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भारतीय अर्थव्यवस्था

नेट न्यूट्रैलिटी

  • 20 Mar 2023
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (COAI), भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI), इंटरनेट सेवा प्रदाता।

मेन्स के लिये:

नेट न्यूट्रैलिटी।

चर्चा में क्यों?

सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (COAI), जो भारत में तीन प्रमुख दूरसंचार ऑपरेटर- भारती एयरटेल, वोडाफोन आइडिया और रिलायंस जियो का प्रतिनिधित्त्व करता है, ने मांग की है कि यूट्यूब तथा व्हाट्सएप जैसे प्लेटफॉर्म नेटवर्क लागत को पूरा करने हेतु राजस्व का एक हिस्सा भुगतान करें।

इस मुद्दे के संदर्भ में तर्क और हालिया घटनाक्रम:  

  • दूरसंचार ऑपरेटर उनके नेटवर्क के व्यापक उपयोग के लिये भुगतान की मांग कर रहे हैं।
    • यूरोपीय संघ में दूरसंचार ऑपरेटर भी विषयवस्तु प्रदाताओं से समान उपयोग शुल्क की मांग कर रहे हैं।
    • विषयवस्तु प्रदाताओं का तर्क है कि सीमित संख्या में बड़े अभिकर्त्ताओं पर भी इस तरह का शुल्क लगाना, इंटरनेट के स्वरूप का विरूपण है।
  • वर्ष 2016 में भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (Telecom Regulatory Authority of India- TRAI) ने नेट न्यूट्रैलिटी के पक्ष में फैसला सुनाया।
  • वर्ष 2018 में दूरसंचार विभाग ने एकीकृत लाइसेंस में नेट न्यूट्रैलिटी अवधारणा को स्थापित किया, जिसकी शर्तों से सभी दूरसंचार ऑपरेटर और इंटरनेट प्रदाता बाध्य हैं। 

नेट न्यूट्रैलिटी   

  • नेट न्यूट्रैलिटी सिद्धांत के अनुसार, सभी इंटरनेट ट्रैफिक के साथ बिना किसी भेदभाव या किसी विशेष वेबसाइट, सेवा या ऐप को प्राथमिकता दिये बिना समान व्यवहार किया जाना चाहिये।
  • नेट न्यूट्रैलिटी यह सुनिश्चित करती है कि इंटरनेट पर सूचना और सेवाओं तक सभी की समान पहुँच हो, भले ही उनके वित्तीय संसाधन या उनके द्वारा उपयोग की जाने वाली वेबसाइट्स का आकार और शक्ति कुछ भी हो।
    • यह एक महत्त्वपूर्ण सिद्धांत है जो इंटरनेट पर एक समान अवसर सुनिश्चित करने में मदद करता है तथा सूचना और विचारों के मुक्त प्रवाह की रक्षा करता है।
  • नेट न्यूट्रैलिटी के बिना इंटरनेट सेवा प्रदाता उपयोगकर्त्ताओं को कुछ वेबसाइट्स और सेवाओं की ओर ले जाने या दूसरों तक पहुँच को सीमित करने के लिये संभावित रूप से अपनी बाज़ार शक्ति का उपयोग कर सकते हैं। 

neutrality

इंटरनेट क्षेत्र में विभिन्न हितधारक:   

  • इंटरनेट क्षेत्र में विभिन्न हितधारक हैं:  
    • किसी भी इंटरनेट सेवा के उपभोक्ता 
    • दूरसंचार सेवा प्रदाता (TSP) या इंटरनेट सेवा प्रदाता (ISP)। 
    • ओवर-द-टॉप (OTT) सेवा प्रदाता (जो वेबसाइट और ऐप जैसी इंटरनेट एक्सेस सेवाएँ प्रदान करते हैं)।  
    • सरकार, जो इंटरनेट कंपनियों के बीच संबंधों को विनियमित और परिभाषित कर सकती है।   
      • इसके अलावा TRAI दूरसंचार क्षेत्र में एक स्वतंत्र नियामक है, जो मुख्य रूप से TSP और उनकी लाइसेंसिंग शर्तों आदि को नियंत्रित करता है। 

नेट न्यूट्रैलिटी का विनियमन:   

