इंदौर शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 11 नवंबर से शुरू   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


शासन व्यवस्था

भारत में ओपन जेलें

  • 04 Sep 2024
  • 17 min read

प्रिलिम्स के लिये:

ओपन जेलें, भारत का सर्वोच्च न्यायालय, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, भारत में जेलों के प्रकार

मेन्स के लिये:

ओपन जेल की अवधारणा और विशेषताएँ, जेल में भीड़भाड़ पर खुली जेलों का प्रभाव, भारतीय जेलें और संबंधित मुद्दे।

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों? 

भारत के सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court- SC) ने हाल ही में कई राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों (Union Territories- UT) को अपने अधिकार क्षेत्र में ओपन जेलों की कार्यप्रणाली के संबंध में व्यापक विवरण उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है।

  • यह निर्देश जेलों में भीड़भाड़ के बारे में जारी चिंताओं को ध्यान में रखते हुए आया है, जिस मामले ने न्यायालय का ध्यान आकर्षित किया है।

सर्वोच्च न्यायालय ओपन जेलों पर क्यों ध्यान केंद्रित कर रहा है?

  • जेलों में अत्यधिक भीड़: सर्वोच्च न्यायालय पारंपरिक जेलों में अत्यधिक भीड़ की दीर्घकालिक समस्या के समाधान के लिये ओपन जेलों को एक संभावित समाधान के रूप में देखता है।
    • इस अवधारणा का उद्देश्य मनोवैज्ञानिक तनाव को कम करना है, जिसका सामना दोषियों को कारावास के बाद सामान्य जीवन में पुनः शामिल होने के दौरान करना पड़ता है।
    • कुछ कैदियों को खुली हवा वाली सुविधाओं में स्थानांतरित करने से उच्च सुरक्षा वाली, बंद जेलों में कुल आबादी कम हो जाती है। कैदियों का यह पुनर्वितरण पारंपरिक जेलों पर दबाव को कम करता है, जहाँ अक्सर अत्यधिक भीड़भाड़ होती है।
  • अनुपालन सुनिश्चित करने में सर्वोच्च न्यायालय की भूमिका: ओपन जेलों के कार्यप्रणाली पर व्यापक जानकारी की आवश्यकता पर बल देकर, सर्वोच्च न्यायालय का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि राज्य और केंद्रशासित प्रदेश अपने सुधारात्मक प्रणालियों के हिस्से के रूप में इस मॉडल को सक्रिय रूप से लागू कर रहे हैं।
    • न्यायालय का ध्यान कैदियों के अधिकारों के संरक्षण की देख-रेख करने तथा अधिक प्रभावी जेल प्रबंधन को बढ़ावा देने के उसके व्यापक अधिदेश को भी दर्शाता है।

ओपन जेलें क्या हैं?

