इंटरनेशनल बिग कैट एलायंस
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत आधिकारिक तौर पर इंटरनेशनल बिग कैट अलायंस (IBCA) में शामिल हो गया है जिसे वर्ष 2023 में बड़ी बिल्लियों एवं उनके अधिवासों की रक्षा करने हेतु शुरू किया गया था।
नोट:
- यद्यपि भारत ने एक वैश्विक संस्था के रूप में इंटरनेशनल बिग कैट एलायंस (IBCA) की शुरुआत की, फिर भी इसे इसके फ्रेमवर्क समझौते पर हस्ताक्षर के साथ इसका अनुसमर्थन करना होगा जैसा कि इसने अन्य अंतर्राष्ट्रीय समझौतों एवं संस्थाओं जैसे पेरिस समझौता, जैवविविधता पर कन्वेंशन (CBD) और शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के साथ किया है।
इंटरनेशनल बिग कैट एलायंस (IBCA) क्या है?
- परिचय:
- इंटरनेशनल बिग कैट एलायंस (IBCA) 96 बिग कैट रेंज देशों और गैर-रेंज देशों का एक बहु-देशीय, बहु-एजेंसी गठबंधन है जिसका उद्देश्य 7 बिग कैट और उनके आवासों का संरक्षण करना है।
- यह विचार पहली बार भारत के प्रधानमंत्री द्वारा वर्ष 2019 में प्रस्तावित किया गया था और आधिकारिक तौर पर इसे प्रोजेक्ट टाइगर की 50 वीं वर्षगाँठ के अवसर पर अप्रैल 2023 में शुरू किया गया था।
- उद्देश्य:
- सात बड़ी बिल्ली प्रजातियों से संबंधित अवैध वन्यजीव व्यापार को रोकना।
- इन सात बड़ी बिल्लियों के प्राकृतिक आवासों के संरक्षण को बढ़ावा देना।
- संरक्षण एवं सुरक्षा प्रयासों के कार्यान्वयन को समर्थन देने के लिये वित्तीय एवं तकनीकी संसाधन जुटाना।
- जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों को कम करने की दिशा में कार्य करना।
- उन नीतिगत पहलों की वकालत करना जो जैवविविधता संरक्षण प्रयासों को स्थानीय आवश्यकताओं के साथ संरेखित करने के साथ सदस्य देशों में संयुक्त राष्ट्र द्वारा निर्धारित सतत् विकास लक्ष्यों की प्राप्ति में सहायक हों।
- फोकस प्रजातियाँ:
- यह पहल सात बड़ी बिल्ली प्रजातियों के संरक्षण पर केंद्रित है : बाघ, शेर, तेंदुआ, हिम तेंदुआ, चीता, जगुआर और प्यूमा।
- इनमें से पाँच - बाघ, शेर, तेंदुआ, हिम तेंदुआ और चीता - भारत में पाए जाते हैं, प्यूमा और जगुआर को छोड़कर।
- यह पहल सात बड़ी बिल्ली प्रजातियों के संरक्षण पर केंद्रित है : बाघ, शेर, तेंदुआ, हिम तेंदुआ, चीता, जगुआर और प्यूमा।
- सदस्य देश:
- वर्तमान में 4 देश ( भारत, निकारागुआ, एस्वातिनी और सोमालिया) इसके सदस्य हैं।
- बजटीय आवंटन:
- केंद्रीय मंत्रिमंडल ने वर्ष 2023-24 से 2027-28 तक पाँच वर्षों के लिये IBCA हेतु 150 करोड़ रुपये की एकमुश्त बजटीय सहायता आवंटित की है।
- शासन संरचना:
- इसमें सदस्यों की एक सभा, एक स्थायी समिति और भारत स्थित एक सचिवालय शामिल है।
- यह रूपरेखा अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) के अनुरूप बनाई गई है जिसमें पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) द्वारा महानिदेशक (DG) की नियुक्ति की जाती है।
बड़ी बिल्लियाँ क्या हैं?
