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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 30 Dec, 2024
  • 26 min read
रैपिड फायर

निधि कंपनियों पर नियामक कार्यवाही में वृद्धि

स्रोत: लाइव मिंट

  • वर्ष 2024 में, कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय (MCA) और कंपनी रजिस्ट्रार (RoC) ने निधि कंपनियों तथा लाभकारी स्वामित्व प्रकटीकरण में विफल रहने वाली फर्मों के खिलाफ कार्यवाही तेज़ कर दी है। 
  • ऐसा वित्तीय पारदर्शिता सुनिश्चित करने, गैर-बैंकिंग क्षेत्र में अवैध गतिविधियों पर अंकुश लगाने तथा कॉर्पोरेट प्रशासन को मज़बूत करने के लिये किया गया।
  • कंपनी रजिस्ट्रार ने निधियों के विरुद्ध 131 आदेश जारी किये, जो वर्ष 2023 से 72% अधिक है, जिसमें 10,000 रुपए से 30 लाख रुपए तक का ज़ुर्माना शामिल है। 
  • लाभकारी स्वामित्व से तात्पर्य उन व्यक्तियों से है जो अंततः किसी कंपनी के मालिक होते हैं या उस पर नियंत्रण रखते हैं, भले ही शेयर किसी अन्य व्यक्ति के नाम पर हों। 
    • कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत, कंपनियों को उन व्यक्तियों की पहचान का प्रकटन करना होगा जिनके पास महत्त्वपूर्ण नियंत्रण है या जो 25% या उससे अधिक शेयरों के मालिक हैं।
  • निधि कंपनियाँ गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ (NBFC) हैं जो कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 406 के तहत संचालित हैं। 
    • ये कंपनियाँ बचत को प्रोत्साहित करने तथा विशेष रूप से अपने सदस्यों को ऋण उपलब्ध कराने के लिये बनाई गई हैं। 
    • निधियों को RBI लाइसेंस प्राप्त करने की आवश्यकता नहीं है, लेकिन उन्हें सख्त प्रकटीकरण और परिचालन मानदंडों का पालन करना होगा। 
    • वे पब्लिक लिमिटेड कंपनियों के रूप में पंजीकृत हैं और उनके नाम में "निधि लिमिटेड" शामिल है।
    • उन्हें एक वर्ष के भीतर न्यूनतम 200 सदस्य और 20 लाख रुपए की शुद्ध स्वामित्व निधि बनाए रखनी होगी।

और पढ़ें: निधि कंपनियाँ 


प्रारंभिक परीक्षा

ऑपरेशन ग्रीन्स योजना का कम उपयोग

चर्चा में क्यों?

हाल ही में कृषि, पशुपालन और खाद्य प्रसंस्करण पर संसदीय स्थायी समिति (PSC) ने एक रिपोर्ट पेश की, जिसमें ऑपरेशन ग्रीन्स (OG) योजना के निम्न प्रदर्शन पर प्रकाश डाला गया।

  • इस योजना की सीमित सफलता, अस्थिर कृषि बाज़ारों और फसल-पश्चात होने वाले नुकसान की चुनौतियों से निपटने में सरकार की क्षमता के बारे में चिंताएँ उत्पन्न करती है।

PSC रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष क्या हैं?

