भारतीय अर्थव्यवस्था
पीएम गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान के 3 वर्ष पूर्ण
- 16 Oct 2024
- 18 min read
प्रिलिम्स के लिये:पीएम गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान, सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी), पर्वतमाला रोपवे, आकांक्षी ब्लॉक कार्यक्रम। मेन्स के लिये:पीएम गतिशक्ति योजना के कार्यान्वयन से संबंधित मुद्दे , भारतीय लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में चुनौतियाँ |
स्रोत: पी.आई.बी.
चर्चा में क्यों?
हाल ही में प्रधानमंत्री ने पीएम गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान के तीन वर्ष सफलतापूर्वक पूर्ण होने पर इसे भारत के बुनियादी अवसंरचना के विकास में एक परिवर्तनकारी कदम बताया।
- प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि गतिशक्ति मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी और विभिन्न क्षेत्रों में दक्षता को बढ़ावा दे रही है, जिससे लॉजिस्टिक्स, रोज़गार सृजन और नवाचार को लाभ मिल रहा है।
पीएम गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान क्या है?
चर्चा में क्यों:
- इसे वर्ष 2021 में भारत सरकार ने लॉजिस्टिक्स लागत को कम करने के लिये समन्वित और बुनियादी अवसंरचना परियोजनाओं के निष्पादन हेतु महत्त्वाकांक्षी गति शक्ति योजना या ‘नेशनल मास्टर प्लान फॉर मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी प्लान’ लॉन्च किया। यह 100 लाख करोड़ रुपए की एक परिवर्तनकारी पहल है जिसका उद्देश्य अगले पाँच वर्षों में भारत के बुनियादी अवसंरचना में क्रांतिकारी बदलाव लाना है।
- इसे BISAG-N (भास्कराचार्य राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुप्रयोग एवं भूसूचना विज्ञान संस्थान) द्वारा डिजिटल मास्टर प्लानिंग टूल के रूप में विकसित किया गया है।
- इसे गतिशील भौगोलिक सूचना प्रणाली (GIS) प्लेटफॉर्म पर तैयार किया गया है , जिसमें सभी मंत्रालयों/विभागों की विशिष्ट कार्य योजनाओं के आँकड़ों को एक व्यापक डेटाबेस में शामिल किया गया है।
- इस योजना का उद्देश्य ज़मीनी स्तर पर कार्य में तेज़ी लाने, लागत को कम करने और रोज़गार सृजन पर ध्यान देने के साथ-साथ आगामी चार वर्षों में बुनियादी अवसंरचना परियोजनाओं की एकीकृत योजना और कार्यान्वयन सुनिश्चित करना।
प्रमुख विशेषताएँ:
- डिजिटल एकीकरण : इसे एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है जिसे 16 मंत्रालयों के प्रयासों को एकीकृत करने के लिये डिज़ाइन किया गया है, ताकि सभी क्षेत्रों में निर्बाध बुनियादी अवसंरचना परियोजना और कार्यान्वयन सुनिश्चित किया जा सके।
- बहु-क्षेत्रीय सहयोग : इसमें सागरमाला परियोजना, भारतमाला परियोजना,अंतर्देशीय जलमार्ग, शुष्क बंदरगाह और उड़ान सहित कई प्रमुख कार्यक्रमों से बुनियादी अवसंरचनात्मक पहलों को शामिल किया गया है ।
- आर्थिक क्षेत्र : आर्थिक उत्पादकता को बढ़ावा देने के लिये टेक्सटाइल क्लस्टर , फार्मास्युटिकल हब, रक्षा गलियारे और कृषि क्षेत्र जैसे प्रमुख आर्थिक क्षेत्रों को विकसित करने पर ध्यान केंद्रित किया जाता है ।
- प्रौद्योगिकी का उपयोग: BiSAG-N द्वारा विकसित उन्नत स्थानिक नियोजन उपकरण और इसरो सैटेलाइट मानचित्रण , नियोजन और प्रबंधन के लिये डेटा-संचालित अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं।
पीएम गतिशक्ति को संचालित करने वाले प्रमुख आयाम:
- राष्ट्रीय मास्टर प्लान सात प्राथमिक आयामों के इर्द-गिर्द घूमता है जो आर्थिक विकास और कनेक्टिविटी को बढ़ावा देते हैं:
- इन प्रमुख आयामों को ऊर्जा संचरण, आईटी संचार, थोक जल संग्रहण और सीवरेज़, और सामाजिक बुनियादी अवसंरचना जैसे पूरक क्षेत्रों द्वारा भी समर्थन मिलता है।
