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दूरसंचार विधेयक 2023

  • 20 Dec 2023
  • 11 min read

प्रिलिम्स के लिये:

भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम, 1885, दूरसंचार सेवाएँ, स्पेसएक्स का स्टारलिंक, ट्राई, यूनिवर्सल सर्विस ऑब्लिगेशन फंड, डिजिटल भारत निधि, प्रधानमंत्री वाई-फाई एक्सेस नेटवर्क इंटरफेस, भारतनेट प्रोजेक्ट, प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) योजना, भारत 6जी एलायंस

मेन्स के लिये:

दूरसंचार विधेयक 2023, भारत में दूरसंचार क्षेत्र की स्थिति।

स्रोत: बिज़नेस लाइन

चर्चा में क्यों?

हाल ही में सरकार ने लोकसभा में दूरसंचार विधेयक 2023 (Telecommunications Bill 2023) पेश किया। यह भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम, 1885, भारतीय वायरलेस टेलीग्राफी अधिनियम, 1933 और टेलीग्राफ तार (गैरकानूनी कब्ज़ा) अधिनियम, 1950 को निरस्त करने का प्रयास करता है। यह भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) अधिनियम, 1997 में भी संशोधन करता है।

दूरसंचार विधेयक 2023 के प्रमुख प्रावधान क्या हैं? 

