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भारतीय अर्थव्यवस्था

बजट 2024-25 में प्रमुख आर्थिक सुधार

  • 24 Jul 2024
  • 17 min read

प्रिलिम्स के लिये:

एंजेल टैक्स, स्टार्ट-अप, धन शोधन निवारण अधिनियम, भारतीय टेक स्टार्टअप फंडिंग रिपोर्ट 2023, समानीकरण शुल्क, ई-कॉमर्स, अनिवासी डिजिटल कंपनियाँ, OECD/G20 इन्क्लूसिव फ्रेमवर्क, केंद्रीय बजट 2024-25, दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ, MSME, मुद्रा ऋण

मेन्स के लिये:

पूंजी बाज़ार, सरकारी बजट, राजकोषीय नीति का प्रभाव

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों?

केंद्रीय बजट 2024-25 में एंजेल टैक्स, ई-कॉमर्स पर समानीकरण शुल्क, पूंजीगत लाभ और प्रतिभूति लेन-देन कर (STT) के अनुप्रयोग सहित MSME क्षेत्र से संबंधित कई परिवर्तन किये गए हैं।

उद्योग के संबंध में बजट में प्रमुख परिवर्तन क्या हैं?

  • एंजेल टैक्स: सरकार ने केंद्रीय बजट 2024-25 में एंजेल टैक्स को समाप्त करने की घोषणा की है।
    • एंजेल टैक्स वह कर है जो असूचीबद्ध कंपनियों द्वारा ऑफ-मार्केट लेनदेन में शेयर जारी करके जुटाई गई धनराशि पर चुकाया जाना चाहिये, यदि वह कंपनी के उचित बाज़ार मूल्य से अधिक हो।
    • एंजेल टैक्स को वर्ष 2012 में आयकर अधिनियम, 1961 के माध्यम से शुरू किया गया था, जिसका उद्देश्य स्टार्टअप्स में निवेश के माध्यम से होने वाले धन शोधन पर नियंत्रण रखना था।
  • समानीकरण शुल्क: सरकार ने वस्तुओं और सेवाओं की ई-कॉमर्स आपूर्ति पर लगाए जाने वाले 2% समानीकरण शुल्क को वापस लेने का निर्णय लिया है।
    • हालाँकि, ऑनलाइन विज्ञापन जैसी विशिष्ट डिजिटल सेवाओं के लिये वित्त अधिनियम, 2016 के अंतर्गत 6% समानीकरण शुल्क लागू रहेगा।
    • अप्रैल 2020 में भारत ने अनिवासी ई-कॉमर्स ऑपरेटरों द्वारा ई-कॉमर्स आपूर्ति या सेवाओं से प्राप्त किये जाने वाले राजस्व पर 2% समानीकरण शुल्क लगाया।
      • समानीकरण शुल्क का उद्देश्य उन विदेशी कंपनियों पर कर लगाना है, जिनका भारत में महत्त्वपूर्ण स्थानीय ग्राहक आधार है, लेकिन वे देश की कर प्रणाली से अलग-थलग हैं।
    • इस शुल्क से प्रमुख अमेरिकी डिजिटल कंपनियाँ प्रभावित हुईं हैं, जिसके कारण वाशिंगटन ने लगभग 55 मिलियन अमेरिकी डॉलर के करों की भरपाई के लिये प्रतिक्रियास्वरूप कई भारतीय उत्पादों पर 25% तक का आयात शुल्क लगाने का प्रस्ताव रखा है।
    • नवंबर 2021 में भारत और अमेरिका ने OECD/G20 इन्क्लूसिव फ्रेमवर्क टू-पिलर सॉल्यूशन के तहत अर्थव्यवस्था के डिजिटलीकरण से उत्पन्न कर चुनौतियों का समाधान करने पर सहमति व्यक्त की, जिसके परिणामस्वरूप प्रतिशोधात्मक शुल्कों को निलंबित कर दिया गया।
  • पूंजीगत लाभ और प्रतिभूति लेनदेन कर (STT) पर कराधान में वृद्धि:
    • बजट 2024 में दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ निर्धारित करने के नियमों को संशोधित किया गया है, जिससे विभिन्न प्रकार की पूंजीगत परिसंपत्तियों हेतु होल्डिंग पीरियड में बदलाव किया गया है जो अल्पकालिक या दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ के लिये योग्य हैं।