- बड़ी बिल्लियों से तात्पर्य बड़ी जंगली बिल्ली प्रजातियों से है, जो आमतौर पर पैंथेरा वंश से संबंधित होती हैं, हालांकि कुछ अन्य प्रजातियाँ भी इसमें शामिल हैं।
- घरेलू बिल्लियों सहित छोटी और मध्यम बिल्लियों को फेलिस जीनस के अंतर्गत वर्गीकृत किया जाता है।
- प्रमुख बिंदु:
- शेर एकमात्र ऐसी बड़ी बिल्ली प्रजातियों से संबंधित हैं जो सामाजिक समूहों में रहने के साथ सामूहिक रूप से शिकार करते हैं। शावकों वाली माताओं को छोड़कर अन्य बड़ी बिल्लियाँ एकाकी होती हैं।
- साइबेरियाई बाघ (जो कि बड़ी बिल्ली प्रजातियों में सबसे बड़ा है) ट्रॉफी शिकार और चीन की पारंपरिक चिकित्सा में उपयोग के चलते खतरे में है।
- बड़ी बिल्लियाँ ऐसी प्रमुख प्रजातियाँ हैं जो पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य हेतु महत्त्वपूर्ण संकेतक हैं लेकिन अवैध शिकार, अवैध वन्यजीव व्यापार और आवास की क्षति के कारण इन पर खतरा बढ़ता जा रहा है।
- भारतीय उपमहाद्वीप ऐतिहासिक रूप से बंगाल टाइगर, एशियाई शेर, भारतीय तेंदुआ, भारतीय/एशियाई चीता और हिम तेंदुए का आवास स्थल है।
- वर्ष 1952 में भारत में चीता को विलुप्त घोषित कर दिया गया था। वर्ष 2022 में सरकार ने मध्य प्रदेश के कुनो राष्ट्रीय उद्यान में अफ्रीकी चीतों को फिर से लाने की महत्त्वाकांक्षी पहल शुरू की थी।
भारत में बड़ी बिल्लियों के संरक्षण के प्रयास
- प्रोजेक्ट लायन
- प्रोजेक्ट तेंदुआ
- प्रोजेक्ट चीता
- चीता पुनः वापसी परियोजना
- वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972
- हिम तेंदुआ संरक्षण
और पढ़ें: कुनो नेशनल पार्क में चीता शावक
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत् वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रिलिम्स:प्रश्न: निम्नलिखित पर विचार कीजिये: (2012)
उपर्युक्त में से कौन-से भारत में प्राकृतिक रूप से पाए जाते हैं? (a) केवल 1, 2 और 3 उत्तर: (b) |
जिंजी किला यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के लिये नामांकित
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
हाल ही में, तमिलनाडु के विल्लुपुरम ज़िले में स्थित जिंजी किले को ‘मराठा सैन्य परिदृश्य’, जिसमें 11 अन्य किले भी शामिल हैं, के भाग के रूप में यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल सूची के लिये नामांकित किया गया है।
तमिलनाडु के जिंजी किले के बारे में मुख्य बिंदु क्या हैं?
