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कृषि

प्याज निर्यात प्रतिबंध और उससे जुड़ी चुनौतियाँ

  • 08 Apr 2024
  • 13 min read

प्रिलिम्स:

प्याज़, भारत की निर्यात नीति, बागवानी, कृषि से संबंधित निकाय

मेन्स:

भारत की निर्यात नीति, भारत-UAE संबंध, कृषि सुधार, आपूर्ति शृंखला प्रबंधन

स्रोत: द हिंदू 

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में भारत सरकार ने घरेलू अधिशेष को कम करने के उद्देश्य से चल रहे निर्यात प्रतिबंध के बावजूद संयुक्त अरब अमीरात को प्याज़ निर्यात की अनुमति दी। 

  • हालाँकि आलोचकों का आरोप है कि संयुक्त अरब अमीरात के बाज़ार में बिक्री मूल्य वैश्विक कीमतों की तुलना में काफी कम है, जिससे उनके मुनाफे में कमी आई है और अनुचित प्रथाओं के बारे में चिंताएँ बढ़ गई हैं।

प्याज़ के निर्यात से जुड़ा मौज़ूदा मुद्दा:

  • पृष्ठभूमि: दिसंबर, 2023 में भारत सरकार ने घरेलू उत्पादन में कमी को नियंत्रित करने के लिये प्याज़ के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया, लेकिन राजनयिक अनुरोधों पर संयुक्त अरब अमीरात जैसे विशिष्ट देशों को निर्यात की अनुमति दी।
    • हालाँकि संयुक्त अरब अमीरात में प्याज़ के शिपमेंट के परिणामस्वरूप कीमतों में काफी अंतर हो गया है, भारतीय किसानों को संयुक्त अरब अमीरात के बाज़ारों में प्याज़ की कम कीमतें मिल रही हैं।
      • उदाहरण के लिये, हाल ही में संयुक्त अरब अमीरात जैसे प्रमुख बाज़ारों में प्याज़ की कीमतें 1500 डॉलर प्रति टन तक बढ़ गई, जबकि संयुक्त अरब अमीरात में भारत के हालिया शिपमेंट लगभग 500 से 550 डॉलर प्रति टन पर भेजे गए थे।
  • निर्यातकों द्वारा जताई गई चिंताएँ:
    • पारदर्शिता का अभाव: निर्यात कीमतों को निर्धारित करने और निर्यातकों तथा आयातकों का चयन करने की प्रक्रिया में पारदर्शिता का अभाव है, जिससे किसानों एवं निर्यातकों के बीच चिंताएँ उत्पन्न होती हैं।
      • निर्यातकों का आरोप है कि संयुक्त अरब अमीरात में कुछ आयातकों ने भारतीय किसानों की कीमत पर अप्रत्याशित लाभ कमाया है।
      • निर्यात का प्रबंधन भारत में सरकारी स्वामित्व वाली संस्था नेशनल कोऑपरेटिव एक्सपोर्ट्स लिमिटेड (NCEL) द्वारा किया जा रहा है।
        • संयुक्त अरब अमीरात में इन शिपमेंट को प्राप्त करने वाले आयातक निजी व्यापारी और सुपरमार्केट शृंखलाएँ हैं, न कि खाद्य सुरक्षा पर केंद्रित सरकारी एजेंसियाँ। 
    • व्यापार मानदंडों का उल्लंघनः व्यापार मानदंडों के अनुसार, स्थानीय प्याज़ आपूर्तिकर्त्ता अत्यधिक कम संभव मूल्य के लिये बोली लगाते हैं, जबकि खरीदारों का चयन उच्चतम मूल्य के आधार पर किया जाता है। 
      • हालाँकि निर्यातकों का तर्क है कि UAE के मामले में इस प्रथा का पालन नहीं किया जा रहा है।
  • प्याज़ उगाने वाले किसानों द्वारा उठाई गई चिंताएँ: 
    • MSP का अभाव: प्याज़ उगाने वाले किसानों को सरकारी न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) आधारित खरीद से कोई लाभ नहीं मिलता है और वे पूरी तरह से बाज़ार पर निर्भर होते हैं।
    • मूल्य असमानता: किसानों को उनके उगाए गए प्याज़ के लिये अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों में बेची जाने वाली कीमतों की तुलना में बहुत कम कीमत दी जाती है, जिससे किसानों को काफी नुकसान होता है।
      • मार्च और अप्रैल, 2023 में बेमौसम भारी वर्षा ने कटे हुए प्याज़ को नुकसान पहुँचाया, जिससे वे भंडारण के लिये कम उपयुक्त हो गए, जिससे किसानों को प्याज़ की संकटपूर्ण बिक्री करनी पड़ी तथा प्याज़ की गुणवत्ता में तेज़ी से गिरावट आई।
    • निर्यात प्रतिबंध: उत्पादन में कमी के कारण सरकार द्वारा प्याज़ के निर्यात पर बार-बार प्रतिबंध लगाने से बाज़ार बाधित हो सकता है और किसानों की आय प्रभावित हो सकती है।
      • अधिकांश रबी प्याज़ उगाने वाले किसान नमी और अंकुरण को रोकने के लिये फसल की कटाई के बाद उसका भंडारण करते हैं, और उन्हें अगली खरीफ फसल से पहले सितंबर से अक्तूबर तक धीरे-धीरे बेचते हैं।
      • ऑफ-सीज़न में अधिक प्राप्तियाँ उन्हें पहले की कम कीमत वाली बिक्री से हुए नुकसान की भरपाई करने में सहायता करती हैं। लेकिन निर्यात प्रतिबंध जैसे कदमों से उन्हें उचित लाभ कमाने की उम्मीद धूमिल हो गई है।
      • इसके अलावा, चावल, गेँहू या प्याज़ जैसे मुख्य खाद्य पदार्थों पर निर्यात प्रतिबंध एक भरोसेमंद वैश्विक खाद्य स्रोत के रूप में भारत की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँचा सकता है, जिससे इसकी बहाली चुनौतीपूर्ण हो जाएगी।