  • बजट का कम उपयोग: वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिये आवंटित 173.40 करोड़ रुपए में से केवल 34% (59.44 करोड़ रुपए) अक्तूबर 2024 तक खर्च किये गए हैं।
    • आवंटित बजट का 65.73% हिस्सा अभी तक खर्च नहीं हो पाया है, जिससे शेष वित्तीय वर्ष के लिये व्यय संबंधी दिशानिर्देशों को पूरा करने में चिंता उत्पन्न होती है।
  • मूल्य स्थिरीकरण पर सीमित प्रभाव: फसल की कीमतों को स्थिर करने के योजना के उद्देश्य के बावजूद, महाराष्ट्र में प्याज़ किसानों को मूल्य में गिरावट का सामना करना पड़ रहा है, तथा प्याज़ की कीमतों में लगभग 50% की कमी आई है।
    • ओडिशा और झारखंड जैसे राज्यों में आलू की कमी देखी जा रही है, तथा पश्चिम बंगाल में मौसम की खराब स्थिति के कारण उत्पादन में गिरावट के कारण स्थिति और भी चिंताजनक है।
  • नीतिगत असंगतताएँ: निर्यात प्रतिबंध और उसके विस्तार तथा निर्यात शुल्क अधिरोपण जैसी सरकार की असंगत नीतियों ने प्याज़ किसानों को निराश कर दिया है, जिससे उचित मूल्य प्राप्त करने की उनकी क्षमता प्रभावित हुई है।
  • योजना के लक्ष्य को प्राप्त करने में चुनौतियाँ: इस योजना के अंतर्गत इसके दोहरे उद्देश्यों की पूर्ति करने में संघर्ष करना पड़ा है। इसके दोहरे उद्देश्यों के अंतर्गत उपभोक्ताओं को वहनीय मूल्य का विकल्प प्रदान करते हुए किसानों को उचित मूल्य प्रदान करना सुनिश्चित किया जाना शामिल है।
    • अपर्याप्त वित्तपोषण और प्रगति का अभाव कृषि बाज़ारों को स्थिर करने और कटाई-उपरांत प्रबंधन में बुनियादी ढाँचे की कमी की पूर्ति करने में चुनौतियों को उजागर करता है।

ऑपरेशन ग्रीन्स योजना क्या है?

  • परिचय: यह प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना के तहत वर्ष 2018 में शुरू की गई एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना, जिसका उद्देश्य "ऑपरेशन फ्लड (श्वेत क्रांति)" से प्रेरित होकर विकारीय फसलों की कीमतों को स्थिर करना और किसानों की आय में वृद्धि करना है।
  • उद्देश्य: 
  • अल्पकालिक हस्तक्षेप: आपात/मजबूरन विक्रय से उत्पादकों की रक्षा करना तथा कटाई के बाद होने वाले नुकसान को कम करना।
  • कार्यान्वयन: OG का कार्यान्वयन कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा किया जाता है, जिसका वित्तपोषण भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (NAFED) द्वारा किया जाता है।
  • क्षेत्र का विस्तार: ओ.जी. योजना के अंतर्गत प्रारंभ में टमाटर, प्याज़ और आलू (टी.ओ.पी.) की फसल शामिल थी। 
    • हालाँकि, 15 वें वित्तीय आयोग चक्र (2021-26) के भाग के रूप में, इसमें विस्तार कर 22 विकारीय (जिनका नाश शीघ्रतः होता है) फसलों को शामिल कर दिया गया, जैसे फल (आम, केला, अंगूर), सब्जियाँ (गाजर, बीन्स, भिंडी), लौकी कुल (लौकी, करेला) और अन्य फसलें जैसे लहसुन, अदरक और झींगा।

और पढ़ें: खाद्य मुद्रास्फीति: प्रवृत्ति, कारक एवं नियंत्रण उपाय


प्रारंभिक परीक्षा

भारत के हरित विकास एवं लोजिस्टिक्स क्षेत्र में आधुनिकीकरण हेतु ADB ऋण

स्रोत: पीआईबी

चर्चा में क्यों?

हाल ही में, भारत सरकार और एशियाई विकास बैंक (ADB) ने भारत के बुनियादी ढाँचे को उन्नत करने और सतत् विकास को सहयोग प्रदान करने के उद्देश्य से दो महत्त्वपूर्ण ऋण समझौतों पर हस्ताक्षर किये।

भारत द्वारा लिये गए ADB ऋण के संबंध में मुख्य तथ्य क्या हैं?

