लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



डेली अपडेट्स

भूगोल

हिमनद झील के फटने से बाढ़

  • 11 Feb 2023
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

बाढ़, हिमालय, NDMA, प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली।

मेन्स के लिये:

ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड।

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में हिमनद झील के फटने से बाढ़ (Glacial Lake Outburst Flood -GLOF) के संबंध में एक नया शोध प्रकाशित हुआ है, अनुमान है कि इस आपदा से विश्व स्तर पर लाखों लोग खतरे में है।

  • विनाशकारी बाढ़ वाले संभावित हॉटस्पॉट की पहचान करने की दिशा में यह पहला वैश्विक प्रयास है। यह अध्ययन हिमनद झीलों और इनके आसपास रहने वाली बड़ी आबादी की स्थिति का मूल्यांकन करने के लिये किया गया था।

रिपोर्ट के प्रमुख बिंदु: 

  • सुभेद्यता: 
    • हिमनद झीलों के कारण उत्पन्न विनाशकारी बाढ़, जो अचानक उनके प्राकृतिक बाँधों को क्षति पहुँचा सकती है, लगभग 15 मिलियन लोगों के जीवन को प्रभावित कर सकती है।
    • एशिया और दक्षिण अमेरिका के पर्वतीय देश सबसे अधिक जोखिम में हैं।
      • विश्व स्तर पर सुभेद्य आबादी का अधिकांश हिस्सा, जो कि 9.3 मिलियन (62%) है, उच्च पर्वतीय एशिया (HMA) क्षेत्र में स्थित है।
      • एशिया में लगभग दस लाख लोग एक हिमाच्छादित झील के केवल 10 किमी. के दायरे में रहते हैं।
    • भारत, पाकिस्तान, पेरू और चीन में रहने वाले लोग भी जोखिम में (विश्व स्तर पर) हैं।
  • सबसे जोखिमपूर्ण बेसिन: 
    • सबसे खतरनाक हिमनद बेसिन पाकिस्तान (खैबर पख्तूनख्वा बेसिन), पेरू (सांता बेसिन) और बोलिविया (बेनी बेसिन) में हैं जिनमें क्रमशः 1.2 मिलियन, 0.9 मिलियन और 0.1 मिलियन लोग रहते हैं जो GLOF के प्रभावों से प्रभावित हो सकते हैं।
    • जलवायु परिवर्तन के कारण एंडीज़ (दक्षिणी अमेरिका) के हिमनदों में पिछले 20 वर्षों में तेज़ी से गिरावट आई है।
  • भारत के लिये खतरा: 
    • हिमालय में 25 हिमनद झीलों और जल निकायों में वर्ष 2009 के बाद से जल प्रसार क्षेत्र में वृद्धि देखी गई है।
    • भारत, चीन और नेपाल में पानी के प्रसार में 40% की वृद्धि हुई है, जिससे सात भारतीय राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के लिये एक बड़ा खतरा पैदा हो गया है।
      • इनमें से छह हिमालयी राज्य/केंद्रशासित प्रदेश हैं: जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम, असम और अरुणाचल प्रदेश।
    • GLOF की तीव्रता के साथ शुरुआत और उच्च निर्वहन का मतलब है कि डाउनस्ट्रीम आबादी विशेष रूप से स्रोत झील के 10-15 किमी. के भीतर स्थित आबादी के लिये प्रभावी ढंग से चेतावनी देने और प्रभावी कार्रवाई हेतु पर्याप्त समय नहीं मिल पाता है।
  • प्रभाव: 
    • यह बाढ़ काफी तीव्र होती है तथा कई मामलों में इतनी शक्तिशाली होती है कि यह कई ढाँचों को नष्ट कर देती है।
    • यह लोगों के जीवन, आजीविका और क्षेत्रीय बुनियादी ढाँचे को विनाशकारी रूप से खतरे में डालती है।
  • सुझाव: 
    • इन अत्यधिक जोखिम वाले क्षेत्रों में अधिक तीव्र चेतावनी और आपातकालीन कार्रवाई को सक्षम बनाने के लिये निकासी अभ्यास एवं समुदायों तक पहुँच के अन्य उपायों के साथ-साथ पूर्व चेतावनी प्रणाली के डिज़ाइन में भी सुधार की आवश्यकता है।

हिमनद झील के फटने से बाढ़ (GLOF): 