    • अब केवल दो होल्डिंग पीरियड होंगें: अल्पकालिक के लिये 12 महीने और दीर्घकालिक के लिये 24 महीने, ताकि यह निर्धारित किया जा सके कि परिसंपत्तियों से प्राप्त पूंजीगत लाभ अल्पकालिक है या दीर्घकालिक।
      • हालाँकि, सभी सूचीबद्ध परिसंपत्तियों का प्रस्तावित होल्डिंग पीरियड (दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ हेतु अर्हता प्राप्त करने के लिये) 12 महीने है। 
      • अन्य सभी परिसंपत्तियों के संदर्भ में लाभ को दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ के रूप में शामिल करने के लिये होल्डिंग पीरियड 24 महीने होगा।
    • सूचीबद्ध इक्विटी और इक्विटी-उन्मुख म्यूचुअल फंड पर पूंजीगत लाभ के लिये छूट सीमा 1 लाख रुपए से बढ़ाकर 1.25 लाख रुपए प्रति वर्ष कर दी गई है।
    • सूचीबद्ध इक्विटी शेयरों और इक्विटी म्यूचुअल फंड को छोड़कर सभी परिसंपत्तियों से प्राप्त अल्पकालिक पूंजीगत लाभ पर निवेशक की कर स्लैब दरों के अनुसार कर लगाया जाएगा।
      • कर स्लैब से इतर इक्विटी शेयरों और इक्विटी म्यूचुअल फंड पर अल्पकालिक पूंजीगत लाभ कर की दर बढ़ाकर 20% कर दी गई है।
  • प्रतिभूतियों के फ्यूचर और ऑप्शन (F&O) पर STT को दोगुना कर दिया गया है। फ्यूचर्स के लिये STT को बढ़ाकर 0.02% और ऑप्शन के लिये इसे बढ़ाकर 0.1% कर दिया गया है।
    • ऑप्शन और फ्यूचर्स दो प्रकार के डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट हैं जो अंतर्निहित इंडेक्स, प्रतिभूति या कमोडिटी के लिये बाज़ार की गतिविधियों से अपना मूल्य प्राप्त करते हैं।
    • ऑप्शन, क्रेता को अनुबंध की समयावधि के दौरान किसी भी समय किसी विशिष्ट मूल्य पर परिसंपत्ति खरीदने (या बेचने) का अधिकार देता है, लेकिन इसमें दायित्व/बाध्यता नहीं है
    • फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट, खरीदार को एक विशिष्ट परिसंपत्ति खरीदने और विक्रेता को एक विशिष्ट फ्यूचर डेट पर उस परिसंपत्ति को बेचने तथा वितरित करने के लिये बाध्य करता है।
  • MSME के लिये नया मूल्यांकन मॉडल और ऋण योजनाएँ:
    • MSME के लिये नया ऋण मूल्यांकन मॉडल: 
    • मुद्रा ऋण सीमा में वृद्धि:
      • मुद्रा ऋण सीमा 10 लाख रुपए से बढ़ाकर 20 लाख रुपए कर दी गई है, और जिन उद्यमियों ने पिछले 'तरुण' श्रेणी के ऋणों को सफलतापूर्वक चुकाया है, वे बढ़ी हुई सीमा के लिये पात्र हैं।
    • TReDS प्लेटफॉर्म पर अनिवार्य ऑनबोर्डिंग:
      • व्यापार प्राप्य छूट प्रणाली/ट्रेड रिसीवेबल्स डिस्काउंटिंग सिस्टम (TReDS) प्लेटफॉर्म पर अनिवार्य ऑनबोर्डिंग के लिये  टर्नओवर सीमा 500 करोड़ रुपए से घटाकर 250 करोड़ रुपए कर दी गई है। 
      • इस कदम से 22 और केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम (CPSE) और 7,000 अतिरिक्त कंपनियाँ इस प्लेटफॉर्म पर आ जाएँगी, जिससे MSME के लिये चलनिधि और कार्यशील पूंजी की पहुँच बढ़ेगी।
    • SIDBI शाखाओं का विस्तार:
      • भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (SIDBI) द्वारा प्रमुख MSME क्लस्टरों में नई शाखाएँ खोली जाएँगी, इस वर्ष 24 शाखाएँ जोड़ी जाएँगी और तीन वर्षों के भीतर 242 क्लस्टरों में से 168 को कवर करने का लक्ष्य है।

