शासन व्यवस्था
भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण निरसन विनियम, 2023
- 02 Aug 2023
- 11 min read
प्रिलिम्स के लिये:भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण, OTT संचार सेवा, डायल-अप और लीज्ड लाइन इंटरनेट अभिगम। मेन्स के लिये:भारत में दूरसंचार क्षेत्र में विकास, भारत में दूरसंचार क्षेत्र से संबंधित मुद्दे। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में, भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) ने भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण निरसन विनियम, 2023 जारी करके नियामक परिदृश्य को आधुनिक बनाने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम उठाया है।
डायल-अप और लीज्ड लाइन इंटरनेट अभिगम:
- डायल-अप इंटरनेट अभिगम, इंटरनेट अभिगम (Internet Access) का एक रूप है जो एक टेलीफोन लाइन के माध्यम से ISP से कनेक्शन स्थापित करने के लिये पब्लिक स्विच्ड टेलीफोन नेटवर्क (Public Switched Telephone Network- PSTN) का उपयोग करता है।
- यह इंटरनेट तक पहुँच का सबसे कम खर्चीला किन्तु सबसे धीमा माध्यम है।
- लीज्ड लाइन इंटरनेट अभिगम एक समर्पित पॉइंट-टू-पॉइंट डेटा सर्किट (Point-to-Point Data Circuit ) है जो गारंटीकृत बैंडविड्थ (Guaranteed Bandwidth) और सममित अपलोड और डाउनलोड गति प्रदान करता है।
- इनका उपयोग आमतौर पर उन व्यवसायों या संगठनों द्वारा किया जाता है जिन्हें अपने संचालन के लिये उच्च-प्रदर्शन तथा विश्वसनीय इंटरनेट कनेक्टिविटी की आवश्यकता होती है।
डायल अप और लीज्ड लाइन इंटरनेट अभिगम का विनियमन:
- डायल-अप और लीज्ड लाइन इंटरनेट अभिगम सेवा की गुणवत्ता पर विनियमन 2001, शुरुआत में भारत में बेसिक सर्विस ऑपरेटर्स (Basic Service Operators) और इंटरनेट सेवा प्रदाताओं (Internet Service Provider- ISP) द्वारा प्रदान की जाने वाली इंटरनेट सेवाओं की गुणवत्ता को नियंत्रित करने के लिये पेश किया गया था।
- यह विनियमन BSNL, MTNL और VSNL जैसे मौजूदा ऑपरेटरों सहित सभी प्रदाताओं पर लागू होता है।
- जब नियम लागू किये गए थे तो डायल-अप सेवाएँ कम गति वाले इंटरनेट तक पहुँच का प्रमुख साधन थीं। हालाँकि समय के साथ, दूरसंचार नेटवर्क में महत्त्वपूर्ण परिवर्तन हुए हैं।
- FTTH, LTE और 5G सहित विभिन्न प्रौद्योगिकियों के उद्भव ने उपभोक्ताओं के लिये हाई-स्पीड ब्रॉडबैंड सेवाओं को व्यापक रूप से उपलब्ध कराया है।
- इसके अतिरिक्त लीज्ड लाइन पहुँच सेवाएँ मुख्य रूप से इंटरनेट गेटवे सेवा प्रदाताओं (IGSP) द्वारा उद्यमों को प्रदान की जाती हैं। ये सेवाएँ, सेवा स्तरीय समझौता (SLA) द्वारा अधिकृत होती हैं।
- SLA के अंतर्गत सेवा गुणवत्ता संबंधित चिंताओं को सुरक्षित रखने के पर्याप्त प्रावधान हैं, जो वर्ष 2001 के विनियमन को वर्तमान संदर्भ में कम प्रासंगिक बनाते हैं।
- भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण निरसन विनियमन, 2023 से इस नियामक बोझ को हटाने से सेवा प्रदाता अत्याधुनिक सेवाएँ प्रदान करने और ग्राहक अनुभवों को बेहतर बनाने पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं।
- इसके अतिरिक्त दूरसंचार क्षेत्र में प्रतिस्पर्द्धा और नवाचार में वृद्धि हो सकती है, जिससे सेवा गुणवत्ता में वृद्धि, अधिक कवरेज़ और संभावित लागत दक्षता में वृद्धि होगी।
वर्तमान में दूरसंचार क्षेत्र से संबंधित प्रमुख चुनौतियाँ:
- वित्तीय तनाव: भारतीय दूरसंचार क्षेत्र तीव्र प्रतिस्पर्द्धा, न्यूनतम टैरिफ और उच्च ऋण बोझ से जूझ रहा है।
