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भारत में दलहन उत्पादन

  • 17 Aug 2023
  • 10 min read

हाल ही में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ने भारत में दलहन/दालों का उत्पादन बढ़ाने के लिये अपनाई जा रही व्यापक रणनीतियों के विषय में राज्यसभा में एक लिखित जवाब में महत्त्वपूर्ण जानकारी प्रदान की।

  • इन जानकारियों में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (National Food Security Mission- NFSM)- दलहन के उद्देश्य, जिसमें उत्पादकता में वृद्धि करना तथा कृषि क्षेत्र में धारणीय प्रथाएँ सुनिश्चित करना है, पर प्रकाश डाला गया।

दलहन उत्पादन को बढ़ावा देने हेतु भारत की पहलें:

  • राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन-दलहन:
    • परिचय:
      • कृषि और किसान कल्याण विभाग के नेतृत्व में NFSM-दलहन पहल का संचालन जम्मू-कश्मीर और लद्दाख सहित 28 राज्यों तथा 2 केंद्रशासित प्रदेशों में किया जा रहा है।
    • NFSM-दलहन के तहत प्रमुख उपाय:
      • विभिन्न हस्तक्षेपों के लिये राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के माध्यम से कृषक वर्गों को सहायता।
      • बेहतर तकनीकों का समूहों में प्रदर्शन।
      • फसल प्रणाली प्रदर्शन।
      • बीज उत्पादन और HYVs/हाइब्रिड का वितरण।
      • उन्नत कृषि मशीनरी/उपकरण।
      • कुशल जल अनुप्रयोग उपकरण।
      • पादप संरक्षण के उपाय।
      • पोषक तत्त्व प्रबंधन/मृदा में सुधार।
      • प्रसंस्करण और फसल कटाई के बाद उपयोग किये जाने वाले उपकरण।
      • फसल प्रणाली आधारित प्रशिक्षण।
      • दालों की नई किस्मों के बीज, मिनी-किट का वितरण।
      • कृषि विज्ञान केंद्रों द्वारा तकनीकी प्रदर्शन।
      • इसके अतिरिक्त दालों के लिये 150 बीज केंद्रों की स्थापना ने गुणवत्तापूर्ण बीजों की उपलब्धता बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है।
        • वर्ष 2016-17 में स्थापना के बाद से इन केंद्रों द्वारा दालों हेतु सामूहिक रूप से 1 लाख क्विंटल से अधिक गुणवत्ता वाले बीजों का उत्पादन किया गया है।
  • अनुसंधान और किस्मों के विकास में ICAR की भूमिका:
    • अनुसंधान और किस्मों के विकास के प्रयासों के माध्यम से दलहनी फसलों की उत्पादन क्षमता में वृद्धि करने में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (Indian Council of Agricultural Research- ICAR) की अहम भूमिका है। इस संदर्भ में ICAR के प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं:
      • दलहन के क्षेत्र में बुनियादी और रणनीतिक अनुसंधान। राज्य कृषि विश्वविद्यालयों के साथ सहयोगात्मक अनुप्रयुक्त अनुसंधान।
      • अवस्थिति-विशिष्ट उच्च उपज वाली किस्मों और उत्पादन पैकेजों का विकास।
      • वर्ष 2014 से 2023 की अवधि के दौरान देश भर में व्यावसायिक खेती के लिये दालों की प्रभावशाली 343 उच्च उपज वाली किस्मों और संकर/हाइब्रिड को आधिकारिक मान्यता दी गई है।
  • प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (PM-AASHA) योजना:
    • इस व्यापक योजना (वर्ष 2018 में शुरुआत) में तीन घटक शामिल हैं:
      • मूल्य समर्थन योजना (Price Support Scheme- PSS): न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Support Price- MSP) पर पूर्व-पंजीकृत किसानों से खरीद।
        • वर्ष 2021-22 में लगभग 30.31 लाख टन दालों की खरीद की गई, जिससे 13 लाख से अधिक किसान लाभान्वित हुए।
        • वर्ष 2022-23 (जुलाई 2023 तक) में लगभग 28.33 लाख टन दालों की खरीद से 12 लाख से अधिक किसानों को लाभ हुआ।
      • मूल्य न्यूनता भुगतान योजना (Price Deficiency Payment Scheme- PDPS): इसके तहत मूल्य में अंतर अथवा भिन्नता को देखते हुए किसानों को मुआवज़ा प्रदान किया जाता है।
      • निजी खरीद स्टॉकिस्ट योजना (Private Procurement Stockist Scheme- PPSS): यह योजना खरीद के संदर्भ में निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित करती है।