  • परिचय: 
    • हिमनद झील के फटने से आने वाली बाढ़ विनाशकारी होती है, यह स्थिति तब उत्पन्न होती है  जब हिमनद झील का बाँध कमज़ोर हो जाता है और जल तेज़ प्रवाह के साथ बहने लगता है।
    • इस प्रकार की बाढ़ आमतौर पर ग्लेशियरों के तेज़ी से पिघलने, भारी वर्षा, झील में पानी के बढ़ने के कारण आती है।
    • फरवरी 2021 में उत्तराखंड के चमोली ज़िले में फ्लैश फ्लड देखा गया, जिसके बारे में संदेह है कि यह GLOF के कारण हुआ था। 
  • कारण:  
    • बाढ़ की इन घटनाओं के लिये कई कारकों को ज़िम्मेदार माना जा सकता है, जिसमें ग्लेशियर के आकार में परिवर्तन, झील के जल स्तर में परिवर्तन और भूकंप शामिल हैं।
    • राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) के मुताबिक, जलवायु परिवर्तन के कारण  हिंदू-कुश हिमालय के अधिकांश हिस्सों में ग्लेशियर पिघल रहे हैं और नई ग्लेशियर झीलों का निर्माण हो रहा है, जो कि GLOF का प्रमुख कारण है।

हिमनद झील की बाढ़ से निपटने हेतु NDMA के दिशा-निर्देश: 

  • संभावित खतरनाक झीलों की पहचान:
    • स्थानीय दौरे, पूर्व की घटनाओं, झील/बाँध और आस-पास की भू-तकनीकी विशेषताओं तथा अन्य भौतिक स्थितियों के आधार पर संभावित खतरनाक झीलों की पहचान की जा सकती है। 
  • तकनीक का उपयोग: 
    • मानसून के महीनों के दौरान नई झील संरचनाओं समेत जल निकायों में आने वाले स्वतः परिवर्तनों का पता लगाने के लिये सिंथेटिक-एपर्चर रडार इमेज़री (एक प्रकार का रडार जो द्वि-आयामी छवियों के निर्माण में सहायता करता है) के उपयोग को बढ़ावा दिया जा सकता है। 
  • संभावित बाढ़ को कम करना: 
    • जल की मात्रा को कम करने हेतु जल के नियंत्रित बहाव की दिशा में परिवर्तन, पम्पिंग या जल की निकासी और मोराइन बाधा के माध्यम से या बाँध के नीचे सुरंग बनाना।
  • निर्माण गतिविधि के लिये समान संहिता:
    • संवेदनशील क्षेत्रों में बुनियादी ढाँचे के विकास, निर्माण और उत्खनन के लिये एक व्यापक ढाँचा विकसित किया जाना चाहिये।
    • हिमनद झील के फटने से बाढ़ (GLOF) के प्रति संवेदनशील क्षेत्रों में भूमि उपयोग नियोजन के लिये प्रक्रियाओं को मान्यता दिये जाने की आवश्यकता है। 
  • अर्ली वार्निंग सिस्टम (EWS) में सुधार करना:
    • भारत समेत विश्व के लगभग सभी देशों में GLOF से संबंधित अर्ली वार्निंग सिस्टम (EWS) की संख्या बहुत कम है।
    • हिमालयी क्षेत्र में GLOF को लेकर पूर्व चेतावनी के लिये सेंसर और निगरानी आधारित तकनीकी प्रणालियों के तीन उदाहरण मौजूद हैं, जिसमें से दो नेपाल में तथा एक चीन में है।
  • स्थानीय लोगों को प्रशिक्षित करना:
    • आपातकालिक स्थिति में राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (National Disaster Response Force- NDRF), भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) और थल सेना जैसे विशेष बलों का प्रयोग करने के साथ-साथ स्थानीय श्रम-शक्ति को भी प्रशिक्षित किया जाना चाहिये।
    • यह देखा गया है कि 80 प्रतिशत से अधिक खोज और बचाव कार्य स्थानीय समुदाय द्वारा राज्य मशीनरी तथा विशेष खोज एवं बचाव टीमों के हस्तक्षेप से पूर्व किया जाता है।
    • इस प्रणाली के तहत स्थानीय टीमें आपातकालीन आश्रयों की योजना बनाने और स्थापित करने, राहत पैकेज वितरित करने, लापता लोगों की पहचान करने तथा भोजन, स्वास्थ्य देखभाल, पानी की आपूर्ति आदि ज़रूरतों को पूरा करने में भी सहायता कर सकती हैं।
  • व्यापक अलार्म सिस्टम: 
    • पारंपरिक अलार्म सिस्टम के स्थान पर स्मार्टफोन का उपयोग करने वाली आधुनिक संचार तकनीक प्रणाली का उपयोग किया जा सकता है।

स्रोत: डाउन टू अर्थ

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2