- इन आयामों को एक साथ मिलकर काम करने के लिये डिज़ाइन किया गया है, जिससे पूरे देश में निर्बाध लॉजिस्टिक्स और कनेक्टिविटी सुनिश्चित हो सके ।
पीएम गतिशक्ति के 6 स्तंभ:
- व्यापकता : यह योजना एक केंद्रीकृत पोर्टल के माध्यम से सभी मंत्रालयों में विद्यमान और नियोजित पहलों को एकीकृत करती है, जिससे महत्त्वपूर्ण आँकड़ों की दृश्यता बनी रहती है और कुशल नियोजन संभव हो पाता है।
- प्राथमिकता निर्धारण : मंत्रालय अंतर-क्षेत्रीय संपर्क का लाभ उठाकर परियोजनाओं को अधिक प्रभावी ढंग से प्राथमिकता दे सकते हैं, तथा यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के आधार पर संसाधनों का इष्टतम आवंटन किया जाए।
- अनुकूलन : योजना बुनियादी अवसंरचना में प्रमुख अंतराल की पहचान करती है, परिवहन के लिये सबसे कुशल मार्गों का चयन करने, लागत कम करने और देरी को न्यूनतम करने में मदद करती है।
- समन्वयन : मंत्रालयों के बीच समन्वय सुनिश्चित करता है कि परियोजनाएँ संरेखित हों और सामंजस्य के साथ काम करें, जिससे अलगाव और असमन्वित प्रयासों के कारण होने वाली देरी से बचा जा सके।
- विश्लेषणात्मक क्षमताएँ : GIS-आधारित प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध 200 से अधिक डेटा परतों के साथ, पीएम गतिशक्ति बेहतर निर्णय लेने और बुनियादी अवसंरचना की दृश्यता के लिये व्यापक स्थानिक नियोजन उपकरण प्रदान करती है।
- गतिशील निगरानी : उपग्रह चित्रों के माध्यम से वास्तविक समय पर परियोजना की निगरानी सुनिश्चित करती है कि मंत्रालय प्रगति पर नज़र रख सकें और परियोजनाओं को समय पर पूरा करने के लिये आवश्यक समायोजन कर सकें।
पीएम गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान की उपलब्धियाँ क्या हैं?
- ज़िला-स्तरीय विस्तार: पीएम गतिशक्ति ने अपने प्लेटफॉर्म को 27 आकांक्षी ज़िलों तक विस्तारित किया है, आने वाले महीनों में 750 जिलों तक पहुँचने की योजना है।
- तकनीकी एकीकरण: भू-स्थानिक उपकरणों और गतिशील डेटा परतों के उपयोग से वास्तविक समय की बुनियादी अवसंरचना नियोजन और निर्णय लेने में काफी सुधार हुआ है।
- वैश्विक प्रदर्शन: गतिशक्ति आयाम को मध्य एशिया और दक्षिण पूर्व एशिया के 30 देशों में प्रदर्शित किया गया है, और हाल ही में इसे हॉन्गकॉन्ग में UNESCAP सम्मेलन और एशिया प्रशांत व्यापार मंच में प्रदर्शित किया गया था।
- सामाजिक क्षेत्र एकीकरण: स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय जैसे मंत्रालयों ने MNP का उपयोग करके नए स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं के लिये इंटरनेट-शो क्षेत्रों की पहचान की है और साइटों का मानचित्रण किया है।
- उत्तर प्रदेश ने नए अस्पतालों और गेहूँ खरीद केंद्रों के लिये स्थल का चयन करने के लिये इस मंच का उपयोग किया है।
- ग्रामीण और शहरी प्रभाव: गुजरात के दाहोद ज़िले ने कम लागत वाली ड्रिप सिंचाई प्रणाली की योजना बनाने के लिये उपग्रह मानचित्रण का उपयोग किया है, जबकि अरुणाचल प्रदेश ने बिचोम बांध के आसपास पर्यटन क्षमता विकसित करने के लिये डेटा विज़ुअलाइज़ेशन का लाभ उठाया है।
- कानपुर, बेंगलुरु और श्रीनगर जैसे शहरों में प्रथम और अंतिम मील कनेक्टिविटी में सुधार के लिये शहरी लॉजिस्टिक्स योजनाएँ विकसित की गई हैं।
- रोजगार और व्यावसायिक प्रशिक्षण: कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय औद्योगिक क्लस्टरों और विशेष आर्थिक क्षेत्रों के निकट प्रशिक्षण संस्थान स्थापित करने के लिये स्थानों की पहचान करने हेतु गति शक्ति दृष्टिकोण का उपयोग कर रहा है।
पीएम गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान की चुनौतियाँ क्या हैं?
