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भारतीय अर्थव्यवस्था

जलीय कृषि फसल बीमा

  • 07 Nov 2023
  • 10 min read

प्रिलिम्स के लिये:

जलीय कृषि फसल बीमा, प्रधान मंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY), झींगा पालन, मत्‍स्‍य पालन एवं जलीय कृषि अवसंरचना विकास कोष (FIDF), नीली क्रांति

मेन्स के लिये:

जलीय कृषि फसल बीमा, इसकी आवश्यकता और चुनौतियाँ, देश के विभिन्न हिस्सों में प्रमुख फसल पैटर्न

स्रोत: पी.आई.बी 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के मत्स्यपालन विभाग द्वारा वर्तमान में जारी प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) के तहत झींगा एवं मछली पालन के लिये जलीय कृषि फसल बीमा योजना के कार्यान्वयन में पेश आने वाली तकनीकी चुनौतियों पर चर्चा की गई। 

  • जलीय कृषकों के समक्ष आने वाले जोखिमों को कम करने के लिये, NFDB (राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड), जो PMMSY के कार्यान्वयन के लिये केंद्रक अभिकरण (नोडल एजेंसी) है, के द्वारा जलीय कृषि फसल बीमा को लागू करने का प्रस्ताव रखा गया है।
  • इस योजना का लक्ष्य चयनित राज्यों आंध्र प्रदेश, बिहार, गुजरात, मध्य प्रदेश एवं ओडिशा में एक वर्ष के लिये प्रायोगिक आधार पर खारे पानी के झींगा और मछली के लिये बुनियादी संरक्षण प्रदान करना है।

जलीय कृषि (Aquaculture):

  • परिचय:
    • जलीय कृषि/एक्वाकल्चर शब्द मुख्य रूप से किसी व्यावसायिक, मनोरंजक अथवा सार्वजनिक उद्देश्य के लिये नियंत्रित जलीय वातावरण में जलीय जीवों के पालन को संदर्भित करता है।
    • इसके तहत जलीय जीवों का प्रजनन एवं पालन और पौधों की कटाई भूमि पर मानव निर्मित "बंद" प्रणालियों सहित सभी प्रकार के जलीय वातावरण में होती है।
  • उद्देश्य:
    • मानव उपभोग हेतु खाद्य उत्पादन,
    • संकटापन्न और संकटग्रस्त प्रजातियों की आबादी की पुनर्प्राप्ति 
    • पर्यावास पुनर्भरण,
    • वन्य स्टॉक वृद्धि,
    • बैटफिश का उत्पादन और
    • चिड़ियाघरों एवं एक्वैरियमों के लिये मत्स्य पालन

नोट: झींगा पालन मानव उपभोग हेतु झींगा का उत्पादन करने के लिये समुद्री या अलवणीय जल परिवेश में एक जलीय कृषि-आधारित गतिविधि है।

  • भारत में झींगा के उत्पादन हेतु उपयुक्त अनुमानित लवणीय जल क्षेत्र लगभग 11.91 लाख हेक्टेयर है जिसका 10 राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों; पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, पुडुचेरी, केरल, कर्नाटक, गोवा, महाराष्ट्र और गुजरात तक विस्तार है।
  • वर्तमान में इसमें से केवल लगभग 1.2 लाख हेक्टेयर भूमि पर झींगा पालन किया जाता है और इसलिये उद्यमियों के लिये जलीय कृषि-आधारित गतिविधि के इस क्षेत्र में उद्यम करने की काफी गुंज़ाइश मौजूद है।

एक्वाकल्चर बीमा की आवश्यकता:

  • एक्वाकल्चर बीमा:
    • एक्वाकल्चर बीमा एक प्रकार का बीमा है जो विशेष रूप से एक्वाकल्चर (जो व्यावसायिक उद्देश्यों के लिये मछली, झींगा तथा अन्य जलीय प्रजातियों का उत्पादन है) में शामिल व्यक्तियों या संस्थाओं को कवरेज और वित्तीय सुरक्षा प्रदान करने के लिये डिज़ाइन किया गया है।  
    • इस प्रकार का बीमा जलीय कृषि कार्यों के सामने आने वाले जोखिमों और चुनौतियों का समाधान करने के लिये जारी किया गया है।
  • बीमा की आवश्यकता:
    • जोखिम प्रबंधन:
      • एक्वाकल्चर विभिन्न जोखिमों के प्रति संवेदनशील है, जिनमें बीमारियाँ, प्रतिकूल मौसम की स्थिति, जल की गुणवत्ता के मुद्दे और प्राकृतिक आपदाएँ शामिल हैं।
      • इन जोखिमों से एक्वाकल्चर कृषकों को वृहत वित्तीय नुकसान हो सकता है। यह बीमा ऐसी प्रतिकूल घटनाओं की स्थिति में वित्तीय मुआवज़ा प्रदान करके इन जोखिमों को प्रबंधित करने और कम करने में सहायता करता है।
    • निवेश सुरक्षा:
      • बीमा, बुनियादी ढाँचे में किये गए संपूर्ण निवेश की सुरक्षा करता है तथा सुनिश्चित करता है कि संचालन में लगाए गए वित्तीय संसाधन अप्रत्याशित घटनाओं से सुरक्षित हैं।
    • बाज़ार का विश्वास:
      • जलीय कृषि बीमा की उपलब्धता उद्योग में निवेशकों और किसानों का विश्वास बढ़ा सकती है तथा व्यक्तियों को जलीय कृषि में निवेश करने एवं अपने परिचालन का विस्तार करने के लिये प्रोत्साहित कर सकती है।
    • वहनीयता: 
      • बीमा अप्रत्याशित असफलताओं से उबरने का साधन प्रदान करके जलीय कृषि संचालन की स्थिरता को बढ़ावा दे सकता है, यह बदले में, जोखिम और बीमा प्रीमियम को कम करने के लिये जलीय कृषि में ज़िम्मेदार एवं टिकाऊ प्रथाओं को प्रोत्साहित कर सकता है।

जलकृषि फसल बीमा योजना को लागू करने में चुनौतियाँ:

  • डेटा संग्रह और मूल्यांकन:
    • जोखिमों का आकलन करने और उचित बीमा प्रीमियम निर्धारित करने के लिये सटीक एवं नवीनतम डेटा की आवश्यकता होती है।
    • जलीय कृषि के लिये ऐसा डेटा संग्रह करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है, क्योंकि इसमें जटिल पर्यावरणीय और जैविक कारक शामिल होते हैं।
  • जागरूकता और शिक्षा:
    • कई मछुआरे और किसान बीमा की अवधारणा को पूर्ण रूप से नहीं समझ सकते हैं। बीमा योजना के लाभों और प्रक्रियाओं पर जागरूकता बढ़ाना तथा शिक्षा प्रदान करना योजना के सफल कार्यान्वयन के लिये आवश्यक है।
  • प्रतिकूल चयन:
    • इसमें प्रतिकूल चयन का जोखिम है जिसमें केवल उच्च जोखिम वाले लोग ही बीमा योजना में भाग लेने का विकल्प चुनते हैं, इससे स्थायी प्रीमियम स्तर प्राप्त नहीं होता। जोखिम स्तर की एक विविध शृंखला को शामिल करने के लिये प्रतिभागी पूल को संतुलित करना एक चुनौती है।
    • दावों के समय पर प्रसंस्करण और प्रीमियम भुगतान सहित बीमा योजना का प्रशासन जटिल हो सकता है।

आगे की राह 

  • PMSSY के तहत जलीय कृषि फसल बीमा योजना का उद्देश्य मछुआरों और जलीय कृषि किसानों के लिये जोखिम को कम करना, निवेश तथा खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा देना है। हालाँकि इसे डेटा, जागरूकता, प्रतिकूल चयन और प्रशासन से संबंधित चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
  • इसके सफल कार्यान्वयन और स्थिरता के लिये प्रमुख हितधारकों की भागीदारी तथा एक शासकीय संरचना की स्थापना महत्त्वपूर्ण है।
  • झींगा और मछली पालन के लिये जलीय कृषि फसल बीमा योजना के सफल कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने हेतु एक शासकीय संरचना आवश्यक है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

मेन्स:

प्रश्न. ‘नीली क्रांति’ को परिभाषित करते हुए भारत में मत्स्य पालन की समस्याओं और रणनीतियों को समझाइये। (2018)

प्रश्न. सहायिकियाँ सस्यन प्रतिरूप, सस्य विविधता और कृषकों की आर्थिक स्थिति को किस प्रकार प्रभावित करती हैं? लघु और सीमांत कृषकों के लिये फसल बीमा, न्यूनतम समर्थन मूल्य एवं खाद्य प्रसंस्करण का क्या महत्त्व है? (2017)

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