इंदौर शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 11 नवंबर से शुरू   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

एडिटोरियल


विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

वेब 3.0: महत्त्व और चुनौतियाँ

  • 05 Feb 2022
  • 11 min read

यह एडिटोरियल 04/02/2022 को ‘लाइवमिंट’ में प्रकाशित ‘‘India Is Now A Nation Firmly Into Web 3.0’’ पर आधारित है। इसमें वेब 3.0 को अपनाए जाने में भारत की भूमिका एवं अवसरों के संबंध में चर्चा की गई है।

संदर्भ

वेब इतिहास की आधुनिक पुनर्कथा में विश्व अब पूर्णतः इंटरनेट की तीसरी पीढ़ी में प्रवेश कर चुका है। हम विकेंद्रीकृत प्रोटोकॉल (वेब 1.0) से केंद्रीकृत, एकाधिकारवादी प्लेटफाॅर्म (वेब 2.0) की ओर आगे बढ़ चले हैं और अब विकेंद्रीकृत ब्लॉकचे-आधारित आर्किटेक्चर यानी वेब 3.0 (Web 3.0 या Web3) युग की ओर बढ़ने को तैयार हैं।

वेब 3.0 के वर्तमान आख्यान के साथ अब शक्ति कुछ प्रभुत्वशाली वेब 2.0 कंपनियों के हाथों से निकल पुनः जनता को नियंत्रण में आ जाएगी।

वेब 3.0 भारत और इसके सॉफ्टवेयर डेवेलपर्स के लिये व्यापक अवसरों की पेशकश करती है, हालाँकि ब्लॉकचेन नियामक उपायों, कराधान और विकेंद्रीकरण के मामले में अभी कुछ बाधाएँ भी मौजूद हैं।

यदि भारत इन समस्याओं को सुलझाने सफल रहता है तो इंटरनेट के अगले मोर्चे के स्थापित होने के साथ भारत के पास एक प्रमुख खिलाड़ी बनने का अवसर मौजूद है।

वेब 3.0 

  • वेब 3.0 एक विकेंद्रीकृत इंटरनेट है जो ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी पर संचालित होगा और यह वर्तमान में प्रयुक्त वेब 1.0 एवं वेब 2.0 संस्करणों से भिन्न होगा।
    • वेब 1.0 वर्ल्ड वाइड वेब या इंटरनेट है जिसका आविष्कार वर्ष 1989 में हुआ था, वर्ष 1993 में यह लोकप्रिय हुआ और वर्ष 1999 तक चला।
      • वेब 1.0 के दौरान इंटरनेट प्रायः स्थिर वेब पेज (Static Web Pages) के रूप में संचालित था, जहाँ उपयोगकर्त्ता वेबसाइट पर जाते थे और फिर स्थिर सूचना (Static Information) को पढ़ते थे तथा उसके साथ अंतःक्रिया करते थे।
    • वेब 2.0 1990 के दशक के अंत में शुरू हुआ और वर्तमान में वेब 2.0 का ही युग चल रहा है।
      • वेब 1.0 की तुलना में वेब 2.0 का विशिष्ट गुण यह रहा है कि यहाँ उपयोगकर्त्ता कंटेंट का सृजन कर सकते हैं, यानी यहाँ मुख्य रूप से एक सोशल मीडिया प्रकार की अंतःक्रिया का अवसर होता है।
  • वेब 3.0 में उपयोगकर्त्ताओं के पास प्लेटफाॅर्म और एप्लिकेशन में स्वामित्व हिस्सेदारी होगी, जो अभी से भिन्न स्थिति होगी जहाँ विभिन्न प्लेटफाॅर्म का नियंत्रण प्रौद्योगिकी क्षेत्र की दिग्गज कंपनियों के पास है।

वेब 3.0 का महत्त्व 

  • क्रिएटर्स और बिल्डर्स की एक बड़ी संख्या अगली पीढ़ी के उपकरणों का लाभ उठाएँगे और इस नई अर्थव्यवस्था में भागीदारी करेंगे।
  • वेब 3.0 विकेंद्रीकृत स्वायत्त संगठन (DAO) होने की भावना रखता है। वेब 3.0 एक विकेंद्रीकृत और निष्पक्ष इंटरनेट प्रदान करेगा जहाँ उपयोगकर्त्ता के पास अपने डेटा का नियंत्रण होगा।
  • यह बड़े प्लेटफाॅर्म द्वारा वसूले जाने वाले अत्यधिक किराए को समाप्त कर देगा और आम लोगों को उपयोगकर्त्ता-जनित डेटा के विज्ञापन-आधारित मुद्रीकरण के त्रुटिपूर्ण कारोबार मॉडल से मुक्त करेगा जो आधुनिक डिजिटल अर्थव्यवस्था की पहचान ही बन गया है।
  • वेब 2.0 में इंटरनेट और इंटरनेट ट्रैफिक में अधिकांश डेटा का स्वामित्व या प्रबंधन कुछ अत्यंत बड़ी कंपनियों के पास ही सीमित है जिसके कारण डेटा गोपनीयता, डेटा सुरक्षा और ऐसे डेटा के दुरुपयोग जैसी समस्याएँ उत्पन्न हुई हैं।
    • यहाँ एक निराशा की भावना व्याप्त है कि इंटरनेट का मूल उद्देश्य विकृत हो गया है। इस संदर्भ में वेब 3.0 की चर्चा बेहद महत्त्वपूर्ण हो गई है।

