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प्रारंभिक परीक्षा

अंतरिक्ष यात्री ISS पर फँसे

  • 14 Aug 2024
  • 7 min read

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और बैरी "बुच" विल्मोर, बोइंग स्टारलाइनर अंतरिक्ष यान में तकनीकी समस्याओं के कारण, फरवरी 2025 तक अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर ही रहेंगे। ध्यातव्य है कि यह अंतरिक्षयान जून 2024 में इन दोनों यात्रियों को वहाँ लेकर आया था।

  • नासा उन मुद्दों को हल करने के लिये कार्य कर रहा है जो अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा, ISS की क्षमता और मानव स्वास्थ्य पर लम्बी अंतरिक्ष यात्रा के प्रभाव के विषय में चिंताएँ उत्पन्न करते हैं।

नोट: 

  • स्टारलाइनर एक अंतरिक्ष यान है, जो अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में ले जाता है, इसे एक रॉकेट के माध्यम से लॉन्च किया जाता है, जिसमें अंतरिक्ष यात्री आवास के लिये एक क्रू (Crew) कैप्सूल होता है, जिसे पुन: प्रवेश के लिये डिज़ाइन किया गया है, जो एक गैर-पुन: प्रयोज्य सर्विस मॉड्यूल जीवन समर्थन (Life Support) और प्रणोदन प्रणाली प्रदान करता है।

अंतरिक्ष यात्री ISS में कैसे फँस गए?

  • जून में सुनिता विलियम्स और बैरी विल्मोर बोइंग के स्टारलाइनर पर ISS की यात्रा पर गए, जो इसका पहला क्रूड मिशन (Crewed Mission) था।  
  • लॉन्च से पहले और उड़ान के दौरान हीलियम रिसाव के बावजूद स्टारलाइनर अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) तक पहुँच गया, लेकिन अभी भी कुछ समस्याएँ अनसुलझी हैं।
  • रेगुलर कार्गो स्पेसक्राफ्ट द्वारा आवश्यक वस्तुओं की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित होती है, जिससे ISS को लंबे समय तक चालक दल का संभरण करने में मदद मिलती है।
  • अंतरिक्ष में लंबे समय तक रहने के पहले के उदाहरण:
    • रूसी अंतरिक्ष यात्री वैलेरी पॉलाकोव ने वर्ष 1994-95 में मीर स्पेस स्टेशन (वर्ष 2001 में रूसी अंतरिक्ष स्टेशन कक्षा से बाहर हो गया) पर 438 दिनों के साथ रिकॉर्ड बनाया है।
    • अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री फ्रैंक रुबियो ने ISS पर 371 दिन (2022-23) पूरे किये।

अंतरिक्ष में मानव शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है?

  • अस्थि घनत्व ह्रास: सूक्ष्म-गुरुत्व (न्यूनतम गुरुत्वाकर्षण) के संपर्क में लंबे समय तक रहने से अंतरिक्ष यात्रियों को कई स्वास्थ्य समस्याएँ हो सकती हैं, क्योंकि गुरुत्वाकर्षण बल की कमी के कारण प्रति माह 1% तक उनका अस्थि द्रव्यमान ह्रास हो सकता है, जिससे ऑस्टियोपोरोसिस और फ्रैक्चर का खतरा बढ़ जाता है।
  • पेशी अपक्षय/मस्कुल एट्रोफी: सूक्ष्म-गुरुत्व में माँसपेशी द्रव्यमान और ताकत काफी कम हो सकती है, इन प्रभावों को कम करने के लिये दैनिक रूप से कठोर व्यायाम वाली दिनचर्या की आवश्यकता होती है।
  • दृष्टि संबंधी समस्याएँ: शरीर में द्रव वितरण में परिवर्तन के कारण अंतःकपालीय दबाव बढ़ सकता है, जिससे दृष्टि संबंधी समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं, जिन्हें प्रायः स्पेसफ्लाइट एसोसिएटेड न्यूरो-ऑकुलर सिंड्रोम (Spaceflight Associated Neuro-ocular Syndrome- SANS) कहा जाता है।
  • हृदय संबंधी परिवर्तन: सूक्ष्मगुरुत्व में हृदय का आकार और माप बदल सकता है, जिससे हृदय संबंधी समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं।
  • मनोवैज्ञानिक प्रभाव: लंबे समय तक एकाकीपन और कारावास मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर सकता है, जिससे तनाव, चिंता और अन्य मनोवैज्ञानिक चुनौतियाँ पैदा हो सकती हैं।

अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS)

  • यह अंतरिक्ष में सबसे बड़ी मानव निर्मित संरचना है और इसे वर्ष 1998 में प्रक्षेपित किया गया था।
  • यह अंतरिक्ष यात्रियों के लिए आवास के रूप में कार्य करता है और वर्ष 2000 से लगातार इसका उपयोग किया जा रहा है।
  • भाग लेने वाली एजेंसियाँ: ISS संयुक्त राज्य अमेरिका (NASA), रूस (Roscosmos), यूरोप (ESA), जापान (JAXA) और कनाडा (CSA) की अंतरिक्ष एजेंसियों का एक संयुक्त प्रयास है।
  • ऑर्बिट: ISS पृथ्वी से लगभग 400 किलोमीटर ऊपर परिक्रमा करता है।
  • गति: यह पृथ्वी के चारों ओर लगभग 28,000 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से घूमता है तथा प्रत्येक 90 मिनट में एक परिक्रमा पूरी करता है।
  • उद्देश्य: ISS का उद्देश्य अंतरिक्ष और सूक्ष्मगुरुत्व के बारे में हमारी समझ को बढ़ाना, नए वैज्ञानिक अनुसंधान को समर्थन देना एवं अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का उदाहरण प्रस्तुत करना है।

और पढ़ें: अंतरिक्ष मिशन 2024, मस्तिष्क द्रव गतिशीलता पर अंतरिक्ष उड़ान का प्रभाव 

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रिलिम्स:

प्रश्न.1 अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के संदर्भ में, हाल ही में समाचारों में रहा "भुवन" क्या है? (2010)

(a) भारत में दूरस्थ शिक्षा को बढ़ावा देने के लिये इसरो द्वारा शुरू किया गया एक छोटा उपग्रह।
(b) चन्द्रयान- II के लिये अगले मून इम्पैक्ट प्रोब को दिया गया नाम।
(c) भारत के 3D इमेजिंग क्षमताओं के साथ इसरो का एक जिओ पोर्टल।
(d) भारत द्वारा विकसित एक अंतरिक्ष दूरबीन।

उत्तर: (c)

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