शासन व्यवस्था
दूरसंचार अधिनियम, 2023 के परिवर्तनकारी प्रभाव
- 15 Jan 2024
- 20 min read
यह एडिटोरियल 12/01/2024 को ‘इंडियन एक्सप्रेस’ में प्रकाशित “Open Up The Playing Field” लेख पर आधारित है। इसमें दूरसंचार अधिनियम, 2023 के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला गया है, साथ ही अधिनियम में अंतर्निहित विभिन्न मुद्दों की संवीक्षा की गई है और सुधार के लिये रचनात्मक सुझाव दिया गया है।
प्रिलिम्स के लिये:भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम, 1885, दूरसंचार सेवाएँ, दूरसंचार अधिनियम, 2023, TRAI, यूनिवर्सल सर्विस ऑब्लिगेशन फंड, डिजिटल भारत निधि, प्रधानमंत्री Wi-Fi एक्सेस नेटवर्क इंटरफेस, भारतनेट परियोजना, उत्पादन-आधारित प्रोत्साहन (PLI ) योजना, डिजिटल इंडिया पहल। मेन्स के लिये:दूरसंचार अधिनियम, 2023 के उपरांत भारत में दूरसंचार क्षेत्र की स्थिति। |
भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (Telecom Regulatory Authority of India- TRAI) के अनुसार, भारत जुलाई 2022 तक 85.11% के टेली घनत्व के साथ दुनिया के दूसरे सबसे बड़े दूरसंचार बाज़ार के रूप में उभर चुका है। देश की बढ़ती इंटरनेट और ब्रॉडबैंड पहुँच डिजिटल इंडिया पहल का समर्थन करती है और यह 5G की दौड़ में भी शामिल हो चुका है।
दिसंबर 2023 में बहुप्रतीक्षित दूरसंचार अधिनियम, 2023 लागू किया गया, जिसमें आवश्यक मोबाइल नेटवर्क को साइबर खतरों और अनधिकृत पहुँच से बचाने के लिये एक सुदृढ़ सुरक्षा ढाँचे के विकास को प्राथमिकता दी गई है।
भारत में दूरसंचार का इतिहास क्या है?
- ऐतिहासिक रूपरेखा (1885-2023):
- भारतीय दूरसंचार क्षेत्र, जिसे भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम 1885, भारतीय वायरलेस टेलीग्राफी अधिनियम 1933 और टेलीग्राफ तार (ग़ैर-कानूनी कब्ज़ा) अधिनियम 1950 के रूप में तीन कानूनों द्वारा आकार दिया गया, एक परिवर्तनकारी कानूनी विकास से होकर गुज़रा है।
- टेलीग्राफ तार के ग़ैर-कानूनी कब्जे से संबंधित 1950 के अधिनियम को हाल ही में नियामक अनुकूलनशीलता पर बल देते हुए निरसन एवं संशोधन अधिनियम 2023 द्वारा निरस्त कर दिया गया।
- भारतीय दूरसंचार क्षेत्र, जिसे भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम 1885, भारतीय वायरलेस टेलीग्राफी अधिनियम 1933 और टेलीग्राफ तार (ग़ैर-कानूनी कब्ज़ा) अधिनियम 1950 के रूप में तीन कानूनों द्वारा आकार दिया गया, एक परिवर्तनकारी कानूनी विकास से होकर गुज़रा है।
- नियामक प्राधिकरण:
- टैरिफ विनियमन में सहायक रहे ट्राई अधिनियम 1997 ने ट्राई (TRAI) और दूरसंचार विवाद निपटान एवं अपीलीय न्यायाधिकरण (TDSAT) दोनों की स्थापना की।
- हालाँकि, लाइसेंसिंग प्राधिकार को केंद्र सरकार में निहित बनाये रखा गया है।
- 1885 का अधिनियम और प्रौद्योगिकीय विकास:
- मूल रूप से टेलीग्राम सेवाओं को नियंत्रित करने वाला टेलीग्राफ अधिनियम 1885, जो आश्चर्यजनक रूप से प्रत्यास्थी रहा, वर्ष 2013 में टेलीग्राफ युग की समाप्ति तक बना रहा।
- जैसे-जैसे प्रौद्योगिकी उन्नत हुई, टेक्स्ट, वॉयस, इमेज और वीडियो के वास्तविक समय प्रसारण को शामिल करते हुए 1885 के पूर्व के अधिनियम ने आधुनिक दूरसंचार सेवाओं को विनियमित करना जारी रखा।
दूरसंचार अधिनियम 2023 के प्रमुख प्रावधान क्या हैं?