भारत में प्याज़ उगाने वाले किसानों की समस्याओं के समाधान के लिये क्या कदम आवश्यक हैं?

  • उचित मूल्य तंत्र: एक निष्पक्ष और पारदर्शी मूल्य निर्धारण तंत्र लागू करना, जो सुनिश्चित करता है कि किसानों को उनके प्याज़ के लिये उचित मूल्य मिले।
  • निर्यात नीति की समीक्षा: भारत के लिये टैरिफ और व्यापार पर सामान्य समझौते के अनुरूप निर्यात नीतियों की समीक्षा एवं संशोधन करने का समय आ गया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे किसानों पर नकारात्मक प्रभाव न डालें तथा निष्पक्ष व्यापार प्रथाओं को बढ़ावा दें।
  • बाज़ार सुधार: बिचौलियों पर निर्भरता कम करने और किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य सुनिश्चित करने के लिये कृषि विपणन प्रणाली में सुधार लाना।
  • निर्यात मूल्य निगरानी: यह सुनिश्चित करने के लिये निर्यात कीमतों की बारीकी से निगरानी करना कि वे अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार की कीमतों के अनुरूप हैं और घरेलू किसानों को हानि नहीं पहुँचाती हैं।
  • सौर ऊर्जा से संचालित निर्जलीकरण इकाइयाँ: गाँव के स्तर पर मोबाइल, सौर ऊर्जा से संचालित निर्जलीकरण इकाइयाँ लगाने से किसानों को अधिशेष के दौरान अतिरिक्त प्याज़ को निर्जलित करने में सशक्त बनाया जा सकता है।
    • यह प्याज़ की शेल्फ लाइफ को बढ़ाता है, उपज को खराब होने को कम करता है, और सरलता से निर्यात योग्य उत्पाद बनाता है।

कृषि उत्पादों के आयात तथा निर्यात से संबंधित अंतर्राष्ट्रीय संधियाँ/नीतियाँ क्या हैं?

