भारत में कृषि विकास | 04 Feb 2025
प्रिलिम्स के लिये:कृषि, केंद्रीय बजट 2025-26, उच्च उपज वाले बीज, मोनोकल्चर, फसल विविधता, FPO, जीन बैंक, कपास, ईईजेड, हाई सी, अंडमान और निकोबार, लक्षद्वीप द्वीप समूह, मत्स्य पालन, सिंचाई, दाल उत्पादन, ग्रामीण ऋण स्कोर, SHG, ब्याज अनुदान योजना, बीटी कपास, GIS, रिमोट सेंसिंग। मेन्स के लिये:केंद्रीय बजट 2025-26 में घोषित पहल, उच्च उपज वाले बीजों से संबंधित चिंताएँ। |
स्रोत: पी.आई.बी
चर्चा में क्यों?
केंद्रीय बजट 2025-26 पेश करते हुए भारत की विकास यात्रा के लिये ‘कृषि को प्रथम इंजन’ की संज्ञा देते हुए अन्नदाताओं के लाभ के लिये कृषि क्षेत्र के विकास और उत्पादकता में वृद्धि के लिए कई उपायों की घोषणा की गई।
- आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 के अनुसार कृषि क्षेत्र ने मज़बूत वृद्धि देखी गई है, जो वर्ष 2016-17 से वर्ष 2022-23 तक सालाना औसतन 5% रही है।
- हालाँकि, उच्च उपज वाले बीजों पर घोषित राष्ट्रीय मिशन ने एकल कृषि और फसल विविधता की हानि पर चिंता जताई है।
केंद्रीय बजट 2025-26 में कृषि से संबंधित किन पहलों की घोषणा की गई?
- उच्च उपज वाले बीजों पर राष्ट्रीय मिशन: इसका उद्देश्य उच्च उपज वाले बीजों का विकास करके कृषि उत्पादकता में सुधार करना है, जो कीटों और जलवायु के प्रति अधिक अनुकूल हैं ।
- फोकस क्षेत्र :
- बेहतर उत्पादकता और प्रतिरोध क्षमता वाली नई बीज किस्मों का विकास करना।
- कीटों और जलवायु के प्रति अनुकूल बीज तैयार करना।
- किसानों के लिये उच्च उपज वाले बीजों तक आसान पहुँच सुनिश्चित करना।
- बीज किस्में: इसका लक्ष्य 100 से अधिक नई बीज किस्मों की उपलब्धता बढ़ाना है, जिनमें 23 अनाज, 11 दालें, 7 तिलहन आदि शामिल हैं।
- फोकस क्षेत्र :
- बिहार में मखाना बोर्ड: उत्पादन, प्रसंस्करण और विपणन को बढ़ावा देने और FPO और सरकारी योजनाओं के माध्यम से किसानों को समर्थन देने के लिये एक मखाना बोर्ड की स्थापना की जाएगी।
- खाद्य प्रसंस्करण: केंद्र सरकार पूर्वी भारत में खाद्य प्रसंस्करण गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिये बिहार में राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी, उद्यमिता और प्रबंधन संस्थान की स्थापना करेगी।
- जीन बैंक: भविष्य में खाद्य एवं पोषण सुरक्षा के लिये 10 लाख जर्मप्लाज्म लाइनों के साथ दूसरा जीन बैंक ( पहला 1996 में) स्थापित किया जाएगा।
- जीन बैंक एक ऐसी सुविधा है जहाँ पौधों, जानवरों या सूक्ष्मजीवों से प्राप्त आनुवंशिक सामग्री को भविष्य में उपयोग के लिये संग्रहीत एवं संरक्षित किया जाता है।
- कपास उत्पादकता मिशन: यह कपास की कृषि की उत्पादकता और स्थिरता में सुधार के लिये एक 5-वर्षीय मिशन है, और अतिरिक्त लंबे रेशे वाली कपास की किस्मों को बढ़ावा देता है।
- यह वस्त्र मंत्रालय के 5F सिद्धांत अर्थात फार्म टू फाइबर टू फैक्ट्री टू फैशन टू फॉरेन अनुरूप है।