- प्राधिकरण और लाइसेंसिंग आवश्यकताएँ:
- दूरसंचार सेवाइ प्रदान करने या दूरसंचार नेटवर्क संचालित करने के लिये केंद्र सरकार से पूर्व प्राधिकरण अनिवार्य है।
- मौजूदा लाइसेंस उनकी अनुमत अवधि या पाँच वर्ष तक वैध बने रहते हैं।
- स्पेक्ट्रम आवंटन और उपयोग:
- राष्ट्रीय सुरक्षा, आपदा प्रबंधन और उपग्रह सेवाओं जैसे विशिष्ट उद्देश्यों को छोड़कर, स्पेक्ट्रम को नीलामी के माध्यम से सौंपा जाएगा।
- सरकार के पास फ़्रीक्वेंसी रेंज का पुन: उपयोग करने का अधिकार है और वह स्पेक्ट्रम शेयरिंग, ट्रेडिंग, लीजिंग और सरेंडर की अनुमति देती है।
- सैटेलाइट इंटरनेट प्रावधान:
- विधान ने वन वेब (OneWeb) और स्पेसएक्स के स्टारलिंक जैसे उपग्रह इंटरनेट प्रदाताओं को स्पेक्ट्रम आवंटित करने के प्रावधान पेश किये, जबकि उपग्रह-आधारित इंटरनेट सेवाओं के लिये वन वेब और जियो (Jio) को पहले से ही सक्रिय प्राधिकरण प्रदान किया जा चुका है।
- निगरानी और निलंबन शक्तियाँ:
- सरकार के पास सार्वजनिक सुरक्षा या आपातकाल से संबंधित निर्दिष्ट आधारों पर संदेशों को रोकने, उनकी निगरानी करने या ब्लॉक करने की शक्ति है।
- सार्वजनिक आपात स्थिति के दौरान दूरसंचार सेवाओं को निलंबित किया जा सकता है और बुनियादी ढाँचे पर अस्थायी कब्ज़ा किया जा सकता है।
- विनियमन और मानक:
- केंद्र सरकार दूरसंचार उपकरण और अवसंरचना के लिये मानक निर्धारित कर सकती है।
- यह अधिनियम ट्राई अधिनियम 1997 में भी संशोधन करता है और केवल अनुभवी व्यक्तियों को ही अध्यक्ष और सदस्य के रूप में नियुक्त करने की अनुमति देता है।
- इसमें कहा गया है कि अध्यक्ष के पास कम से कम तीस वर्ष का पेशेवर अनुभव होना चाहिये और उसने निदेशक मंडल के सदस्य या किसी कंपनी के मुख्य कार्यकारी के रूप में कार्य किया हो।
- ट्राई अध्यक्ष के पास दूरसंचार, उद्योग, वित्त, कानून, लेखा, प्रबंधन या उपभोक्ता मामलों में पेशेवर अनुभव होना चाहिये।
- इसी तरह, यह ट्राई सदस्यों की नियुक्ति के मानदंडों में भी बदलाव करता है, जहाँ कहा गया है कि एक सदस्य के पास कम से कम पच्चीस वर्ष का पेशेवर अनुभव होना चाहिये और उसने किसी कंपनी के निदेशक मंडल के सदस्य या मुख्य कार्यकारी के रूप में कार्य किया हो।
- इससे पता चलता है कि ट्राई के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति अब निजी क्षेत्र से की जा सकती है।
- इसमें कहा गया है कि अध्यक्ष के पास कम से कम तीस वर्ष का पेशेवर अनुभव होना चाहिये और उसने निदेशक मंडल के सदस्य या किसी कंपनी के मुख्य कार्यकारी के रूप में कार्य किया हो।
- डिजिटल भारत निधि और ओटीटी सेवाएँ:
- यूनिवर्सल सर्विस ऑब्लिगेशन फंड (USOF) को डिजिटल भारत निधि के रूप में बनाये रखा गया है, जहाँ अनुसंधान और विकास के लिये इसका उपयोग किया जा सकता है।
- ओवर-द-टॉप (OTT) सेवाओं को दूरसंचार अधिनियम से बाहर रखा गया है और उनका विनियमन संभावित डिजिटल इंडिया अधिनियम, 2023 के अंतर्गत आता है।
