भारतीय अर्थव्यवस्था
भारत ने सर्वाधिक पेटेंट प्रदान किये
- 06 Jul 2024
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प्रिलिम्स के लिये:वर्ष 2024 में रिकॉर्ड पेटेंट, भारतीय पेटेंट कार्यालय (IPO), विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (WIPO), पेटेंट सहयोग संधि (PCT), पेटेंट अधिनियम, 1970। मेन्स के लिये:विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये सरकारी नीतियाँ एवं हस्तक्षेप तथा उनका निर्माण और कार्यान्वयन से उत्पन्न मुद्दे। |
स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स
चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत ने वर्ष 2024 में लगभग एक लाख पेटेंट जारी किये हैं, जो पेटेंट अनुमोदन में उल्लेखनीय वृद्धि को दर्शाता है।
पेटेंट क्या है?
- परिचय:
- पेटेंट एक आविष्कार का विधिक अधिकार है जो किसी व्यक्ति या संस्था को दूसरों के हस्तक्षेप के बिना दिया जाता है जो इसे दोहराने, उपयोग करने या बेचने की इच्छा रखते हैं
- पेटेंट संरक्षण एक क्षेत्रीय अधिकार है और इसलिये यह केवल भारतीय क्षेत्र के अंर्तगत ही प्रभावी है। वैश्विक पेटेंट की कोई अवधारणा नहीं है।
- भारत में पेटेंट प्रणाली पेटेंट अधिनियम, 1970 द्वारा शासित होती है, जिसमें बदलते परिवेश के अनुरूप पेटेंट नियमों में नियमित रूप से संशोधन किया जाता है, सबसे संशोधन पेटेंट (संशोधन) नियम, 2024 है।
- पेटेंट योग्यता के मानदंड: कोई आविष्कार पेटेंट योग्य विषय वस्तु होता है यदि वह नवीन, स्पष्ट एवं औद्योगिक अनुप्रयोग हेतु सक्षम है।
- इसके अतिरिक्त, इस पर पेटेंट अधिनियम, 1970 की धारा 3 और 4 के प्रावधान लागू नहीं होने चाहिये।
- पेटेंट अधिनियम, 1970:
- भारत में पेटेंट प्रणाली के लिये यह प्रमुख कानून वर्ष 1972 में लागू हुआ। इसने भारतीय पेटेंट एवं डिज़ाइन अधिनियम, 1911 का स्थान लिया।
- इस अधिनियम को पेटेंट (संशोधन) अधिनियम, 2005 द्वारा संशोधित किया गया, जिसके अंर्तगत उत्पाद पेटेंट को खाद्य, औषधि, रसायन तथा सूक्ष्मजीवों सहित प्रौद्योगिकी के सभी क्षेत्रों तक बढ़ा दिया गया।
- संशोधन के बाद विशेष विपणन अधिकार से संबंधित प्रावधानों को निरस्त कर दिया गया है, और साथ ही अनिवार्य लाइसेंस प्रदान करने के लिये सक्षम बनाने के साथ ही अनुदान-पूर्व तथा अनुदान-पश्चात विरोध से संबंधित प्रावधान भी प्रस्तुत किये गए हैं।
- पेटेंट (संशोधन) नियम, 2024 के अंतर्गत प्रमुख परिवर्तन:
- परीक्षण के लिये अनुरोध दाखिल करने की समयसीमा को घटाकर प्राथमिकता तिथि से 48 महीने से 31 महीने किया गया।
- 'आविष्कार प्रमाणपत्र' की शुरूआत’: आविष्कारकों के पेटेंट किये गए आविष्कारों की पहचान करके उनके योगदान को स्वीकार करना।
- विवरण दाखिल करने की आवृत्ति: वित्तीय वर्ष में एक बार से घटाकर प्रत्येक तीन वित्तीय वर्ष में एक बार कर दिया गया।
- अनुदान-पूर्व तथा अनुदान-पश्चात् विरोध प्रक्रियाओं में संशोधन: विपक्षी बोर्ड द्वारा सिफारिशें प्रस्तुत करने की समय सीमा एवं आवेदकों के लिये प्रतिक्रिया समय को समायोजित किया गया है।
नोट
- WIPO द्वारा जारी वैश्विक नवाचार सूचकांक (GII), 2023 रैंकिंग में भारत ने 132 देशों में से 40वाँ स्थान प्राप्त किया है। यह वर्ष 2021 में 46वें स्थान और वर्ष 2015 में 81वें स्थान की तुलना में सुधार को दर्शाता है।
- विश्व बौद्धिक संपदा संगठन द्वारा जारी अध्ययन के अनुसार भारत में वर्ष 2022 में पेटेंट आवेदनों में रिकॉर्ड 31.6% की वृद्धि हुई जो चीन, यू.के. तथा अन्य देशों की तुलना में अधिक है।
