भारतीय अर्थव्यवस्था
इन डेप्थ | भारतीय दूरसंचार क्रांति | 19 जनवरी, 2025
- 29 Jan 2025
- 20 min read
प्रिलिम्स के लिये:डिजिटल इंडिया पहल, भारत 6G विज़न और भारत 6G अलायंस (B6GA), पीएम-वाणी, दूरसंचार अधिनियम, 2023 मेन्स के लिये:भारत में दूरसंचार क्षेत्र की वर्तमान स्थिति, भारत में विभिन्न दूरसंचार सुधार, भारतीय दूरसंचार क्रांति का प्रभाव, दूरसंचार क्षेत्र से संबंधित चुनौतियाँ और आगे की राह |
चर्चा में क्यों?
भारत के दूरसंचार क्षेत्र में गत दो दशकों में संवृद्धि और प्रतिस्पर्द्धा की दृष्टि से विकास हुआ है। वर्तमान में भारत का दूरसंचार क्षेत्र समग्र विश्व में दूसरा सबसे बड़ा दूरसंचार बाज़ार है और यह एक अरब से अधिक लोगों को सेवाएँ प्रदान करता है तथा इसके कुल सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में इस क्षेत्र का योगदान 6% है।
भारत में दूरसंचार क्षेत्र की वर्तमान स्थिति क्या है?
- भारत के दूरसंचार क्षेत्र का पूर्ण रूपांतरण
- भारतीय दूरसंचार क्षेत्र का विलासिता से आवश्यकता में परिणत होना, दूरसंचार की कनेक्टिविटी और लोगों द्वारा इसका वाहन कर पाने के सामर्थ्य के मामले में देश की उल्लेखनीय प्रगति का प्रमाण है।
- दूरसंचार के अभिगम और विकास में प्रमुख उपलब्धियाँ:
- 2000: इस दौरान निर्बाध कनेक्टिविटी एक विलासिता थी और केवल कुछ सीमित लोगों के लिये ही यह वहनीय थी।
- 2001: टेलीफोन का अभिगम प्रति 100 व्यक्तियों पर केवल 3.5 कनेक्शन था, जिससे जनसंख्या के एक व्यापक वर्ग के लिये फोन कॉल करना दुर्गम हो गया।
- 2024: दूरसंचार का घनत्व 85.6% हो गया, जिससे अभिगम और कनेक्टिविटी में महत्त्वपूर्ण प्रगति हुई।
- यह उल्लेखनीय रूपांतरण इस तथ्य पर प्रकाश डालता है कि किस प्रकार इस क्षेत्र ने सभी के लिये निर्बाध संचार को सुलभ बनाकर जीवन को नया रूप दिया है।
- डेटा उपभोग और बुनियादी ढाँचे के विकास में वृद्धि
- भारतीय दूरसंचार क्षेत्र में वायरलेस डेटा उपयोग और बुनियादी ढाँचे में महत्त्वपूर्ण प्रगति हुई है, जिससे इसकी संवहनीयता बढ़ी है और इसके अभिगम में सुधार हुआ है।
- वायरलेस डेटा लागत: वायरलेस डेटा की लागत 2024 में काफी कम होकर ₹8.31 प्रति GB हो गई, जो वर्ष 2014 के बाद से लागत में आई महत्त्वपूर्ण गिरावट को दर्शाती है।
- डेटा खपत: जून 2024 तक, वायरलेस दूरसंचार में प्रति ग्राहक औसत मासिक डेटा खपत 21.30 GB थी, जो 353 गुना वृद्धि है।
- मोबाइल बेस स्टेशन: नवंबर 2024 तक मोबाइल बेस स्टेशनों की संख्या 29.4 लाख थी, जो सुदृढ़ बुनियादी ढाँचे की वृद्धि को दर्शाती है।
- प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI): इस क्षेत्र में वर्ष 2024-25 में 670 मिलियन अमरीकी डालर का FDI प्राप्त हुआ, जो पिछले वर्षों की तुलना में तीव्र वृद्धि दर्शाता है।
- भारतीय दूरसंचार क्षेत्र में वायरलेस डेटा उपयोग और बुनियादी ढाँचे में महत्त्वपूर्ण प्रगति हुई है, जिससे इसकी संवहनीयता बढ़ी है और इसके अभिगम में सुधार हुआ है।
