्राम के उत्पादकों के फोनोग्राम के अनधिकृत दोहराव के विरुद्ध संरक्षण के लिये कन्वेंशन, 1975
- दृष्टिबाधित व्यक्तियों और मुद्रण दिव्यंगजन व्यक्तियों द्वारा प्रकाशित कार्यों तक पहुँच को सुगम बनाने के लिये मारकेश संधि, 2016।
- डब्ल्यूआईपीओ द्वारा प्रकाशित रिपोर्टें:
- वैश्विक नवाचार सूचकांक
- विश्व बौद्धिक संपदा संकेतक
- WIPO टेक्नोलॉजी ट्रेंड्स रिपोर्ट
विश्व बौद्धिक संपदा संकेतक, 2024 में भारत का प्रदर्शन कैसा रहा है?
- पेटेंट में वृद्धि: भारत ने वर्ष 2023 में शीर्ष 20 देशों में पेटेंट आवेदनों में सबसे तेज़ वृद्धि दर्ज की, जो दोहरे अंकों की वृद्धि का लगातार पाँचवाँ वर्ष है। पेटेंट आवेदनों के लिये भारत विश्व स्तर पर छठे स्थान पर है।
- औद्योगिक डिजाइन: वर्ष 2018 और 2023 के बीच पेटेंट और औद्योगिक डिजाइन आवेदन दोगुने से अधिक हो गए।
- शीर्ष तीन क्षेत्र- वस्त्र एवं सहायक उपकरण, उपकरण एवं मशीनें, तथा स्वास्थ्य एवं सौंदर्य प्रसाधन - सभी डिज़ाइन फाइलिंग का लगभग आधा हिस्सा बनाते हैं।
- पेटेंट-जीडीपी अनुपात: भारत के पेटेंट-जीडीपी अनुपात, जो पेटेंट गतिविधि के आर्थिक प्रभाव का एक माप है, में भी उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है, जो आर्थिक विस्तार के साथ-साथ IP गतिविधियों में वृद्धि को दर्शाता है।
- ट्रेडमार्क: भारत ट्रेडमार्क फाइलिंग में वैश्विक स्तर पर चौथे स्थान पर है, जिसमें लगभग 90% फाइलिंग घरेलू संस्थाओं द्वारा की गई है। प्रमुख क्षेत्रों में स्वास्थ्य (21.9%), कृषि (15.3%) और वस्त्र (12.8%) शामिल हैं।
- भारत का ट्रेडमार्क कार्यालय विश्व में सक्रिय पंजीकरणों की दूसरी सबसे बड़ी संख्या रखता है।
- भौगोलिक संकेत:
- भारत (530) में कम GI लागू हैं, क्योंकि इसके GI को अंतर्राष्ट्रीय समझौतों द्वारा संरक्षण नहीं प्राप्त है। इसके विपरीत चीन, जर्मनी, हंगरी और चेक गणराज्य जैसे देशों में उनके क्षेत्रों में GI लागू होने की संख्या काफी अधिक है।
- हंगरी और चेक गणराज्य लिस्बन प्रणाली के पक्षकार हैं।
- ब्राज़ील (92.4%), चीन (96.2%), भारत (93.6%), तुर्की (99.8%), और वियतनाम (91.5%) में 90% से अधिक GI राष्ट्रीय GI थे।
IP, पेटेंट, ट्रेडमार्क, GI और औद्योगिक डिज़ाइन क्या हैं?