- कानूनी अपराध और दंड:
- विधेयक आपराधिक और नागरिक अपराधों को निर्दिष्ट करता है, जिसमें दूरसंचार सेवाओं के अनधिकृत प्रावधान और शर्तों का उल्लंघन शामिल है।
- दंड के अंतर्गत जुर्माने से लेकर कारावास तक शामिल है और अधिनिर्णय निर्दिष्ट अधिकारियों एवं समितियों द्वारा की जाती है।
- राष्ट्रीय सुरक्षा उपाय:
- वर्ष 2020 के भारत-चीन सीमा संघर्ष के बाद आरंभिक रूप से स्थापित प्रावधानों को कानून में एकीकृत किया गया है, जो संभावित रूप से प्रतिकूल देशों से दूरसंचार उपकरणों के आयात को रोकने के उपायों पर बल देता है।
दूरसंचार अधिनियम 2023 के गुण और दोष कौन-से हैं?
- गुण:
- नए प्रतिमानों की ओर बदलाव: दूरसंचार अधिनियम 2023 पिछले अधिनियमों से एक उल्लेखनीय प्रस्थान का प्रतीक है जिन्हें अब मानव-मानव, मानव-मशीन और मशीन-मशीन संचार के विकसित परिदृश्य को समायोजित करने के लिये प्रतिस्थापित किया गया है।
- विभिन्न संचार प्रौद्योगिकियों का नेविगेशन: यह अधिनियम संचार प्रौद्योगिकियों की पीढ़ियों को नेविगेट करने के लिये तैयार है, जिसमें वॉयस कॉल, मैसेजिंग, वीडियो कॉल, वियरेबल्स और इंडस्ट्री 4.0 जैसे नवाचार शामिल हैं।
- संचार के भविष्य में AI, IoT और क्वांटम कंप्यूटिंग जैसी कंप्यूटिंग एवं प्रौद्योगिकियों का अविभाज्य एकीकरण अपेक्षित है।
- आगे की ओर कदम: दो महत्त्वपूर्ण और संभवतः नज़रअंदाज किये गए उद्देश्यों पर बल दिया गया है, जो हैं प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ावा देना और ऋण-ग्रस्त उद्योग में अवसंरचना के उन्नयन के लिये संसाधन जुटाना।
- स्पेक्ट्रम उपयोग में प्रौद्योगिकीय तटस्थता: अधिनियम उचित रूप से स्पेक्ट्रम उपयोग में प्रौद्योगिकीय तटस्थता की वकालत करता है, जहाँ यह स्वीकार किया गया है कि दूरसंचार सेवाओं को अब प्रौद्योगिकी प्रकार द्वारा परिभाषित नहीं किया जा सकता।
- निष्पक्ष प्रतिस्पर्द्धा को प्रोत्साहित करने के लिये, बाज़ार के नए प्रवेशकों के पास वाणिज्यिक शर्तों पर बुनियादी ढाँचे तक गैर-भेदभावपूर्ण और गैर-विशिष्ट पहुँच होनी चाहिये।
- डिजिटल प्रौद्योगिकियों के लिये नियामक अभिसरण: एक एकीकृत दृष्टिकोण के साथ, यह अधिनियम नियामक अभिसरण के महत्त्व पर बल देते हुए दूरसंचार और इंटरनेट के अभिसरण को संबोधित करता है।
- एकीकृत सेवाओं पर खंडित निरीक्षण की चुनौती को स्वीकार किया गया है, जिससे अलग-अलग लाइसेंस और प्रशासनिक विभागों की प्रभावकारिता पर सवाल उठते हैं।
- अवगुण:
- विवादित प्रावधान और गोपनीयता संबंधी चिंताएँ: अधिनियम सुरक्षा मानकों और आपात स्थितियों के दौरान सरकार को सशक्त बनाने वाले विवादित प्रावधानों, जो संभावित रूप से सीमित जवाबदेही के साथ नागरिक निजता का उल्लंघन करते हैं, से संबंधित चिंताओं को संबोधित करने में विफल रहता है।