  • दूरसंचार से संबंधित गतिविधियों के लिये प्राधिकरण: दूरसंचार सेवाएँ प्रदान करने, दूरसंचार नेटवर्क स्थापित करने, संचालित करने, बनाए रखने या विस्तार करने या रेडियो उपकरण रखने के लिये केंद्र सरकार से पूर्व प्राधिकरण की आवश्यकता होगी।  
    • मौजूदा लाइसेंस उनके अनुदान की अवधि के लिये या पाँच वर्ष हेतु वैध बने रहेंगे, जहाँ अवधि निर्दिष्ट नहीं है।
  • स्पेक्ट्रम का आवंटन: निर्दिष्ट उपयोगों को छोड़कर, स्पेक्ट्रम को नीलामी द्वारा आवंटित किया जाएगा, जहाँ इसे प्रशासनिक आधार पर आवंटित किया जाएगा। इनमें राष्ट्रीय सुरक्षा और रक्षा, आपदा प्रबंधन, मौसम पूर्वानुमान, परिवहन, DTH तथा सैटेलाइट टेलीफोनी जैसी उपग्रह सेवाएँ एवं BSNL, MTNL व सार्वजनिक प्रसारण सेवाएँ जैसे उद्देश्य शामिल हैं।
    • केंद्र सरकार किसी भी आवृत्ति रेंज का पुन: प्रयोजन या पुन:निर्धारण कर सकती है। केंद्र सरकार स्पेक्ट्रम को साझा करने, व्यापार करने, पट्टे पर देने और सरेंडर करने की भी अनुमति दे सकती है।
  • सैटेलाइट इंटरनेट आवंटन: विधेयक वनवेब (भारती द्वारा समर्थित) जैसे सैटेलाइट इंटरनेट प्रदाताओं और स्पेसएक्स के स्टारलिंक जैसी अमेरिकी-आधारित कंपनियों को स्पेक्ट्रम आवंटित करने के प्रावधान पेश करता है।
    • वर्तमान में वनवेब और जियो को सक्रिय प्राधिकरण प्रदान किये गए हैं, जिससे सैटेलाइट-आधारित इंटरनेट सेवाओं का मार्ग प्रशस्त हो गया है।
  • अवरोधन और खोज की शक्तियाँ: दो या दो से अधिक व्यक्तियों के बीच संदेशों या संदेशों के एक वर्ग को कुछ आधारों पर रोका, मॉनिटर किया जा सकता है या अवरुद्ध किया जा सकता है।
    • ऐसी कार्रवाइयाँ सार्वजनिक सुरक्षा या सार्वजनिक आपातकाल के हित में आवश्यक या समीचीन होनी चाहिये और निर्दिष्ट आधारों के हित में होनी चाहिये जिनमें राज्य की सुरक्षा, अपराधों को भड़काने की रोकथाम या सार्वजनिक व्यवस्था शामिल है।
    • इसी आधार पर दूरसंचार सेवाओं को निलंबित किया जा सकता है। सरकार किसी भी सार्वजनिक आपातकाल या सार्वजनिक सुरक्षा की स्थिति में किसी भी दूरसंचार बुनियादी ढाँचे, नेटवर्क या सेवाओं पर अस्थायी कब्ज़ा कर सकती है।
      • सरकार द्वारा अधिकृत कोई अधिकारी अनधिकृत दूरसंचार नेटवर्क या उपकरण रखने के लिये परिसरों या वाहनों की तलाशी ले सकता है।
  •  मानक निर्दिष्ट करने की शक्तियाँ: केंद्र सरकार दूरसंचार उपकरण, बुनियादी ढाँचे, नेटवर्क और सेवाओं के लिये मानक तथा मूल्यांकन निर्धारित कर सकती है।
  • मार्ग का अधिकार: सुविधा प्रदाता दूरसंचार बुनियादी ढाँचे की स्थापना के लिये सार्वजनिक या निजी संपत्ति पर रास्ते/मार्ग का अधिकार मांग सकते हैं।
    • जहाँ तक संभव हो रास्ते का अधिकार गैर-भेदभावपूर्ण और गैर-विशिष्ट आधार पर प्रदान किया जाना चाहिये।
  • उपयोगकर्त्ताओं की सुरक्षा: केंद्र सरकार उपयोगकर्त्ताओं की सुरक्षा हेतु उपाय प्रदान कर सकती है जिसमें शामिल हैं: विज्ञापन संदेश यथा निर्दिष्ट संदेश प्राप्त करने के लिये पूर्व सहमति, डू नॉट डिस्टर्ब रजिस्टरों का निर्माण और उपयोगकर्त्ताओं को मैलवेयर या निर्दिष्ट संदेशों की रिपोर्ट करने की अनुमति देने के लिये एक तंत्र।
    • स्पैम कॉल और संदेशों से निपटने हेतु दूरसंचार ग्राहकों के लिये बायोमेट्रिक प्रामाणीकरण अनिवार्य है।
    • दूरसंचार सेवाएँ प्रदान करने वाली संस्थाओं को शिकायतों के पंजीकरण और निवारण के लिये एक ऑनलाइन तंत्र स्थापित करना होगा।
  • TRAI में नियुक्तियाँ: विधेयक TRAI अधिनियम में संशोधन करता है जिससे व्यक्तियों को अध्यक्ष/चेयरपर्सन के रूप में काम करने के लिये कम-से-कम 30 वर्षों का पेशेवर अनुभव और सदस्यों के रूप में काम करने के लिये कम-से-कम 25 वर्षों के पेशेवर अनुभव की अनुमति मिलती है।
  • डिजिटल भारत निधि: यूनिवर्सल सर्विस ऑब्लिगेशन फंड की स्थापना वर्ष 1885 अधिनियम के तहत वंचित क्षेत्रों में दूरसंचार सेवाएँ प्रदान करने के लिये की गई है।
    • विधेयक इस प्रावधान को बरकरार रखता है, फंड का नाम बदलकर डिजिटल भारत निधि रखा गया है और अनुसंधान एवं विकास के लिये इसके उपयोग की भी अनुमति देता है।
  • OTT ऐप्स का विनियमन: इसने व्हाट्सएप और टेलीग्राम जैसे संचार सेवा प्रदाताओं को बड़ी राहत देते हुए, दूरसंचार सेवाओं की परिभाषा से ओवर-द-टॉप (OTT) सेवाओं और ऐप्स को हटा दिया है।
    • इलेक्ट्रॉनिक्स और IT मंत्रालय संभावित डिजिटल इंडिया अधिनियम के तहत OTT ऐप्स के विनियमन को संभालेगा, जो दूरसंचार विधेयक में शामिल नहीं है।
  • अपराध और दंड: विधेयक विभिन्न आपराधिक और नागरिक अपराधों को निर्दिष्ट करता है। प्राधिकरण के बिना दूरसंचार सेवाएँ प्रदान करना या दूरसंचार नेटवर्क या डेटा तक अनधिकृत पहुँच प्राप्त करना, तीन वर्ष तक का कारावास, दो करोड़ रुपए तक का ज़ुर्माना या दोनों के साथ दंडनीय है।
    • प्राधिकरण के नियमों और शर्तों का उल्लंघन करने पर पाँच करोड़ रुपए तक का नागरिक ज़ुर्माना लगाया जा सकता है।
    • अनधिकृत उपकरण रखने या अनधिकृत नेटवर्क या सेवा का उपयोग करने पर दस लाख रुपए तक का ज़ुर्माना हो सकता है।
  • न्यायनिर्णयन प्रक्रिया: केंद्र सरकार विधेयक के तहत नागरिक अपराधों के खिलाफ जाँच करने और आदेश पारित करने के लिये एक न्यायनिर्णयन अधिकारी नियुक्त करेगी।
    • अधिकारी संयुक्त सचिव और उससे ऊपर के पद का होना चाहिये।
    • निर्णायक अधिकारी के आदेशों के खिलाफ 30 दिनों के भीतर नामित अपील समिति के समक्ष अपील की जा सकती है।
    • नियमों और शर्तों के उल्लंघन के संबंध में समिति के आदेशों के खिलाफ दूरसंचार विवाद निपटान तथा अपीलीय न्यायाधिकरण (TDSAT) में 30 दिनों के भीतर अपील दायर की जा सकती है।
  • विश्वसनीय स्रोत व्यवस्था: संभावित रूप से प्रतिकूल देशों से दूरसंचार उपकरणों के आयात को रोकने के लिये वर्ष 2020 में भारत-चीन सीमा संघर्ष के बाद प्रारंभ में स्थापित एक उपाय अब कानून में एकीकृत कर दिया गया है।

भारत में टेलीकॉम सेक्टर की स्थिति क्या है?

  • स्थिति: 
    • भारत में दूरसंचार उद्योग अगस्त 2023 तक 1.179 बिलियन (वायरलेस + वायरलाइन उपयोगकर्त्ता) के उपयोगकर्त्ता आधार के साथ विश्व में दूसरा सबसे बड़ा उद्योग है।
      • यह FDI अंतर्वाह के मामले में चौथा सबसे बड़ा क्षेत्र है, जो कुल FDI अंतर्वाह में 6% का योगदान देता है।
    • भारत में कुल टेली-घनत्व 84.69% है। टेली-घनत्व प्रति 100 जनसंख्या पर टेलीफोन की संख्या को दर्शाता है तथा दूरसंचार तक पहुँच का एक प्रमुख संकेतक है।
      • प्रति वायरलेस डेटा उपयोगकर्त्ता की औसत मासिक डेटा खपत भी मार्च 2014 में 61.66 MB से बढ़कर मार्च 2023 में 17.36 GB हो गई है।
  • संबंधित सरकारी पहल:
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