कृषि नीति निगरानी और मूल्यांकन 2024 | 14 Nov 2024

प्रिलिम्स के लिये:

आर्थिक सहयोग और विकास संगठन, बाज़ार मूल्य समर्थन, न्यूनतम समर्थन मूल्य 

मेन्स के लिये:

सरकारी खरीद और वितरण का प्रभाव, सरकारी नीतियाँ और पहल, कृषि नीति और भारतीय किसानों पर इसका प्रभाव 

स्रोत: डाउन टू अर्थ 

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में, आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) द्वारा अपनी कृषि नीति निगरानी और मूल्यांकन रिपोर्ट 2024 में बताया गया है कि भारत वर्ष 2023 में अपने किसानों पर 120 बिलियन अमेरिकी डॉलर का कर लगाएगा, जो 54 देशों में सबसे अधिक है। 

  • यह निर्यात प्रतिबंध और शुल्क जैसी सरकारी नीतियों का उद्देश्य उद्देश्य उपभोक्ताओं के लिये खाद्य कीमतों को कम रखना है, लेकिन इससे कृषि क्षेत्र पर भारी वित्तीय बोझ बढ़ता है।

OECD की रिपोर्ट की मुख्य बातें क्या हैं?

  • कृषि में वित्तीय सहायता: वर्ष 2021 से 2023 तक 54 देशों में कृषि क्षेत्र के लिये कुल सहायता औसतन 842 बिलियन अमेरिकी डॉलर प्रति वर्ष रही है। यद्यपि वर्ष 2021 के शिखर की तुलना में वर्ष 2022 और 2023 में इसमें गिरावट आई, फिर भी यह कोविड-19 महामारी से पहले के स्तर से काफी अधिक है।
  • वर्ष 2021-23 के बीच बाज़ार मूल्य समर्थन (MPS) में 28 बिलियन अमेरिकी डॉलर की गिरावट आई, लेकिन फिर भी यह कुल समर्थन का एक बड़ा हिस्सा बना रहा।
    • MPS एक नीतिगत उपाय है जिसका उद्देश्य घरेलू बाज़ार में किसी विशिष्ट कृषि उत्पाद की कीमत को एक निश्चित न्यूनतम (सरकार द्वारा निर्धारित) स्तर पर बनाए रखना है, जिससे घरेलू कीमतों को विश्व कीमतों से ऊपर उठने में मदद मिलेगी।
  • भारत में कृषि सहायता: वर्ष 2023 में चावल, चीनी, प्याज और तेल रहित चावल की भूसी पर भारत के निर्यात प्रतिबंधों के कारण MPS नकारात्मक हो गया, जिससे 110 बिलियन अमेरिकी डॉलर का नुकसान हुआ। 
  • परिणामस्वरूप, किसानों को उनकी उपज के लिये उतना मूल्य नहीं मिला जितना इन नीतियों के बिना मिलता, जिससे उनकी आय में उल्लेखनीय कमी आई।
  • वर्ष 2023 में भारत का समग्र बाज़ार मूल्य समर्थन नकारात्मक था, जिससे 110 बिलियन अमेरिकी डॉलर का नुकसान हुआ, जिसका अर्थ है कि किसानों को उनकी उपज के लिये मूल्य उतना नहीं मिला जितना उन्हें इन नीतियों के बिना मिलता था।
    • भारत में सबसे ज़्यादा नकारात्मक मूल्य समर्थन था, उसके बाद वियतनाम और अर्जेंटीना का स्थान था। वर्ष 2023 में वैश्विक नकारात्मक मूल्य समर्थन में भारत का हिस्सा 62.5% था। यह हिस्सा 2000-02 में 61% से बढ़कर 2021-23 में 75% हो गया है, जो भारतीय किसानों पर बढ़ते बोझ को दर्शाता है।
    • सब्सिडी और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के माध्यम से कुल 10 बिलियन अमेरिकी डॉलर के सकारात्मक समर्थन के बावजूद, मूल्य-निराशाजनक नीतियों ने इन उपायों को के प्रभाव को कम कर दिया।
  • वैश्विक कृषि चुनौतियाँ: चल रहे संघर्षों (जैसे कि यूक्रेन के खिलाफ रूस का युद्ध और मध्य पूर्व में अशांति) ने कृषि बाज़ारों को बाधित किया है, जिसने विशेष रूप से व्यापार और वैश्विक आपूर्ति शृंखलाओं को प्रभावित किया है।
  • चरम मौसमी घटनाओं की बढ़ती आवृत्ति और गंभीरता, कृषि उत्पादन एवं उत्पादकता के लिये चुनौती बनी हुई है।
  • कुछ देशों के निर्यात प्रतिबंध से कृषि वस्तुओं का अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और अधिक विकृत हो गया है।
  • विभिन्न देशों में किसानों के बढ़ते विरोध प्रदर्शन से किसानों के आर्थिक एवं सामाजिक संघर्ष पर प्रकाश पड़ता है।
  • वैश्विक कृषि उत्पादकता की वृद्धि धीमी होने से स्थिरता बनाए रखते हुए बढ़ती वैश्विक खाद्य मांगों को पूरा करना जटिल हो गया है। 
  • सरकारें भुगतान को कृषि पद्धतियों से जोड़ रही हैं जिससे भूमि स्वास्थ्य, जैवविविधता और स्थिरता को समर्थन मिलता है, लेकिन पर्यावरणीय सार्वजनिक वस्तु भुगतान (EPGP) कुल उत्पादक समर्थन का केवल 0.3% है।
    • EPGP पर्यावरण को लाभ पहुँचाने वाले सार्वजनिक क्षेत्रों (जैसे जलवायु संरक्षण) को वित्तपोषित करने का एक तरीका है।
  • दिशा-निर्देश: सरकारों को धारणीय उत्पादकता हेतु मापनीय लक्ष्य निर्धारित करने की आवश्यकता है तथा कुल कारक उत्पादकता (TFP) एवं कृषि-पर्यावरण संकेतक (AEIs) जैसी निगरानी प्रणालियों में निवेश करना चाहिये।
  • TFP द्वारा कृषि इनपुट की दक्षता को मापा जाता है। TFP वृद्धि दर्शाती है कि किसान समान या कम संसाधनों से अधिक उत्पादन कर सकते हैं, जो इसे धारणीय कृषि हेतु एक महत्वपूर्ण उपागम बनाता है।
  • AEIs से कृषि से होने वाले प्रमुख पर्यावरणीय प्रभावों और जोखिमों को मापने के साथ उत्पादकों के प्रबंधन के तरीकों का आकलन किया जाता है। ये कृषि के प्रदर्शन एवं इसके अंतर्निहित कारणों को समझाने में भी सहायक हैं।
  • इस रिपोर्ट में उत्पादकता बढ़ाने के क्रम में नवाचार की आवश्यकता पर प्रकाश डालने के साथ उत्पादन का प्रमुख भाग धारणीय कृषि पद्धतियों से जोड़ने का आह्वान किया गया है।

आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (OECD) क्या है?

  • परिचय:
    • OECD एक अंतर-सरकारी आर्थिक संगठन है जिसकी स्थापना आर्थिक प्रगति व विश्व व्यापार को प्रोत्साहित करने के लिये की गई है।
    • अधिकांश OECD सदस्य राष्ट्र उच्च आय वाली अर्थव्यवस्थाएँ हैं जिनका मानव विकास सूचकांक (HDI) बहुत उच्च है एवं उन्हें विकसित देश माना जाता है।
  • स्थापना:
    • इसके मुख्यालय की स्थापना वर्ष 1961 में पेरिस, फ्राँस में की गई थी तथा इसमें कुल 38 सदस्य देश हैं।
    • OECD में शामिल होने वाले सबसे हालिया देश थे- अप्रैल 2020 में कोलंबिया तथा मई 2021 में कोस्टा रिका।
    • भारत इसका सदस्य नहीं है अपितु एक प्रमुख आर्थिक भागीदार है।
  • OECD द्वारा जारी रिपोर्ट और सूचकांक:
    • गवर्नमेंट एट अ ग्लांस
    • OECD बेटर लाइफ इंडेक्स

भारतीय कृषि नीतियाँ किसानों पर नकारात्मक प्रभाव कैसे डालती हैं?