  • 500 मिलियन अमेरिकी डॉलर के ऋण का उद्देश्य भारत की जलवायु प्रतिबद्धताओं के अनुरूप हरित एवं धारणीय बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं को संपोषित करना है, जिसमें विशेष रूप से कनेक्टिविटी, नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के परिवर्तन एवं शहरी परियोजनाओं, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा जैसे कम संसाधन वाले क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा ।
    • प्राप्तकर्त्ता: सॉवरेन गारंटी के साथ ऋण इंडिया इन्फ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस कंपनी लिमिटेड (IIFCL) को प्रदान किया जाएगा
    • IIFCL की भूमिका: IIFCL इस निधि का उपयोग बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं के लिये दीर्घकालिक पूंजी उपलब्धता तथा निजी क्षेत्र के संसाधनों को प्राप्त करने के लिये करेगा। 
      • यह ऋण भारत की अपनी नेट-जीरो प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिये निजी पूंजी निवेश की आवश्यकता के अनुरूप है
      • IIFCL देश का एक अग्रणी सार्वजनिक क्षेत्र का अवसंरचना वित्त संस्थान है, जिसने देश के लगभग 21% राष्ट्रीय राजमार्गों को वित्तपोषित किया है, जिसमें लगभग 30,000 किलोमीटर सड़कें शामिल हैं।
  • 350 मिलियन अमेरिकी डॉलर का यह ऋण भारत के विनिर्माण क्षेत्र को प्रोत्साहित करने एवं आपूर्ति शृंखला अनुकूलन को उन्नत करने के लिये कार्यान्वित SMILE कार्यक्रम के अंतर्गत दिया गया है
    • इसका उद्देश्य लॉजिस्टिक्स लागत को कम करना, दक्षता में सुधार करना, रोज़गार सृजन एवं लैंगिक समावेशन को प्रोत्साहित करते हुए लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में नवाचार और विकास को बढ़ावा देकर भारत के समग्र आर्थिक विकास का सहयोग प्रदान करना है।

स्ट्रेंथनिंग मल्टीमॉडल एंड इंटीग्रेटेड लॉजिस्टिक्स इकोसिस्टम (SMILE) कार्यक्रम क्या है?

  • परिचय:
    • SMILE कार्यक्रम भारत सरकार द्वारा एशियाई विकास बैंक (ADB) के सहयोग से देश के लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में व्यापक सुधार और आधुनिकीकरण के लिये आरंभ की गई एक प्रमुख पहल है।
  • उद्देश्य:
    • भारत की मैन्युफैक्चरिंग मार्केटिंग को सुदृढ़ करना और लॉजिस्टिक्स सुपरमार्केट में सुधार करके आपूर्ति शृंखला को सुदृढ़ करना।
  • मुख्य बिंदु: 
    • संस्थागत सुदृढ़: राष्ट्रीय, राज्यीय और शहरी स्तर पर लॉजिस्टिक्स के क्षेत्र में संलग्न विभिन्न मंत्रालयों एवं एजेंसियों के मध्य समन्वय एवं नियोजन में सुधार करना है।
      • इसका उद्देश्य इस क्षेत्र के लिये अधिक निर्मित और कुशल शासन संरचना तैयार करना है।
    • मानकीकरण एवं अवसंरचना विकास: दक्षता में सुधार लाने और बुनियादी ढाँचे के विकास में अधिक निजी क्षेत्र के निवेश को आकर्षित करने के लिये भंडारण तथा अन्य लॉजिस्टिक आस्तियों के मानकीकरण को बढ़ावा देना।
    • बाह्य व्यापार से संबद्ध बुनियादी ढाँचे में सुधार: अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में विलंब एवं लागत को कम करने के लिये आयात और निर्यात से संबंधित प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करना।
    • तकनीकी अनुकूलन: दक्षता में सुधार, उत्सर्जन में कमी तथा सेवा वितरण को उन्नत करने के लिये लॉजिस्टिक्स परिचालन में स्मार्ट प्रौद्योगिकियों और स्वचालन के उपयोग को प्रोत्साहित करना।
      • इसमें डिजिटलीकरण एवं डेटा साझाकरण को बढ़ावा देना शामिल है। 

लॉजिस्टिक्स के क्षेत्र सरकार की प्रमुख पहलें

 एशियन डेवलपमेंट बैंक (ADB)