  • कृषि पर WTO समझौता: उरुग्वे दौर की वार्ता के परिणामस्वरूप हुए इस समझौते का उद्देश्य इस क्षेत्र में व्यापार में सुधार करने के साथ-साथ नीतियों को अधिक बाज़ार-उन्मुख बनाना है।
    • इसमें सब्सिडी, व्यापार बाधाओं को कम करने एवं व्यापार को अधिक पूर्वानुमानित तथा पारदर्शी बनाने की प्रतिबद्धताएँ शामिल हैं,  
    • भारत कृषि पर विश्व व्यापार संगठन समझौते (AoA) का एक पक्षकार है।
  • स्वच्छता एवं पादप स्वच्छता उपायों के अनुप्रयोग पर समझौता: ये मानव, पशु, अथवा पौधों के जीवन या स्वास्थ्य को कीटों और बीमारियों, भोजन  पेय पदार्थ, या चारा सामग्री में योजकों, संदूषकों, विषाक्त पदार्थों अथवा रोगजनित जीवों से उत्पन्न होने वाले जोखिमों से बचाने के उपाय हैं।
    • भारत इसका एक पक्षकार है।
  • अंतर्राष्ट्रीय पादप संरक्षण सम्मेलन (IPPC): यह संधि विश्व के पादप संसाधनों को कीटों के प्रसार और संपर्क से बचाती है, साथ ही सुरक्षित व्यापार को भी बढ़ावा देती है।
    • भारत अंतर्राष्ट्रीय पादप संरक्षण कन्वेंशन का एक पक्षकार है।

प्याज़ के बारे में महत्त्वपूर्ण तथ्य क्या हैं?

  • परिचय: प्याज़ एक जड़ी-बूटी है जो लिली परिवार से संबंधित है। यह एक महत्त्वपूर्ण बागवानी वस्तु है जो विश्व में उनके पाक प्रयोजनों एवं औषधीय मूल्यों के लिये उगाई जाती है।
  • प्रमुख उत्पादक: भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा प्याज़ उत्पादक है।
    • महाराष्ट्र, कर्नाटक, उड़ीसा, उत्तर प्रदेश, गुजरात, आंध्र प्रदेश तथा तमिलनाडु प्रमुख प्याज़  उत्पादक राज्य हैं।
    • वर्ष 2021-22 (तीसरा अग्रिम अनुमान) में प्याज़ उत्पादन में महाराष्ट्र 42.53% की हिस्सेदारी के साथ पहले स्थान पर है, उसके बाद 15.16% की हिस्सेदारी के साथ मध्य प्रदेश है।
  • निर्यात गंतव्य: भारतीय प्याज़ के प्रमुख निर्यात स्थलों में बांग्लादेश, मलेशिया, संयुक्त अरब अमीरात, श्रीलंका तथा नेपाल शामिल हैं।

दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न:

प्रश्न. हाल ही में कुछ कृषि उत्पादों पर निर्यात प्रतिबंध पर विचार करते हुए भारत की कृषि निर्यात नीति का आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के अधीन बनाए गए उपबंधों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:

  1. केवल वे ही परिवार सहायता प्राप्त खाद्यान्न लेने की पात्रता रखते हैं जो ‘‘गरीबी रेखा से नीचे’’ (बी.पी.एल) श्रेणी में आते हैं।
  2.  परिवार में 18 वर्ष या उससे अधिक उम्र की सबसे अधिक उम्र वाली महिला ही राशन कार्ड निर्गत किये जाने के प्रयोजन से परिवार का मुखिया होगी।
  3.  गर्भवती महिलाएँ एवं दुग्ध पिलाने वाली माताएँ गर्भावस्था के दौरान और उसके छ: महीने बाद तक प्रतिदिन 1600 कैलोरी वाला राशन घर ले जाने की हकदार हैं।

उपर्युत्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) 1 और 2   
(b) केवल 2
(c) 1 और 3   
(d) केवल 3


मेन्स:

प्रश्न. अब तक भी भूख और गरीबी भारत में सुशासन के समक्ष सबसे बड़ी चुनौतियाँ हैं। मूल्यांकन कीजिये कि इन भारी समस्याओं से निपटने में क्रमिक सरकारों ने किस सीमा तक प्रगति की है। सुधार के लिये उपाय सुझाइए। (2017)

प्रश्न. खाद्यान्न वितरण प्रणाली को और अधिक प्रभावशाली बनाने के लिये सरकार द्वारा कौन से सुधारात्मक कदम उठाए गए हैं?  (2019)

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