  • सेमी-ओपन या ओपन जेलें सुधारात्मक सुविधाएँ हैं, जिन्हें पारंपरिक ऊँची दीवारों, काँटेदार तारों और सशस्त्र गार्डों के बिना बनाया गया है। पारंपरिक बंद जेलों के विपरीत ये जेलें कैदियों के आत्म-अनुशासन और सामुदायिक सहभागिता पर आधारित होती हैं। न्याय के सुधारात्मक सिद्धांत पर आधारित ओपन जेलें, कैदियों को केवल दंडित करने के अतिरिक्त उनके पुनर्वास पर ध्यान केंद्रित करती हैं। यह दृष्टिकोण आत्म-अनुशासन और सामुदायिक एकीकरण के माध्यम से कैदियों को कानून का पालन करने वाले नागरिकों में परिवर्तित करने पर ज़ोर देता है
  • ऐतिहासिक संदर्भ: भारत में पहली ओपन जेल वर्ष 1905 में बॉम्बे प्रेसीडेंसी में स्थापित की गई थी, जिसमें शुरू में कैदियों को सार्वजनिक कार्यों के लिये अवैतनिक श्रमिक के रूप में इस्तेमाल किया जाता था।
    • समय के साथ यह अवधारणा विकसित हुई, जिसमें निवारण से ज़्यादा सुधार पर ज़ोर दिया गया। आज़ादी के बाद वर्ष 1949 में लखनऊ में पहली ओपन जेल एनेक्सी स्थापित की गई, जिसके बाद वर्ष 1953 में एक पूर्ण सुविधा वाली जेल बनाई गई, जहाँ कैदियों ने चंद्रप्रभा बाँध बनाने में मदद की।
    • स्वतंत्रता के बाद जेलों की अमानवीय स्थितियों के संबंध में संवैधानिक न्यायालय के फैसलों ने जेल प्रबंधन में बदलाव को प्रेरित किया तथा सुधार और पुनर्वास पर ज़ोर दिया।
      • न्यायालयों ने राज्यों से उचित वेतन सुनिश्चित करने और पुनः एकीकरण का समर्थन करने का आग्रह किया, जिसके परिणामस्वरूप सुधारात्मक दृष्टिकोण के रूप में ओपन जेलों का उदय हुआ।
  • विशेषताएँ: कैदियों को कुछ घंटों के दौरान जेल से बाहर जाने की स्वतंत्रता होती है और उनसे अपेक्षा की जाती है कि वे काम के माध्यम से अपना और अपने परिवार का भरण-पोषण करेंगे।
    • राजस्थान ओपन एयर कैंप नियम, 1972 में ओपन जेलों को "बिना दीवारों, सलाखों और तालों वाली जेल" के रूप में परिभाषित किया गया है। कैदियों को जेल से बाहर निकलने के बाद दूसरी हाजिरी से पहले लौटना होता है।
  • ओपन जेलों के प्रकार: मॉडल जेल मैनुअल भारत में ओपन जेल संस्थाओं को तीन प्रकारों में वर्गीकृत करता है:
    • सेमी-ओपन प्रशिक्षण संस्थान: ये संस्थान मध्यम सुरक्षा के साथ बंद जेलों से जुड़े होते हैं।
    • ओपन प्रशिक्षण संस्थान/कार्य शिविर: सार्वजनिक कार्यों और व्यावसायिक प्रशिक्षण पर ध्यान केंद्रित करना।
    • ओपन कॉलोनियाँ: परिवार के सदस्यों को रोज़गार और आत्मनिर्भरता के अवसर प्रदान करते हुए कैदियों के साथ रहने की अनुमति देती हैं।
  • पात्रता: प्रत्येक राज्य का कानून उन कैदियों की पात्रता मानदंड को परिभाषित करता है, जिन्हें ओपन जेल में रखा जा सकता है।
    • मुख्य नियम यह है कि खुली हवा वाली जेल के लिये पात्र कैदी को दोषी करार दिया जाना चाहिये। जेल में अच्छा आचरण और नियंत्रित जेल में कम-से-कम पाँच वर्ष गुजारना राजस्थान की ओपन जेलों के नियमों का पालन करता है।
    • पश्चिम बंगाल में जेल और पुलिस अधिकारियों की एक समिति अच्छे आचरण वाले कैदियों का चयन करती है, ताकि उन्हें ओपन जेलों में स्थानांतरित किया जा सके।
  • कानूनी ढाँचा: जेलों और कैदियों का उल्लेख भारत के संविधान की 7वीं अनुसूची की सूची II (राज्य सूची) की प्रविष्टि संख्या 4 में किया गया है। अतः यह राज्य का विषय है।
    • भारत में जेलों का संचालन कारागार अधिनियम, 1894 और बंदी अधिनियम, 1900 द्वारा होता है तथा प्रत्येक राज्य अपने जेल नियमों और नियमावलियों का पालन करता है।
  • अंतर्राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य: ओपन जेलें सदियों से वैश्विक सुधार व्यवस्था का हिस्सा रही हैं। शुरुआती उदाहरणों में स्विटज़रलैंड का विट्ज़विल (1891) और यूके का न्यू हॉल कैंप (1936) शामिल हैं।
  • संस्तुतियाँ: सर्वोच्च न्यायालय ने 1996 में राममूर्ति बनाम कर्नाटक राज्य मामले में ओपन जेलों के विस्तार का समर्थन किया था। 1980 में अखिल भारतीय जेल सुधार समिति सहित विभिन्न समितियों ने राज्यों में ओपन जेलों की स्थापना की संस्तुति की है।
    • राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (National Human Rights Commission- NHRC) ने वर्ष 1994-95 और 2000-01 की अपनी कई वार्षिक रिपोर्टों में ओपन जेलों की आवश्यकता तथा जेलों में भीड़भाड़ की समस्या को हल करने के लिये इनके उपयोग का समर्थन किया था।