संबद्ध मुद्दे

  • वेब 3.0 अभी अपने आरंभिक चरण में है और यह वेब 1.0 या वेब 2.0 की तरह शुरू हो सकेगा इस बात पर अभी कोई सहमति नहीं है।
    • उद्योग और अकादमिक समुदाय के शीर्ष प्रौद्योगिकी विशेषज्ञों की ओर से संदेह जताया गया है कि वेब 3.0 उन समस्याओं का समाधान नहीं कर सकेगा जिसकी वह मंशा रखता है।
  • भारत में वेब 3.0 आंदोलन अभी अपनी प्रारंभिक अवस्था में है। ब्लॉकचेन प्लेटफाॅर्म की मापनीयता और संवहनीयता पर अभी गंभीर सवाल मौजूद हैं।
  • इसके अलावा, डेवलपर्स द्वारा उपयोगिता का प्रश्न अभी समस्याजनक है और विकेंद्रीकृत डेटा एवं स्मार्ट अनुबंधों के लिये उपयुक्त परिदृश्यों को लेकर पर्याप्त भ्रम मौजूद हैं।
  • इसके साथ ही पर्याप्त नियामक अनिश्चितता भी विद्यमान है। भारत में बजट के माध्यम से आभासी संपत्ति (Virtual Assets) से होने वाली आय पर 30% कर आरोपित किया गया है।
    • भारत में एक सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) लाने की योजना पर विचार चल रहा है। क्रिप्टोकरेंसी पर भारत के रुख को स्थापित करने वाले एक व्यापक कानून का आना भी अभी प्रतीक्षित है।

आगे की राह 

  • वेब 3.0 के प्रति सक्रिय दृष्टिकोण: वेब 3.0 में संलग्न होने वाली पीढ़ीगत ऊर्जा, डेवलपर फोकस और वेंचर कैपिटल फंडिंग को कम आँकना विवेकपूर्ण नहीं होगा।
    • यह गति वेब को उसके वर्तमान अवतार से दूर एक नए प्रतिमान में ले जाएगी।
    • निस्संदेह वेब 2.0 के प्रति दृष्टिकोण काफी हद तक निष्क्रिय रहा था जिससे बड़े तकनीकी प्लेटफाॅर्म परिदृश्य पर हावी हो गए जहाँ सर्च, ई-कॉमर्स, राइड-हेलिंग, ग्रोसरी, सोशल मीडिया सभी ही पश्चिमी मॉडल का अनुकरण करते हैं।
    • इसलिये वैश्विक वेब 3.0 को आकार देने के लिये एक अधिक सक्रिय दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है।
  • वेब 3.0 संरचना के विकास के लिये प्रमुख आवश्यकताएँ: 
    • प्रौद्योगिकीय दृष्टिकोण से वेब 3.0 के लिये वर्तमान संरचना से एक विचलन की आवश्यकता होगी जहाँ फ्रंट-एंड, मिडिल लेयर और बैक-एंड मौजूद हैं।
    • इसे ब्लॉकचेन के प्रबंधन, ब्लॉकचेन में डेटा के सुदृढ़ीकरण एवं सूचीकरण, पीयर-टू-पीयर कम्युनिकेशंस आदि के लिये बैकएंड सॉल्यूशंस की आवश्यकता होगी।
    • इसी तरह, मिडिल लेयर जिसे ‘बिज़नस रूल्स लेयर’ भी कहा जाता है, को ब्लॉकचेन-आधारित बैकएंड को संभालने की आवश्यकता होगी।
  • भारत के लिये अवसर: वेब 3.0 पूर्व के डिजिटल आर्किटेक्ट में आमूलचूल परिवर्तन लेकर आएगा।
    • अगले कुछ वर्षों में नए कारोबार मॉडल विकसित होंगे, साथ ही उपभोक्ताओं की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये बहुतायत में विकेंद्रीकृत एप्स विकसित होंगे।
      • इसके अलावा, मापनीयता या स्केलेबिलिटी की समस्या को हल करने के लिये बड़े पैमाने पर प्रयास करने की आवश्यकता होगी।
    • 'वेब 3.0 ऑपरेटिंग सिस्टम' के अस्तित्व में आने के साथ ये सभी कारक भारत के लिये अपने सॉफ्टवेयर उद्योग को एक नए स्तर पर ले जाने के वृहत अवसर का निर्माण करेंगे।
  • वेब 3.0 में भारत की भूमिका: वेब 3.0 अपने तीव्र विकास, प्रतिभाशाली युवा उद्यमियों एवं प्रौद्योगिकीविदों को आकर्षित करने की इसकी क्षमता और बड़े पैमाने पर भारत को प्रभावित करने की इसकी क्षमता के मामले में ‘फिनटेक’ के समान है।
    • हालाँकि राज्य और बड़ी टेक कंपनियों के बीच एक स्वाभाविक तनाव मौजूद है, जहाँ दोनों वेब 3.0 के लक्ष्यों के विरोध में प्रकट होते हैं। यहाँ क्रिप्टोकरेंसी को विनियमित किये जाने के अलावा बहुत कुछ किया जाना है।
    • पहले से ही परिकल्पित ‘राष्ट्रीय ब्लॉकचेन फ्रेमवर्क’ को सशक्त बनाने और अंगीकरण को प्रेरित करने वाले उपयोग मामलों के साथ तैयार करने की आवश्यकता होगी।
      • नवघोषित CBDC को भारत की समग्र वेब 3.0 महत्त्वाकांक्षा और आईटी सेवाओं एवं डेवलपर पारितंत्र के संदर्भ में स्थापित करना होगा।
    • इसके साथ ही, विनियामक क्षेत्राधिकार और कराधान से संबंधित असंख्य पेचीदा मुद्दों को हल करने की आवश्यकता होगी।

अभ्यास प्रश्न: ब्लॉकचेन संचालित वेब 3.0 की वैश्विक दौड़ में शामिल होने के लिये भारत को किन प्रमुख चुनौतियों से निपटने की आवश्यकता होगी? चर्चा कीजिये।

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2