  • परिचय: ADB एक बहुआयामी विकास बैंक है जिसकी स्थापना वर्ष 1966 में एशिया-प्रशांत क्षेत्र में आर्थिक विकास व सहयोग को बढ़ावा देने के मिशन के साथ की गई थी।
  • मुख्यालय: मनीला, फिलीपींस में स्थित है।
  • सदस्यता: इसमें 68 सदस्य हैं, जिनमें एशिया और प्रशांत क्षेत्र से 49 तथा अन्य क्षेत्रों से 19 सदस्य शामिल हैं।
  • भारत और ADB: भारत ADB का संस्थापक और चौथा सबसे बड़ा शेयरधारक (जापान, अमेरिका एवं चीन के बाद) है
  • भारत को ADB का समर्थन: ADB ने अपनी ADB स्ट्रेटेजी वर्ष 2030 तथा वर्ष 2023-2027 के लिये देश साझेदारी रणनीति के अनुरूप, टिकाऊ, जलवायु-लचीले और समावेशी विकास हेतु भारत की प्राथमिकताओं के साथ अपने समर्थन को संरेखित किया है।
  • हाल ही में ADB ने एशिया डेवलपमेंट आउटलुक रिपोर्ट 2024 जारी की।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)  

प्रिलिम्स

'रीज़नल कॉम्प्रिहेन्सिव इकोनॉमिक पार्टनरशिप (Regional Comprehensive Economic Partnership)' पद प्रायः समाचारों में देशों के एक समूह के मामलों के संदर्भ में आता है। देशों के उस समूह को क्या कहा जाता है? (2016)

(a) G20
(b) ASEAN
(c) SCO
(d) SAARC

उत्तर : (b)


रैपिड फायर

कारागार में दांपत्य परिदर्शन

स्रोत: द हिंदू 

दिल्ली सरकार कैदियों के लिये दांपत्य परिदर्शन की अनुमति प्रदान किये जाने के प्रस्ताव पर पुनर्विचार कर रही है।

  • दांपत्य परिदर्शन:
    • इसका तात्पर्य निजी पारिवारिक भेंट से है, जिसमें कैदी कारागार के भीतर अपने विधिक पति/पत्नी के साथ समय व्यतीत करते हैं।
    • मनोवैज्ञानिक कल्याण में सुधार और कैदियों के वैवाहिक संबंधों को बनाए रखते हुए इससे कैदियों के पुनर्वास तथा दीर्घकालिक सुधार को बढ़ावा मिलता है।
  • न्यायिक निर्णय:
    • पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने वर्ष 2014 में कैदियों के संतानोत्पत्ति के अधिकार को बरकरार रखा था।
    • मद्रास उच्च न्यायालय ने वर्ष 2018 में वैवाहिक संबंधों के लिये पैरोल की अनुमति दी थी।
    • जुलाई 2023 में मद्रास उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति एस.एम. सुब्रमण्यम ने तमिलनाडु सरकार से कारागार परिसर के भीतर कैदियों के लिये वैवाहिक संबंधों की अनुमति देने पर विचार करने का आग्रह किया था।
  • अन्य देश: अमेरिका के कुछ राज्यों में दांपत्य परिदर्शन की अनुमति है, लेकिन संघीय कारागारों में नहीं है।
    • यूरोप में स्पेन, फ्राँस, स्वीडन और डेनमार्क जैसे देश इस प्रकार की भेंट की अनुमति प्रदान करते हैं और स्पेन मासिक एवं स्वीडन 9 घंटे की समयावधि प्रदान करता है।

और पढ़ें: भारत में ओपन जेलें 




प्रारंभिक परीक्षा

इसरो का स्पैडेक्स

स्रोत: बिज़नेस स्टैंडर्ड

चर्चा में क्यों? 

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) 30 दिसंबर, 2024 को स्पेस डॉकिंग एक्सपेरीमेंट (SpaDeX) मिशन के प्रक्षेपण के साथ एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि हासिल करने के लिये तैयार है।

इस मिशन का उद्देश्य उपग्रह डॉकिंग क्षमताओं का प्रदर्शन करना है, जो भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों के लिये एक महत्त्वपूर्ण तकनीक है।

स्पैडेक्स क्या है?