- 5G का त्वरित रोलआउट
- भारत का दूरसंचार क्षेत्र राष्ट्रव्यापी 5G रोलआउट और संतृप्ति पर ध्यान केंद्रित करते हुए अभूतपूर्व उपलब्धियाँ हासिल करने की राह पर है:
- 5G का सबसे त्वरित रोलआउट: देश में 5G सेवाओं का रोलआउट सबसे तीव्र रहा, जिसके अंतर्गत बड़ी संख्या में ज़िलों तक इन सेवाओं का विस्तार किया गया।
- 5G प्रौद्योगिकी के आगमन से नेटवर्क कनेक्शन सुदृढ़ हुआ है, जिससे समग्र दक्षता में सुधार हुआ है।
- अग्रसक्रिय नेतृत्व: बुनियादी ढाँचे के विस्तार को लेकर इस क्षेत्र का सक्रिय दृष्टिकोण इस परिवर्तन को आगे बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण रहा है।
- 5G का सबसे त्वरित रोलआउट: देश में 5G सेवाओं का रोलआउट सबसे तीव्र रहा, जिसके अंतर्गत बड़ी संख्या में ज़िलों तक इन सेवाओं का विस्तार किया गया।
- भारत का दूरसंचार क्षेत्र राष्ट्रव्यापी 5G रोलआउट और संतृप्ति पर ध्यान केंद्रित करते हुए अभूतपूर्व उपलब्धियाँ हासिल करने की राह पर है:
नोट:
- नेटवर्क रेडीनेस इंडेक्स (NRI) 2024:
- नेटवर्क रेडीनेस इंडेक्स (NRI) 2024 के अंतर्गत भारत 11 क्रम आगे बढ़कर 49वें स्थान पर पहुँच गया है, जो वर्ष 2023 में 60वें स्थान पर था। यह इसके डिजिटल बुनियादी ढाँचे और क्षमताओं में उल्लेखनीय प्रगति को दर्शाता है।
- वैश्विक साइबर सुरक्षा सूचकांक 2024:
- भारत ने अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ (ITU) द्वारा प्रकाशित वैश्विक साइबर सुरक्षा सूचकांक (GCI) 2024 के 5वें संस्करण में टियर 1 का दर्जा हासिल कर साइबर सुरक्षा में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है।
भारत में दूरसंचार संबंधी विभिन्न सुधार कौन-से हैं?
- दूरसंचार अधिनियम, 2023:
- सरकार ने कुशल और आधुनिक दूरसंचार क्षेत्र विनियमन के एक नए युग की शुरुआत करते हुए दूरसंचार अधिनियम, 2023 पेश किया। इसने टेलीग्राफ अधिनियम, 1885 और भारत वायरलेस टेलीग्राफ अधिनियम, 1933 जैसे औपनिवेशिक युगीन प्राचीन अधिनियमों का स्थान लिया।
- इस नवीन अधिनियम में प्राधिकरण हेतु एक सरल ढाँचा, स्पेक्ट्रम आवंटन और इसके इष्टतम उपयोग के लिये एक स्पष्ट रूप से परिभाषित ढाँचा, एक प्रभावी तथा कुशल राइट ऑफ वे (RoW) ढाँचा, राष्ट्रीय सुरक्षा एवं लोक आपात के संबंध में सुदृढ़ प्रावधान, डिजिटल भारत निधि, विनियामक सैंडबॉक्स आदि के माध्यम से नवाचार व प्रौद्योगिकी विकास को बढ़ावा दिया गया है।
- अधिनियम में उपयोक्ताओं की सुरक्षा तथा स्वैच्छिक वचनबद्धता के साथ-साथ दो-स्तरीय न्यायनिर्णयन तंत्र का भी प्रावधान किया गया है।
- RoW पोर्टल:
- सभी 36 राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों और प्रमुख केन्द्रीय मंत्रालयों में RoW आवेदन प्रस्तुत करने के लिये गतिशक्ति संचार पोर्टल विकसित किया गया है।
