ध्यान दें:

प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 22 Aug, 2024
  • 29 min read
प्रारंभिक परीक्षा

ब्लू मून

स्रोत: द हिंदू 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में अगस्त 2024 में घटी ब्लू मून की घटना ने इसकी रचना, महत्त्व और इससे जुड़ी विविध व्याख्याओं के बारे में चर्चा को बढ़ावा दिया है।

ब्लू मून क्या है?

  • परिचय:  ब्लू मून एक महीने में होने वाली दूसरी पूर्णिमा है।
    • अगला ब्लू मून 31 मई 2026 को होगा।
  • प्रकार: ब्लू मून के 2 प्रकार हैं, जिनमें से किसी में भी चंद्रमा का रंग शामिल नहीं है।
    • सीज़नल ब्लू मून: सीज़नल (मौसमी) ब्लू मून तब होता है, जब एक ही खगोलीय मौसम (वसंत, ग्रीष्म, शरद/हेमंत अथवा शीत ऋतु) में सामान्यतः 3 के बजाय 4 पूर्णिमाएँ होती हैं। इस क्रम में तीसरी पूर्णिमा को ‘ब्लू मून’ कहा जाता है।    
      • आम तौर पर प्रत्येक खगोलीय मौसम लगभग 3 महीने तक चलता है, जिसमें 3 पूर्णिमाएँ होती हैं। हालाँकि चंद्र चक्र की अवधि (लगभग 29.5 दिन) के कारण कभी-कभी एक मौसम में 4 पूर्णिमाएँ भी हो सकती हैं। 
        • जब ऐसा होता है, तो इन चार पूर्णिमाओं में से तीसरी पूर्णिमा को ‘सीज़नल ब्लू मून’ कहा जाता है।
    • मासिक ब्लू मून: यह एक महीने में दूसरी पूर्णिमा होती है।
      • एक ही महीने में दो पूर्णिमा होना असामान्य है, चूँकि वे आम तौर पर महीने में एक बार होती हैं, इसलिये दूसरी पूर्णिमा को ‘ब्लू मून’ कहा जाता है।
    • 31 मई 2026 को आने वाला ब्लू मून, मासिक ब्लू मून होगा।

  • रचना:
    • चंद्रमा 29.5 दिनों में एक चंद्र चक्र पूरा करता है, जिसके परिणामस्वरूप 354 दिनों में 12 चंद्र चक्र होते हैं। 
      • परिणामस्वरुप लगभग प्रत्येक 2.5 से 3 वर्ष में एक कैलेंडर वर्ष में 13वीं पूर्णिमा होती है, जिसे ब्लू मून के रूप में जाना जाता है, परंपरागत मानक नामकरण का पालन नहीं करती है। 
    • फरवरी में कभी भी ब्लू मून नहीं हो सकता क्योंकि सामान्य वर्ष में फरवरी में केवल 28 दिन और लीप वर्ष में 29 दिन होते हैं।

वायुमंडलीय परिस्थितियों के कारण चंद्रमा का वास्तव में नीला दिखने के उदाहरण 

  • इंडोनेशिया में माउंट टैम्बोरा का उद्गार (वर्ष 1815): फिलीपींस में मेयाॅन ज्वालामुखी विस्फोट के बाद माउंट टैम्बोरा का विस्फोट आज तक का सबसे विध्वंसक  ज्वालामुखी उद्गार था।
    • इसके साथ-साथ अन्य जलवायु कारकों के कारण वर्ष 1816 में वैश्विक तापमान में 0.4-0.7 डिग्री सेल्सियस की महत्त्वपूर्ण गिरावट आई, जिसे 'ग्रीष्महीन वर्ष (Year Without Summer)' के रूप में जाना जाता है।
    • इस दौरान वायुमंडल में ज्वालामुखीय राख और कणों के कारण चंद्रमा नीला दिखाई दिया।
  • इंडोनेशियाई ज्वालामुखी क्राकाटोआ का विस्फोट (वर्ष 1883): इससे निकलने वाली राख 80 किलोमीटर की ऊँचाई तक पहुँच गई थी। लगभग एक माइक्रोन आकार के सूक्ष्म राख कणों के कारण चंद्रमा आकर्षक नीले-हरे रंग में दिखाई दिया था। 
  • वर्ष 1983 में मैक्सिको में अल चिचोन ज्वालामुखी उद्गार, वर्ष 1980 में माउंट सेंट हेलेन्स और वर्ष 1991 में माउंट पिनातुबो के उद्गार भी ब्लू मून की घटना से जुड़े हैं।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. हाल ही में वैज्ञानिकों ने पृथ्वी से अरबों प्रकाश वर्ष दूर विशालकाय 'ब्लैक होलों' के विलय का प्रेक्षण किया। इस प्रेक्षण का क्या महत्त्व है? (2019)

