शासन व्यवस्था
डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर
- 24 Feb 2024
- 15 min read
प्रिलिम्स के लिये:डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर (DPI), भारत का डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर- भारत के डिजिटल समावेशन में तेज़ी लाना, आधार, UPI (यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस) और फास्टैग। मेन्स के लिये:डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPIs), डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर की चुनौतियाँ एवं लाभ। |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
- हाल ही में नैसकॉम तथा आर्थर डी. लिटिल ने संयुक्त रूप से एक रिपोर्ट जारी की है, जिसका शीर्षक है- भारत का डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर: भारत के डिजिटल समावेशन में तेज़ी, जिसमें कहा गया है कि भारत के डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर (DPI), 2030 तक भारत को 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की डिजिटल अर्थव्यवस्था की ओर ले जाने की संभावना है।
DPI क्या है?
- परिचय: DPI डिजिटल पहचान, भुगतान बुनियादी ढाँचे एवं डेटा एक्सचेंज समाधान जैसे ब्लॉक या प्लेटफॉर्म को संदर्भित करता है जो देशों को अपने लोगों को आवश्यक सेवाएँ प्रदान करने, नागरिकों को सशक्त बनाने के साथ-साथ डिजिटल समावेशन को सक्षम करके जीवन में सुधार करने में सहायता प्रदान करता है।
- DPI पारिस्थितिकी तंत्र: DPI लोगों, धन एवं सूचना के प्रवाह में मध्यस्थता करते हैं। ये तीन सेट एक प्रभावी DPI पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने की नींव का भी निर्माण करते हैं:
- पहला, डिजिटल ID सिस्टम के माध्यम से लोगों का प्रवाह।
- दूसरा, वास्तविक समय में त्वरित भुगतान प्रणाली के माध्यम से धन का प्रवाह।
- और तीसरा, DPI के लाभों को वास्तविक बनाने तथा नागरिकों को डेटा को नियंत्रित करने की वास्तविक क्षमता के साथ सशक्त बनाने के लिये सहमति-आधारित डेटा साझाकरण प्रणाली के माध्यम से व्यक्तिगत जानकारी का प्रवाह।
- इंडियास्टैक: यह API (एप्लिकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस) का एक सेट है जो सरकारों, व्यवसायों, स्टार्टअप के साथ-साथ डेवलपर्स को उपस्थिति-रहित, कागज़ रहित और कैशलेस सेवा वितरण की दिशा में भारत की कठिन समस्याओं को हल करने के लिये एक अद्वितीय डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर का उपयोग करने की अनुमति देता है।
- भारत, इंडिया स्टैक के माध्यम से, डेटा एम्पावरमेंट प्रोटेक्शन आर्किटेक्चर (DEPA) पर निर्मित सभी तीन मूलभूत DPI, डिजिटल पहचान (आधार), रियल-टाइम फास्ट पेमेंट (UPI) एवं अकाउंट एग्रीगेटर विकसित करने वाला पहला देश बन गया।
- DEPA एक डिजिटल ढाँचे का निर्माण करते है जो उपयोगकर्त्ताओं को तीसरे पक्ष की इकाई के माध्यम से अपनी शर्तों पर अपना डेटा साझा करने की अनुमति देता है, जिन्हें सहमति प्रबंधक के रूप में जाना जाता है।
- भारत, इंडिया स्टैक के माध्यम से, डेटा एम्पावरमेंट प्रोटेक्शन आर्किटेक्चर (DEPA) पर निर्मित सभी तीन मूलभूत DPI, डिजिटल पहचान (आधार), रियल-टाइम फास्ट पेमेंट (UPI) एवं अकाउंट एग्रीगेटर विकसित करने वाला पहला देश बन गया।
रिपोर्ट से संबंधित प्रमुख बिंदु क्या हैं?