प्रधानमंत्री मुद्रा योजना

ट्रेड रिसीवेबल्स डिस्काउंटिंग सिस्टम (TReDS)

  • कई वित्तपोषकों के माध्यम से सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSME) को व्यापार प्राप्तियों के वित्तपोषण/छूट की सुविधा प्रदान करने के क्रम में TReDS एक इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफ़ॉर्म है। ये प्राप्तियाँ कॉर्पोरेट और अन्य खरीदारों द्वारा देय हो सकती हैं, जिनमें सरकारी विभाग और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम शामिल हैं।

हाल के बदलावों के क्या निहितार्थ हैं?

  • एंजेल टैक्स:
    • एंजेल टैक्स को समाप्त करने से भारतीय स्टार्ट-अप इकोसिस्टम को मज़बूती मिलेगी, उद्यमशीलता की भावना को बढ़ावा मिलेगा और नवाचार को बढ़ावा मिलेगा।
    • एंजेल टैक्स को खत्म करने से अधिक विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने और स्टार्ट-अप के लिये आवश्यक पूंजी उपलब्ध कराने की उम्मीद है
      • Inc42 की भारतीय टेक स्टार्टअप फंडिंग रिपोर्ट 2023 के अनुसार, वर्ष 2023 में स्टार्ट-अप फंडिंग 60% घटकर 10 बिलियन अमेरिकी डॉलर रह गई।
  • समानीकरण शुल्क:
    • 2% शुल्क वापस लेने से अनुपालन बोझ कम होने और अन्य क्षेत्राधिकार में कार्य करने वाली गैर-निवासी डिजिटल कंपनियों के लिये पारस्परिक रूप से अनुकूल वातावरण बनने की उम्मीद है। 
    • इस कदम से भारत और अमेरिका के बीच व्यापार तनाव कम होने की संभावना है, जिससे अधिक सहयोगात्मक अंतर्राष्ट्रीय व्यापार वातावरण को बढ़ावा मिलेगा। 
    • यह निर्णय वैश्विक कराधान मानदंडों और प्रथाओं के साथ तालमेल बिठाने के लिये भारत की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।
  • STT में वृद्धि:
    • इससे सट्टा कारोबार में कमी आ सकती है, जिससे बाज़ार में गतिविधि कम हो सकती है।
      • STT में वृद्धि का उद्देश्य F&O सेगमेंट में वॉल्यूम में तेज़ी से हो रही वृद्धि को रोकना है, जिसे भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) और भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने व्यापक आर्थिक स्थिरता के लिये संभावित जोखिम के रूप में चिह्नित किया है।
      • डेरिवेटिव में उच्च वॉल्यूम से प्रणालीगत जोखिम उत्पन्न हो सकता है और यह पूंजी निर्माण, निवेश और आर्थिक विकास को प्रभावित कर सकता है।
    • नई कर दरों से व्यापारियों और निवेशकों के लिये अनुपालन लागत बढ़ने की संभावना है, जबकि इससे सरकार के लिये अतिरिक्त राजस्व उत्पन्न होगा।
  • MSMEs:
    • डिजिटल फुटप्रिंट-आधारित मूल्यांकन मॉडल में बदलाव से MSME के लिये ऋण तक आसान पहुँच की सुविधा मिलेगी, खासकर उन लोगों के लिये जिनके पास औपचारिक लेखा प्रणाली नहीं है। 
    • मुद्रा ऋण सीमा में वृद्धि और गारंटी-मुक्त ऋण गारंटी योजना की शुरूआत से MSME के लिये वित्तीय सहायता को बढ़ावा मिलेगा, जिससे वे प्रौद्योगिकी को उन्नत करने, नई मशीनरी में निवेश करने और प्रतिस्पर्द्धात्मकता में सुधार करने में सक्षम होंगे।
    • TReDS प्लेटफॉर्म पर अनिवार्य ऑनबोर्डिंग की सीमा को कम करने से छोटे उद्यमों के लिये तरलता में सुधार होगा, क्योंकि इससे उन्हें व्यापार प्राप्तियों को अधिक कुशलतापूर्वक नकदी में परिवर्तित करने की अनुमति मिलेगी।
    • भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (SIDBI) की शाखाओं का विस्तार करने से यह सुनिश्चित होगा कि MSME की वित्तीय सेवाओं तक बेहतर पहुँच होगी, जिससे उनकी वृद्धि और विकास में सुविधा होगी।