- भौगोलिक विशेषता और महत्त्व: जिंजी किला अपने ऐतिहासिक महत्त्व और तीन पहाड़ियों: राजगिरि, कृष्णगिरि और चंद्रगिरि के ऊपर स्थित रणनीतिक रूप से प्रसिद्ध है।
- इसे "ईस्ट ऑफ ट्रॉय" भी कहा जाता है, क्योंकि यह प्रायद्वीपीय भारत के सबसे अभेद्य किलों में से एक है।
- इसकी रणनीतिक स्थिति और मज़बूत सुरक्षा, जिसमें 60 फुट चौड़ी प्राचीर और 80 फुट चौड़ी खाई शामिल थी, ने इसे फ्राँसीसी और ब्रिटिश के बीच कर्नाटक युद्ध के दौरान महत्त्वपूर्ण बना दिया ।
- ऐतिहासिक अवलोकन: इस किले का निर्माण मूलतः कोनार राजवंश के अनंत कोन ने 1200 ई. में करवाया था और इसका नाम कृष्णगिरि रखा गया ।
- विजयनगर साम्राज्य ने किले का पुनर्निर्माण करवाया।
- वर्ष 1677 में किले पर छत्रपति शिवाजी ने कब्जा कर लिया और वर्ष 1698 तक यह मराठों के नियंत्रण में रहा, उसके बाद यह मुगलों के अधीन आ गया।
- मुगल सेना के विरुद्ध युद्ध के दौरान यह किला मराठों (शिवाजी के पुत्र राजाराम प्रथम) का अंतिम दुर्ग बन गया।
- कुछ समय तक राजा देसिंह (तेज सिंह) द्वारा शासित रहने के बाद, वर्ष 1714 में इसे अर्काट के नवाबों ने अपने अधीन कर लिया तथा वर्ष 1749 तक यह उनके अधीन रहा।
- वर्ष 1750 से 1770 तक यह किला फ्राँसीसियों के कब्जे में रहा, उसके बाद यह अंततः अंग्रेज़ों के नियंत्रण में चला गया।
- वास्तुकला:
- किला परिसर में कई मंदिर और तीर्थस्थल स्थित हैं।
- इसमें सीढ़ीदार कुआँ, कल्याण महल, दरबार हॉल, तोप, घंटाघर, शस्त्रागार, एलीफैंट टैंक, अस्तबल, अन्न भंडार, व्यायामशाला, वेंकटरमण मंदिर और सदातुल्ला मस्जिद जैसी महत्त्वपूर्ण संरचनाएँ शामिल हैं ।
- जल आपूर्ति प्रणालियाँ: जिंजी किले में दो परिष्कृत जल आपूर्ति प्रणालियाँ हैं, जो किले के सबसे ऊँचें स्थानों पर भी निरंतर जल आपूर्ति सुनिश्चित करती हैं।
- राजगिरी पहाड़ी: यह साथ सबसे ऊँची (800 मीटर) पहाड़ी है, जिसमें एक दुर्ग और रंगनाथ का मंदिर है ।
- कृष्णगिरि दुर्ग अपनी इंडो-इस्लामिक वास्तुकला के लिये प्रसिद्ध है, जिसमें गुंबददार छत वाला एक दर्शक हॉल भी शामिल है।
- वेंकटरमण स्वामी मंदिर: यह निचले किले परिसर में स्थित है और हिंदू महाकाव्यों की जटिल नक्काशी से सुसज्जित है।
- कल्याण महल: यह आठ मंजिला वास्तुशिल्पीय रत्न है, जिसका उपयोग शाही महिलाओं के आवास के रूप में किया जाता था ।
यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल
- विश्व धरोहर स्थल वह स्थान है जिसे यूनेस्को (UNESCO) द्वारा उसके असाधारण सांस्कृतिक या प्राकृतिक महत्त्व के लिये मान्यता प्रदान की गई है।
- यूनेस्को विश्व स्तर पर उन सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत स्थलों की पहचान, सुरक्षा और संरक्षण को बढ़ावा देता है जो मानवता के लिये विशिष्ट महत्त्व रखते हैं ।
- सितंबर 2024 तक, भारत में 43 विश्व धरोहर स्थल हैं ( सांस्कृतिक स्थल- 35, प्राकृतिक स्थल- 7, मिश्रित- 1 ), जिनमें हाल ही में मोइदम्स - अहोम राजवंश की टीला-दफन प्रणाली को शामिल किया गया है।
यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में किसी स्थल को नामांकित करने की प्रक्रिया
- किसी देश द्वारा महत्त्वपूर्ण सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत स्थलों की सूची बनाई जाती है।
- देश अनंतिम सूची से स्थलों का चयन करता है तथा नामांकन विवरण तैयार करता है।