- निजता के साथ सुरक्षा को संतुलित करना शासकीय अधिकारियों के लिये एक महत्त्वपूर्ण विचारार्थ विषय बन जाता है।
- 5G/6G कार्यान्वयन में चुनौतियाँ: भारत को 5G अंगीकरण में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जिसमें अनाकर्षक उपयोग के मामले, खराब मुद्रीकरण और अपर्याप्त अवसंरचना निवेश शामिल हैं।
- वर्ष 2023-24 के बाद पूंजीगत व्यय में पर्याप्त कटौती के लिये रिलायंस जियो और भारती एयरटेल की प्रतिबद्धता चिंता पैदा करती है।
- अधिनियम में समयबद्ध तरीके से 5G और 6G अवसंरचना को बढ़ावा देने के लिये एक विशिष्ट दृष्टिकोण का अभाव है।
- विवादित प्रावधान और गोपनीयता संबंधी चिंताएँ: अधिनियम सुरक्षा मानकों और आपात स्थितियों के दौरान सरकार को सशक्त बनाने वाले विवादित प्रावधानों, जो संभावित रूप से सीमित जवाबदेही के साथ नागरिक निजता का उल्लंघन करते हैं, से संबंधित चिंताओं को संबोधित करने में विफल रहता है।
भारत में दूरसंचार क्षेत्र में सुधार के लिये कौन-से कदम उठाये जा सकते हैं?
- नियामक उपाय के रूप में कार्यात्मक पृथक्करण:
- अधिनियम में कार्यात्मक पृथक्करण की अवधारणा को शामिल किया जाना चाहिये, जैसा कि बाज़ार एकाग्रता को संबोधित करने के लिये अंतर्राष्ट्रीय नियमों में देखा जाता है।
- स्वीडन, यूके, ऑस्ट्रेलिया, आयरलैंड और पोलैंड के उदाहरण इसके उपयोग को दर्शाते हैं, लेकिन निम्न निवेश और नवाचार के लिये असंगत उपायों को रोकने के लिये सावधानी बरतने की आवश्यकता है।
- अधिनियम में कार्यात्मक पृथक्करण की अवधारणा को शामिल किया जाना चाहिये, जैसा कि बाज़ार एकाग्रता को संबोधित करने के लिये अंतर्राष्ट्रीय नियमों में देखा जाता है।
- स्वैच्छिक संक्रमण और उद्योग विन्यास:
- निम्न कराधान या राजकोषीय लाभ से प्रोत्साहित स्वैच्छिक संक्रमण अधिक प्रभावी दृष्टिकोण प्रदान करते हैं, जैसा कि इटली में देखा गया है।
- अपेक्षाओं में पूरी तरह से एकीकृत टेलीकॉम से लेकर नेटवर्क एग्रीगेटर्स और प्योर-प्ले सेवा प्रदाताओं तक उद्योग विन्यास का एक स्पेक्ट्रम शामिल है।
- निम्न कराधान या राजकोषीय लाभ से प्रोत्साहित स्वैच्छिक संक्रमण अधिक प्रभावी दृष्टिकोण प्रदान करते हैं, जैसा कि इटली में देखा गया है।
- वायरलाइन आधारित संरचना की ओर संक्रमण:
- वायरलाइन आधारित संरचना 5G/6G स्पीड देने में कहीं अधिक सक्षम है। भारत को उच्च गुणवत्ता वाले डिजिटल अनुप्रयोगों का समर्थन करने के लिये वायरलेस से वायरलाइन आधारित संरचना की ओर आगे बढ़ना चाहिये।
- ‘राईट ऑफ वे’ पर अधिनियम का बल इस आवश्यकता को चिह्नित करता है, जो विशेष रूप से शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों के लिये फाइबर अवसंरचना में निवेश के माध्यम से लागत कम करने के लिये एक सक्षम कारोबारी माहौल की मांग करता है।
- वायरलाइन आधारित संरचना 5G/6G स्पीड देने में कहीं अधिक सक्षम है। भारत को उच्च गुणवत्ता वाले डिजिटल अनुप्रयोगों का समर्थन करने के लिये वायरलेस से वायरलाइन आधारित संरचना की ओर आगे बढ़ना चाहिये।