  • नकारात्मक बाज़ार मूल्य समर्थन: भारत की नीतियों के परिणामस्वरूप किसानों के लिये नकारात्मक बाज़ार मूल्य समर्थन हुआ है। वर्ष 2014 से 2016 तक, उत्पादक समर्थन अनुमान (PSE) लगभग -6.2% था, जो नकारात्मक बाज़ार मूल्य समर्थन (-13.1%) से प्रेरित था।
    • PSE एक मीट्रिक है जो उपभोक्ताओं और सरकार से कृषि उत्पादकों को होने वाले हस्तांतरण के वार्षिक मूल्य को मापता है।
  • निर्यात प्रतिबंध और रोक: चावल और चीनी जैसी आवश्यक वस्तुओं पर निर्यात प्रतिबंध और कोटा लगाने से बाज़ार तक पहुँच सीमित हो जाती है, जिससे घरेलू कीमतें कम हो सकती हैं।
  • नियामक बाधाएँ: आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 और कृषि उत्पाद बाज़ार समिति (APMC) अधिनियम 2003 कृषि वस्तुओं के मूल्य निर्धारण, भंडारण और व्यापार पर कठोर नियम लागू करते हैं।
    • यद्यपि इन अधिनियमों का उद्देश्य खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना है, लेकिन सरकार द्वारा निर्धारित मूल्य नियंत्रण और कम खरीद मूल्यों के कारण अक्सर कृषि उत्पादों की कीमतें कम हो जाती हैं, जो कभी-कभी अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार मूल्यों से भी कम होती हैं, जिससे उत्पादकों पर मूल्य-निराशाजनक प्रभाव पड़ता है।
  • कम न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP): MSP का उद्देश्य किसानों की रक्षा करना है, लेकिन कुछ अवधियों के दौरान इसे अंतर्राष्ट्रीय मूल्यों से भी कम निर्धारित किया गया है, जिसके कारण किसानों को खुले बाज़ार की तुलना में कम मूल्य प्राप्त हो रहा है।
  • विपणन में अकुशलताएँ: आधुनिक बुनियादी ढाँचे की कमी और उच्च लेन-देन लागत के कारण किसानों को उनकी उपज के लिये मिलने वाली कीमतें कम हो जाती हैं, जिससे मूल्य दमन को बढ़ावा मिलता है।
  • अकुशल संसाधन आवंटन: उर्वरक, सिंचाई और बिजली के लिये सब्सिडी अल्पकालिक राहत प्रदान करती है, लेकिन जलवायु परिवर्तन, बाज़ार पहुँच और कृषि अनुसंधान में गिरावट जैसे दीर्घकालिक मुद्दों को हल करने में विफल रहती है, जो अंततः किसानों के लिये सतत् विकास और लाभप्रदता में बाधा उत्पन्न करती है।

कृषि से संबंधित भारत की पहल

आगे की राह

  • निर्यात नीतियों में सुधार: निर्यात प्रतिबंधों और कोटा को धीरे-धीरे कम करना, बुनियादी ढांचे (शीत भंडारण, परिवहन, प्रसंस्करण) में निवेश करना तथा प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ावा देने और उचित मुआवजा सुनिश्चित करने के लिये MSP को अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार मूल्यों के अनुरूप बनाना।
  • बजटीय प्राथमिकताओं में बदलाव: लचीलेपन, स्थिरता, बुनियादी ढाँचे में सुधार और आपूर्ति शृंखला की अकुशलताओं को कम करने की दिशा में संसाधनों को पुनर्निर्देशित करना।
  • बेहतर बाज़ार कार्यप्रणाली: समन्वय में सुधार, विखंडन को कम करने और क्षेत्र की चुनौतियों का समाधान करने के लिये राज्य और केंद्रीय नीतियों के बीच अधिक एकीकरण को बढ़ावा देना।
  • डिजिटल प्लेटफॉर्म को बढ़ावा देना: किसानों को उपभोक्ताओं से जोड़ने के लिये राष्ट्रीय कृषि बाज़ार (ई-नाम) जैसे प्रत्यक्ष विपणन और ई-कॉमर्स को प्रोत्साहित करना, जिससे पारंपरिक बाज़ारों पर निर्भरता कम हो।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न: भारत की कृषि नीतियों का किसानों पर क्या प्रभाव पड़ता है, इस पर चर्चा कीजिये। निर्यात प्रतिबंध और न्यूनतम समर्थन मूल्य जैसी नीतियाँ कृषि क्षेत्र को कैसे प्रभावित करती हैं?

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रिलिम्स:

प्रश्न: भारत में, निम्नलिखित में से किन्हें कृषि में सार्वजनिक निवेश माना जा सकता है? (2020)

  1. सभी फ़सलों के कृषि उत्पाद के लिये न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित करना
  2. प्राथमिक कृषि साख समितियों का कम्प्यूटरीकरण
  3. सामाजिक पूँजी विकास
  4. कृषकों को निःशुल्क बिजली की आपूर्ति
  5. बैंकिंग प्रणाली द्वारा कृषि ऋण की माफ़ी
  6. सरकारों द्वारा शीतागार सुविधाओं को स्थापित करना

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1, 2 और 5
(b) केवल 1, 3, 4 और 5
(c) केवल 2, 3 और 6
(d) 1, 2, 3, 4, 5 और 6

उत्तर: (c)


मेन्स:

प्रश्न: भारतीय कृषि की प्रकृति की अनिश्चितताओं पर निर्भरता के मद्देनज़र, फसल बीमा की आवश्यकता की विवेचना कीजिये और प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पी० एम० एफ० बी० वाइ०) की मुख्य विशेषताओं का उल्लेख कीजिये। (2016)

प्रश्न: भारत में स्वतंत्रता के बाद कृषि में आई विभिन्न प्रकारों की क्रांतियों को स्पष्ट कीजिये। इन क्रांतियों ने भारत में गरीबी उन्मूलन और खाद्य सुरक्षा में किस प्रकार सहायता प्रदान की है ? (2017)