(a) 'हिग्स बोसॉन कणों' का अभिज्ञान हुआ।
(b) 'गुरुत्वीय तरंगों' का अभिज्ञान हुआ।
(c) 'वाॅर्महोल' से होते हुए से अंतरा-मंदाकिनीय अंतरिक्ष यात्रा की संभावना की पुष्टि की हुई। 
(d) इसने वैज्ञानिकों को 'विलक्षणता (सिंगुलैरिटी)' को समझना सुकर बनाया।

उत्तर: (b)


प्रारंभिक परीक्षा

नेटाल इंडियन कॉन्ग्रेस की 130वीं वर्षगाँठ

स्रोत: डरबन लोकल

हाल ही में 22 अगस्त 2024 को नेटाल इंडियन कॉन्ग्रेस (NIC) की 130वीं वर्ष गाँठ मनाई गई, जिसकी स्थापना 22 मई, 1894 को महात्मा गांधी के प्रस्ताव के आधार पर अगस्त 1894 में की गई थी।

  • इसका गठन दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों के विरुद्ध भेदभाव से निपटने के लिये किया गया था।

नेटाल इंडियन कॉन्ग्रेस क्या थी?

  • नेटाल इंडियन कॉन्ग्रेस (NIC) पहली भारतीय कॉन्ग्रेस थी, जिसकी स्थापना महात्मा गांधी ने वर्ष 1894 में नेटाल (दक्षिण अफ्रीका का एक प्रांत) में भारतीयों के साथ होने वाले भेदभाव के खिलाफ लड़ने के लिये की थी।
  • 1920 के दशक से NIC दक्षिण अफ्रीकी भारतीय कॉन्ग्रेस (SAIC) के अधीन कार्य करती रही।
  • 1930-1940 के दशक में डॉ. जी.एम. नायकर की लोकप्रियता के साथ संगठन के विचारों में परिवर्तन आया तथा यह उग्रवादी विचारों की ओर अग्रसर हुआ। उल्लेखनीय है कि वर्ष 1945 में डॉ. जी.एम. नायकर इसके नेतृत्वकर्त्ता बने।  
  • NIC की बढ़ती उग्रता के कारण 1950 और 1960 के दशक में कई नेताओं को जेल में डाल दिया गया।
  • आधिकारिक तौर पर प्रतिबंधित न होने के बावजूद, दमन एवं उत्पीड़न के कारण NIC को अपनी गतिविधियों को रोकना पड़ा, जब तक कि वर्ष 1971 में इसका पुनरुद्धार नहीं हुआ और इसका ध्यान नागरिक कार्यों पर केंद्रित हो गया।
  • 1980 के दशक के मध्य में NIC ने यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (UDF) के गठन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
    •  UDF का लक्ष्य "गैर-नस्लीय, एकीकृत दक्षिण अफ्रीका" की स्थापना करना था।

दक्षिण अफ्रीका के सत्याग्रह में महात्मा गांधी की क्या भूमिका थी?