- डैशबोर्ड मॉनिटरिंग ने आवेदनों के लिये पारदर्शी प्रक्रिया सुनिश्चित करके और कागज़ी कार्रवाई को न्यूनतम कर नौकरशाही बाधाओं को दूर किया है और इससे आवेदनों के निपटान का औसत समय कम हो गया है।
- पोर्टल से समयबद्ध तरीके से अनुमोदन सुव्यवस्थित हुआ है, जिसके परिणामस्वरूप टावरों और ऑप्टिकल फाइबर केबल अनुमोदन की स्वीकृति में पर्याप्त वृद्धि हुई है (आरंभ से अभी तक 3.23 लाख)।
- राष्ट्रीय मास्टर प्लान का गति शक्ति संचार पोर्टल:
- दूरसंचार विभाग (DoT) सुविधा वंचित गाँवों में 4G संतृप्ति परियोजना की योजना बनाने और पर्याप्त 4G कवरेज से वंचित बस्तियों का पता लगाने के लिये राष्ट्रीय मास्टर प्लान (NMP) का उपयोग कर रहा है।
- अनुपालन प्रक्रिया का सरलीकरण:
- जीवन यापन को सरल बनाने और व्यवसाय को सुकर बनाने के उद्देश्य से, सरकार से नागरिक और सरकार से कारोबार के बीच संपर्क को सुगम बनाकर अनुपालन प्रक्रिया को सरल बनाने हेतु एक महत्त्वाकांक्षी अभियान शुरू किया गया है।
- अखिल भारतीय सेल प्रसारण (CB):
- अखिल भारतीय सेल प्रसारण (CB) के कार्यान्वयन को सुविधाजनक बनाकर लक्षित पूर्व चेतावनी अलर्ट प्रदान करके लोक सुरक्षा में सुधार किया गया।
- दूरसंचार विभाग कई मंत्रालयों के सहयोग से CB प्रणाली के राष्ट्रव्यापी कार्यान्वयन की देखरेख कर रहा है।
- कार्यान्वयनाधीन यह प्रणाली वर्तमान में लगभग 80% नेटवर्क को कवर करती है और आपात स्थितियों के दौरान अलर्ट प्रसारित करने में इसकी भूमिका महत्त्वपूर्ण है।
- अखिल भारतीय सेल प्रसारण (CB) के कार्यान्वयन को सुविधाजनक बनाकर लक्षित पूर्व चेतावनी अलर्ट प्रदान करके लोक सुरक्षा में सुधार किया गया।
- भारत 6G विज़न और भारत 6G अलायंस (B6GA):
- प्रधानमंत्री ने मार्च 2023 में भारत 6G विज़न का शुभारंभ किया, जिसके तहत भारत को वर्ष 2030 तक 6G प्रौद्योगिकी के डिज़ाइन, विकास और प्रसारण में अग्रणी देश के रूप में स्थापित किया जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
- B6GA एक सहयोगी मंच है जिसमें भारत में एक व्यापक 6G इकोसिस्टम तैयार करने के लिये शिक्षा जगत, उद्योग जगत और सरकार एक साथ शामिल होते हैं।
- यह गठबंधन 6G प्रौद्योगिकी के अनुसंधान एवं विकास तथा मानकीकरण पर ध्यान केंद्रित करता है, जिसका लक्ष्य उभरते 6G परिदृश्य में भारत को अग्रणी देश बनाना है।
- प्रधानमंत्री वाई-फाई एक्सेस नेटवर्क इंटरफेस (PM-WANI):
- पीएम-वाणी को वर्ष 2020 में दूरसंचार विभाग (DoT) द्वारा लॉन्च किया गया था, पीएम-वाणी का उद्देश्य समग्र भारत में, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में सार्वजनिक वाई-फाई हॉटस्पॉट का विस्तार करना है।
- इसके अंतर्गत दुकानदारों जैसे स्थानीय व्यवसायों को वाई-फाई हॉटस्पॉट स्थापित करने की अनुमति प्रदान की गई है, जिससे वहनयोग्य इंटरनेट पहुँच उपलब्ध होती है और राष्ट्रीय डिजिटल संचार नीति, 2018 के लक्ष्यों को समर्थन मिलता है।
भारतीय दूरसंचार क्रांति ने राष्ट्र को किस प्रकार प्रभावित किया है?