ओपन जेलों के क्या लाभ और हानि हैं?

श्रेणी

            लाभ 

              हानि 

लागत दक्षता

  • बंद जेलों की तुलना में ओपन  जेलों में परिचालन लागत में काफी कमी आती है।
  • ओपन जेलों में आधुनिकीकरण की कमी है और धन अपर्याप्त है।

अधिक भीड़भाड़

  • बंद जेलों में भीड़भाड़ को कम करने में सहायता करता है।
  • जागरूकता और स्वीकार्यता की कमी के कारण मौजूदा ओपन जेलों का कम उपयोग। 

मनोवैज्ञानिक प्रभाव

  • कैदियों के मनोवैज्ञानिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  • कुछ कैदी ओपन  जेल के माहौल पर निर्भर हो जाते हैं और अपनी सजा पूरी करने के बाद भी अपने परिसर को खाली करने का विरोध करते हैं।

नियुक्तिकरण 

  • बंद जेलों की तुलना में ओपन  जेलों में  90% कम कर्मचारियों की आवश्यकता होती है।
  • बंद जेलों में स्टाफ की कमी के कारण ओपन  जेलों में स्टाफ की पुनः तैनाती करना कठिन हो जाता है।

पुनर्वास

  • सुधारात्मक दंड और समाज में सफल एकीकरण को बढ़ावा देता है।
  • आधुनिक कानूनों और पुराने विधान (कैदी अधिनियम, 1894) की कमी तथा कई ओपन जेलों में विचाराधीन कैदियों के लिये कोई प्रावधान नहीं है। चूँकि जेल राज्य का विषय है, इसलिये ओपन  जेलों के लिये नियमों तथा दिशानिर्देशों में एकरूपता का अभाव है।

पुनरावृत्ति

  • पुनरावृत्ति की कम संभावना।
  • कुछ आलोचकों का तर्क है कि यह पुनरावृत्ति को महत्त्वपूर्ण रूप से नहीं रोकता है।

रोज़गार

  • कैदियों को रोज़गार खोजने के लिये प्रोत्साहित करता है।
  • कई ओपन जेलों के दूरदराज के स्थानों के कारण स्थानीय रोज़गार खोजने में कठिनाई होती है।

सामाजिककरण

  • बाह्य विश्व के साथ सामाजिकीकरण और अंतःक्रिया को बढ़ाता है।
  • कई राज्यों में महिला कैदियों के लिये कोई ओपन जेल नहीं है।

सुधारात्मक क्षमता

  • कैदियों के लिये  चयन प्रक्रिया कभी-कभी अपारदर्शी होती है, जिससे पक्षपात और भ्रष्टाचार के आरोप लगते हैं।

सामुदायिक प्रभाव

  • यह सभी प्रतिभागियों के लिये लाभकारी है जिसमें अपराध के पीड़ित भी शामिल हैं जो अपराधियों में सुधार होते हुए देखते हैं।
  • सुरक्षा और अनुशासन संबंधी चुनौतियाँ अभी भी मौजूद हो सकती हैं तथा कुछ लोग इस प्रणाली को बहुत उदार मानते हैं।