  • भारतीय समुदाय का एकत्रीकरण और सत्याग्रह:
    • नेटाल सत्याग्रह: 7 जून 1893 को महात्मा गांधी को नस्लीय भेदभाव का सामना करना पड़ा, जब उन्हें दक्षिण अफ्रीका के पीटरमैरिट्ज़बर्ग रेलवे स्टेशन पर प्रथम श्रेणी के ट्रेन के डिब्बे से ज़बरन उतार दिया गया। इस घटना ने नेटाल सत्याग्रह में उनके पहले अहिंसक विरोध के माध्यम से सविनय अवज्ञा की उनकी भावना को प्रज्वलित किया।
      • गांधीजी ने भारतीय समुदाय को एकजुट करने तथा मताधिकार और भेदभावपूर्ण कानूनों जैसे मुद्दों के समाधान के लिये नेटाल इंडियन कॉन्ग्रेस (NIC) की स्थापना की।
    • ट्रांसवाल ब्रिटिश इंडियन एसोसिएशन: वर्ष 1903 में गांधीजी ने विशेष रूप से ट्रांसवाल क्षेत्र में बढ़ते प्रतिबंधों के खिलाफ भारतीयों के अधिकारों का समर्थन ज़ारी रखने के लिये इस एसोसिएशन की स्थापना की थी।
    • सत्याग्रह का शुभारंभ: वर्ष 1906 में गांधीजी ने एशियाई पंजीकरण अधिनियम के खिलाफ जोहान्सबर्ग में अपना पहला सत्याग्रह (अहिंसक प्रतिरोध) अभियान शुरू किया, जिसके परिणामस्वरूप बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन और सविनय अवज्ञा हुई।
      • ट्रांसवल में एशियाई पंजीकरण अधिनियम 1906, के तहत एशियाई पुरुषों, मुख्य रूप से भारतीयों और चीन के लोगों को पंजीकरण कराना, उंगलियों के निशान दिखाना, पंजीकरण प्रमाणपत्र साथ रखना और शारीरिक परीक्षण से गुजरना अनिवार्य था। इसका उद्देश्य इस क्षेत्र में एशियाई लोगों के प्रवेश और आवागमन को नियंत्रित एवं प्रतिबंधित करना था।
      • दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों ने पैसिव रेजिस्टेंस एसोसिएशन बनाकर भेदभावपूर्ण कानून का विरोध किया। उन्होंने सार्वजनिक रूप से अपने पंजीकरण प्रमाणपत्र जला दिये, जिससे दक्षिण अफ्रीकी सरकार की नकारात्मक छवि बनी। अंततः संघर्ष एक समझौते के साथ समाप्त हुआ।
  • एम्बुलेंस कॉर्प्स का संगठन:
    • एंग्लो-बोअर युद्ध (1899-1902) के दौरान गांधीजी ने अंग्रेज़ों की सहायता के लिये भारतीय स्वयंसेवकों की एक एम्बुलेंस कॉर्प्स का गठन किया, जिससे भारतीयों के साथ बेहतर व्यवहार की उम्मीद थी, लेकिन यह उम्मीद पूरी नहीं हुई।
  • सामुदायिक जीवन की स्थापना:
    • गांधीजी ने सामुदायिक जीवन प्रयोग के रूप में वर्ष 1904 में डरबन में फीनिक्स सेटलमेंट की स्थापना की।
      • उन्होंने पूंजीवाद की आलोचना पर जॉन रस्किन की पुस्तक अनटू दिस लास्ट (John Ruskin’s Unto This Last) को पढ़ने से प्रेरित होकर इस फार्म की स्थापना की थी।
    • उन्होंने सत्याग्रहियों को तैयार करने के लिये वर्ष 1910 में जोहान्सबर्ग के समीप टॉल्स्टॉय फार्म की स्थापना की। 
    • इन पहलों का उद्देश्य आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना, सांप्रदायिक सद्भाव को बढ़ावा देना और व्यावहारिक कौशल में प्रशिक्षण प्रदान करना था।
  • वर्ष 1913 का सत्याग्रह अभियान:
    • गांधी जी ने पोल टैक्स , विवाह पंजीकरण अधिनियम के खिलाफ एक बड़े सत्याग्रह का नेतृत्व किया और अपनी पत्नी कस्तूरबा सहित भारतीय महिलाओं की महत्त्वपूर्ण भागीदारी के साथ कानून पारित किये। 
      • साथ ही सर्वोच्च न्यायालय ने ईसाई रीति-रिवाजों के अनुसार नहीं किये गए सभी विवाहों को अमान्य कर दिया था, जिससे भारतीयों और अन्य गैर-ईसाई लोगों का गुस्सा भड़क उठा था।
  • कानूनी सुधार और भारतीय अधिकारों की मान्यता
    • गांधीजी के विरोध के निरंतर दबाव के कारण दक्षिण अफ्रीकी सरकार को वर्ष 1914 के भारतीय राहत अधिनियम को स्वीकृति देनी पड़ी, जिसमें भारतीय समुदाय के अनेक मुद्दों को हल किया गया।
  • गांधीवादी आंदोलनों का प्रभाव:
    • सत्याग्रह का विकास: दक्षिण अफ्रीका में गांधी के अनुभव अहिंसक प्रतिरोध के उनके दर्शन को विकसित करने में महत्त्वपूर्ण सिद्ध हुए, जिसे उन्होंने बाद में भारत के स्वतंत्रता संग्राम में भी लागू किया। 
    • वैश्विक प्रभाव: दक्षिण अफ्रीका में गांधी के तरीकों ने विश्व भर में आगामी नागरिक अधिकार आंदोलनों की नींव रखी और नस्लीय एवं औपनिवेशिक उत्पीड़न के खिलाफ वैश्विक प्रयासों को महत्त्वपूर्ण रूप से प्रभावित किया।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रिलिम्स 