- सतत् मत्स्य पालन: सरकार अंडमान एवं निकोबार तथा लक्षद्वीप द्वीपसमूह पर ध्यान केंद्रित करते हुए, EEZ तथा हाई सी के लिये एक सतत् मत्स्य पालन ढाँचा तैयार करेगी।
- मत्स्य उत्पादन और जलीय कृषि में भारत विश्व में दूसरे स्थान पर है।
- प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना: इसका उद्देश्य फसल विविधीकरण, सतत् प्रथाओं, बेहतर भंडारण, सिंचाई और ऋण उपलब्धता पर ध्यान केंद्रित करते हुए 100 कम उत्पादकता वाले ज़िलों में कृषि उत्पादकता को बढ़ाना है, जिससे 1.7 करोड़ किसान लाभान्वित होंगे।
- दलहन में आत्मनिर्भरता के लिये मिशन: दलहन उत्पादन में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिये 6 वर्षीय मिशन शुरू किया जाएगा, जिसमें तुअर, उड़द और मसूर जैसी फसलों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
- ग्रामीण समृद्धि और लचीलापन कार्यक्रम: यह कौशल, निवेश, प्रौद्योगिकी और ग्रामीण सशक्तीकरण के माध्यम से कृषि में अल्प-रोज़गार की समस्या को दूर करने के लिये एक बहु-क्षेत्रीय पहल है।
- इसमें ग्रामीण महिलाओं, युवा किसानों और छोटे किसानों को प्राथमिकता दी गई है, तथा इसका लक्ष्य रोज़गार सृजन, महिलाओं के लिये वित्तीय स्वतंत्रता और कृषि आधुनिकीकरण है।
- ग्रामीण क्रेडिट स्कोर: सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक स्वयं सहायता समूह के सदस्यों और ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों की ऋण आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये ' ग्रामीण क्रेडिट स्कोर ' ढाँचा विकसित करेंगे।
- किसान क्रेडिट कार्ड (KCC): संशोधित ब्याज अनुदान योजना के तहत KCC धारकों के लिये ऋण सीमा 3 लाख रुपए से बढ़ाकर 5 लाख रुपए कर दी गई, जिससे लगभग 7.7 करोड़ किसानों, मछुआरों और डेयरी किसानों को लाभ मिलेगा।
मखाना
- मखाना, जिसे फॉक्स नट के नाम से भी जाना जाता है, काँटेदार वाॅटर लिली (Euryale Ferox) का सूखा हुआ बीज है।
- बिहार भारत के मखाना उत्पादन में 90% योगदान देता है। इसे पोषक तत्त्वों से भरपूर, कम वसा वाले स्वस्थ नाश्ते के रूप में मान्यता प्राप्त है
- वर्ष 2022 में ' मिथिला मखाना' को GI टैग मिला।
- वैश्विक मखाना बाज़ार का मूल्य वर्ष 2023 में 43.56 मिलियन अमरीकी डॉलर था।
उच्च उपज वाले बीज
- परिचय: उच्च उपज वाले बीजों को चयनात्मक प्रजनन, आनुवंशिक संशोधन या उन्नत तकनीकों का उपयोग करके भूमि की प्रति इकाई फसल उत्पादन बढ़ाने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
- लाभ: वे तेज़ी से विकास, बेहतर रोग प्रतिरोध के साथ अधिक उत्पादन देते हैं, और कम संसाधनों की आवश्यकता होती है।
- उदाहरण: संकर धान (PRH 10 और पूसा बासमती 1121), संकर गेहूँ (HD 3086 और PBW 725), बीटी कपास, आदि।
- चिंताएँ: इससे एकल-फसल को बढ़ावा मिलने, जैवविविधता कम होने, देशी बीजों को खतरा होने तथा कॉर्पोरेट बीज कंपनियों पर निर्भरता बढ़ने का खतरा है।
आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 के कृषि संबंधी निष्कर्ष क्या हैं?