- आर्थिक प्रभाव:
- रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2030 तक भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की हो जाएगी जिसमें प्रमुख योगदान DPI को होगा जिससे देश को 8 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने में मदद मिलेगी।
- DPI नागरिकों की दक्षता बढ़ाने और सामाजिक तथा वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने में भूमिका निभा सकता है।
- व्यापक उपयोग और पहुँच:
- वर्ष 2022 के अनुसार आधार, UPI और फास्टैग (FASTag) जैसे उन्नत DPI को व्यापक स्तर पर अपनाया गया है तथा आगामी 7-8 वर्षों में इसके विस्तार में और वृद्धि होने की संभावना है जिससे इसकी सेवाओं का प्रसार दूरवर्ती क्षेत्रों में भी संभव हो सकेगा।
- उक्त DPI का भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 0.9% का योगदान रहा है। प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों प्रभावों को ध्यान में रखते हुए वर्ष 2030 तक GDP में इसका योगदान 2.9% -4.2% तक बढ़ने का अनुमान है।
- आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (ABDM) जिसका उद्देश्य भारत के डिजिटल स्वास्थ्य बुनियादी ढाँचे का समर्थन करना है GDP की वृद्धि में योगदान करेगा।
- वैश्विक नेतृत्व:
- भारत वर्तमान में DPI के क्षेत्र में विकास करने, डिजिटल भुगतान के व्यापक उपयोग में सहायता प्रदान करने, डेटा-शेयरिंग बुनियादी ढाँचे को करने, घरेलू व्यवसायों को बढ़ावा देने तथा देश में उद्यमिता को बढ़ावा देने में वैश्विक नेता की भूमिका निभाता है।
- सरकारी सहायता और सूचना प्रौद्योगिकी इकोसिस्टम:
- DPI की सफलता में सरकार का अथक समर्थन और सूचना प्रौद्योगिकी बौद्धिक पूंजी तथा स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र का महत्त्वपूर्ण योगदान है जिससे नवाचार एवं विकास के लिये अनुकूल वातावरण तैयार होता है।
- विकास और बेहतर उपयोगकर्त्ता अनुभव:
- यह अनुमान लगाया गया है कि वर्तमान डिजिटल इकाइयाँ AI, वेब 3 और अन्य अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग करके बेहतर उपयोगकर्त्ता अनुभव प्रदान करने के लिये विकसित होंगी।
- आधार एक प्रमुख योगदानकर्त्ता बना रहेगा क्योंकि इसके उपयोग के मामले सेवाओं की व्यापक श्रेणी तक विस्तारित हो गए हैं जिससे भारत के डिजिटल बुनियादी ढाँचे में इसकी भूमिका और सुदृढ़ हो गई है।
- डिजिटल क्रांति की नींव:
- भारत की डिजिटल क्रांति की नींव को DPI अथवा इंडिया स्टैक द्वारा आधार प्रदान किया गया है जिससे सामाजिक परिवर्तन और आर्थिक विकास हेतु डिजिटल प्रौद्योगिकियों का उपयोग करने की देश की क्षमता में वृद्धि हुई है।
- DPI को "टेक-एड" आकार देने के लिये आधारशिला बनाते हैं और अंततः "इंडिया@47" माइलस्टोन का लक्ष्य रखते हुए भारत के विकास पथ को आगे बढ़ाते हैं।
- चुनौतियाँ और सुझाव:
- जबकि DPI अवसर प्रदान करता है, चुनौतियाँ बनी रहती हैं। इनमें हितधारकों के बीच कनेक्शन की कमी, कोई वास्तविक समय डेटा नहीं, सीमित भाषा विकल्प और सरकारी सेवाओं से परे कम पहुँच शामिल है।
- सरकारों को नीतिगत समर्थन और नियामक स्पष्टता प्रदान करनी चाहिये तथा DPI को अपनाने के लिये कार्यबलों का गठन करना चाहिये। उन्हें स्टार्टअप्स और उद्यमों के साथ साझेदारी पर भी विचार करना चाहिये।
भारत के DPI पारिस्थितिकी तंत्र के स्तंभ क्या हैं?
- आधार:
- आधार सामाजिक और वित्तीय समावेशन, सार्वजनिक क्षेत्र की सुविधाओं तक पहुँच में सुधारों, वित्तीय बजटों के प्रबंधन, सुविधा बढ़ाने तथा समस्या मुक्त जन-केंद्रित शासन को बढ़ावा देने के लिये एक रणनीतिक नीति उपकरण है।
- आधार धारक स्वेच्छा से अपने आधार का उपयोग निजी क्षेत्र के उद्देश्यों के लिये कर सकते हैं और निजी क्षेत्र की संस्थाओं को ऐसे उपयोग हेतु विशेष अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं है।
- डिजीयात्रा:
- डिजीयात्रा, चेहरा पहचान प्रणाली (FRT) केआधार पर हवाई अड्डों पर यात्रियों की संपर्क रहित, निर्बाध यात्रा प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिये इस परियोजना पर विचार किया गया है।
- इस परियोजना का मूल विचार यह है कि कोई भी यात्री बिना किसी कागज़ के या बिना कोई संपर्क किये विभिन्न चेक पॉइंट से गुज़र सके। इसके लिये उसके चेहरे के फीचर्स का इस्तेमाल किया जाएगा जिससे उसकी पहचान स्थापित होगी जो सीधे उसके बोर्डिंग पास से जुड़ी होगी।
- डिजिलॉकर:
- डिजीलॉकर के 150 मिलियन उपयोगकर्त्ता हैं, जिसमें छह बिलियन दस्तावेज़ संग्रहीत हैं और सात वर्षों में 50 करोड़ रुपए के एक न्यूनतम बजट के साथ इसे कार्यान्वित किया गया है।
- उपयोगकर्त्ता अपने दस्तावेज़ जैसे- बीमा, चिकित्सा रिपोर्ट, पैन कार्ड, पासपोर्ट, विवाह प्रमाण-पत्र, स्कूल प्रमाण-पत्र एवं अन्य दस्तावेज़ डिजिटल प्रारूप में संग्रहीत कर सकते हैं।
- UPI:
- UPI (यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस) के माध्यम से लेन-देन का आँकड़ा प्रतिमाह आठ बिलियन तक पहुँच गया है, जिसका मासिक मूल्य 180 बिलियन अमेरिकी डॉलर है या यह मूल्य प्रतिवर्ष भारत के सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 65% है।
- UPI वर्तमान में नेशनल ऑटोमेटेड क्लियरिंग हाउस (NACH), तत्काल भुगतान सेवा (Immediate Payment Service- IMPS), आधार सक्षम भुगतान प्रणाली (Aadhaar enabled Payment System- AePS), भारत बिल भुगतान प्रणाली (BBPS), रुपे आदि सहित भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (National Payments Corporation of India- NPCI) संचालित प्रणालियों में सबसे बड़ा है।
नोट:
- DPI नागरिक-केंद्रित समाधान प्रदान करके मुख्य संयुक्त राष्ट्र सतत् विकास लक्ष्यों के साथ संरेखित होते हैं।
- सामाजिक और वित्तीय समावेशन को बढ़ाने के लिये भारत के इंटरऑपरेबल तथा ओपन-सोर्स DPI को अब 30 से अधिक देशों द्वारा अपनाया या विचार किया जा रहा है।
भारत में DPI की चुनौतियाँ क्या हैं?
- बुनियादी ढाँचे तक पहुँच का अभाव:
- कई क्षेत्रों में, विशेष रूप से ग्रामीण एवं दूर-दराज़ के क्षेत्रों में, विश्वसनीय इंटरनेट कनेक्टिविटी और डिजिटल बुनियादी ढाँचे तक अपर्याप्त या कोई पहुँच नहीं है। बिज़ली तक सीमित पहुँच और कंप्यूटर व स्मार्टफोन जैसे आवश्यक डिजिटल हार्डवेयर की अनुपस्थिति समस्या को और भी बढ़ा देती है।
- डिजिटल डिवाइड:
- भारत शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच एक बहुत बड़े डिजिटल विभेद का सामना कर रहा है। जबकि शहरी केंद्रों में आमतौर पर डिजिटल बुनियादी ढाँचे और सेवाओं तक बेहतर पहुँच होती है, ग्रामीण क्षेत्रों में प्रायः विश्वसनीय इंटरनेट कनेक्टिविटी की कमी होती है एवं तकनीकी असमानताओं का सामना करना पड़ता है।
- वहनीयता:
- भले ही डिजिटल बुनियादी ढाँचा उपलब्ध हो, इंटरनेट एक्सेस और डिजिटल उपकरणों की लागत कई व्यक्तियों एवं परिवारों के लिये निषेधात्मक हो सकती है, विशेषकर कम आय वाले समुदायों में।
- भाषा और विषय वस्तु बाधाएँ:
- गैर-अंग्रेज़ी बोलने वालों या जो लोग प्रचलित भाषा में पारंगत नहीं हैं, उन्हें कुछ प्रमुख भाषाओं में विषय-वस्तु की प्रबलता/प्रभुत्व के कारण बाहर रखा जा सकता है। स्थानीयकृत और प्रासंगिक विषय-वस्तु की कमी महत्त्वपूर्ण जानकारी तथा सेवाओं तक पहुँच में बाधा उत्पन्न कर सकती है।
- शारीरिक और संज्ञानात्मक अक्षमताएँ:
- डिजिटल प्लेटफॉर्म में सीमित पहुँच सुविधाओं और डिज़ाइन संबंधी विचारों के कारण अक्षम व्यक्तियों को प्रायः डिजिटल प्रौद्योगिकियों तक पहुँचने एवं उनका उपयोग करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
- गोपनीयता और सुरक्षा संबंधी चिंताएँ:
- गोपनीयता के उल्लंघन और डेटा सुरक्षा के मुद्दों का डर व्यक्तियों को डिजिटल प्रौद्योगिकियों को अपनाने से रोक सकता है, विशेषकर जब संवेदनशील व्यक्तिगत जानकारी की बात आती है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (d) |