निष्कर्ष

केंद्रीय बजट 2024-25 में उल्लिखित हाल के आर्थिक सुधार भारत के वित्तीय परिदृश्य को महत्त्वपूर्ण रूप से उन्नत बनाने हेतु तैयार हैं। ये उपाय MSME के लिये ऋण पहुँच को सुव्यवस्थित करके, कर नीतियों को वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाकर और वित्तीय बाज़ारों में जोखिमों को कम करके एक अधिक गतिशील तथा समावेशी अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करते हैं।

घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय दोनों चुनौतियों का समाधान करते हुए इन सुधारों का उद्देश्य सतत् विकास एवं नवाचार के लिये अनुकूल एवं अधिक लचीले आर्थिक वातावरण का निर्माण करना है।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न. केंद्रीय बजट 2024-25 में प्रस्तुत किये गए हालिया आर्थिक सुधारों पर चर्चा कीजिये और भारत के वित्तीय परिदृश्य पर उनके संभावित प्रभाव का मूल्यांकन कीजिये।

और पढ़ें: आर्थिक सर्वेक्षण, केंद्रीय बजट 2024-25

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. विनिर्माण क्षेत्र के विकास को प्रोत्साहित करने के लिये भारत सरकार ने कौन-सी नई नीतिगत पहल की है/हैं? (2012)

  1. राष्ट्रीय निवेश तथा विनिर्माण क्षेत्रों की स्थापना
  2. 'एकल खिड़की मंज़ूरी' (सिंगल विंडों क्लीयरेंस) की सुविधा प्रदान करना
  3. प्रौद्योगिकी अधिग्रहण तथा विकास कोष की स्थापना

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (d)


प्रश्न. सरकार के समावेशित वृद्धि लक्ष्य को आगे ले जाने में निम्नलिखित में से कौन-सा/से कार्य सहायक साबित हो सकता/सकते है/हैं? (2011) 

  1. स्व-सहायता समूहों (सेल्फ-हेल्प ग्रुप्स) को प्रोत्साहन देना।  
  2. सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों को प्रोत्साहन देना।  
  3. शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू करना।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1
(b) केवल 1 और 2
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (d)


मेन्स:

प्रश्न. क्या क्षेत्रीय-संसाधन आधारित विनिर्माण की रणनीति भारत में रोज़गार को बढ़ावा देने में मदद कर सकती है? (2019)

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