भारत में अन्य प्रकार की जेलें

  • भारत में जेलों के तीन स्तर हैं: तालुका, ज़िला और केंद्रीय (क्षेत्रीय/रेंज) स्तर। इन स्तरों पर स्थित जेलों को क्रमशः उप-जेल, ज़िला जेल और केंद्रीय जेल के रूप में जाना जाता है।
    • अन्य प्रकार की जेलें भी हैं जैसे महिला जेल, बोर्स्टल स्कूल और विशेष जेलें।
  • केंद्रीय जेल: केंद्रीय जेलों के लिये मानदंड विभिन्न राज्यों में अलग-अलग हैं, लेकिन उनमें सामान्यतः लंबी अवधि के कारावास की सजा पाए कैदियों को रखा जाता है, जिनमें अक्सर दो वर्ष से अधिक की सजा वाले कैदी शामिल हैं, जिनमें आजीवन कारावास की सजा वाले कैदी और जघन्य अपराध करने वाले कैदी भी शामिल हैं।
    • इन जेलों में कैदियों की नैतिकता और निष्ठा को पुनः स्थापित करने पर ध्यान केंद्रित किया जाता है।
  • ज़िला जेल: ज़िला जेल उन राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के लिये मुख्य जेल हैं, जहाँ कोई केंद्रीय जेल नहीं है।
  • उप जेल: ज़िला जेलों से छोटी, उप-मंडल स्तर पर अच्छी तरह से संगठित और बेहतर ढंग से स्थापित जेलें।
  • विशेष जेल: ये जेल अत्यधिक सुरक्षा वाली जेलें हैं, जिनमें आतंकवाद, हिंसक अपराध, आदतन अपराधी और जेल अनुशासन के गंभीर उल्लंघन के दोषी विशेष वर्ग के कैदियों के लिये विशेष व्यवस्थाएँ हैं। ये जेलें हिंसक और आक्रामक कैदियों को रखने के लिये जानी जाती हैं।
  • महिला जेल: ये जेलें विशेष रूप से महिला कैदियों के लिये, उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु  स्थापित की गई हैं और इनमें महिला कर्मचारी होती हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के जेल सांख्यिकी, 2022 के अनुसार भारत की 1,330 जेलों में से केवल 34 को महिला जेल के रूप में नामित किया गया है।
    • सीमित क्षमता के कारण कई महिला कैदियों को अन्य प्रकार की जेलों में रखा जाता है।
  • बोर्स्टल स्कूल: यह एक प्रकार का युवा निरोध केंद्र है। इसका उपयोग विशेष रूप से नाबालिगों या किशोरों को रखने के लिये किया जाता है।
    • इन विद्यालयों का प्राथमिक उद्देश्य युवा अपराधियों की देखभाल, कल्याण और पुनर्वास सुनिश्चित करना है, जो बच्चों के लिये उपयुक्त वातावरण में हो तथा उन्हें जेल के संक्रामक वातावरण से दूर रखे।
  • अन्य जेल: जो जेलें ऊपर बताई गई श्रेणियों में नहीं आती हैं, वे अन्य जेलों की श्रेणी में आती हैं। केवल तीन राज्यों में अन्य जेल हैं।
    • इन राज्यों के नाम कर्नाटक, केरल और महाराष्ट्र हैं तथा प्रत्येक राज्य में एक अन्य जेल है।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न. भारतीय जेल प्रणाली में ओपन जेलों की भूमिका पर चर्चा कीजिये। वे जेलों में भीड़भाड़ और कैदियों के पुनर्वास के मुद्दों को कैसे संबोधित करती हैं?

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

मेन्स:

प्रश्न. मृत्यु दंडादेशों के लघुकरण में राष्ट्रपति के विलंब के उदाहरण न्याय प्रत्याख्यान (डिनायल) के रूप में लोक वाद-विवाद के अधीन आए हैं। क्या राष्ट्रपति द्वारा ऐसी याचिकाओं को स्वीकार करने/अस्वीकार करने के लिये एक समय सीमा का विशेष रूप से उल्लेख किया जाना चाहिये? विश्लेषण कीजिये। (2014)

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2