- अंतर्राष्ट्रीय स्मारकों और स्थलों पर अंतर्राष्ट्रीय परिषद (ICOMOS) और IUCN नामांकित स्थलों का मूल्यांकन करते हैं।
- समिति सलाहकारी सिफारिशों और मानदंडों की पूर्ति के आधार पर यह निर्णय लेने के लिये प्रतिवर्ष बैठक करती है कि किन स्थलों को विश्व धरोहर सूची में शामिल किया जाए।
और पढ़ें: असम के मोइदम को विश्व धरोहर सूची में शामिल करने पर विचार किया जाएगा, यूनेस्को, मराठा सैन्य परिदृश्य
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित नेशनल पार्कों में से किस एक की जलवायु उष्णकटिबंधीय से उपोष्ण, शीतोष्ण और आर्कटिक तक परिवर्तित होती है? (a) कंचनजंघा नेशनल पार्क उत्तर: (d) |
नैनीताल की ज़ोनिंग हेतु NGT के निर्देश
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
हाल ही में, राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने नैनीताल शहर को निषिद्ध (Prohibited), विनियमित (Regulated) और विकसित (Development) ज़ोन में वर्गीकृत करने का निर्देश दिया।
- इस ज़ोनिंग का उद्देश्य अनियंत्रित शहरीकरण के पर्यावरणीय प्रभाव को सीमित करना और विकास संबंधी उत्तरदायित्व को प्रबंधित करना है।
- NGT ने "वहन क्षमता" की अवधारणा पर ज़ोर दिया, जो कि अधिकतम जनसंख्या और विकास के स्तर को संदर्भित करता है जिसे नैनीताल अपने पर्यावरण को नुकसान पहुँचाए बिना प्रबंधित कर सकता है,
- होटलों के पास पार्किंग निर्माण के लिये बाँज (Oak) और देवदार के पेड़ों की कटाई से नैनीताल के जलग्रहण क्षेत्र में बड़ी पारिस्थितिक क्षति हुई है, जिससे नैनीताल झील का पुनर्भरण प्रभावित हुआ है।
- नैनीताल झील एक चंद्राकार मीठे पानी की झील है जो जिसका निर्माण विवर्तनिक गतिविधियों के फलस्वरूप हुआ था। यह उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में स्थित है।
- NGT एक वैधानिक निकाय है जिसकी स्थापना राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम, 2010 के तहत पर्यावरण संरक्षण और वनों के संरक्षण से संबंधित मामलों के प्रभावी और शीघ्र निपटान हेतु की गई है।
और पढ़ें… राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT)
स्वच्छ भारत मिशन (SBM) 2.0 के अंतर्गत लीगेसी वेस्ट प्रबंधन की स्थिति
स्रोत: द हिंदू
स्वच्छ भारत मिशन (SBM) 2.0 के डैशबोर्ड के अनुसार, लीगेसी वेस्ट (लीगेसी वेस्ट) प्रबंधन की प्रगति धीमी रही है, वर्ष 2021 के बाद से 2,424 कूड़ा स्थलों में से केवल 470 का समाधान तथा 16% क्षेत्र को पुनः प्राप्त किया गया है।
- लीगेसी वेस्ट से तात्पर्य ऐसे अपशिष्ट से है जिसे वर्षों से अनुचित तरीके से एकत्रित और संग्रहीत किया गया है, यह अक्सर बंजर भूमि या लैंडफिल, परित्यक्त खदानों और औद्योगिक स्थलों में पाया जाता है।
- इसमें रेडियोलॉजिकल लक्षण-निर्धारण, सुरक्षा संबंधी मुद्दे, रिसाव प्रबंधन और अग्नि नियंत्रण सहित कई चुनौतियाँ शामिल हैं।
- प्रसंस्करण विधियों में जैवोपचारण (बायोरेमेडिएशन), बायोमाइनिंग, स्थिरीकरण और स्क्रीनिंग शामिल हैं।
- इसे चार प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है: संग्रहित, मृदा में दबा हुआ, मृदा और भूजल को संदूषित करने वाला और दूषित विनिर्माण सामग्री से उत्पन्न अपशिष्ट।
- ठोस अपशिष्ट प्रबंधन सुविधाओं की कमी के कारण भारत में नगर पालिकाओं द्वारा शहरों के बाहरी इलाकों में ‘लीगेसी वेस्ट डंपसाइट’ स्थापित किये गए हैं।