  • परिचय: स्पैडेक्स (Space Docking Experiment- SpaDeX) एक प्रौद्योगिकी प्रदर्शन मिशन है जिसे इसरो द्वारा अंतरिक्ष में डॉकिंग प्रौद्योगिकी का प्रदर्शन करने के लिये विकसित किया गया है।
    • इस मिशन का उद्देश्य दो छोटे अंतरिक्ष यान को एक-दूसरे से मिलाने, डॉक करने और अनडॉक करने की क्षमता का प्रदर्शन करना है, जो भारत की अंतरिक्ष क्षमताओं में एक महत्त्वपूर्ण प्रगति को दर्शाता है।
  • उद्देश्य: स्पैडेक्स (SpaDeX) का प्राथमिक लक्ष्य, पृथ्वी की निचली कक्षा में दो छोटे अंतरिक्ष यान, SDX01 (चेज़र) और SDX02 (टारगेट) के लिये डॉकिंग तकनीक विकसित करना है।
    • वे उन्नत सेंसर और प्रणोदन प्रणालियों का उपयोग करते हुए स्वायत्त रूप से डॉकिंग करेंगे।
    • द्वितीयक उद्देश्यों में विद्युत शक्ति हस्तांतरण का परीक्षण और अंतरिक्ष यान नियंत्रण का प्रदर्शन शामिल है।
  • मिशन अवधि: दो वर्ष
  • मिशन डिज़ाइन: स्पैडेक्स (SpaDeX) दो उपग्रहों, SDX01 और SDX02 को ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV) रॉकेट का उपयोग करके 470 किमी. की कक्षा में स्थापित करेगा, जहाँ वे अलग हो जाएंगे और धीरे-धीरे एक-दूसरे के पास आएंगे, अंततः 20 किमी. से 3 मीटर की दूरी पर डॉकिंग करेंगे।
    • दोनों उपग्रह भारतीय डॉकिंग सिस्टम (BDS) से सुसज्जित हैं।
      • BDS में समान, कम प्रभाव (उपगमन वेग 10 मिमी./सेकंड के क्रम का है), उभयलिंगी (डॉकिंग सिस्टम दोनों अंतरिक्ष यान, चेज़र और टारगेट के लिये समान हैं) डॉकिंग तंत्र हैं, जो उपग्रह सर्विसिंग, चालक दल के स्थानांतरण और भारत के अंतरिक्ष स्टेशन विकास जैसे भविष्य के कार्यों के लिये मिशन के लचीलेपन तथा सटीकता को बढ़ाते हैं।
    • स्पैडेक्स (SpaDeX) शैक्षणिक संस्थानों और स्टार्टअप्स से 24 पेलोड ले जाने के लिये PSLV के चौथे चरण, POEM (PSLV ऑर्बिटल एक्सपेरीमेंटल मॉड्यूल)-4 का उपयोग करेगा। ये प्रयोग कक्षा में सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण वातावरण का लाभ उठाएंगे।
  • डॉकिंग चुनौती: दोनों उपग्रह (चेज़र और टारगेट) 28,800 किमी/घंटा की गति से परिक्रमा करेंगे। डॉकिंग से पहले उन्हें सावधानीपूर्वक अपने सापेक्ष वेग को घटाकर 0.036 किमी/घंटा करना होगा।

स्पेस डॉकिंग

  • स्पेस डॉकिंग का तकनीक का तात्पर्य अंतरिक्ष में दो अंतरिक्ष यानों को जोड़ने की तकनीक से है। यह एक ऐसी तकनीक है जिसकी सहायता से मानव को एक अंतरिक्ष यान से दूसरे अंतरिक्ष यान में भेज पाना संभव होता है। 
    • यह क्षमता अंतरिक्ष में बड़ी संरचनाओं को इकट्ठा करने या उपकरण, चालक दल या आपूर्ति को स्थानांतरित करने के लिये महत्त्वपूर्ण है।
  • उदाहरण के लिये, अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) का निर्माण इसी तकनीक का उपयोग करके किया गया था, जिसमें विभिन्न मॉड्यूलों को अलग-अलग प्रक्षेपित किया गया था और अंतरिक्ष में स्थापित किया गया था। 
    • निरंतर डॉकिंग मिशन, आपूर्ति, नए चालक दल के सदस्यों और मॉड्यूलों को पहुँचाकर ISS को प्रचालन में बनाए रखते हैं, तथा पुराने चालक दल के सदस्यों को पृथ्वी पर वापस लौटने में सहायता करते हैं।

स्पेस डॉकिंग प्रौद्योगिकी भारत के लिये महत्त्वपूर्ण क्यों है?