प्रश्न 1. इनमें से कौन अंग्रेज़ी में अनूदित प्राचीन भारतीय धार्मिक गीतिकाव्य- ‘सॉन्ग्स फ्रॉम प्रिज़न’ से संबद्ध है? (2021) 

(a) बाल गंगाधर तिलक
(b)  जवाहरलाल नेहरू
(c) मोहनदास करमचंद गांधी
(d) सरोजिनी नायडू

उत्तर: (c)


प्रश्न 2. भारत में ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2019) 

  1. महात्मा गांधी ‘गिरमिटिया (इंडेंचर्ड लेबर)’ प्रणाली के उन्मूलन में सहायक थे।
  2. लॉर्ड चेम्सफोर्ड की ‘वॉर कॉन्फरेन्स’ में महात्मा गांधी ने विश्व युद्ध के लिये भारतीयों की भरती से संबंधित प्रस्ताव का समर्थन नहीं किया था।
  3. भारत के लोगों द्वारा नमक कानून तोड़े जाने के परिणामस्वरूप औपनिवेशिक शासकों द्वारा भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस को अवैध घोषित कर दिया गया था।

उपर्युक्त में से कौन-से कथन सही हैं?

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 1 और 3
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (b)


रैपिड फायर

भू-स्खलन से तीस्ता-V जलविद्युत स्टेशन को नुकसान

स्रोत: द हिंदू 

पूर्वी सिक्किम में भूस्खलन से राष्ट्रीय जलविद्युत निगम (NHPC) के तीस्ता-V जलविद्युत स्टेशन स्थल को काफी नुकसान पहुँचा है।

  • यह घटना अक्तूबर 2023 में ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड (GLOF)-प्रेरित फ्लैश फ्लड से पहले से ही प्रभावित परियोजना के सामने आने वाली चुनौतियों को और बढ़ा देती है।
    • भूस्खलन को सामान्य रूप से शैल, मलबा या पृथ्वी का नीचे की ओर खिसकना, ढाल से गिरने वाली मिट्टी के वृहद् संचलन के रूप में परिभाषित किया जाता है।
    • यह एक प्रकार के वृहद् पैमाने पर अपक्षय है, जिससे गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव में मिट्टी और शैल समूह खिसककर ढाल से नीचे गिरते हैं।
    • भूस्खलन शब्द में ढलान संचलन के पाँच तरीके शामिल हैं: गिरना (Fall), लटकना (Topple), फिसलना (Slide), फैलना (Spread) और प्रवाह (Flow)
  • वर्ष 2008 में चालू किया गया तीस्ता-V पावर स्टेशन (510 मेगावाट) तीस्ता नदी की जलविद्युत शक्ति का दोहन करने के लिये नदी तट पर संचालित एक योजना है। पावर स्टेशन लाभार्थी राज्यों में बिहार, सिक्किम, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा और झारखंड शामिल हैं।
  • तीस्ता नदी ब्रह्मपुत्र नदी (बांग्लादेश में जमुना के नाम से जानी जाती है) की एक सहायक नदी है, जो भारत और बांग्लादेश से होकर बहती है। यह छोंबो छू ग्लेशियल/हिमनद झील, चुनथांग सिक्किम से निकलती है।
    • यह बांग्लादेश में प्रवेश करने से पूर्व भारत के पश्चिम बंगाल से होकर बहती है। मूल रूप से यह सीधे पद्मा नदी (बांग्लादेश में, गंगा नदी को पद्मा नदी के नाम से जाना जाता है) में मिलती थी, लेकिन वर्ष 1787 के आसपास, यह अपना मार्ग बदलकर जमुना नदी में मिल गई।
    • तीस्ता बाँध ऊपरी पद्मा और जमुना के बीच के मैदानों के लिये सिंचाई की सुविधा प्रदान करता है।