- सरकार का योगदान और संसाधन सृजन:
- सरकार को USOF के माध्यम से ग्रामीण और गैर-ग्रामीण क्षेत्रों में अवसंरचना के निर्माण के लिये स्पष्ट लक्ष्य निर्धारित करने चाहिये।
- फाइबर अवसंरचना को बढ़ावा देने के लिये संसाधन सृजन और निजी क्षेत्र के निवेश के लिये प्रतिस्पर्द्धी अवसर का होना महत्त्वपूर्ण हैं।
- सरकार को USOF के माध्यम से ग्रामीण और गैर-ग्रामीण क्षेत्रों में अवसंरचना के निर्माण के लिये स्पष्ट लक्ष्य निर्धारित करने चाहिये।
- भविष्य के लिये एकीकृत दृष्टिकोण:
- यह अधिनियम एक एकीकृत दृष्टिकोण के महत्त्व के साथ पूर्ण होता है, जिसमें विभिन्न विभागों के बीच लाइसेंसिंग, मानकों, कौशल और शासन में तालमेल पर बल दिया गया है।
- इस समग्र दृष्टिकोण को भारत की डिजिटल क्रांति के लिये आवश्यक माना जाता है, जो दूरसंचार उद्योग को निरंतर विकास में अग्रणी मोर्चे पर रखता है।
- यह अधिनियम एक एकीकृत दृष्टिकोण के महत्त्व के साथ पूर्ण होता है, जिसमें विभिन्न विभागों के बीच लाइसेंसिंग, मानकों, कौशल और शासन में तालमेल पर बल दिया गया है।
संबंधित सरकारी पहल
- प्रधानमंत्री वाई-फाई एक्सेस नेटवर्क इंटरफेस (PM-WANI)
- भारतनेट परियोजना
- प्रोडक्शन लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI)
- भारत 6G एलायंस
निष्कर्ष:
भारत के दूरसंचार क्षेत्र का चल रहा विस्तार देश के डिजिटल रूपांतरण में एक महत्त्वपूर्ण तत्व है। दूरसंचार अधिनियम 2023 के प्रमुख उद्देश्यों में सेवाओं में प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ावा देना, फाइबर-आधारित नेटवर्क में बदलाव को प्रोत्साहित करना और तकनीकी गतिशीलता को बढ़ावा देना शामिल है। इन प्रयासों का उद्देश्य दूरसंचार में एक नए युग की शुरुआत करना है। इसमें अपेक्षाओं पर खरे नहीं उतरने के बजाय ठोस प्रगति हासिल करने पर बल दिया गया है।
अभ्यास प्रश्न: दूरसंचार अधिनियम, 2023 ने भारत में दूरसंचार क्षेत्र की वृद्धि और गतिशीलता को किस प्रकार प्रभावित किया है? डिजिटल कनेक्टिविटी और तकनीकी नवाचार को आगे बढ़ाने में इसकी भूमिका पर बल देते हुए संबंधित चुनौतियों एवं संभावित परिणामों की चर्चा कीजिये।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. भारत में निम्नलिखित में से कौन दूरसंचार, बीमा, बिजली आदि क्षेत्रों में स्वतंत्र नियामकों की समीक्षा करता है? (2019)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 और 2 उत्तर: a प्रश्न. भारत में ‘पब्लिक की इन्फ्रास्ट्रक्चर’ पदबंध किसके प्रसंग में प्रयुक्त किया जाता है? (2020) (a) डिजिटल सुरक्षा आधारभूत संरचना उत्तर: A प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-सा/से भारत सरकार के ‘डिजिटल इंडिया’ योजना का/के उद्देश्य है/हैं? (2018)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (b) |