- धनी और निर्धन वर्ग की असमानता में कमी लाना: दूरसंचार क्रांति विभिन्न आर्थिक वर्गों की असमानता को कम करने में सहायक रही है।
- वहनीय सेवाएँ, व्यापक कनेक्टिविटी और कम लागत वाले स्मार्टफोन से डिजिटल संसाधन समाज के सभी वर्गों के लोगों के लिये सुलभ हो गए हैं।
- डिजिटल इंडिया का विज़न: डिजिटल इंडिया पहल को एक समग्र और व्यापक दृष्टिकोण के साथ क्रियान्वित किया गया था, जिसका उद्देश्य देश के सभी क्षेत्रों में डिजिटल परिवर्तन का लाभ सुनिश्चित करना था। खंडित प्रयासों के विपरीत, यह विज़न राष्ट्रव्यापी डिजिटल समावेशन को प्राप्त करने के लिये एकीकृत रणनीतियों पर केंद्रित है।
- डिजिटल इंडिया विज़न के चार स्तंभ: डिजिटल इंडिया पहल के महत्त्वाकांक्षी लक्ष्यों को साकार करने के लिये, चार प्रमुख स्तंभ निर्धारित किये गए:
- डिवाइस की लागत कम करना: डिजिटल डिवाइस को वहन करने योग्य बनाना ताकि सभी आर्थिक पृष्ठभूमि के लोगों को प्रौद्योगिकी का अभिगम सुनिश्चित हो।
- राष्ट्रव्यापी कनेक्टिविटी सुनिश्चित करना: सबसे दूरस्थ क्षेत्रों को भी जोड़ने के लिये बुनियादी ढाँचे का विस्तार करना।
- सभी के लिये डेटा सुलभ बनाना: डिजिटल विभाजन को पाटने के लिये डेटा लागत को कम करना और विश्वसनीय इंटरनेट सेवाएँ सुनिश्चित करना।
- डिजिटल-फर्स्ट रणनीति अपनाना: ऐसी मानसिकता को प्रोत्साहित किया जाना जिसमें शासन, शिक्षा और वाणिज्य के लिये डिजिटल समाधानों को प्राथमिकता दी गई हो।
- डिजिटल भुगतान में वृद्धि: डिजिटल भुगतान में वृद्धि दूरसंचार विकास का प्रमुख चालक बन गई है।
- यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) लेनदेन वित्त वर्ष 2017-18 में 92 करोड़ था जो वित्त वर्ष 2022-23 में बढ़कर 8,375 करोड़ हो गया।
- दूरस्थ कार्य और शिक्षा: कोविड-19 महामारी से दूरस्थ कार्य और ऑनलाइन शिक्षा के स्वीकरण में तेज़ी आई, जो वर्तमान में दूरसंचार क्षेत्र के लिये असंभावित वृद्धि का चालक बन गया है।
दूरसंचार क्षेत्र से संबंधित चुनौतियाँ क्या हैं?