पेटेंट अधिनियम, 1970 की धारा 3 और 4:
- धारा 3 के अंतर्गत तुच्छ दावे, प्राकृतिक नियमों के विरुद्ध आविष्कार, सार्वजनिक व्यवस्था या नैतिकता के विपरीत आविष्कार, वैज्ञानिक सिद्धांतों या अमूर्त सिद्धांतों की खोज, प्राकृतिक सजीव या निर्जीव पदार्थों की खोज आदि को आविष्कार नहीं माना जाता है।
- धारा 4 परमाणु ऊर्जा से संबंधित उन आविष्कारों से संबंधित है जो पेटेंट योग्य नहीं हैं। धारा 4 के अनुसार, परमाणु ऊर्जा अधिनियम, 1962 की धारा 20 की उपधारा (1) के अंतर्गत आने वाले परमाणु ऊर्जा से संबंधित किसी आविष्कार के संबंध में कोई पेटेंट प्रदान नहीं किया जाएगा।
पेटेंट प्रदान करने का महत्त्व क्या है
- नवाचार और अनुसंधान को प्रोत्साहित करना: पेटेंट के माध्यम से विशेष अधिकार प्रदान करना नवाचार को प्रोत्साहित करता है।
- प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) आकर्षित करना: बौद्धिक संपदा के संरक्षण हेतु सुदृढ़ व्यवस्था वाले देश अधिक FDI आकर्षित करते हैं। एक अच्छी तरह से संरक्षित IP परिवेश विदेशी निवेशकों को यह विश्वास दिलाता है कि उनके नवाचारों की सुरक्षा की जाएगी, जिससे भारत में निवेश करने के लिये वे प्रोत्साहित होंगे।
- ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था का निर्माण: कॉपीराइट और ट्रेडमार्क का संरक्षण साहित्य, कला, संगीत और ब्रांडिंग जैसे क्षेत्रों में बौद्धिक संपत्तियों के निर्माण और व्यावसायीकरण को प्रोत्साहित करता है, जो ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था के विकास में योगदान देता है।
पेटेंट प्रणाली में विद्यमान चुनौतियाँ क्या हैं?
- अनुमोदन की लंबी प्रक्रिया: पेटेंट कार्यालयों को प्राप्त आवेदनों की जाँच करने में कई माह या वर्षों का समय लग सकता है। यह उन आविष्कारकों के लिये समस्याजनक हो सकता है जो अपने संपदा अधिकारों के संरक्षण के लिये प्रतीक्षा कर रहे हैं।
- पेटेंट आवेदनों का बैकलॉग: पेटेंट कार्यालय प्रायः बड़ी संख्या में प्राप्त आवेदनों की जाँच करते हैं जिससे इस प्रक्रिया में काफी समय लगता है कार्य शेष रह जाता है और बैकलॉग बढ़ता है जो अनुमोदन के समय को और बढ़ा सकता है।
- सीमित जागरूकता और शिक्षा: कई आविष्कारक, विशेष रूप से छोटे व्यवसाय और जनसाधारण को पेटेंट और इसकी प्रक्रिया के संबंध में पर्याप्त जानकारी नहीं होती है। यह उनके आविष्कारों को प्रभावी ढंग से संरक्षित रखने की उनकी क्षमता को बाधित कर सकता है।
- संसाधन की कमी: पेटेंट कराने की प्रक्रिया में वकील की फीस, आवेदन शुल्क और संभावित रखरखाव शुल्क शामिल हैं जिससे पेटेंट की प्रक्रिया महँगी साबित हो सकती है। यह सीमित संसाधन वाले आविष्कारकों के लिये अड़चन उत्पन्न कर सकता है।
- पेटेंट कराने के कठोर मानदंड: भारत में पेटेंट अधिनियम की धारा 3 के तहत विशिष्ट प्रावधान हैं जो कुछ आविष्कारों को पेटेंट कराने के दायरे से बाहर रखते हैं। यह संबद्ध विशिष्ट क्षेत्रों में नवाचार के लिये एक बाधा हो सकती है।
- प्रवर्तन मुद्दे: पेटेंट कराने के बाद भी उल्लंघनकर्त्ताओं के खिलाफ पेटेंटी (पेटेंट धारक) अधिकारों को लागू रखना महँगा हो सकता है जिसमें काफी समय भी लग सकता है जिसके लिये कानूनी कार्रवाई की आवश्यकता होती है।
- बायोपाइरेसी और पारंपरिक ज्ञान के विषय: आनुवंशिक संसाधनों तक उचित पहुँच सुनिश्चित करना और उनसे जुड़े पारंपरिक ज्ञान की सुरक्षा करना पेटेंट प्रणाली में जटिल मुद्दे हो सकते हैं।
पेटेंट प्रणाली में सुधार के लिये क्या कदम उठाने की आवश्यकता है?