भारत में दालों का उत्पादन:

  • भारत विश्व भर में दालों का सबसे बड़ा उत्पादक (वैश्विक उत्पादन का 25%), उपभोक्ता (वैश्विक खपत का 27%) और आयातक (14%) है।
  • खाद्यान्न के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र में दालों की हिस्सेदारी लगभग 20% है और देश में कुल खाद्यान्न उत्पादन में इसका योगदान लगभग 7-10% है।
  • हालाँकि दालें ख़रीफ और रबी दोनों सीज़न में उगाई जाती हैं, दालों के कुल उत्पादन में रबी सीज़न में उत्पादित दालों का योगदान 60% से अधिक है।
  • शीर्ष पाँच दाल उत्पादक राज्य हैं- मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. भारत में दालों के उत्पादन के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2020) 

  1. उड़द की खेती खरीफ और रबी दोनों फसलों में की जा सकती है।
  2. कुल दाल उत्पादन का लगभग आधा भाग केवल मूँग का होता है।
  3. पिछले तीन दशकों में, जहाँ खरीफ दालों का उत्पादन बढ़ा है, वहीं रबी दालों का उत्पादन घटा है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 2
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (a)

  • भारत में सर्दियों (रबी) में उगाई जाने वाली महत्त्वपूर्ण दलहनी फसलें चना, मसूर, लैथिरस, मटर और राजमा हैं। हालाँकि मूँग, उड़द और लोबिया वसंत तथा बरसात दोनों मौसमों में उगाए जाते हैं।
  • उड़द एक ऊष्म मौसम वाली फसल है और इसके उचित विकास के लिये 600 से 1000 मिमी. तक वार्षिक वर्षा वाले क्षेत्र सबसे अनुकूल होते है। इसकी खेती मुख्य रूप से अनाज-दलहन फसल प्रणाली में मृदा के पोषक तत्त्वों को संरक्षित करने तथा विशेष रूप से चावल की खेती के बाद मृदा की नमी का उपयोग करने के लिये किया जाता है। चूँकि इसे सभी मौसमों में उगाया जा सकता है, उड़द की खेती (खासकर प्रायद्वीपीय भारत में) अधिकांशतः या तो रबी या रबी मौसम के अंत में की जाती है। अतः कथन 1 सही है।
  • अर्थशास्त्र और सांख्यिकी निदेशालय के अनुसार, वर्ष 2018-19 में दलहन उत्पादन का आँकड़ा इस प्रकार था; तूर (15.34%), चना (43.29%), मूँग/हरा चना (10.04%), उड़द/काला चना (13.93%),  मसूर (6.67%) और अन्य दालें (10%)। अतः कथन 2 सही नहीं है।
  • केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा तीसरे अग्रिम आकलन और भारतीय उद्योग परिसंघ की वर्ष 2010 की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 1951 से वर्ष 2008 तक दालों का उत्पादन 45 प्रतिशत तथा पिछले दशक में 2009-10 और 2020-21 के बीच 65 प्रतिशत बढ़ा है।
  • हालाँकि खरीफ सीज़न की दालों (अरहर, उड़द और मूँग) का उत्पादन, जो भारत की कुल दालों का लगभग 40 प्रतिशत है, रबी सीज़न की दालों (चना और मसूर) की तुलना में कम रहा है।
  • नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, 1980 में खरीफ दालों का उत्पादन वार्षिक 8.7 प्रतिशत की दर से बढ़ा, किंतु 1990 तक यह गिरकर -6.6 प्रतिशत रह गया। रबी दालों के उत्पादन में भी 5.5 प्रतिशत की दर से वृद्धि देखी गई थी लेकिन 1990 में गिरकर यह -3.2 प्रतिशत रह गया। अगले दशक में इसमें सुधार हुआ और 2000 के बाद इसमें 4.2 प्रतिशत की दर से वृद्धि होने लगी।
  • इस प्रकार पिछले तीन दशकों में खरीफ और रबी सीज़न दोनों की दालों के उत्पादन में वृद्धि हुई है। इसलिये कथन 3 सही नहीं है। अतः विकल्प (A) सही उत्तर है।

स्रोत: पी.आई.बी.

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