- कई दूरसंचार कंपनियाँ वित्तीय चुनौतियों का सामना कर रही हैं, जबकि कुछ तो दिवालिया हो गई हैं या निरंतरता बनाए रखने के लिये अन्य कंपनियों के साथ विलय हो गई हैं।
- ग्रामीण-शहरी असमानता: भारत में यद्यपि पर्याप्त टेली-घनत्व प्राप्त कर लिया गया है, लेकिन देश के शहरी (55.42%) और ग्रामीण (44.58%) क्षेत्रों के बीच दूरसंचार ग्राहकों की हिस्सेदारी में उल्लेखनीय विसंगति मौजूद है।
- इसके अतिरिक्त, देश में फिक्स्ड ब्रॉडबैंड की पहुँच विश्व में सबसे कम है (केवल 1.69 प्रति 100 निवासियों पर)।
- ओवर-द-टॉप प्लेटफॉर्म (OTT) के साथ समस्या: व्हाट्सएप और टेलीग्राम जैसे OTT प्लेटफॉर्म्स वॉयस कॉल और SMS जैसी सेवाएँ प्रदान करने के लिये AIRTEL और JIO जैसे दूरसंचार सेवा प्रदाताओं की नेटवर्क अवसंरचना का उपयोग करते हैं।
- दूरसंचार सेवा प्रदाताओं (TSP) का आरोप है कि इन सुविधाओं के परिणामस्वरूप उनके लिये दोहरे नुकसान की स्थिति बनती है क्योंकि इससे उनके राजस्व के स्रोतों (वॉयस कॉल व SMS) में कटौती होती है।
- ई-कचरे का कुप्रबंधन: दूरसंचार उद्योग पर्यावरण को कई तरह से प्रभावित करता है, जिसमें ई-कचरा (e-waste) उत्पन्न करना प्रमुख है। भारत में अनौपचारिक कचरा बीनने वालों द्वारा 95% से अधिक ई-कचरे का अवैध रूप से पुनर्चक्रण किया जाता है।
आगे की राह:
- AI-सक्षम नेटवर्क प्रबंधन: सरकार को AI-संचालित नेटवर्क प्रबंधन सिस्टम लागू करना आवश्यक है जो नेटवर्क प्रदर्शन को अनुकूलित कर सकता है, रखरखाव की जरूरतों का अनुमान लगा सकता है और उपयोगकर्त्ताओं के लिये निर्बाध कनेक्टिविटी सुनिश्चित कर सकता है।
- टेलीकॉम इन्फ्रास्ट्रक्चर ऑन व्हील्स: विश्वसनीय कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिये मोबाइल टेलीकॉम इंफ्रास्ट्रक्चर इकाइयाँ बनाई जाएं, जिन्हें निर्माण स्थलों, त्योहारों या आपदा क्षेत्रों जैसे अस्थायी या कम सेवा वाले स्थानों पर तैनात किया जा सके।
- सुव्यवस्थित नियामक प्रक्रियाएँ: दूरसंचार बुनियादी ढाँचे की तैनाती के लिये विनियामक अनुमोदन को सरल और तेज़ करना, नौकरशाही बाधाओं को कम करना और तेज़ी से नेटवर्क विस्तार को बढ़ावा देना।
- साथ ही OTT संचार सेवाओं को विनियमन के दायरे में लाना समय की मांग है।
भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण
- परिचय:
- भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (Telecom Regulatory Authority of India- TRAI) की स्थापना 20 फरवरी, 1997 को भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण अधिनियम, 1997 द्वारा की गई थी।
- TRAI की संरचना:
- TRAI में एक अध्यक्ष, दो पूर्णकालिक सदस्य और दो अंशकालिक सदस्य होते हैं, जिनकी नियुक्ति भारत सरकार द्वारा की जाती है।
- TRAI के कार्य:
- दूरसंचार सेवाओं को विनियमित करना, जिसमें दूरसंचार सेवाओं के लिए टैरिफ का निर्धारण/संशोधन शामिल है, जो पहले केंद्र सरकार में निहित थे।
- सेवा की गुणवत्ता और टैरिफ में पारदर्शिता सुनिश्चित करना।
- नीतिगत मामलों और लाइसेंसिंग मुद्दों पर सरकार को सलाह देना
- TRAI की सिफारिशें केंद्र सरकार के लिये बाध्यकारी नहीं हैं।
- अपीलीय प्राधिकरण:
- TRAI अधिनियम को 24 जनवरी 2000 में संशोधित किया गया, जिसने TRAI के न्यायिक और विवादपूर्ण कार्यों को संभालने के लिये एक दूरसंचार विवाद निपटान एवं अपीलीय न्यायाधिकरण (TDSAT) की स्थापना की।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-सा/से भारत सरकार के ‘डिजिटल इंडिया’ योजना का/के उद्देश्य है/हैं? (2018)
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