- प्रक्रिया को सुलभ बनाना: ऑनलाइन फाइलिंग और उपयोगकर्त्ता-अनुकूल इंटरफेस के साथ आवेदन प्रक्रिया को सुलभ बनाना
- पेटेंट प्रारूपण और अभियोजन के लिये स्पष्ट और सुलभ दिशा-निर्देश प्रदान करना।
- अनुमोदन प्रक्रिया को सरल बनाना: त्वरित जाँच के लिये पेटेंट कार्यालयों में मानव संसाधन एवं अन्य संसाधनों में वृद्धि।
- महत्त्वपूर्ण आविष्कारों के लिये त्वरित परीक्षण विकल्प प्रदान करना।
- बैकलॉग को समाप्त करना: मामलों का कुशल प्रबंधन और निपटान रणनीतियों के माध्यम से बैकलॉग को समाप्त करना।
- जागरूकता में वृद्धि करना: शैक्षणिक पाठ्यक्रमों (STEM क्षेत्रों) में एकीकृत बौद्धिक संपदा (IP) की जागरूकता में वृद्धि करना।
- लघु उद्योगों के लिये बौद्धिक संपदा (IP) सहायता केंद्र और निःशुल्क विधिक सेवाएँ स्थापित करना।
- सब्सिडी का प्रावधान: व्यक्तिगत आविष्कारकों और स्टार्टअप के लिये सरकारी सब्सिडी और शुल्क में कटौती का प्रावधान।
- लागत साझा करने के लिये पेटेंट पूल और सहयोगात्मक अनुसंधान को बढ़ावा देना।
- पेटेंट योग्यता मानदंड को आसन करना: पेटेंट योग्यता मानदंड की समीक्षा करना और अंतर्राष्ट्रीय मानकों के साथ सामंजस्य स्थापित करना।
- आविष्कार की पेटेंट योग्यता का आकलन करने के लिये प्री-फाइलिंग का परामर्श प्रदान करना।
- विधिक तंत्र को मजबूत करना: विशेष अदालतों और त्वरित न्यायनिर्णयन सहित बौद्धिक संपदा प्रवर्तन तंत्र को मजबूत करना।
- लागत-प्रभावी प्रवर्तन के लिये वैकल्पिक विवाद समाधान (ADR) को बढ़ावा देना।
- पारंपरिक ज्ञान की संरक्षण करना: बायोपाइरेसी के खिलाफ सख्त नियम और प्रभावी कार्यान्वयन लागू करना
- बेहतर संरक्षण के लिये पारंपरिक ज्ञान का राष्ट्रीय डेटाबेस विकसित करना।
दृष्टि मेन्स प्रश्न : प्रश्न. भारत में दिये जाने वाले पेटेंट की संख्या में वृद्धि के संभावित सामाजिक-आर्थिक लाभों पर चर्चा कीजिये तथा सामाजिक उन्नति के लिये इन लाभों का प्रभावी ढंग से उपयोग करने की रणनीति प्रस्तुत कीजिये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. विनिर्माण क्षेत्र के विकास को प्रोत्साहित करने के लिये भारत सरकार ने कौन-सी नई नीतिगत पहल/पहलें की है/हैं? (2012)
नीचे दिये गए कूट का उपयोग करके सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: (d) प्रश्न. 'राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा अधिकार नीति (नेशनल इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स पॉलिसी)' के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2017)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (c) प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2019)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 और 3 उत्तर: (c) मेन्स:प्रश्न. भारत सरकार दवा के पारंपरिक ज्ञान को दवा कंपनियों द्वारा पेटेंट कराने से कैसे बचा रही है? (2019) प्रश्न. वैश्वीकृत संसार में, बौद्धिक संपदा अधिकारों का महत्त्व हो जाता है और वे मुकद्दमेबाज़ी का एक स्रोत हो जाते हैं। कॉपीराइट, पेटेंट और व्यापार गुप्तियों के बीच मोटे तौर पर विभेदन कीजिये। (2014) |