रैपिड फायर
समकारी लेवी को समाप्त करने का प्रस्ताव
स्रोत: द हिंदू
केंद्र सरकार ने समकारी लेवी (Equalisation Levy) को समाप्त करने का प्रस्ताव दिया है, जिससे गूगल, एक्स (पूर्व में ट्विटर) और मेटा जैसे डिजिटल प्लेटफार्मों पर विज्ञापनदाताओं को कर का बोझ कम होने से लाभ होगा।
समकारी लेवी (डिजिटल सेवा कर):
- परिचय: वर्ष 2016 में शुरू की गई समकारी लेवी, भारत में डिजिटल लेनदेन से उत्पन्न आय पर कर लगाने के लिये विदेशी डिजिटल सेवा प्रदाताओं पर लगाया गया एक प्रत्यक्ष कर है।
- उद्देश्य: इसका उद्देश्य भारत में भौतिक उपस्थिति नहीं रखने वाले डिजिटल व्यवसायों के लिये उचित कराधान सुनिश्चित करना है, जो कर से बचने पर अंकुश लगाने के लिये BEPS (आधार क्षरण और लाभ स्थानांतरण) कार्य योजना के साथ संरेखित है।
- प्रयोज्यता: यह सेवा प्राप्तकर्त्ता द्वारा भुगतान के समय आहरित किया जाता है यदि:
- भुगतान एक अनिवासी सेवा प्रदाता को किया जाता है।
- एक वित्तीय वर्ष में एकल प्रदाता को वार्षिक भुगतान 1,00,000 रुपए से अधिक है।
- कवर की गई सेवाएँ और कर की दरें: समकारी लेवी शुरू में ऑनलाइन विज्ञापनों (6%) पर लागू होती थी और इसे वर्ष 2020 में डिजिटल सेवाओं और ई-कॉमर्स (2%) को कवर करने के लिये विस्तारित किया गया था, जिसे अगस्त 2024 में समाप्त कर दिया गया।
- छूट: यदि अनिवासी का भारत में स्थायी कार्यालय है, भुगतान 1 लाख रुपए से कम है, या आय दोहरे कराधान को रोकने के लिये धारा 10(50) के अंतर्गत आती है तो यह लागू नहीं होती है।
- तकनीकी सेवाओं के लिये रॉयल्टी या शुल्क के रूप में कर योग्य आय को इसमें शामिल नहीं किया गया है।
और पढ़ें: बजट 2024-25 में प्रमुख आर्थिक सुधार
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वैश्विक स्तर पर हिमनदों का तेज़ी से होता विगलन
स्रोत: डाउन टू अर्थ
प्रथम विश्व ग्लेशियर दिवस (21 मार्च 2025) पर, संयुक्त राष्ट्र (UN) की विश्व जल विकास (WWD) रिपोर्ट 2025 में हिंदू कुश हिमालय (HKH) में हिमनदों में होने वाले निवर्तन की गति वर्ष 2011 से वर्ष 2020 की अवधि में 65% बढ़ने का उल्लेख किया गया है।
- संयुक्त राष्ट्र विश्व जल विकास रिपोर्ट 2025 के मुख्य निष्कर्ष: यदि वैश्विक तापमान 1.5°C-2°C तक बढ़ता है, तो HKH के हिमनदों में वर्ष 2100 तक इनके कुल आयतन का 30-50% का ह्रास हो सकता है, और यदि यह 2°C से अधिक हो जाता है, तो लगभग 45% (वर्ष 2020 के स्तर से) का ह्रास हो सकता है।
- वर्ष 2100 तक समग्र विश्व के पर्वतीय हिमनदों के द्रव्यमान में 26-41% की कमी हो सकती है, जिससे उच्च उन्नतांश क्षेत्रों में निवास करने वाले 1.1 बिलियन लोग प्रभावित होंगे।
- ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड (GLOF) की घटनाएँ बढ़ रही हैं, जिससे आकस्मिक बाढ़ और भूस्खलन हो रहा है।
- विगत 200 वर्षों में इनके कारण विश्व में 12,000 से अधिक लोगों की मृत्यु हुई, तथा वर्ष 2100 तक GLOF का खतरा तीन गुना बढ़ सकता है।
- ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड (GLOF) की घटनाएँ बढ़ रही हैं, जिससे आकस्मिक बाढ़ और भूस्खलन हो रहा है।
- विश्व ग्लेशियर दिवस: संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2025 को अंतर्राष्ट्रीय ग्लेशियर संरक्षण वर्ष (IYGP) घोषित किया है।
- यह क्रायोस्फेरिक विज्ञान पर कार्रवाई दशक (2025-2034) की शुरुआत का भी प्रतीक होगा, जिसका उद्देश्य ग्लेशियर संरक्षण प्रयासों को सुदृढ़ करना है।
- हिंदू कुश हिमालय (HKH): HKH, जिसे "एशिया का जल टॉवर" कहा जाता है, भारत सहित 8 देशों में विस्तरित है, और इसमें चार वैश्विक जैवविविधता हॉटस्पॉट शामिल हैं- हिमालय, इंडो-बर्मा, दक्षिण-पश्चिम चीन और मध्य एशिया।
और पढ़ें: हिम विगलन और जलवायु व्यवधान
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वैश्विक ऊर्जा समीक्षा 2024
स्रोत: द हिंदू
अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) ने ऊर्जा मांग, आपूर्ति, प्रौद्योगिकी और CO₂ उत्सर्जन के रुझानों का विश्लेषण करते हुए वैश्विक ऊर्जा समीक्षा (GRE) 2024 जारी की।
GRE 2024 की मुख्य विशेषताएँ:
- वैश्विक ऊर्जा मांग वृद्धि: ऊर्जा मांग में 2.2% की वृद्धि हुई, जिसमें उभरती अर्थव्यवस्थाओं का योगदान 80% रहा।
- अक्षय ऊर्जा और प्राकृतिक गैस का उदय: 700 गीगावाट की रिकॉर्ड स्तर की क्षमता के साथ अक्षय ऊर्जा का कुल वृद्धि में 38% का योगदान रहा। चीन (340 गीगावाट सौर, 80 गीगावाट पवन) और भारत (30 गीगावाट सौर) इसमें प्रमुख योगदानकर्त्ता थे।
- प्राकृतिक गैस की मांग में 2.7% की वृद्धि हुई, जिसका प्रमुख कारण चीन में LNG का बढ़ता उपयोग था।
- कोयले की मांग का रुझान: वैश्विक स्तर पर कोयले की मांग में 1% की वृद्धि हुई, जिसमें चीन (कोयले से 60% बिजली की आपूर्ति) और भारत (75%) शीर्ष उपभोक्ता रहे।
- वैश्विक विद्युत उत्पादन में कोयले की हिस्सेदारी घटकर 35% हो गई, जो वर्ष 1974 से अभी तक का निम्नतम स्तर है।
- कच्चे तेल की मंद मांग: इसकी मांग में 0.8% की मंद वृद्धि हुई, जिसका मुख्य कारण पेट्रोकेमिकल क्षेत्र था, जबकि इलेक्ट्रिक वाहन, LNG ट्रक और हाई-स्पीड रेल के माध्यम से परिवहन से संबंधित तेल की खपत में कमी हुई।
अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA):
- स्थापना: वर्ष 1974 में OECD देशों द्वारा (वर्ष 1973-74 में हुए तेल संकट के कारण)।
- मुख्यालय: पेरिस, फ्राँस।
- अधिदेश: विश्लेषण, डेटा और नीतिगत अनुशंसाओं के माध्यम से ऊर्जा सुरक्षा, आर्थिक विकास और वैश्विक भागीदारी सुनिश्चित करना।
- सदस्य: 31 सदस्य देश, 13 संघ देश (भारत सहित), और 4 अधिमेली देश। केवल OECD सदस्य ही IEA की सदस्यता हेतु पात्र हैं।
- प्रमुख रिपोर्टें: वर्ल्ड एनर्जी आउटलुक रिपोर्ट, इंडिया एनर्जी आउटलुक रिपोर्ट, वर्ल्ड एनर्जी निवेश इन्वेस्टमेंट।
और पढ़ें: IEA रिपोर्ट इलेक्ट्रिसिटी 2024
रैपिड फायर
समर्थ इन्क्यूबेशन प्रोग्राम
स्रोत: पी.आई.बी.
सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ टेलीमैटिक्स (C-DoT) ने स्टार्टअप सहयोग और निवेश आकर्षित करके दूरसंचार और IT सेक्टर में नवाचार को बढ़ावा देने के लिये 'समर्थ' इनक्यूबेशन प्रोग्राम शुरू किया है।
- समर्थ प्रोग्राम: इसका उद्देश्य दूरसंचार सॉफ्टवेयर, साइबर सुरक्षा, 5G/6G, AI, IoT और क्वांटम प्रौद्योगिकी में अगली पीढ़ी की तकनीक विकसित करने वाले DPIIT- मान्यता प्राप्त स्टार्टअप का समर्थन करना है।
- यह धारणीय और स्केलेबल बिजनेस मॉडल, अत्याधुनिक संसाधन उपलब्ध कराएगा और विचार से लेकर व्यावसायीकरण तक स्टार्टअप के विकास में सहायता करेगा।
- कार्यान्वयन: MeitY के तहत सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क्स ऑफ इंडिया (STPI) के साथ साझेदारी में कार्यान्वित किया गया।
- प्रस्तावित सहायता: यह कार्यक्रम दो छह महीने के समूहों में 36 स्टार्टअप को सहायता प्रदान करता है, तथा दूरसंचार और IT में नवाचार को बढ़ावा देने के लिये हाइब्रिड लर्निंग, मेंटरशिप, बुनियादी ढाँचे और निवेशक पहुँच प्रदान करता है।
- स्टार्टअप्स को 5 लाख रुपए का अनुदान, 6 महीने के लिये C-DoT का कार्यालय स्थान और प्रयोगशाला सुविधाएँ और मार्गदर्शन प्रदान किया जाता है।
- सफल स्टार्टअप C-DoT सहयोगात्मक अनुसंधान कार्यक्रम के तहत भविष्य में सहयोग के अवसर प्राप्त कर सकते हैं।
- C-DoT: C-DoT दूरसंचार विभाग के तहत एक स्वायत्त अनुसंधान एवं विकास केंद्र है, जिसकी स्थापना वर्ष 1984 में की गई थी, जो आत्मनिर्भर भारत का समर्थन करने के लिये 5G, IoT, AI आदि जैसे स्वदेशी दूरसंचार नवाचारों पर ध्यान केंद्रित करता है।
और पढ़ें: भारतीय दूरसंचार क्रांति
रैपिड फायर
CBDT ने सेफ हार्बर नियमों में किया विस्तार
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने सेफ हार्बर प्रावधानों के दायरे में विस्तार करने के उद्देश्य से आयकर नियम, 1962 में संशोधन किया, जिसका उद्देश्य कर निश्चितता बढ़ाना और इलेक्ट्रिक वाहन क्षेत्र में अंतरण मूल्य निर्धारण से संबंधित विवादों को कम करना है।
- संशोधन: सेफ हार्बर के लाभ की सीमा 200 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 300 करोड़ रुपए कर दी गई है, जो आकलन वर्ष 2025-26 और 2026-27 पर लागू होगा।
- इलेक्ट्रिक या हाइब्रिड वाहनों में प्रयुक्त लिथियम-आयन बैटरियाँ अब सेफ हार्बर नियमों के अंतर्गत पात्र मुख्य ऑटो घटकों का हिस्सा हैं।
- उद्योग प्रभाव: बड़ी कंपनियों के लिये, उच्च सीमाएँ स्थानांतरण मूल्य निर्धारण विवादों के विरुद्ध व्यापक सुरक्षा जाल प्रदान करती हैं।
- EV उद्योग के लिये, ये परिवर्तन भारतीय स्वच्छ गतिशीलता पारिस्थितिकी तंत्र में निवेश और विनिर्माण को प्रोत्साहित करते हैं।
- सेफ हार्बर: उन परिस्थितियों को संदर्भित करता है जिसमें आयकर प्राधिकारी करदाता द्वारा घोषित हस्तांतरण मूल्य को स्वीकार करते हैं।
- स्थानांतरण मूल्य, एक ही बहुराष्ट्रीय उद्यम (MNE) समूह के भाग वाली संबंधित संस्थाओं के बीच लेनदेन में लिया जाने वाला वास्तविक मूल्य है।
- आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 92CB के तहत सेफ हार्बर नियमों को परिभाषित किया गया है, और धारा 92C और 92CA के तहत कंपनियाँ सेफ हार्बर सीमा के भीतर होने पर बिना किसी विवाद के आर्म्स लेंथ प्राइस (वह मूल्य जिस पर असंबंधित पक्ष खुले बाज़ार में व्यापार करेंगे) की घोषणा कर सकती हैं।