- कृषि विकास: कृषि क्षेत्र में वार्षिक वृद्धि दर 5% रही (2016-23), जिसमें GVA का हिस्सा 24.38% (2014-15) से बढ़कर 30.23% (2022-23) हो गया।
- पिछले दशक में कृषि आय में वार्षिक 5.23% की वृद्धि हुई है।
- क्षेत्रवार निष्पादन: वर्ष 2013-14 और वर्ष 2022-23 के बीच मत्स्योद्योग में सर्वाधिक वृद्धि दर (13.67%) रही, इसके बाद पशुधन (12.99%) का स्थान रहा, जबकि तिलहन में 1.9% की नगण्य वृद्धि हुई।
- सिंचाई: सकल फसल क्षेत्र (GCA) में सिंचाई कवरेज 49.3% (2015-16) से बढ़कर 55% (2020-21) हो गई, जबकि सिंचाई तीव्रता 144.2% से बढ़कर 154.5% हो गई।
- पंजाब (98%), हरियाणा (94%), उत्तर प्रदेश (84%), और तेलंगाना (86%) में सिंचाई कवरेज सर्वाधिक है, जबकि झारखंड और असम में यह 20% से कम है।
- GCA का तात्पर्य एक कृषि वर्ष में खेती की गई कुल भूमि से है, जिसमें एक ही भूमि पर अनेक फसल चक्र शामिल होते हैं।
आगे की राह
- जैवविविधता को बढ़ावा देना: उच्च उपज देने वाले बीजों के साथ-साथ बीज की परंपरागत किस्मों की सुरक्षा करना, दोनों के संयोजन को प्रोत्साहित करना, जिससे कृषि उत्पादकता को बढ़ाने के साथ-साथ जैवविविधता को संरक्षित करने में भी मदद मिलेगी।
- पारिस्थितिकीय संधारणीयता: फसल चक्र और बहु-कृषि (एक ही समय में एक ही स्थान पर विभिन्न फसलें) को बढ़ावा देकर एकल-कृषि खेती को रोकने, तथा मृदा स्वास्थ्य को बनाए रखने तथा कीट जोखिम को कम करने हेतु विविध फसल प्रणालियों के लिये प्रोत्साहन प्रदान करने की आवश्यकता है।
- अनुसंधान और विकास: पारंपरिक और आधुनिक दोनों विधियों से जलाभाव, बाढ़ और कीट-रोधी फसलें विकसित की जानी चाहिये।
- प्रौद्योगिकी का पूर्ण उपयोग: फसल स्वास्थ्य, कीट प्रकोप और प्रारंभिक चेतावनियों के लिये GIS और रिमोट सेंसिंग का उपयोग कर उच्च उपज वाले बीजों की निगरानी और संधारणीय प्रथाओं के लिये प्रौद्योगिकी का समुचित उपयोग करने की आवश्यकता है।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न: केंद्रीय बजट 2025-26 की पहलें भारतीय कृषि की दीर्घकालिक संधारणीयता में किस प्रकार सहायता कर सकती हैं? |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. जलवायु-अनुकूल कृषि (क्लाइमेट-स्मार्ट एग्रीकल्चर) के लिये भारत की तैयारी के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:
उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (d) प्रश्न. 'जलवायु-अनुकूली कृषि के लिये वैश्विक सहबंध' (ग्लोबल एलायन्स फॉर क्लाइमेट-स्मार्ट एग्रीकल्चर) (GACSA) के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं? (2018)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 और 3 उत्तर: (b) मेन्स:प्रश्न. एकीकृत कृषि प्रणाली (IFS) कृषि उत्पादन को बनाए रखने में किस सीमा तक सहायक है? (2019) |