  • मॉड्यूलर स्पेस इन्फ्रास्ट्रक्चर: मल्टी-मॉड्यूलर स्पेस स्टेशन बनाने के लिये डॉकिंग एक शर्त है। यह अंतरिक्ष में संरचनाओं के संयोजन की अनुमति देता है, जिससे एकल प्रक्षेपण मिशनों के आकार और भार संबंधी बाधाओं में कमी आती है।
  • अंतरग्रहीय और चंद्र मिशन: डॉकिंग से कक्षीय ईंधन भरने और पेलोड विनिमय में सहायता मिलती है, जिससे लूनर बेस और मंगल अन्वेषण के लिये मिशन लचीलापन बढ़ता है। 
  • मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम: गगनयान और उससे आगे के दीर्घकालिक मिशनों के दौरान चालक दल के स्थानांतरण और आपातकालीन निकासी के लिये अंतरिक्ष डॉकिंग महत्त्वपूर्ण है।
  • वैश्विक सहयोग और बाज़ार संभावना: स्पैडेक्स भारत को रूस, अमेरिका और चीन के बाद चौथा देश बना सकता है, जो अंतरिक्ष डॉकिंग में महारत हासिल करेगा, उपग्रह सेवा में अपनी उपस्थिति को मज़बूत करेगा और उन्नत अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को सक्षम करेगा।
  • उपग्रह सर्विसिंग: डॉकिंग से उपग्रहों की सर्विसिंग, ईंधन भरने और उन्हें उन्नत करने की सुविधा मिलती है, जिससे उनका परिचालन जीवन और प्रदर्शन बेहतर होता है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स 

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2016)

इसरो द्वारा प्रक्षेपित मंगलयान

  1. को मंगल ऑर्बिटर मिशन भी कहा जाता है।
  2. के कारण अमेरिका के बाद मंगल ग्रह की परिक्रमा करने वाला भारत दूसरा देश बना।
  3.  ने भारत को अपने अंतरिक्ष यान को अपने पहले ही प्रयास में मंगल ग्रह की परिक्रमा करने में सफल होने वाला एकमात्र देश बना दिया।

उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?

(a) केवल
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (c)


रैपिड फायर

वित्तीय क्षेत्र में एथिकल AI हेतु RBI द्वारा समिति का गठन

स्रोत: ET 

वित्तीय क्षेत्र में फ्रेमवर्क फॉर रिस्पॉन्सिबल एंड नैतिक एआई (FREE-AI) के अभिग्रहण हेतु एक रूपरेखा विकसित करने के लिये RBI ने हाल ही में आठ सदस्यीय समिति गठित की है।

  • समिति की अध्यक्षता आईआईटी बॉम्बे के प्रोफेसर पुष्पक भट्टाचार्य करेंगे और इसमें शिक्षा, सरकार तथा उद्योग जगत के विशेषज्ञ शामिल हैं।
  • समिति के उद्देश्यों में शामिल हैं:
  • वित्तीय सेवाओं में AI के वर्तमान वैश्विक और भारतीय उपयोग का आकलन करना।
  • विश्व भर में वित्तीय क्षेत्र में AI के लिये नियामक और पर्यवेक्षी दृष्टिकोण की समीक्षा करना।
  • वित्तीय क्षेत्र में AI के संभावित जोखिमों की पहचान करना, मूल्यांकन, शमन और निगरानी फ्रेमवर्क की सिफारिश करना।
  • समिति बैंकों, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFCs) और फिनटेक जैसे वित्तीय संस्थानों में AI के नैतिक अभिग्रहण हेतु एक शासकीय ढाँचे की सिफारिश करेगी।
  • यह पहल भारत के वित्तीय पारिस्थितिकी तंत्र में AI को ज़िम्मेदारीपूर्वक शामिल करने पर RBI के फोकस के अनुरूप है।
  • भारतीय रिज़र्व बैंक के केंद्रीय कार्यालय का फिनटेक विभाग समिति को सचिवीय सहायता प्रदान करेगा।


और पढ़ें: भारत के वित्तीय भविष्य हेतु RBI की पाँच रणनीतिक प्राथमिकताएँ


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