- सरकारी के अनुसार, देश भर में लगभग 15,000 एकड़ प्रमुख अचल सम्पत्ति लगभग 16 करोड़ टन पारंपरिक कचरे के नीचे दबी हुई है।
- राज्य का प्रदर्शन:
- तमिलनाडु में सबसे अधिक 837 एकड़ (42%) भूमि पुनः प्राप्त हुई है।
- प्रतिशत के आधार पर गुजरात शीर्ष पर है, जिसने अपने लैंडफिल क्षेत्र का 75% (938 एकड़ में से 698 एकड़) पुनः प्राप्त कर लिया है।
- स्वच्छ भारत मिशन शहरी (SBM-U) 2.0 को 2021 में लॉन्च किया गया था, जिसका उद्देश्य वर्ष 2026 तक सभी शहरों के लिये "कचरा मुक्त स्थिति (Garbage-Free Status)" प्राप्त करना है।
- शहरी भारत को खुले में शौच मुक्त (ODF) बनाने के लिये SBM-U 1.0 का शुभारंभ किया गया।
और पढ़ें: SBM-U 1.0 का दूसरा चरण, स्वच्छ भारत मिशन
अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस
स्रोत: द हिंदू
संयुक्त राष्ट्र के वर्ष 2017 के प्रस्ताव के अनुसरण में 23 सितंबर को अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस (IDSL) मनाया जाता है जिसके तहत बधिर व्यक्तियों के लिये सांकेतिक भाषा एवं गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुँच के महत्त्व पर प्रकाश डाला जाता है।
- वर्ष 2024 का थीम: "साइन अप फॉर साइन लैंग्वेज राइट्स", जो सांकेतिक भाषा अधिकारों के लिये सामूहिक प्रयासों को प्रोत्साहित करने पर केंद्रित है।
- यह तिथि वर्ष 1951 में विश्व बधिर संघ (WFD) की स्थापना का प्रतीक है, जो विश्व स्तर पर बधिर व्यक्तियों के अधिकारों और मान्यता की वकालत करता है।
- संयुक्त राष्ट्र द्वारा वर्ष 2006 में दिव्यांगजनों के अधिकारों पर अभिसमय को अपनाया गया था, जिसके तहत सांकेतिक भाषाओं को अन्य बोली जाने वाली भाषाओं के बराबर माना जाता है तथा राज्यों को बधिर समुदाय की भाषाई पहचान को बढ़ावा देने के लिये बाध्य किया जाता है।
- भारत वर्ष 2007 में इस अभिसमय का अनुसमर्थन करने वाले शुरुआत के देशों में से एक था।
- भारत में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त निकाय, भारतीय सांकेतिक भाषा अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र (ISLRTC) द्वारा IDSL मनाया जाता है।
और पढ़ें: अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस 2023
एन्ट्रॉपी और एजिंग के बीच अंतर्संबंध
स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स
एक हालिया अध्ययन से पता चला है कि यात्रा से मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य बेहतर होने के साथ संभावित रूप से एजिंग प्रोसेस धीमी हो जाती है। इससे एन्ट्रॉपी की निम्न स्थिति को बनाए रखने, प्रतिरक्षा में वृद्धि होने, तनाव में कमी आने एवं शारीरिक गतिविधि को बढ़ावा मिलने के साथ समग्र स्वास्थ्य एवं अनुकूलन में सुधार होता है।
- यात्रा करने से शरीर निम्न एन्ट्रॉपी की अवस्था में रहता है जो स्वस्थ एवं कुशल शारीरिक गतिविधियों का संकेतक है।
- एन्ट्रॉपी, शारीरिक प्रणाली में असंतुलन का एक माप है जो एजिंग में वृद्धि के साथ स्वास्थ्य की निम्न स्थिति का संकेतक है। एन्ट्रॉपी में वृद्धि से जैविक प्रणाली असंतुलित होने के साथ बीमारियों में वृद्धि होती है।
- उच्च एन्ट्रॉपी से जीवनकाल कम हो जाता है। निम्न एन्ट्रॉपी की अवस्था को बनाए रखना स्वास्थ्य के लिये सकारात्मक है।
और पढ़ें: भारत में वृद्धजनों की स्थिति