और पढ़ें: सिक्किम बाँध आपदा ने भारत-भूटान जलविद्युत परियोजना के लिये चिंता बढ़ाई


रैपिड फायर

विश्व संस्कृत दिवस

स्रोत: पी.आई.बी

हाल ही में प्रधानमंत्री (PM) ने विश्व संस्कृत दिवस के अवसर पर शुभकामनाएँ दीं।

  • विश्व संस्कृत दिवस का परिचय:
    • पहला विश्व संस्कृत दिवस वर्ष 1969 में मनाया गया था।
    • यह प्रत्येक वर्ष श्रावण पूर्णिमा को मनाया जाता है, जो हिंदू कैलेंडर के अनुसार श्रावण माह  में पूर्णिमा का दिन होता है। यह रक्षाबंधन के साथ भी मेल खाता है।
    • यह दिन संस्कृत भाषा के प्रति कृतज्ञता और सम्मान प्रकट करने के लिये मनाया जाता है।
  • संस्कृत भाषा:
    • संस्कृत एक प्राचीन भारतीय-आर्य भाषा है। इसे कई भारतीय भाषाओं की जननी माना जाता है, जिसे देव वाणी (देवताओं की भाषा) भी कहा जाता है।
      • संस्कृत को वैदिक संस्कृत और लौकिक संस्कृत में विभाजित किया गया है।
      • वैदिक संस्कृत: ऋग्वेद, उपनिषद और पुराण जैसे ग्रंथों में पाया जाने वाला पुरातन रूप है।
      • लौकिक संस्कृत: यह पाणिनि के व्याकरण पर आधारित एक बाद का, मानकीकृत रूप है, जिसका उपयोग साहित्य, दर्शन, विज्ञान और कला में किया जाता है।
    • यह भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में 22 आधिकारिक भाषाओं में से एक है।
    • इसे तमिल, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम और ओडिया के साथ भारत की 6 शास्त्रीय भाषाओं में से एक माना जाता है। 

और पढ़ें: विश्व संस्कृत दिवस


रैपिड फायर

राष्ट्रीय भूविज्ञान पुरस्कार- 2023

स्रोत: पी.आई.बी 

हाल ही में भारत के राष्ट्रपति ने 21 भू-वैज्ञानिकों को राष्ट्रीय भूविज्ञान पुरस्कार (NGA) 2023 प्रदान किये।

  • प्रो. धीरज मोहन बनर्जी को फॉस्फोराइट्स और प्रीकैम्ब्रियन भूविज्ञान में उनके अग्रणी योगदान के लिये लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 
  • डॉ. आशुतोष पांडे को पूर्वी धारवाड़ क्रेटन पर उनके शोध के लिये राष्ट्रीय युवा भू-वैज्ञानिक के रूप में सम्मानित किया गया।

राष्ट्रीय भूविज्ञान पुरस्कार:

  • परिचय: यह वर्ष 1966 में खान मंत्रालय द्वारा स्थापित इस क्षेत्र का सबसे पुराना और प्रतिष्ठित पुरस्कार है।
    •  वर्ष 2009 से पहले इन पुरस्कारों को राष्ट्रीय खनिज पुरस्कार के नाम से जाना जाता था।
  • उद्देश्य: इन पुरस्कारों का उद्देश्य खनिज अन्वेषण, खनन प्रौद्योगिकी और खनिज लाभकारीकरण तथा मौलिक व अनुप्रयुक्त भूविज्ञान सहित विभिन्न भूविज्ञान क्षेत्रों में असाधारण उपलब्धियों व महत्त्वपूर्ण योगदान के लिये व्यक्तियों तथा टीमों को मान्यता देना है।
  • पात्रता: कोई भी भारतीय नागरिक जिसने इन क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान दिया हो, इस पुरस्कार के लिये पात्र है।
  • श्रेणियाँ: इसे 3 श्रेणियों में दिया जाता है:
    • लाइफटाइम अचीवमेंट
    • राष्ट्रीय भूविज्ञान पुरस्कार
    • राष्ट्रीय युवा भू-वैज्ञानिक पुरस्कार।
  • भूविज्ञान, जिसे पृथ्वी विज्ञान के रूप में भी जाना जाता है, पृथ्वी का अध्ययन है जिसमें इसकी सतह, प्रक्रियाएँ, प्राकृतिक संसाधन, जल तथा पारिस्थितिकी तंत्र शामिल हैं। इसमें भूविज्ञान (पृथ्वी की संरचना एवं इतिहास की जाँच) और भूभौतिकी (पृथ्वी की आंतरिक संरचना का अध्ययन करने हेतु अनुप्रयुक्त गणित और भौतिकी) जैसे विषय शामिल हैं।

और पढ़ें: राष्ट्रीय भूविज्ञान पुरस्कार


रैपिड फायर

LRS के तहत बाह्य प्रेषण में गिरावट

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India- RBI) के हालिया आँकड़ों से पता चलता है कि उदारीकृत प्रेषण योजना (Liberalised Remittance Scheme- LRS) के तहत बाह्य प्रेषण में उल्लेखनीय गिरावट आई है, जो वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं और घरेलू नीतिगत परिवर्तनों के प्रभाव को दर्शाती है।

  • जून 2024 में बाह्य प्रेषण 43.93% घटकर 2.181 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया, जो जून 2023 में 3.890 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।
  • विदेशी टूर पैकेजों पर 20% की दर से स्रोत पर कर संग्रहण (Tax Collection at Source- TCS) लागू करने से शिक्षा और चिकित्सा उपचार को छोड़कर अन्य खर्चों के लिये धन प्रेषण में कमी आई है।
    • कुल बहिर्वाह में यात्रा का योगदान 50% से अधिक रहा, जो जून 2023 में 1.482 बिलियन अमेरिकी डॉलर से घटकर जून 2024 में 1.275 बिलियन अमेरिकी डॉलर रह गया।
  • वैश्विक और घरेलू आर्थिक उतार-चढ़ाव तथा मुद्रास्फीति के कारण लोग गैर-आवश्यक स्थानांतरण कम कर रहे हैं, जिसके कारण बाह्य प्रेषण में गिरावट आ रही है।
  • बाह्य प्रेषण का अर्थ है भारत से किसी दूसरे देश या क्षेत्र में धन का हस्तांतरण। LRS विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 द्वारा शासित है और RBI द्वारा विनियमित है।
    • LRS नाबालिगों सहित व्यस्कों को यात्रा, चिकित्सा उपचार, शिक्षा, उपहार, दान, रिश्तेदारों के भरण-पोषण, तथा शेयरों, ऋण उपकरणों और विदेशों में अचल संपत्तियों में निवेश जैसे स्वीकार्य चालू या पूंजी खाता लेनदेन के लिये प्रति वित्तीय वर्ष 2,50,000 अमेरिकी डॉलर तक की धनराशि भेजने की अनुमति देता है।
  • TCS एक ऐसा कर है, जो विक्रेताओं द्वारा LRS के तहत विदेशी प्रेषण सहित विशिष्ट लेन-देन पर एकत्र किया जाता है। जब व्यक्ति विदेश में पैसा भेजते हैं, यात्रा करते हैं, तो TCS अधिकृत डीलर, आमतौर पर एक बैंक द्वारा एकत्र किया जाता है, और सरकार के पास जमा किया जाता है। यह विदेशी वित्तीय गतिविधियों पर कर अनुपालन सुनिश्चित करता है।
    • अंतर्राष्ट्रीय क्रेडिट कार्ड से किये गए खर्च पर TCS लागू नहीं है।

और पढ़ें: LRS के तहत भारत के बाहर अंतर्राष्ट्रीय क्रेडिट कार्ड व्यय


रैपिड फायर

महाराजा बीर बिक्रम किशोर माणिक्य बहादुर

स्रोत: पी.आई.बी

हाल ही में प्रधानमंत्री ने महान महाराजा बीर बिक्रम किशोर माणिक्य बहादुर को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की।