- डेटा एकीकरण और सटीकता: कई मंत्रालयों से वास्तविक समय के डेटा को संयोजित करना कठिन है क्योंकि कुछ डेटा पुराने या अधूरे हैं, जिससे योजना कम प्रभावी हो जाती है।
- उदाहरण के लिये, 13 राज्यों में भूमि अभिलेखों का डिजिटलीकरण हो चुका है, जबकि शेष राज्य इस मामले में पीछे हैं, जिससे परियोजना क्रियान्वयन निरंतर नहीं हो पा रहा है।
- अंतर-मंत्रालयी समन्वय: मंत्रालय प्रायः अलग-अलग पद्वति से कार्य करते हैं, जिससे सड़क और रेलवे जैसी प्रमुख परियोजनाओं में विलंब एवं संसाधनो के लिये संघर्ष होता है।
- सागरमाला और भारतमाला परियोजनाओं के क्रियान्वयन में पाया गया कि राज्यों और मंत्रालयों के बीच उचित समन्वय की कमी के कारण प्रगति धीमी हो रही है।
- विनियामक संबंधी व्यवधान: परियोजनाओं को विशेषतः पर्यावरणीय एवं भूमि संबंधी मंजूरी के लिये अनुमोदन प्राप्त करने में विलंब का सामना करना पड़ता है।
- मार्ग अनुकूलन के लिये उपकरणों के बावजूद , पहाड़ी क्षेत्रों में विद्युत पारेषण परियोजनाओं को मंजूरी मिलने में समय लगता है, जिससे समग्र प्रगति धीमी हो जाती है।
- पहाड़ी क्षेत्रों में बिजली एवं सड़क परियोजनाएँ प्राय: पर्यावरण संबंधी चिंताओं, विस्थापन के मुद्दों के साथ-साथ स्थानीय विरोधों के कारण विलंब का सामना करती हैं, जिससे अनुमोदन और प्रगति धीमी हो जाती है।
- वित्तपोषण एवं संसाधन आवंटन: बड़ी परियोजनाओं के लिये, विशेष रूप से स्थानीय स्तर पर पर्याप्त वित्तपोषण सुनिश्चित करना एक चुनौती है।
- कई क्षेत्रों में सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) सीमित है, जिससे वित्तीय भार सरकार पर पड़ता है, जिससे परियोजना पूर्ण होने में देरी होती है।
- कुशल जनशक्ति का अभाव: उत्तर प्रदेश और गुजरात जैसे राज्यों के विपरीत, सभी राज्यों के पास गतिशक्ति प्लेटफॉर्म का पूर्ण उपयोग करने के लिये आवश्यक तकनीक या कुशल कर्मचारी नहीं हैं, जो इसका प्रभावी ढंग से उपयोग करते हैं।
- परियोजना निगरानी एवं जवाबदेही: यद्यपि यह प्लेटफॉर्म वास्तविक समय पर ट्रैकिंग की अनुमति देता है, किंतु परियोजना अद्यतन हमेशा नियमित नहीं होते, जिससे पूर्ण होने में देरी होती है।
- उदाहरण के लिये, कई ज़िलों में ग्रामीण सड़क परियोजनाओं पर उचित तरीके से नज़र नहीं रखी जाती परिणामस्वरूप प्रगति धीमी हो जाती है।
पीएम गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान के कार्यान्वयन को कैसे बढ़ाया जा सकता है?