- बुनियादी ढाँचे का अभाव: महत्त्वपूर्ण प्रगति के बावजूद, भारत के शहरी-ग्रामीण दूरसंचार बुनियादी ढाँचे में अभी भी विषमताएँ हैं।
- ग्रामीण क्षेत्रों की चुनौतियों में अनुपयुक्त भूभाग, निरंतर बिजली आपूर्ति का अभाव तथा निवेश पर कम प्रतिफल शामिल हैं।
- स्पेक्ट्रम मूल्य निर्धारण: स्पेक्ट्रम की अत्यधिक कीमतें भारतीय दूरसंचार ऑपरेटरों के लिये एक बड़ी बाधा रही हैं।
- यह मुद्दा न केवल दूरसंचार कंपनियों की वित्तीय सेहत को प्रभावित करता है, बल्कि संभावित रूप से 5G जैसी नई प्रौद्योगिकियों को अपनाने की गति को भी मंद कर देता है, जिससे भारत की डिजिटल परिवर्तन यात्रा प्रभावित होती है।
- सेवा की गुणवत्ता: सुधारों के बावजूद, भारत के दूरसंचार क्षेत्र में सेवा की गुणवत्ता का विषय निरंतर बना हुआ है।
- खराब सेवा गुणवत्ता के कारण ग्राहक असंतुष्ट होते हैं और ऑपरेटर के राजस्व पर प्रभाव पड़ता है।
- विनियामक चुनौतियाँ: भारत के दूरसंचार क्षेत्र के समक्ष जटिल और यदा-कदा अननुमेय विनियामक परिवेश जैसी समस्याएँ विद्यमान हैं।
- नीतियों में निरंतर परिवर्तन और अनेक शुल्क (लाइसेंस शुल्क, स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क इत्यादि) जैसे मुद्दों से परिचालन संबंधी अनिश्चितताएँ उत्पन्न होती हैं।
आगे की राह
- बुनियादी ढाँचे की कमी को पूरा करना:
- शहरी-ग्रामीण क्षेत्रों की विषमताओं को कम करने के लिये ग्रामीण बुनियादी ढाँचे में केंद्रित निवेश, साथ ही दूरसंचार कंपनियों को अल्प सुविधा प्राप्त क्षेत्रों में नेटवर्क स्थापित किये जाने हेतु प्रोत्साहन प्रदान किया जाना चाहिये।
- अनुपयुक्त भूभाग और असंगत विद्युत आपूर्ति की समस्याओं के समाधान के लिये उपग्रह आधारित संचार और नवीकरणीय ऊर्जा समाधान जैसी नवीन प्रौद्योगिकियों को उपयोग में लाया जाना चाहिये।
- एक सुदृढ़ और समावेशी दूरसंचार इकोसिस्टम तैयार करने हेतु सरकार और निजी कंपनियों को सहयोग करना चाहिये।
- स्पेक्ट्रम मूल्य निर्धारण को युक्तिसंगत बनाना:
- दूरसंचार ऑपरेटरों पर वित्तीय दबाव कम करने के लिये निष्पक्ष और पारदर्शी स्पेक्ट्रम मूल्य निर्धारण तंत्र का क्रियान्वन किया जाना चाहिये।
- स्पेक्ट्रम अधिग्रहण, विशेष रूप से 5G जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों हेतु अनुकूलित भुगतान शर्तें और छूट की पेशकश दी जानी चाहिये।
- स्पेक्ट्रम के उपयोग को अनुकूलित करने तथा लागत को कम करने के लिये स्पेक्ट्रम साझाकरण और व्यापार को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है।
- सेवा की गुणवत्ता में सुधार:
- ऑपरेटरों द्वारा अनुपालन सुनिश्चित करने के लिये कड़े गुणवत्ता मानक और निगरानी तंत्र लागू किया जाना चाहिये।
- उपयोगकर्त्ता संतुष्टि बढ़ाने के लिये ग्राहक-केंद्रित नीतियों को बढ़ावा देने की आवश्यकता है और साथ हो शिकायतों का कुशलतापूर्वक समाधान किया जाना चाहिये।
- विनियामक ढाँचे को सरल एवं कारगर बनाना:
- दीर्घकालिक निवेश को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से स्थिर और पूर्वसूचनीय नीतिगत ढाँचे प्रस्तुत किया जाने चाहिये।
- नीतियों को उद्योग की आवश्यकताओं और वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाने के लिये परामर्श के माध्यम से हितधारकों के बीच सहयोग बढ़ाने कीं आवश्यकता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-सा/से भारत सरकार के ‘डिजिटल इंडिया’ योजना का/के उद्देश्य है/हैं? (2018)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (b) |