  • प्रधानमंत्री ने त्रिपुरा के विकास में उनके महत्त्वपूर्ण योगदान तथा निर्धन और जनजातीय समुदायों को सशक्त बनाने के प्रति उनकी प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला।

महाराजा बीर बिक्रम किशोर माणिक्य बहादुर:

  • उनका जन्म 19 अगस्त 1908 को त्रिपुरा में हुआ था और उन्हें "त्रिपुरा के आधुनिक वास्तुकार" के रूप में भी जाना जाता है। 
  • उन्होंने पहला उच्च शिक्षण संस्थान स्थापित किया, भूमि सुधारों का समर्थन किया और स्वदेशी लोगों के लिये भूमि आरक्षित की, जिसके परिणामस्वरूप त्रिपुरा जनजातीय क्षेत्र स्वायत्त ज़िला परिषद (TTAADC) का गठन हुआ। 
  • वे यूरोप और अमेरिका (1931-1939) की यात्रा करने वाले त्रिपुरा के पहले शासक थे।
  • वर्ष 1947 में 39 वर्ष की अल्पायु में उनका निधन हो गया। उनकी असामयिक मृत्यु ने त्रिपुरा के विकास को प्रभावित किया। 
  • अगरतला हवाई अड्डे को पहले सिंगरभील हवाई अड्डे के रूप में जाना जाता था, जिसका नाम जुलाई 2018 में महाराजा बीर बिक्रम किशोर माणिक्य बहादुर के नाम पर रखा गया।
    • इसके लिये भूमि उनके द्वारा दान की गई थी और इसका उपयोग द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान रॉयल एयर फोर्स के लिये तकनीकी बेस के रूप में किया गया था।

त्रिपुरा:

  • त्रिपुरा पूर्वोत्तर क्षेत्र (असम के बाद) में दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला राज्य है, जो बांग्लादेश, मिज़ोरम और असम के साथ सीमा साझा करता है।
  • वन्यजीव अभयारण्य: गुमटी वन्यजीव अभयारण्य, रोवा वन्यजीव अभयारण्य, सिपाहीजाला वन्यजीव अभयारण्य और तृष्णा वन्यजीव अभयारण्य
  • राष्ट्रीय उद्यान: बाइसन (राजबारी) NP और क्लाउडेड लेपर्ड NP 

और पढ़ें: महाराजा बीर बिक्रम हवाई अड्डा: त्रिपुरा, ग्रेटर टिपरालैंड, त्रिपुरा की मांग


रैपिड फायर

रूस का शिवेलुच ज्वालामुखी

स्रोत: द हिंदू

हाल ही में रूस के पूर्वी तट पर 7.0 तीव्रता का भूकंप आने के बाद शिवेलुच ज्वालामुखी का उद्गार हुआ।

  • इसके अतिरिक्त कुरील द्वीप पर स्थित एबेको ज्वालामुखी से भी वायुमंडल में राख निर्मुक्त हुई ।
  • शिवेलुच ज्वालामुखी रूस के कामचटका प्रायद्वीप में स्थित एक बड़ा और सक्रिय ज्वालामुखी है।
    • शिखर पर एक विस्तृत कैल्डेरा (एक बड़ा गड्ढा) है जो पिछले विस्फोट के दौरान बना था।
  • नवंबर, 1952 में कामचटका में 9.0 तीव्रता के विनाशकारी भूकंप से काफी क्षति हुई थी तथा हवाई में सुनामी आई थी।

कामचटका प्रायद्वीप:

  • यह रूस के सुदूर पूर्व में स्थित है और प्रशांत महासागर में फैला हुआ है, जो ओखोटस्क सागर को बेरिंग सागर से अलग करता है। 
  • यह प्रशांत रिंग ऑफ फायर का एक हिस्सा है तथा इसमें सक्रिय और प्रसुप्त दोनों ज्वालामुखी पाए जाते हैं। 
  • यह यूनेस्को का विश्व धरोहर स्थल है। 
  • टाटा पावर ने वर्ष 2017 में कामचटका प्रायद्वीप में क्रुतोगोरोवस्कॉय कोल डिपॉजिट से कोयला खनन का अनुबंध हासिल किया था।

और पढ़ें: 22वाँ भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन


close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2