- बौद्धिक संपदा: इसमें मानव बुद्धि की अमूर्त रचनाएँ, मुख्य रूप से कॉपीराइट, पेटेंट और ट्रेडमार्क शामिल हैं।
- बौद्धिक संपदा के महत्त्व को पहली बार औद्योगिक संपदा के संरक्षण के लिये पेरिस कन्वेंशन (1883) और साहित्यिक तथा कलात्मक कार्यों के संरक्षण के लिये बर्न कन्वेंशन (1886) में मान्यता दी गई थी। दोनों संधियों को विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (WIPO) द्वारा प्रशासित किया जाता है।
- इन अधिकारों को मानव अधिकारों की सार्वभौम घोषणा के अनुच्छेद-27 में उल्लिखित किया गया।
पेटेंट:
- पेटेंट किसी आविष्कार के लिये दिया गया एक विशेष अधिकार है। यह आविष्कारकों को उनके आविष्कारों की कानूनी सुरक्षा प्रदान करता है।
- पेटेंटधारी को उसके आविष्कार पर एक सीमित समयावधि के लिये उसके आविष्कार को पूर्णतया व्यक्त करने के बाद प्राप्त होता है जिससे दूसरों को उस पेटेंटकृत उत्पाद या प्रक्रिया के बनाने, इस्तेमाल करने, बिक्री करने, आयात करने या उसकी सहमति के बिना इन उद्देश्यों से उसका उत्पादन करने से रोका जा सकता है।
ट्रेडमार्क:
- ट्रेडमार्क एक संकेत है जो एक उद्यम की वस्तुओं या सेवाओं को अन्य उद्यमों से अलग करने में सक्षम है।
- ट्रेडमार्क पंजीकरण, पंजीकृत ट्रेडमार्क के उपयोग के लिये एक विशेष अधिकार प्रदान करता है, जिसका अर्थ है कि ट्रेडमार्क का उपयोग विशेष रूप से उसके ऑनर/स्वामी द्वारा किया जा सकता है, या भुगतान के बदले में उपयोग हेतु किसी अन्य पक्ष को लाइसेंस दिया जा सकता है।
औद्योगिक डिज़ाइन:
- औद्योगिक डिज़ाइन से तात्पर्य किसी उत्पाद के सजावटी या सौंदर्यपरक पहलुओं से है, जिसमें आकार और विन्यास जैसी 3D विशेषताएँ या चित्र, पैटर्न, रेखाएँ और रंग जैसी 2D तत्त्व शामिल हैं।
- पंजीकृत औद्योगिक डिज़ाइन के ऑनर को यह अधिकार है कि वह तीसरे पक्ष को ऐसी वस्तुओं के निर्माण, विक्रय या आयात से रोके, जिनमें ऐसा डिज़ाइन हो, जो संरक्षित डिज़ाइन की प्रतिलिपि हो, या वस्तुतः प्रतिलिपि हो, जब ऐसे कार्य वाणिज्यिक प्रयोजनों के लिये किये जाते हैं।
भौगोलिक संकेत:
- भौगोलिक संकेत (GI) एक ऐसा संकेतक है जो किसी वस्तु को एक विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र से उत्पन्न होने के रूप में पहचान प्रदान करता है तथा उसमें एक निश्चित गुणवत्ता, प्रतिष्ठा या अन्य विशेषता होती है जो अनिवार्यतः उस भौगोलिक उत्पत्ति के लिये ज़िम्मेदार होती है।
नवप्रवर्तन को बढ़ावा देने के लिये भारत की पहल क्या हैं?
- विधायी रुपरेखा:
- कॉपीराइट अधिनियम, 1957
- डिज़ाइन अधिनियम, 2000
- वस्तुओं के भौगोलिक संकेत (पंजीकरण और संरक्षण) अधिनियम, 1999
- पेटेंट अधिनियम, 1970
- पौधा किस्म और कृषक अधिकार संरक्षण अधिनियम, 2001
- व्यापार चिह्न अधिनियम, 1999
- राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR) नीति, 2016
- कॉपीराइट अधिनियम, 1957
- सरकारी पहल:
- वैश्विक नवाचार सूचकांक (GII) में स्थान:
- वैश्विक नवाचार सूचकांक 2024 में 133 वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में भारत 39 वें स्थान पर है। वर्ष 2023 में भारत 132 अर्थव्यवस्थाओं में से 40वें स्थान पर था।
- भारत वर्ष 2021 में 46 वें स्थान पर और वर्ष 2015 में 81 वें स्थान पर था।
भारत की बौद्धिक संपदा वृद्धि के सामाजिक-आर्थिक निहितार्थ क्या हैं?
- आर्थिक सशक्तीकरण: बढ़ी हुई IP फाइलिंग (IP Filings) से नवाचारों की सुरक्षा के माध्यम से स्थानीय व्यवसायों को बढ़ावा मिल सकता है, जिससे प्रतिस्पर्द्धात्मकता और आर्थिक विकास में वृद्धि हो सकती है।
- रोज़गार सृजन: IP क्षेत्र के विकास से बौद्धिक संपदा से संबंधित अनुसंधान, विकास और कानूनी सेवाओं में नए रोज़गार के अवसर पैदा होने की संभावना है।
- वैश्विक स्थिति: जैसे-जैसे भारत अपने बौद्धिक संपदा ढाँचे को मज़बूत कर रहा है वैसे-वैसे वैश्विक नवाचार केंद्र के रूप में इसकी प्रतिष्ठा बढ़ने के साथ विदेशी निवेशक आकर्षित हो रहे हैं।
भारत के नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र से संबंधित चुनौतियाँ एवं आगे की राह क्या है?