  • अब तक नेट न्यूट्रैलिटी को भारत में किसी भी कानून या नीति ढाँचे द्वारा प्रत्यक्ष रूप से  विनियमित नहीं किया गया है।  
  • पिछले वर्षों के दौरान नेट न्यूट्रैलिटी से संबंधित नीति निर्माण में कुछ विकास हुआ है।   
    • ट्राई डेटा सेवाओं के लिये अलग-अलग मूल्य निर्धारण के साथ-साथ ओवर-द-टॉप सेवाओं (OTT) हेतु नियामक ढाँचे पर काम कर रहा है।
    • दूरसंचार विभाग द्वारा गठित एक समिति ने भी नेट न्यूट्रैलिटी के मुद्दे की जाँच की है।
  • इसके अलावा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर संयुक्त राज्य अमेरिका, जापान, ब्राज़ील, चिली, नॉर्वे, आदि जैसे देशों में कुछ प्रकार के कानून, व्यवस्था अथवा नियामक ढाँचे हैं जो नेट न्यूट्रैलिटी को प्रभावित करते हैं।

नेट न्यूट्रैलिटी नहीं होने की स्थिति के परिणाम: 

  • इंटरनेट संबंधी एकाधिकार:
    • ISP इससे अधिक लाभ प्राप्त करने के लिये नेट न्यूट्रैलिटी के बिना इंटरनेट ट्रैफिक को संशोधित करने में सक्षम होंगे।
      • इससे उन्हें सामान्य वेबसाइट की तुलना में अधिक बैंडविड्थ की खपत करने वाले YouTube और Netflix जैसी कंपनियों को सेवाओं के लिये चार्ज करने की शक्ति मिलेगी।
  • हतोत्साहित नवाचार:  
    • नेट न्यूट्रैलिटी की कमी वेब/इंटरनेट पर नवाचार को काफी हतोत्साहित कर सकती है।  त्वरित पहुँच के लिये भुगतान करने में सक्षम स्थापित अभिकर्त्ताओं की तुलना में स्टार्टअप अधिक नुकसान में होंगे।
    • एक खुले और विविध पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण की बजाय इसका परिणाम एक ऐसे वेब के रूप में हो सकता है, जिसमें सीमित संख्या में शक्तिशाली संस्थाओं का वर्चस्व हो।
  • उपभोक्ताओं के लिये पैकेज प्लान:  
    • नेट न्यूट्रैलिटी की कमी से सुविधाओं तक निःशुल्क पहुँच के बजाय उपभोक्ताओं के लिये "पैकेज प्लान" की व्यवस्स्था हो सकती है।
      • उदाहरण के लिये उपयोगकर्त्ताओं को अपने देश में स्थित वेबसाइट्स की तुलना में अंतर्राष्ट्रीय वेबसाइट्स का उपयोग करने के लिये अधिक भुगतान करना पड़ सकता है। इससे एक स्तरीय इंटरनेट प्रणाली का निर्माण हो सकता है जिसमें अधिक भुगतान करने वाले उपयोगकर्त्ताओं को सामग्री तक बेहतर पहुँच प्राप्त होगी।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

 प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-सा/से भारत सरकार का/के “डिजिटल इंडिया” योजना का/के उद्देश्य है/हैं? (2018) 

  1. भारत की अपनी इंटरनेट कंपनियों का गठन, जैसा कि चीन ने किया।
  2. एक नीतिगत ढाँचे की स्थापना जिससे बड़े आँकड़े एकत्रित करने वाली समुद्रपारीय बहु-राष्ट्रीय कंपनियों को बढ़ावा दिया जा सके कि वे हमारी राष्ट्रीय भौगोलिक सीमाओं के भीतर अपने बड़े डेटा केंद्रों की स्थापना करें।
  3. हमारे अनेक गाँवों को इंटरनेट से जोड़ना तथा हमारे बहुत से विद्यालयों, सार्वजनिक स्थलों एवं प्रमुख पर्यटन केंद्रों में वाई-फाई लाना। 

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग सही उत्तर चुनिये :

केवल 1 और 2
केवल 3
केवल 2 और 3
1, 2 और 3

उत्तर: (b) 

स्रोत: द हिंदू

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