- वास्तविक समय डेटा में सुधार: मंत्रालयों को परियोजना डेटा को सटीक एवं अद्यतन रखने के लिये उपग्रह मानचित्रण के साथ भू-स्थानिक डेटा के अपने उपयोग का विस्तार करना चाहिये।
- सभी राज्यों में भूमि अभिलेखों के डिजिटलीकरण में तेज़ी लाने से परियोजना का सुचारू कार्यान्वयन सुनिश्चित होगा और साथ ही पुरानी जानकारी के कारण होने वाली देरी में कमी भी आएगी।
- अंतर-मंत्रालयी समन्वय को बढ़ाना: मंत्रालयों के बीच संचार एवं समन्वय को बेहतर बनाने के लिये अंतर-मंत्रालयी कार्य बल का गठन करना ।
- गतिशक्ति प्लेटफॉर्म का उपयोग यह सुनिश्चित करने के लिये किया जाएगा कि सभी मंत्रालय वास्तविक समय में एक-दूसरे की गतिविधियों पर नज़र रख सकें, जिससे बड़ी परियोजनाओं के लिये देरी और संसाधन के लिये संघर्ष कम हो सके।
- प्रौद्योगिकी अपनाने के लिये प्रशिक्षण एवं सहायता प्रदान करना: गतिशक्ति विश्वविद्यालय का विस्तार करना और साथ ही बुनियादी अवसंरचना संबंधी योजनाओं एवं परियोनाओं के प्रबंधन में प्रशिक्षण प्रदान करने के लिये क्षेत्रीय केंद्र स्थापित करना, यह सुनिश्चित करना कि राज्य गतिशक्ति उपकरणों का पूर्ण उपयोग कर सकें।
- विनियामक अनुमोदन को सरल बनाना: पर्यावरणीय एवं भूमि मंजूरी प्रक्रियाओं को तीव्र करने के लिये GIS-आधारित उपकरणों का उपयोग करना ।
- विशेष रूप से महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं के लिये अनुमोदन में तेज़ी लाने से परियोजनाओं की गति धीमी करने वाली नियामक बाधाओं को कम करने में सहायता प्राप्त होगी।
- निजी निवेश को आकर्षित करना: बड़े पैमाने की परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिये इन्फ्रास्ट्रक्चर इंवेस्टमेंट ट्रस्ट (InvIT), रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट्स (Reits) एवं सॉवरेन वेल्थ फंड्स का उपयोग करना।
- इससे सरकार पर वित्तीय भार कम करने, संसाधन आवंटन में सुधार करने के साथ-साथ अधिक निजी एवं अंतर्राष्ट्रीय निवेशकों को आकर्षित करने में सहायता प्राप्त होगी।
- सतत प्रथाओं को बढ़ावा देना: सभी बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं में पर्यावरण अनुकूल प्रथाओं को शामिल करना।
- पर्यावरण एवं सामाजिक चिंताओं को दूर करने, प्रतिरोध को कम करने के साथ विशेष रूप से हिमालय जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में सुचारू निष्पादन सुनिश्चित करने के लिये योजना प्रक्रिया में स्थानीय समुदायों को शामिल करना।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: Q. पीएम गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान के सामने प्रमुख चुनौतियाँ क्या हैं? |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा,विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)प्रिलिम्सप्रश्न. 'राष्ट्रीय निवेश और बुनियादी ढाँचा कोष' के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (2017)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: (d) प्रश्न. भारत में ‘पब्लिक की इंफ्रास्ट्रक्चर’ पदबंध किसके प्रसंग में प्रयुक्त किया जाता है? (2020) (a) डिजिटल सुरक्षा अवसंरचना उत्तर: (a) मेन्स:प्रश्न. अधिक तीव्र और समावेशी आर्थिक विकास के लिये बुनियादी अवसंरचना में निवेश आवश्यक है।” भारत के अनुभव के आलोक में चर्चा कीजिये। (2021) |