भारत के नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र से संबंधित चुनौतियाँ |
आगे की राह |
प्रशासनिक विलंब: IP पंजीकरण, पेटेंट अनुमोदन एवं विवाद समाधान में जटिल नौकरशाही प्रक्रियाओं से नवाचार में बाधा आती है। |
सुव्यवस्थित प्रक्रियाएँ: विलंब को कम करने एवं कुशल पेटेंट तथा ट्रेडमार्क फाइलिंग सुनिश्चित करने के लिए IP संबंधित प्रक्रियाओं को डिजिटल एवं त्वरित बनाना चाहिये |
बौद्धिक संपदा अधिकारों के बारे में सीमित जागरूकता: कई उद्यमियों, विशेषकर MSMEs एवं अनौपचारिक क्षेत्रों में बौद्धिक संपदा की सुरक्षा के महत्त्व के संबंध में जानकारी का अभाव है। |
जन जागरूकता अभियान: IP साक्षरता को बढ़ावा देने हेतु स्टार्टअप, MSMEs एवं शैक्षणिक संस्थानों को लक्षित करते हुए राष्ट्रव्यापी अभियान चलाने चाहिये। |
कमज़ोर R&D पारिस्थितिकी तंत्र: भारत को अपने नवाचार परिदृश्य में कमज़ोर R&D पारिस्थितिकी तंत्र के कारण चुनौतियों (जिसमें कम निवेश एवं जागरूकता, उद्योग तथा सरकार के बीच सीमित सहयोग शामिल है) का सामना करना पड़ रहा है। इसके अतिरिक्त स्टार्टअप को सीमित समर्थन, वित्तीय संसाधनों तक पहुँच की कमी, मार्गदर्शन एवं नवाचार हेतु आवश्यक बुनियादी ढाँचे की कमी बनी हुई है। |
अनुसंधान एवं विकास निवेश को बढ़ावा देना: नवाचार परिदृश्य को मज़बूत करने हेतु, क्रॉस-सेक्टोरल नवाचारों एवं स्वदेशी प्रौद्योगिकियों पर ध्यान केंद्रित करते हुए सार्वजनिक तथा निजी क्षेत्र के वित्तपोषण को बढ़ाकर अनुसंधान एवं विकास संबंधी निवेश को बढ़ावा देना महत्त्वपूर्ण है। इसके अतिरिक्त अनुदान, इनक्यूबेशन सेंटर एवं मेंटरशिप कार्यक्रम प्रदान करके एक समग्र स्टार्टअप इकोसिस्टम बनाने से सभी क्षेत्रों में स्टार्टअप को सशक्त बनाया जा सकता है। |
वैश्विक बाज़ारों तक सीमित पहुँच: भारतीय नवप्रवर्तकों को जटिल एवं महंगी वैश्विक फाइलिंग प्रक्रियाओं के कारण अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बौद्धिक संपदा की सुरक्षा करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। |
अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: वैश्विक IP संधियों में भागीदारी बढ़ाने के साथ भारतीय संस्थाओं द्वारा अंतर्राष्ट्रीय पेटेंट दाखिल करने के क्रम में सब्सिडी प्रदान करनी चाहिये। |
दृष्टि मेन्स प्रश्न प्रश्न: नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र में भारत की सफलता के प्रमुख चालक क्या हैं और ये इसके सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य को किस प्रकार प्रभावित करते हैं? |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. 'राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा अधिकार नीति (नेशनल इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स पॉलिसी)' के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2017)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (c) प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2019)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 और 3 उत्तर: (c) मेन्स:प्रश्न. वैश्वीकृत संसार में बौद्धिक संपदा अधिकारों का महत्त्व हो जाता है और वे मुकद्दमेबाज़ी का एक स्रोत हो जाते हैं। कॉपीराइट, पेटेंट और व्यापार गुप्तियों के बीच मोटे तौर पर विभेदन कीजिये। (2014) |